* आज हमें बाज़ार में शुद्ध वस्तुए प्राप्त नहीं होती है मिलावट के कारण इसका प्रभाव भी हमारे जीवन पे विपरीत असर डालता है -
* रोगों की संख्या में दिनों-दिन इजाफा हुआ है - इसलिए जब हम मार्केट से खाने-पीने की वस्तु खरीदे तो जांच परख के ले क्युकि दुकानदार हमें कोई वस्तु फ्री में नहीं दे रहा है - रिफाइंड तेल लेने जाओ -तो दुकानदार हमें वही चीज बेचना चाहता है जिसमे उसे जादा मुनाफा मिल रहा है वो उस चीज की इतनी तारीफ़ करेगा कि आपको असली वस्तु नकली नजर आने लगेगी -वो ये नहीं कहेगा कि इसमें हमें मुनाफा जादा है -सबसे पहले रिफाइंड आयल से बचे -अगर खाना मज़बूरी है तो सिर्फ सूर्यमुखी या मोमफली का तेल ही सेवन करे -शुद्ध तो सिर्फ सरसों का तेल ही है वो भी अगर घानी का हो -क्युकि सरसों में भी मिलावट हो रही है इसमें भी बिनौला नामक चीज मिला देते है जो हमारे नेत्रों के लिए अहितकारी है ..!
* तेल का सेवन सब्जी में नाम मात्र और वनस्पति तेलों का प्रयोग भी कम करे ये आपको कोलेस्ट्रोल से बचाएगा .चावल बहुत ही चमकदार लेना -मतलब उसमे अब कुछ नहीं बचा है -मिल में इतनी पालिस की गई है कि अब आप सिर्फ भूसा ही खा रहे है -आटा भी छिलका उतारा आपके हेल्थ के लिए बेकार है उसमे जब फाइबर ही नहीं है तो कब्ज तो होगा ही -सफ़ेद रोटी बने इसलिए महिलाए प्रभावित होती है जबकि आप अपने पतियों और बच्चो को बीमार बना रही है इसमें आपका भी योगदान है -पहले स्त्रियाँ गेहूं लेके धोके चक्की में पिसवाया करती थी मगर अब "सीरियल" के लिए समय जादा है इसलिए समय अभाव के कारण पेकिंग वाले आटे की तरफ प्रभावित है -लेकिन आप ही अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक नहीं है ...
* अगर समझदार गृहणी है तो शुद्ध वस्तु भी खरीद सकती है और धन भी बचा सकती है ...हमेशा सीजन में कुछ वस्तुओ को खरीद लेना चाहिए उस समय सस्ता मिल जाता है -हल्दी,धनिया,लाल मिर्च,इत्यादि सीजन में लेके पिसवा ले शुद्ध भी होगा और धन का अपव्यय भी नहीं होगा ..!
* सरसों का तेल सीजन में सरसों लेके उसका तेल भी निकालवा के हम रख सकते है - कुछ वस्तुओ से अगर हम बच सकते है तो फिर क्यों नहीं करते -बीमारियों से निजात के लिए अगर थोडा समय लगाना भी आवश्यक है तो हमें करना चाहिए - कम से कम डॉक्टर अपना नहीं तो शरीर तो अपना है .
* फास्ट फ़ूड कभी भी किसी भी कीमत पे आपके लिए लाभदायक नहीं हो सकता है इनसे बचना आपकी समझदारी है - स्मार्ट बनो मगर आधुनिक युग में अपने शरीर को सुरक्षित रखते हुए -बाज़ार की वस्तुयों में प्रयोग होने वाला तेल बार-बार एक टेम्प्रेचर पे इतना गर्म हो जाता है कि उसमे तली गई वस्तु जहर में तली गई के सामान है जो हमें हानि पहुंचती है हमारे शरीर की सफ़ेद रक्त कणिकाओ की जीवाणुओ से लड़ने की भी एक सीमा है -अगर वो सीमा ख़तम तो समझे आप भी .....!
