भारत में मशीन का पिसा आटा प्रयोग में आने लगा और नाश्ते में लोग ब्रैड आदि का सेवन करने लगे तब से पाचन संबंधी समस्याएं पेट में पैदा होने लगी है सभी रोगों की जड़ पेट में मल के कुपित होने से पैदा होती है पेट में कब्ज का बने रहना अनेकानेक रोगों को जन्म देता है पेट का कब्ज अनेक प्रकार की बीमारियों को जन्म देता है इसलिए रोगों से दूर रहना है तो कब्ज को दूर भगाए -
"सर्वेषामेव रोगाणां निदानं कुपिता मला:"
प्रयोग-
"हर्र बहेड़ा, आंवला भाग एक दो चार।
तीनों औषधि लीजिये, त्रिफला कहे विचार।"
एक भाग हर्र , दो भाग बड़ी बहेड़ा और चार भाग आंवला तीनों को मिला कर पीस लें। इस योग को त्रिफला कहा जाता है। नित्य रात्रि में गर्म पानी से एक चम्मच त्रिफला चूर्ण का सेवन करने से पेटनिरोगी रहता है। कब्ज को दूर करता है-
सनाय सौंफ मुनक्का, दस दस ग्राम मिलाय।
गोंद बबूल संग पीसकर लीजे चूर्ण बनाय।
प्रतिदिन रात्रि के समय दूध साथ पी जाय।
कब्ज पुराना दूर हो उदर विकार मिटाय।
सनाय, सौंफ और मुनक्का दस दस ग्राम लेकर उसमें बबूल का गोंद मिला कर पीसे लें। इस प्रकार तैयार चूर्ण को यदि रात के समय दूध के साथ सेवन किया जाए तो पुराने से पुराना पेट का कब्ज दूर हो जाता है-
1- प्रातः उठते ही कुल्ला करके या दन्त मंजन करके एक गिलास ठण्डा पानी पी कर इसके बाद एक गिलास कुनकुने गर्म पानी मेँ नीबू निचोङ कर पी लेँ, फिर शौच के लिए जाएं। शौच आने मेँ देर लगे तो जोर न लगाएं बल्कि खङे होकर पैरोँ को दो फीट के फासले से फैला कर झुक जाएं और हथेलियां घुटनोँ पर रख कर सांस जोर से बाहर फेँक देँ। अब बाहर सांस रोक हुए रख कर पेट को अन्दर खीँचे छोङे। ऐसा जितनी बार कर सकेँ उतनी बार, सांस को बाहर रोके हुए रख कर करेँ फिर सांस अन्दर खीँच कर खङे हो जाएं। 3-4 बार सांस लेकर फिर झुक जाएं और सांस बाहर फेंक कर पेट को बाहर भीतर चलाएं। ऐसा 3-4 बार करके वापिस शौच के लिए बैठ जाएं। इस क्रिया से मल जल्दी विसर्जित हो जाता है। इसे अग्निसार क्रिया कहते है-
2- शाम के वक्त शौच अवश्य जाना चाहिए। यदि अभी तक न जाते होँ तो आज ही से जाने लगेँ। एक निश्चित समय पर शौच के लिए जाएं और थोङी देर बैठ कर आ जाएं। शौच न आये तो जोर न लगाएं। वहीँ घुटनोँ पर हाथ रख कर पेट को बाहर भीतर चलाने की क्रिया 10-20 बार करेँ। धीरे धीरे आदत बन जायेगी और शौच होने लगेगा। शाम को शौच न जाना खुद कब्ज पैदा करना ही है। इतने उपाय करने से कुछ ही दिनोँ मेँ कब्ज से पिण्ड छूट जाएगा-
3- सोते समय ठण्डे पानी या दूध के साथ सत इसब गोले 1-2 चम्मच मात्रा मेँ प्रतिदिन सेवन करना चाहिए। इससे सुबह शौच खुल कर होता है और पेट हलका हो जाता है।
4- दुध मेँ एक या दो छोटी हरङ को कुट कर उबाल कर पीने से कब्ज से छुटकारा मिलता है। यह उपाय मेरा खुद का आजमाया हुआ है और असरकारक है।
