* क्या हमारी संस्कृति इतनी बेकार और पुरानी हो गई है कि हम अपनी भी माँ को सिर्फ एक दिन याद करेगे बाकी दिन गर्ल फ्रेंड के है -शर्म आने लगी है हमें उन आज के नौजवान पीढियों पे - जब वो जानते ही नहीं कि विदेशो में ये पक्छिमी सभ्यता का विकास वहां क्यों हुआ था ...?
* विदेशो में जो कल्चर है उसमे जाके देखे तो समझ आ जाएगा कि वहां मदर डे और फादर डे क्यों मनाते है ...?
* वहां शुरू से बच्चो को शिक्षा के लिए जन्म के बाद सरकार की खुद की या माँ-बाप सर्विस के कारण अपने बच्चो को बोर्डिंग में भेज देते है जब बच्चा बड़ा होता है वो भी दिन रात इतना काम ,या प्राइवेसी में लगा रहता है कि उसके पास अपने ही माँ -बाप के लिए समय नहीं होता है .तो वो जब साल में एक बार उनको सम्मान देने के लिए एक दिन बना देते है और जाके उनको बधाई दे आते है .
* जबकि भारत में माँ के रिश्ते का एक अटूट बंधन है हमारी माँ जो गाय से लेके जगत्जननी के रूप में भी इस संसार में पूजी जाती है तो फिर अपनी जन्म देने वाली माँ के लिए एक दिन क्यों नियत करते जा रहे है -क्या इसी तरह हम अपनी संस्कृति को हमेशा के लिए गर्त की गोद में नहीं डाल रहे है .
* माँ का प्यार भरा आँचल और उसका वो लाड-दुलार ,हमारी छोटी बड़ी सभी इच्छाएँ वह चुटकियों में पूरी करने के लिए सदा तत्पर ,अपनी सारी खुशियाँ अपने बच्चों की एक मुस्कान पर निछावर कर देने वाली ममता की मूरत माँ का ऋण क्या हम कभी उतार सकते है ..?
* दुनिया की हर माँ अपने बच्चे पर निस्वार्थ ममता लुटाते हुए उसे भरोसा और सुरक्षा प्रदान करती हुई उसे जिंदगी के उतार चढाव पर चलना सिखाती है । फिर हम क्यों एक दिन को मदर डे बनाने पे तुले है -कही येसा न हो कि आगे आने वाली आपकी नई पीढ़ी आपको भूल ही न जाए कि आप ही उसके माता-पिता हो ये तो आपके साथ भी हो सकता है -उस दिन के कष्ट का अनुभव करो कि आपको कितना बुरा लगेगा -तो भूल जाओ ये एक दिन विदेशी संस्कारों की देन और रोज मनाये -मदर डे-अपनी माँ के आँचल में ....!
* माँ ही है जो इस दुनिया में आने से पहले ही अपने बच्चे के प्रेम में डूब जाती है,यही प्रेमरस अमृत की धारा बन प्रवाहित होता है उसके सीने में ,जो बच्चे का पोषण करते हुए माँ और बच्चे को जीवन भर के लिए अटूट बंधन में बाँध देता है |
* सोचो कि भारत की माताए भी सिर्फ एक दिन "सन डे" मनाने लग गई तो फिर आप विदेशो के सारे "डे" मानना भूल जायेगे ....!
उपचार स्वास्थ्य और प्रयोग -
* विदेशो में जो कल्चर है उसमे जाके देखे तो समझ आ जाएगा कि वहां मदर डे और फादर डे क्यों मनाते है ...?
* वहां शुरू से बच्चो को शिक्षा के लिए जन्म के बाद सरकार की खुद की या माँ-बाप सर्विस के कारण अपने बच्चो को बोर्डिंग में भेज देते है जब बच्चा बड़ा होता है वो भी दिन रात इतना काम ,या प्राइवेसी में लगा रहता है कि उसके पास अपने ही माँ -बाप के लिए समय नहीं होता है .तो वो जब साल में एक बार उनको सम्मान देने के लिए एक दिन बना देते है और जाके उनको बधाई दे आते है .
* जबकि भारत में माँ के रिश्ते का एक अटूट बंधन है हमारी माँ जो गाय से लेके जगत्जननी के रूप में भी इस संसार में पूजी जाती है तो फिर अपनी जन्म देने वाली माँ के लिए एक दिन क्यों नियत करते जा रहे है -क्या इसी तरह हम अपनी संस्कृति को हमेशा के लिए गर्त की गोद में नहीं डाल रहे है .
* माँ का प्यार भरा आँचल और उसका वो लाड-दुलार ,हमारी छोटी बड़ी सभी इच्छाएँ वह चुटकियों में पूरी करने के लिए सदा तत्पर ,अपनी सारी खुशियाँ अपने बच्चों की एक मुस्कान पर निछावर कर देने वाली ममता की मूरत माँ का ऋण क्या हम कभी उतार सकते है ..?
* दुनिया की हर माँ अपने बच्चे पर निस्वार्थ ममता लुटाते हुए उसे भरोसा और सुरक्षा प्रदान करती हुई उसे जिंदगी के उतार चढाव पर चलना सिखाती है । फिर हम क्यों एक दिन को मदर डे बनाने पे तुले है -कही येसा न हो कि आगे आने वाली आपकी नई पीढ़ी आपको भूल ही न जाए कि आप ही उसके माता-पिता हो ये तो आपके साथ भी हो सकता है -उस दिन के कष्ट का अनुभव करो कि आपको कितना बुरा लगेगा -तो भूल जाओ ये एक दिन विदेशी संस्कारों की देन और रोज मनाये -मदर डे-अपनी माँ के आँचल में ....!
* माँ ही है जो इस दुनिया में आने से पहले ही अपने बच्चे के प्रेम में डूब जाती है,यही प्रेमरस अमृत की धारा बन प्रवाहित होता है उसके सीने में ,जो बच्चे का पोषण करते हुए माँ और बच्चे को जीवन भर के लिए अटूट बंधन में बाँध देता है |
* सोचो कि भारत की माताए भी सिर्फ एक दिन "सन डे" मनाने लग गई तो फिर आप विदेशो के सारे "डे" मानना भूल जायेगे ....!
उपचार स्वास्थ्य और प्रयोग -
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