* हमारे शरीर के आस पास हर समय करोडो बैक्टीरिया और वायरस मौजूद होते है. हमारे शरीर कि रोग प्रतिकार शक्ति / प्रतिरक्षा प्रणाली इन खतरनाक बैक्टीरिया और वायरस से हमारे शरीर कि रक्षण करती है. आपने देखा होंगा कि, समान परिस्थिति में भी कुछ व्यक्ति अक्सर जल्दी बीमार हो जाते है तो कुछ व्यक्ति अच्छी रोग प्रतिकार शक्ति होने की वजह से लम्बे समय तक बीमार नहीं होते है. हमारे शरीर कि रोग प्रतिकार शक्ति कई चीजो पर निर्भर करती है जैसे कि हमारा खान - पान और हमारी जीवनशैली. शरीर को स्वस्थ और रोग मुक्त बनाने के लिए अच्छी सशक्त रोग प्रतिकार शक्ति होना बेहद आवश्यक है.
हमारे शरीर कि रोग प्रतिकार शक्ति बढ़ाने के कुछ उपाय निचे दिए गए है:-
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* हमारे शरीर के साथ साथ हमारे शरीर के रोग प्रतिकार शक्ति के लड़ाकू लड़ाकू टी कोशिकाओं और मैक्रोफेज को भी नियमित पौष्टिक समतोल आहार कि आवश्यकता होती है. आपने देखा होंगे कि, समतोल आहार लेने वाले बच्चो कि तुलना में कुपोषित बच्चे जल्दी बीमार पड़ जाते है. शरीर कि रोग प्रतिकार शक्ति बढ़ाने के लिए जिंक, आयरन, सेलेनियम, तांबा, फोलिक एसिड और विटामिन ए, बी -6, सी, ई जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों और विरोधी oxidants कि जरुरत होती है.
* आहार में ज्यादा प्रमाण में पौष्टिक फल, सब्जी और प्रोटीन युक्त चीजो का समावेश करे और वसायुक्त चीजे कम रखे.
आइये जाने आहार में कौन सी चीज कितनी मात्रा में लेना चाहिए:-
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बीटा कैरोटीन
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यह खुबानी (खुबानी), हरी फूलगोभी (ब्रोकोली), चुकंदर (बीट), पालक (पालक), टमाटर (टमाटर), मका (मकई) और गाजर (गाजर) में पाया जाता है.
सेलेनियम
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यह जौ (जई), प्याज (प्याज), सूर्यमुखी फूल के बिज (सूरजमुखी के बीज), कुकरमुत्ता (मशरूम), भूरे चावल (ब्राउन राइस), अंडा (अंडे), मछली (मछली) और मटन (मांस) में पाया जाता है. यह कई प्रकार के कैंसर से शरीर को बचाने में मदद करता है.
विटामिन ए
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यह शक्कर कंद (मीठे आलू), गाजर (गाजर), खुबानी (खुबानी), हरी सब्जिया (हरी सब्जियां), लाल मिर्च (लाल मिर्च), cantaloupe (खरबूजा) में अधिक पाया जाता है.
विटामिन बी 2
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यह पालक (पालक), बदाम (बादाम), सोयाबीन (सोयाबीन), कुकरमुत्ता (मशरूम), गाय का दूध (गाय का दूध) में पाया जाता है.
विटामिन बी -6
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यह पालक (पालक), केला (केला), आलू (आलू), सूर्यमुखी फूल के बिज (सूरजमुखी के बीज) में पाया जाता है.
विटामिन सी
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यह संत्रा (संतरे), टमाटर (टमाटर), पपीता (पपीता), स्ट्रॉबेरी (स्ट्रॉबेरी), पत्तागोभी (फूलगोभी) में पाया जाता है.
विटामिन ई
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यह गाजर (गाजर), पपीता (पपीता), पालक (पालक), सूर्यमुखी फूल के बिज (सूरजमुखी के बीज), बदाम (बादाम) में पाया जाता है.