5- अजवायन, वायविडंग, निशोथ, सौँफ, काला नमक, छोटी हरण सब 10-10 ग्राम। काला दाना 50 ग्राम और सनाय 35 ग्राम। सबको पीस कर मिला लेँ और शीशी मेँ भर एयर टाइट ढक्कन लगा कर रखेँ। रात को सोते समय 1 चम्मच चूर्ण कुनकुने गर्म पानी के साथ सेवन करेँ। इससे सुबह दस्त साफ होता है। चूर्ण की मात्रा अपने कोठे की स्थिति के अनुसार कम ज्यादा कर लेँ। यह नुस्खा कब्जीना चूर्ण के नाम से बना बनाया बाजार मेँ मिलता है।
पंच सकार चूर्ण -
यह हल्के जुलाब का काम करता है। अतः जिन व्यक्तियोँ का काम हल्के जुलाब से चल जाए उनके लिए इसका सेवन उपयोगी होगा। इसे छोटे आधे चम्मच से एक चम्मच मात्रा मेँ कुनकुने गर्म पानी के साथ रात को सोते समय लेना चाहिए। आमातिसार यानि बार बार मरोङ के साथ थोङा थोङा चिकना आंव युक्त दस्त होने पर इसका सेवन सुबह करना चाहिए। चूर्ण की ज्यादा मात्रा का सेवन न करेँ क्योँकि मात्रा ज्यादा होने पर पेट मेँ मरोङ और पीङा हो सकती है। इसके सेवन से कब्ज, आंव, सिर दर्द, अजीर्ण, अफारा, गैस बढना, पेट का दर्द, गुदा का दर्द आदी नष्ट हो जाते है। लाभ हो जाने पर इसका सेवन बन्द कर दे-
अग्निमुख चूर्ण-
गलत खानपान और तले हूए तेज मिर्च मसालेदार, खटाई युक्त पदार्थो तथा मांसाहार का प्रचलन बढ जाने से Hyperacidity, खट्टी डकारे आना, जी मिचलाना, गले मेँ चरपरा पानी आना, ठीक से भूख न लगना, अरुची, मन्दाग्नि, अपच और कब्ज रहना आम हो गया है। इन सबको नष्ट करने के लिए अग्निमुख चुर्ण का उपयोग लाभ न होने तक करना चाहिए। इसे आधा चम्मच मात्रा मेँ भोजन के बाद यूं ही जीभ पर रख कर चूस लेँ। गैस बढने और पेट फूलने पर इसका सेवन करने से तुरन्त गैस निकल जाती है-
स्वादिष्ट विरेचन चूर्ण-
यह स्वादिष्ट विरेचक चुर्ण कब्ज का नाश कर दस्त लाता है। आंव, सिरदर्द, बवासीर, रक्त विकार, खुजली और त्वचारोग की चिकित्सा करने तथा किसी पौष्टिक योग का सेवन शुरू करने से पहले इस नुस्खे का सेवन कर पेट साफ कर लेना चाहिए। यह चूर्ण बच्चोँ, गर्भवती, नव प्रसूता स्त्री, कमजोर शरीर वाले और बूढे सभी के लिए निरापद रूप से सेवन योग्य है। आधा चम्मच से एक चम्मच मात्रा सोते समय कुनकुने गर्म पानी के साथ सेवन करे। इस चूर्ण की मात्रा आयु और आवश्यकता के अनुसार कम ज्यादा की जा सकती है-
पंचसम चूर्ण-
इस चूर्ण को सुबह शाम या आवश्यकता पङने पर 3 से 6 ग्राम मात्रा मेँ कुनकुने गर्म पानी के साथ सेवन करना चाहिए। यह अफारा, गैस ट्रबल, पेट फूलना, वायु न निकलना, उदर शूल, पेट मे आंव बनना, आम वात, कब्ज, आम ज्वर, पेचिश, भोजन मे अरुचि, आंव के दस्त आदि उदर विकारोँ के लिए अत्यन्त लाभप्रद है-
नोट:- ये सभी चूर्ण बाजार मेँ मिल जायेगे।
उपचार और प्रयोग-
No comments:
Post a Comment