बहुत से लोगो को जाने क्यों बात-बात पे गुस्सा (Anger ) आ जाता है ये गुस्सा आना एक खराब चीज है क्युकि गुस्सा अक्ल को ही खा जाता है -आप कितने भी समझदार (sensible ) और अक्लमंद(Intelligent ) है -मगर क्रोधावेश में आप की अक्ल काम नहीं करती है यदि आपको बहुत गुस्सा आता है - तो आप उसे नियंत्रण (Control ) कर सकते है -आपके गुस्से को कम करने का भी तरीका है। कुछ बातों का पालन करके आप अपने गुस्से पर काबू पा सकते हैं-
क्या करे और क्या न करे :-
अपने आपको उस काम में व्यस्त रखें जो आपको पसंद हो और जो आपको अच्छा लगता है वह आपको करना चाहिए। कई बार काम की वजह से Frustration और तारीफ़ या सराहना (Praise or appreciation ) न मिलने की वजह से इंसान नाराज या गुस्सा हो जाता है। अगर आप वो काम कर रहे हैं जिसमें आप अच्छे हैं तो आपको Frustration नहीं होगा।
हास्य (Humor) सबसे अच्छी या बेहतरीन इलाज है। हास्य हर नकारात्मक स्थिति (Negative Status) में काम आता है। अपना मूड ठीक रखें जोक्स क्रेक करें। कॉमेडी फिल्म देखें, सकारात्मक (पॉजीटिव) किताबें पढ़ें और म्यूजिक सुनने से आप अपने गुस्से को शांत कर सकते हैं। यह सब गुस्से को मैनेज करने में मदद करते हैं।
हमेशा दूसरों के नजरिए से सोचने की कोशिश करें। अधिकांश हमें किसी एक व्यक्ति के प्रति गुस्सा आता है और वह बढ़ते जाता है लेकिन जरूरी नहीं है कि वह व्यक्ति गलत हो। उसके नजरिए से सोचने की कोशिश करें और माफ करना सीखें, यह आपको बहुत मदद देगा।
अगर यहां सब अपनाने के बाद भी आपके गुस्से में फर्क नहीं आता या गुस्सा बढ़ रहा है गुस्सा आना जितना आप सोचते हैं उससे भी ज्यादा आम बात है। गुस्से और तनाव का जिंदगी से गहरा रिश्ता है लेकिन अगर हमें मन और परिस्थिति पर नियंत्रण करने का तरीका आता है तो इस तनाव की छाया हमारे मन और तन पर नहीं पड़ सकती।
चौबीस घंटे में पांच-सात मिनट मौन (Silence ) रखें। मौन का अर्थ है अपने से भी बात न करें। ध्यान रखिए मौन और चुप्पी (taciturnity ) में फर्क है। हम लोग चुप्पी रखते हैं और उसी को मौन मान लेते हैं। पति-पत्नी के बीच कुछ वार्तालाप हो जाए, कुछ खटपट हो जाए, बात नहीं करना हो तो बच्चों के माध्यम से बात की जाती है। बच्चे से बोल दिया पिताजी से कह देना यह ले आना, पिताजी ने कह दिया समय नहीं है। उनसे पूछो आज आप बात नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कह दिया आज अपना मौन है।
चुप्पी बाहर का मामला है और मौन भीतर घटता है। चुप्पी वाला मौन तो लोगों को दिनभर में दस-बारह बार हो जाता होगा। इसलिए दो मिनट, पांच मिनट एकदम मौन हो जाइए। मौन का एक लाभ होता है, हमारा क्रोध नियंत्रित हो जाता है। क्रोध भक्ति में बाधा है।
ध्यान के द्वारा विषय का संग होने से मन में विषय को प्राप्त करने, भोगने की कामना उत्पन्न हो जाती है और विघ्न उपस्थित होने पर क्रोध पैदा हो जाता है। यह क्रोध कोई नया पैदा नहीं होता, चित्त में प्रसुप्त क्रोध ही जाग्रत हो जाता है। यह तत्काल तो जीव के शरीर तथा मन को जलाता ही है और भी पुष्ट होकर विच्छिन्न अवस्था में लौटता है।
उस प्रकार बार-बार क्रोध करते रहने से क्रोध बलवान होता जाता है। जब जीव प्रबल क्रोध की पकड़ में होता है तो अपना 'मैं भूल जाता है। उसे कौन, क्या, कैसा, किस जगह का भी ध्यान नहीं रहता। बस साक्षात क्रोध रूप ही हो जाता है। इसका मूल कारण संग ही है जो प्रसुप्तावस्था से क्रोध को उदार बना देता है। योग और ध्यान के माध्यम से ही आप क्रोध से छुटकारा पा सकते हैं। योग और गुरुमंत्र का प्रभाव से क्रोध को कम किया जा सकता है। यदि अवसर मिले तो योग्य गुरु से दीक्षा (diksha ) अवश्य लें। मगर गुरु सात्विक ,निरपेक्ष, सदाचारी,व्यसन से दूर रहने वाला, व्यापारी गुरु, लालची गुरु कभी भी आपका भला नहीं कर सकते है -अगर येसा गुरु उपलब्ध नहीं होता है तो आप अपने इस्ट को ही मन ही मन अपना गुरु मान कर दीक्षा ले ले -