विटामिन डी
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यह दूध (मिल्क), कुकरमुत्ता (मशरूम), अंडा (अंडे), सामन (सामन), सार्डिन मछली (सार्डिन) में पाया जाता है.
जिंक
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यह लौकी के बिज (कद्दू के बीज), तिल (तिल के बीज), जौ (जई), दही (दही), झींगा (झींगा), शुक्ति (कस्तूरी), मटन (मांस) में पाया जाता है.
* दिन भर में कम से कम 8 ग्लास पानी लेना चाहिए. योग्य प्रमाण में पानी पिने से शरीर को बल प्राप्त होता है और पाचन ठीक से होता है. पानी शरीर के अनावश्यक पदार्थो को शरीर से बाहर निकलता है. .
* खाना बनाते समय और खाना खाते समय सफाई का विशेष ख्याल रखे. बाहर का चटपटा खाने कि जगह पर घर के स्वच्छ और स्वादिष्ट खाने को प्राथमिकता देना चाहिए. अस्वच्छ और बासी खाना खाने से कई अनचाही पाचन से जुडी बीमारी हो सकती है जो कि आपके रोग प्रतिकार शक्ति को कमजोर कर देती है.
जड़ी बूटी
=====
* अपनी रोग प्रतिकार शक्ति बढ़ाने के लिए आप कुछ प्रख्यात जड़ी बूटियों का भी उपयोग कर सकते है जैसे कि गुडूची सत्व, अश्वगंधा चूर्ण, लहसुन, अदरक, जिनसेंग, हल्दी इत्यादि. अभी सर्दी का मौसम है और यह मौसम रोग प्रतिकार शक्ति बढ़ने के लिए सबसे उत्तम समय है. इस मौसम में आप नियमित व्यायाम और साथ में रोज सुबह और रात में गरम दूध के साथ 1 चमच्च च्यवनप्राश लेकर अपनी रोग प्रतिकार शक्ति को बल दे सकते है.
जीवन शैली को बदले :-
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* रोग प्रतिकार शक्ति बढ़ने के लिए आहार के साथ साथ हमारे दिनचर्या में बदलाव करना भी जरुरी है. अगर हम अपनी कुछ बुरी आदते बदल दे तो, कुछ बीमारियो से बच सकते है और अपनी रोग प्रतिकार शक्ति भी बढ़ा सकते है.
* कोशिश करे कि आप भय, क्रोध, चिंता और तनाव इन शरीर के मानसिक शत्रुओ से दूर रहे. जब हम तनावग्रस्त रहते है तब हमारे शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन का ज्यादा मात्रा में निर्माण होता है. इस हार्मोन के कारण मोटापा, हृदयरोग, कर्करोग जैसी कई समस्या पैदा हो सकती है. आप तनावमुक्त रहने के लिए योगा, प्राणायाम, ध्यान या अपना पसंदीदा काम कर सकते है. ज्यादा तनाव होने पर किसी मनोचिकित्सक कि सलाह लेना चाहिए.
* जो लोग सप्ताह में 5 दिन नियमित 30 से 40 मिनिट तक व्यायाम करते है, वह लोग अन्य लोगो कि तुलना में 50 से 60% कम बीमार पड़ते है. नियमित व्यायाम करने से आपका वजन भी नियंत्रित रहता है और रोग प्रतिकार शक्ति भी बढती है. नियमित व्यायाम असल में एक स्वस्थ जीवन कि कुंजी है.
* आज के युग में मोटापे कि समस्या एक महामारी कि तरह फ़ैल रही है. मोटापा अपने साथ कई गम्भीर बीमारियो को आमंत्रण देता है. अपनी रोगप्रतिकार शक्ति बढ़ाने के लिए और स्वस्थ रहने के लिए वजन को काबू में रखना बेहद जरुरी है.
