Sunday, October 12, 2014

अलसी के दोहे.......!

तेल तड़का छोड़ कर नित घूमन को जाय,

मधुमेह का नाश हो जो जन अलसी खाय। 

नित भोजन के संग में , मुट्ठी अलसी खाय।
अपच मिटे, भोजन पचे, कब्जियत मिट जाये।। 

घी खाये मांस बढ़े, अलसी खाये खोपड़ी। 
दूध पिये शक्ति बढ़े, भुला दे सबकी हेकड़ी।।

धातुवर्धक, बल-कारक, जो प्रिय पूछो मोय।
अलसी समान त्रिलोक में, और न औषध कोय।। 

जो नित अलसी खात है, प्रात पियत है पानी।
कबहुं न मिलिहैं वैद्यराज से, कबहुँ न जाई जवानी।। 

अलसी तोला तीन जो, दूध मिला कर खाय।
रक्त धातु दोनों बढ़े, नामर्दी मिट जाय।।

- स्वामी ओमानन्द

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