गुस्से पर कैसे नियंत्रण पायें:-
जब गुस्सा बहुत आता हो तो धरती माता को अर्घ्य देना चाहिये प्रार्थना करे कि माँ मै भी सहनशील बनूँ और बात- बात में गुस्सा न करूँ | धरती माता को रोज सुबह उठकर हाथ से पाँच बार छूकर प्रणाम करें और सबसे विशाल ह्रदय धरती माँ से अपने गुस्से पर काबू करने और सहनशील होने का वरदान मागें।
जिनको गुस्सा बहुत आता हो , बात- बात में चिड जाते हो --वे सोमवार कों एक टाइम रोटी खाएं और एक टाइम उपवास करें और रात कों चन्द्रमा कों अर्घ दें कि मेरा मन शांत रहे --मुझे गुस्से पर काबू पाने की शक्ति दें ।
पके मीठे सेब बिना छीले प्रातः खाली पेट चबा-चबाकर पन्द्रह दिन लगातार खाने से गुस्सा शान्त होता है। बर्तन फैंकने वाला, तोड़ फोड़ करने वाला और पत्नि और बच्चों पर हाथ उठाने वाला व्यक्ति भी अपने क्रोध से मुक्ति पा सकेगा। इसके सेवन से दिमाग की कमजोरी दूर होती है और स्मरण शक्ति भी बढ़ जाती है।
प्रतिदिन प्रातः काल आंवले का एक पीस मुरब्बा खायें और शाम को एक चम्मच गुलकंद खाकर ऊपर से दुध पी लें। बहुत क्रोध आना शीघ्र ही बन्द होगा।
गुस्सा आने पर दो तीन गिलास खूब ठंडा पानी धीरे धीरे घूँट घूँट लेकर पिएं । पानी हमारे शारीरिक तनाव को कम करके क्रोध शांत करने में मददगार होता है।
गुस्सा ज्यादा आता हो तो पलाश के छोटे छोटे पत्तों की सब्जी खाने से गुस्सा, क्रोध और पित्त शांत होता है ।
खट्टी चीज़ खाने से आँखें जलती हैं और स्वभाव बिगड़ता है, गुस्सा आता है, अकारण जलन होती है इनसे दूर रहने का प्रयास करे -
रविवार को अदरक, टमाटर, लाल रंग के कपड़े, गुस्सा बढ़ाते हैं | अत: इनका कम से कम प्रयोग करें ।
यदि गुस्सा आने वाला हो तो 5-6 बार गहरी गहरी साँस लीजिए, कुछ पलों के लिए अपनी आँखे बंद करके ईश्वर का ध्यान करें उन्हें प्रणाम करें उनसे अपना कोई भी निवेदन करें। यह गुस्सा कम करने का सबसे बढ़िया तरीका है। इससे आप भड़कने से पहले ही निश्चित रूप से शांत हो जाएँगे।
जिस स्त्री का पति हर समय बिना बात के ही गुस्सा करता रहता है तो वह स्त्री शुक्ल पक्ष के प्रथम रविवार, सोमवार, गुरुवार या शुक्रवार किसी भी दिन एक नए सफेद कपड़े में एक डली गुड़, चांदी एवं तांबे के दो सिक्के, एक मुट्ठी नमक व गेहूं को बांधकर अपने शयनकक्ष में कहीं ऐसी जगह छिपा कर रख दें जहाँ पति को पता न चले । इसके प्रभाव से भी पति का गुस्सा धीरे-धीरे कम होने लगेगा।
मन में गुस्सा आये तो "हरि ॐ शांति हरि ॐ" शांति बोलते रहो ।
मिर्च कम खाया करे ।तामसी प्रदार्थ है ये गुस्से को बढाता है -
खाना चबा-चबा कर खाया करो तो गुस्सा आना कम होगा ।
चिडचिडापन और मानसिक तनाव दूर करने के लिए “ शंखपुष्पीसिरप ’’ 2 से 4 चम्मच सुबह-शाम ले ।
चाय-कौफी से परहेज करे और उसकी जगह बल, बुद्धि एवं पाचन वर्धक प्रयोग करे ।
जिन्हे ज्यादा गुस्सा आता हो उन्हें चाय, काफी, मदिरा से परहेज करना चाहिए ये शरीर को उत्तेजित करते है उसके स्थान पर छाछ, मीठा दूध या नींबू पानी का प्रयोग करना चाहिए ।
और जिन को गुस्सा ज्यादा आता हो वो अपने पास एक आईना रखें गुस्सा आते ही आईने में देखें, अपने आप गुस्सा कम होने लगेगा लेकिन खुद ही को गुस्सा आये तो देखना, औरों को दिखाओगे तो मुसीबत में पड़ जाओगे