वजन नियंत्रण के बारे में अधिक जानकारी के लिए:-
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वजन प्रबंधन
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* दिन भर काम करने के बाद आपके मन और शरीर के लिए रोजाना 7 से 8 घंटे कि नींद जरुरी है. जो लोग अपने मन और शरीर को पर्याप्त आराम देते है वे अधिक कार्यक्षम और निरोगी रहते है.
* स्वस्थ और निरोगी शरीर के लिए शराब, धूम्रपान, गुटखा और तंबाखू सेवन इत्यादि बुरी आदतो का त्याग करे. इन आदतो से आपको कुछ क्षण के लिए सुख कि अनुभूति होती होंगी पर आपके सेहत और आपके परिवार के लिए यह आदते किसी जहर से कम नहीं है. जिन लोगो को ऐसी बुरी आदते होती है वह जल्दी बीमार होते है और इन्हे होनेवाली बीमारी सामान्य व्यक्ति को होनेवाली बीमारी से गम्भीर होती है.
* अपने शरीर के साथ - साथ अपने आस - पास के माहौल को स्वच्छ रखे. केवल स्वच्छता रखने से ही, आप लगभग 50% बीमारियो को दूर भगा सकते है. खुद स्वच्छ रहे और बाकि लोगो को भी स्वच्छता रखने के लिए प्रेरित करे, जिससे आप बाकि लोगो से होनेवाली बीमारियो से बच सके.
* रोजाना स्नान करे तथा दिन में दो बार दात साफ करे हमेशा अच्छे से हाथ साफ करे अगर आप कही बाहर जाते है या सफ़र कर रहे है तो जीवाणुरोधी हाथ प्रक्षालक साथ रखे हफ्ते दो बार हर्बल शैम्पू करे
* आहार, दिनचर्या और व्यायाम संबंधी सलाह का अनुकरण कर आप अपनी रोग प्रतिकार शक्ति बढ़ा सकते है और साथ ही निरोगी स्वस्थ जीवन का आनंद उठा सकते है.
उपचार स्वास्थ्य और प्रयोग -
* रोगों की संख्या में दिनों-दिन इजाफा हुआ है - इसलिए जब हम मार्केट से खाने-पीने की वस्तु खरीदे तो जांच परख के ले क्युकि दुकानदार हमें कोई वस्तु फ्री में नहीं दे रहा है - रिफाइंड तेल लेने जाओ -तो दुकानदार हमें वही चीज बेचना चाहता है जिसमे उसे जादा मुनाफा मिल रहा है वो उस चीज की इतनी तारीफ़ करेगा कि आपको असली वस्तु नकली नजर आने लगेगी -वो ये नहीं कहेगा कि इसमें हमें मुनाफा जादा है -सबसे पहले रिफाइंड आयल से बचे -अगर खाना मज़बूरी है तो सिर्फ सूर्यमुखी या मोमफली का तेल ही सेवन करे -शुद्ध तो सिर्फ सरसों का तेल ही है वो भी अगर घानी का हो -क्युकि सरसों में भी मिलावट हो रही है इसमें भी बिनौला नामक चीज मिला देते है जो हमारे नेत्रों के लिए अहितकारी है ..!
* तेल का सेवन सब्जी में नाम मात्र और वनस्पति तेलों का प्रयोग भी कम करे ये आपको कोलेस्ट्रोल से बचाएगा .चावल बहुत ही चमकदार लेना -मतलब उसमे अब कुछ नहीं बचा है -मिल में इतनी पालिस की गई है कि अब आप सिर्फ भूसा ही खा रहे है -आटा भी छिलका उतारा आपके हेल्थ के लिए बेकार है उसमे जब फाइबर ही नहीं है तो कब्ज तो होगा ही -सफ़ेद रोटी बने इसलिए महिलाए प्रभावित होती है जबकि आप अपने पतियों और बच्चो को बीमार बना रही है इसमें आपका भी योगदान है -पहले स्त्रियाँ गेहूं लेके धोके चक्की में पिसवाया करती थी मगर अब "सीरियल" के लिए समय जादा है इसलिए समय अभाव के कारण पेकिंग वाले आटे की तरफ प्रभावित है -लेकिन आप ही अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक नहीं है ...
