Wednesday, December 23, 2015

तिल्ली में वृद्धि होने पर करे ये उपाय

  1. इस रोग की उत्पत्ति मलेरिया के कारण होती है। मलेरिया रोग में शरीर के रक्त कणों की अत्यधिक हानि होने से तिल्ली पर अधिक ज़ोर पड़ता है। ऐसी स्थिति में जब रक्त कण तिल्ली में एकत्र होते हैं तो तिल्ली बढ़ जाती है।
  2. तिल्ली में वृद्धि होने से पेट के विक़ार, खून में कमी तथा धातु क्षय की शिकायत शुरू हो जाती है।
  3. तिल्ली वृद्धि में स्पर्श से उक्त भाग ठोस और उभरा हुआ दिखाई देता है। इसमें पीड़ा नहीं होती, परंतु यथा समय उपचार न करने पर आमाशय प्रभावित हो जाता है। ऐसे में पेट फूलने लगता है। इसके साथ ही हल्का ज्वर, खांसी, अरुचि, पेट में कब्ज़, वायु प्रकोप, अग्निमांद्य, रक्ताल्पता और धातुक्षय आदि विकार उत्पन्न होने लगते हैं। अधिक लापरवाही से इस रोग के साथ-साथ जलोदर भी हो जाता है।
  4. यह रोग भी मनुष्य को बेचैनी एवं कष्ट प्रदान करता है। शुरू में इस रोग का उपचार करना आसान होता है, परंतु बाद में कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ता है। 

नुस्खे
  1. 1/2 ग्राम नौसादर को गरम पानी के साथ सुबह के वक्त लेने से रोगी को शीघ्र लाभ होता है। 
  2. गिलोय के दो चम्मच रस में 3 ग्राम छोटी पीपल का चूर्ण और एक-दो चम्मच शहद मिलाकर चाटने से तिल्ली का विकार दूर होता है। 
  3. त्रिफला, सोंठ, कालीमिर्च, पीपल, सहिजन की छाल, दारुहल्दी, कुटकी, गिलोय एवं पुनर्नवा के समभाग का काढ़ा बनाकर पी जाएं। 
  4. दो अंजीर को जामुन के सिरके में डुबोकर नित्य प्रात:काल खाएं। तिल्ली का रोग ठीक हो जाएगा। 
  5. प्लीहा वृद्धि (बढ़ी हुई तिल्ली) :- अपराजिता की जड़ बहुत दस्तावर है। इसकी जड़ को दूसरी दस्तावर और मूत्रजनक औषधियों के साथ देने से बढ़ी हुई तिल्ली और जलोदर (पेट में पानी की अधिकता) आदि रोग मिटते हैं तथा मूत्राशय की जलन भी मिटती है।
  6. बड़ी हरड़, सेंधा नमक और पीपल का चूर्ण पुराने गुड़ के साथ खाने से तिल्ली में आराम होता है। 
  7. सेंधा नमक (1/2 ग्राम) और अजवायन का चूर्ण (2 ग्राम) मिलाकर गरम पानी के साथ लेने से तिल्ली की वृद्धि में लाभ होता है।

No comments:

Post a Comment