समान्यता गुस्सा सामने वाले से ज्यादा उम्मीदें पालने से आता है । इसलिए कभी भी सामने वाले से बहुत ज्यादा उम्मीदें ना पालें जिससे आपकी बात ना मानने पर भी आपका दिल बिलकुल ना दुखे-
गुस्सा आये तो गुस्से को देखो, गुस्से में तपो मत, गुस्से का उपयोग करो, सामने वाले का अहित ना करो ।
बड़ों पर गुस्सा आये तो उनके चरणों में मत्था टेक दो--कि माफ़ कर दो हमें आप पर गुस्सा आ रहा है। ऐसा मन में भी कर सकते हैं। बड़ों के आगे अहम् पिघला दो । अथवा तो ईश्वर के चरणों में मत्था टेक दो कि हमें बड़ों पर गुस्सा आ रहा है अब आप ही संभालो। अहम् में ही गुस्सा आता है ।
एक घूंट पानी की मुंह में डाल दो । धीरे-धीरे पानी को नीचे उतरने दो । गुस्से की गर्मी, पित्त शांत हो जायेगा ।
गुस्सा आया तो हाथ की उँगलियों के नाखून हाथ की गद्दी पर लगे, ऐसे मुट्ठी बंद कर लो । गुस्सा आया है तो ज्ञान स्वरुप ईश्वर की सत्ता से जान रहा हूँ, ऐसा विचार करते हुए, गुस्से का उपयोग करें ।
जो आपके ऊपर क्रोध करता है -आप उस समय जीभ तालू में लगा दो, उस पर क्रोध न करो | ये क्रोध उसका आवेश है | बाकी गहराई में तो तू ही है, तू ही है, तू ही है .... शत्रु पानी – पानी हो जायेगा |
शत्रु से तुम भिड़ोगे तो हारे तो भी हारे और अगर जीते तो भी अहंकार तुमको हरा देगा | और शत्रु तो हार के गया अभी दब गया लेकिन बाद में कभी मौका मिला तो तुमको पकड़ लेगा | और शत्रु में ये ईश्वरीय सिद्धांत देखा तो शत्रु आपका मित्र हो जायेगा | नौकर से पगार दे के उससे काम नहीं ले सकते उतना शत्रु को मित्र बनाओ तो आपको काम लेना नहीं पड़ेगा वो आपका काम करने लगेगा | जब भी कोई शत्रुता करता है तुमको कुछ सुनाता है, क्रोध करता है उस समय जीभ तालू में लगा दो | शत्रु के रूप में तुम परम मित्र हो |
अब जाने तनाव भरी स्थिति में कैसे खुश रहा जा सकता है:-
किसी घटना अथवा बात पर अपना दिमाग खराब न करें। कोई घटना हो गई हो तो उस पर दिमागी मंथन तो कतई न करें, सदा प्रसन्नचित्त रहने का प्रयास करें।
जब आप घर में हों तो बच्चों के साथ खूब मस्ती करें, उछल-कूद करें, यह क्रिया आपको एनर्जी देगी और मन प्रफुल्लित रखेगी। वैसे भी बच्चों के साथ सारे टेंशन दूर हो जाते हैं।
हर व्यक्ति अपने जीवन में किसी न किसी संस्था से जुड़ा होता है, आप भी किसी खेल, सामाजिक, सांस्कृतिक या रचनात्मक संस्था से जुड़ें और उसके लिए अपना समय निकाले, फिर देखें आपका तनाव कैसे कम होता है।
अध्यात्म और धर्म के लिए भी कुछ समय निकालें, इससे मन प्रफुल्लित रहता है। कुछ समय अपने स्वयं के लिए भी निकालें, यानी अपनी पसंद का कोई काम करें, एकांत में ध्यान करें।
सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक कभी भी पंद्रह मिनट का समय निकालकर गहरी-गहरी सांस लें, यह आपके फेफड़े और शरीर को ऊर्जा प्रदान करेगी। इस साधना के अन्य बहुत से फायदे हैं।
परेशानियां और उलझनों के बारे में जितना सोचते हैं, वे उतना ही परेशान करती हैं और दिमागी रूप से मानव को कमजोर कर देती हैं। खुद भी खुश रहें और दूसरों को भी खुश रखें।
अपने गुस्से पर काबू रखें, गुस्सा मनुष्य को खा जाता है, व्यक्तित्व का नाश करता है और समाज में नीचा दिखाता है। जब आपको किसी बात पर गुस्सा आए तो अपने को किसी अन्य काम में व्यस्त कर लें, कमरे से बाहर निकल जाएं, संबंधित विषय से हट जाएं, कई तरीके हैं तनाव पर काबू पाने के।
जब आप गुस्से, तनाव और विपिरीत परिस्थिति को काबू करना सीख जाएंगे तो आपका व्यक्तित्व निखर आएगा।
उपचार और प्रयोग-
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