* अगर समझदार गृहणी है तो शुद्ध वस्तु भी खरीद सकती है और धन भी बचा सकती है ...हमेशा सीजन में कुछ वस्तुओ को खरीद लेना चाहिए उस समय सस्ता मिल जाता है -हल्दी,धनिया,लाल मिर्च,इत्यादि सीजन में लेके पिसवा ले शुद्ध भी होगा और धन का अपव्यय भी नहीं होगा ..!
* सरसों का तेल सीजन में सरसों लेके उसका तेल भी निकालवा के हम रख सकते है - कुछ वस्तुओ से अगर हम बच सकते है तो फिर क्यों नहीं करते -बीमारियों से निजात के लिए अगर थोडा समय लगाना भी आवश्यक है तो हमें करना चाहिए - कम से कम डॉक्टर अपना नहीं तो शरीर तो अपना है .
* फास्ट फ़ूड कभी भी किसी भी कीमत पे आपके लिए लाभदायक नहीं हो सकता है इनसे बचना आपकी समझदारी है - स्मार्ट बनो मगर आधुनिक युग में अपने शरीर को सुरक्षित रखते हुए -बाज़ार की वस्तुयों में प्रयोग होने वाला तेल बार-बार एक टेम्प्रेचर पे इतना गर्म हो जाता है कि उसमे तली गई वस्तु जहर में तली गई के सामान है जो हमें हानि पहुंचती है हमारे शरीर की सफ़ेद रक्त कणिकाओ की जीवाणुओ से लड़ने की भी एक सीमा है -अगर वो सीमा ख़तम तो समझे आप भी .....!
* हमारे शरीर के आस पास हर समय करोडो बैक्टीरिया और वायरस मौजूद होते है. हमारे शरीर कि रोग प्रतिकार शक्ति / प्रतिरक्षा प्रणाली इन खतरनाक बैक्टीरिया और वायरस से हमारे शरीर कि रक्षण करती है. आपने देखा होंगा कि, समान परिस्थिति में भी कुछ व्यक्ति अक्सर जल्दी बीमार हो जाते है तो कुछ व्यक्ति अच्छी रोग प्रतिकार शक्ति होने की वजह से लम्बे समय तक बीमार नहीं होते है. हमारे शरीर कि रोग प्रतिकार शक्ति कई चीजो पर निर्भर करती है जैसे कि हमारा खान - पान और हमारी जीवनशैली. शरीर को स्वस्थ और रोग मुक्त बनाने के लिए अच्छी सशक्त रोग प्रतिकार शक्ति होना बेहद आवश्यक है.
हमारे शरीर कि रोग प्रतिकार शक्ति बढ़ाने के कुछ उपाय निचे दिए गए है:-
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* हमारे शरीर के साथ साथ हमारे शरीर के रोग प्रतिकार शक्ति के लड़ाकू लड़ाकू टी कोशिकाओं और मैक्रोफेज को भी नियमित पौष्टिक समतोल आहार कि आवश्यकता होती है. आपने देखा होंगे कि, समतोल आहार लेने वाले बच्चो कि तुलना में कुपोषित बच्चे जल्दी बीमार पड़ जाते है. शरीर कि रोग प्रतिकार शक्ति बढ़ाने के लिए जिंक, आयरन, सेलेनियम, तांबा, फोलिक एसिड और विटामिन ए, बी -6, सी, ई जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों और विरोधी oxidants कि जरुरत होती है.
* आहार में ज्यादा प्रमाण में पौष्टिक फल, सब्जी और प्रोटीन युक्त चीजो का समावेश करे और वसायुक्त चीजे कम रखे.
आइये जाने आहार में कौन सी चीज कितनी मात्रा में लेना चाहिए:-
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बीटा कैरोटीन
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यह खुबानी (खुबानी), हरी फूलगोभी (ब्रोकोली), चुकंदर (बीट), पालक (पालक), टमाटर (टमाटर), मका (मकई) और गाजर (गाजर) में पाया जाता है.
सेलेनियम
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यह जौ (जई), प्याज (प्याज), सूर्यमुखी फूल के बिज (सूरजमुखी के बीज), कुकरमुत्ता (मशरूम), भूरे चावल (ब्राउन राइस), अंडा (अंडे), मछली (मछली) और मटन (मांस) में पाया जाता है. यह कई प्रकार के कैंसर से शरीर को बचाने में मदद करता है.
विटामिन ए
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यह शक्कर कंद (मीठे आलू), गाजर (गाजर), खुबानी (खुबानी), हरी सब्जिया (हरी सब्जियां), लाल मिर्च (लाल मिर्च), cantaloupe (खरबूजा) में अधिक पाया जाता है.
विटामिन बी 2
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यह पालक (पालक), बदाम (बादाम), सोयाबीन (सोयाबीन), कुकरमुत्ता (मशरूम), गाय का दूध (गाय का दूध) में पाया जाता है.
विटामिन बी -6
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यह पालक (पालक), केला (केला), आलू (आलू), सूर्यमुखी फूल के बिज (सूरजमुखी के बीज) में पाया जाता है.
विटामिन सी
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यह संत्रा (संतरे), टमाटर (टमाटर), पपीता (पपीता), स्ट्रॉबेरी (स्ट्रॉबेरी), पत्तागोभी (फूलगोभी) में पाया जाता है.
विटामिन ई
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यह गाजर (गाजर), पपीता (पपीता), पालक (पालक), सूर्यमुखी फूल के बिज (सूरजमुखी के बीज), बदाम (बादाम) में पाया जाता है.
विटामिन डी
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यह दूध (मिल्क), कुकरमुत्ता (मशरूम), अंडा (अंडे), सामन (सामन), सार्डिन मछली (सार्डिन) में पाया जाता है.
जिंक
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यह लौकी के बिज (कद्दू के बीज), तिल (तिल के बीज), जौ (जई), दही (दही), झींगा (झींगा), शुक्ति (कस्तूरी), मटन (मांस) में पाया जाता है.
* दिन भर में कम से कम 8 ग्लास पानी लेना चाहिए. योग्य प्रमाण में पानी पिने से शरीर को बल प्राप्त होता है और पाचन ठीक से होता है. पानी शरीर के अनावश्यक पदार्थो को शरीर से बाहर निकलता है. .
* खाना बनाते समय और खाना खाते समय सफाई का विशेष ख्याल रखे. बाहर का चटपटा खाने कि जगह पर घर के स्वच्छ और स्वादिष्ट खाने को प्राथमिकता देना चाहिए. अस्वच्छ और बासी खाना खाने से कई अनचाही पाचन से जुडी बीमारी हो सकती है जो कि आपके रोग प्रतिकार शक्ति को कमजोर कर देती है.
जड़ी बूटी
=====
* अपनी रोग प्रतिकार शक्ति बढ़ाने के लिए आप कुछ प्रख्यात जड़ी बूटियों का भी उपयोग कर सकते है जैसे कि गुडूची सत्व, अश्वगंधा चूर्ण, लहसुन, अदरक, जिनसेंग, हल्दी इत्यादि. अभी सर्दी का मौसम है और यह मौसम रोग प्रतिकार शक्ति बढ़ने के लिए सबसे उत्तम समय है. इस मौसम में आप नियमित व्यायाम और साथ में रोज सुबह और रात में गरम दूध के साथ 1 चमच्च च्यवनप्राश लेकर अपनी रोग प्रतिकार शक्ति को बल दे सकते है.
जीवन शैली को बदले :-
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* रोग प्रतिकार शक्ति बढ़ने के लिए आहार के साथ साथ हमारे दिनचर्या में बदलाव करना भी जरुरी है. अगर हम अपनी कुछ बुरी आदते बदल दे तो, कुछ बीमारियो से बच सकते है और अपनी रोग प्रतिकार शक्ति भी बढ़ा सकते है.
* कोशिश करे कि आप भय, क्रोध, चिंता और तनाव इन शरीर के मानसिक शत्रुओ से दूर रहे. जब हम तनावग्रस्त रहते है तब हमारे शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन का ज्यादा मात्रा में निर्माण होता है. इस हार्मोन के कारण मोटापा, हृदयरोग, कर्करोग जैसी कई समस्या पैदा हो सकती है. आप तनावमुक्त रहने के लिए योगा, प्राणायाम, ध्यान या अपना पसंदीदा काम कर सकते है. ज्यादा तनाव होने पर किसी मनोचिकित्सक कि सलाह लेना चाहिए.
* जो लोग सप्ताह में 5 दिन नियमित 30 से 40 मिनिट तक व्यायाम करते है, वह लोग अन्य लोगो कि तुलना में 50 से 60% कम बीमार पड़ते है. नियमित व्यायाम करने से आपका वजन भी नियंत्रित रहता है और रोग प्रतिकार शक्ति भी बढती है. नियमित व्यायाम असल में एक स्वस्थ जीवन कि कुंजी है.
* आज के युग में मोटापे कि समस्या एक महामारी कि तरह फ़ैल रही है. मोटापा अपने साथ कई गम्भीर बीमारियो को आमंत्रण देता है. अपनी रोगप्रतिकार शक्ति बढ़ाने के लिए और स्वस्थ रहने के लिए वजन को काबू में रखना बेहद जरुरी है.
वजन नियंत्रण के बारे में अधिक जानकारी के लिए:-
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वजन प्रबंधन
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* दिन भर काम करने के बाद आपके मन और शरीर के लिए रोजाना 7 से 8 घंटे कि नींद जरुरी है. जो लोग अपने मन और शरीर को पर्याप्त आराम देते है वे अधिक कार्यक्षम और निरोगी रहते है.
* स्वस्थ और निरोगी शरीर के लिए शराब, धूम्रपान, गुटखा और तंबाखू सेवन इत्यादि बुरी आदतो का त्याग करे. इन आदतो से आपको कुछ क्षण के लिए सुख कि अनुभूति होती होंगी पर आपके सेहत और आपके परिवार के लिए यह आदते किसी जहर से कम नहीं है. जिन लोगो को ऐसी बुरी आदते होती है वह जल्दी बीमार होते है और इन्हे होनेवाली बीमारी सामान्य व्यक्ति को होनेवाली बीमारी से गम्भीर होती है.
* अपने शरीर के साथ - साथ अपने आस - पास के माहौल को स्वच्छ रखे. केवल स्वच्छता रखने से ही, आप लगभग 50% बीमारियो को दूर भगा सकते है. खुद स्वच्छ रहे और बाकि लोगो को भी स्वच्छता रखने के लिए प्रेरित करे, जिससे आप बाकि लोगो से होनेवाली बीमारियो से बच सके.
* रोजाना स्नान करे तथा दिन में दो बार दात साफ करे हमेशा अच्छे से हाथ साफ करे अगर आप कही बाहर जाते है या सफ़र कर रहे है तो जीवाणुरोधी हाथ प्रक्षालक साथ रखे हफ्ते दो बार हर्बल शैम्पू करे
* आहार, दिनचर्या और व्यायाम संबंधी सलाह का अनुकरण कर आप अपनी रोग प्रतिकार शक्ति बढ़ा सकते है और साथ ही निरोगी स्वस्थ जीवन का आनंद उठा सकते है.
उपचार स्वास्थ्य और प्रयोग -
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