माता बगुलामुखी को कलयुग में बहुत शक्तिशाली देवी के रूप में जाना जाता है। जिनकी कृपा से कार्यों में आने वाली विघ्न बाधाएं दूर होतीं हैं, संकट टल जाते हैं तथा साहस, पराक्रम आदि की प्राप्ति होती है बगुलामुखी यंत्र का प्रयोग मां बगुलामुखी का आशिर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है। तथा आज भी अनेक जातको की श्री बगुलामुखी यंत्र के विधिवत प्रयोग से विभिन्न प्रकार की मनोकामनाएं सिद्ध हुई हैं-
पीताम्बरा देवी दतिया
उपचार और प्रयोग-
बगलामुखी-साधना भारत की प्राचीनतम दस महाविध्याओ में एक है और कलियुग में इसका प्रभाव पग -पग पे देख सकते है -
शत्रुओ पर हावी होने और उनका मान मर्दन करने तथा हारते हुए मुकदमो में भी सफलता पाने हेतु समस्त प्रकार से उन्नति के लिए बगुलामुखी यंत्र को श्रेष्ठ माना जाता है यह यंत्र जिस हाथ पे बंधा होता है उस पर किया गया तांत्रिक प्रभाव भी निष्फल रहता है -
पीताम्बरा देवी दतिया
बगलामुखी मंदिर मध्य प्रदेश के दतिया में स्थित है। यह देश के लोकप्रिय शक्तिपीठों में से एक है। दतिया का यह मंदिर 'पीताम्बरा पीठ' के नाम से प्रसिद्ध है।मध्य प्रदेश के दतिया शहर में प्रवेश करते ही पीताम्बरा पीठ है। यहाँ पहले कभी श्मशान हुआ करता था, आज विश्वप्रसिद्ध मन्दिर है। पीताम्बरा पीठ की स्थापना एक सिद्ध संत, जिन्हें लोग स्वामीजी महाराज कहकर पुकारते थे, ने 1935 में की थी। श्री स्वामी महाराज ने बचपन से ही संन्यास ग्रहण कर लिया था। वे यहाँ एक स्वतंत्र अखण्ड ब्रह्मचारी संत के रूप में निवास करते थे। स्वामीजी प्रकांड विद्वान व प्रसिद्ध लेखक थे। उन्हेंने संस्कृत, हिन्दी में कई किताबें भी लिखी थीं। गोलकवासी स्वामीजी महाराज ने इस स्थान पर 'बगलामुखी देवी' और धूमावती माई की प्रतिमा स्थापित करवाई थी। यहाँ बना वनखंडेश्वर मन्दिर महाभारत कालीन मन्दिरों में अपना विशेष स्थान रखता है-
स्थानील लोगों की मान्यता है कि मुकदमे आदि के सिलसिले में माँ पीताम्बरा का अनुष्ठान सफलता दिलाने वाला होता है। भारत में बगुलामुखी के तीन ही ऐतिहासिक मंदिर माने गये हैं, जो क्रमश: दतिया (मध्य प्रदेश), कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) और शाजापुर (मध्य प्रदेश) में हैं। दतिया स्थित बगुलामुखी मंदिर 'पीताम्बरा पीठ' के नाम से भी प्रसिद्ध है। यह मंदिर महाभारत कालीन है। मान्यता है कि आचार्य द्रोण के पुत्र अश्वत्थामा चिरंजीवी होने के कारण आज भी इस मंदिर में पूजा अर्चना करने आते हैं-
इस मंदिर के परिसर में भगवान आशुतोष भी वनखंडेश्वर लिंग के रूप में विराजमान हैं। बगुलामुखी का यह मंदिर देश के लोकप्रिय शक्तिपीठों में से एक है। कहा जाता है कि कभी इस स्थान पर श्मशान हुआ करता था, लेकिन आज एक विश्वप्रसिद्ध मन्दिर है। स्थानीय लोगों की मान्यता है कि मुकदमे आदि के सिलसिले में माँ पीताम्बरा का अनुष्ठान सफलता दिलाने वाला होता है।इसी मंदिर के प्रांगण में ही 'माँ धूमावती देवी' का मन्दिर है, जो भारत में भगवती धूमावती का सिर्फ एक मात्र मन्दिर है-
पीताम्बरा देवी की मूर्ति के हाथों में मुदगर, पाश, वज्र एवं शत्रुजिव्हा है। यह शत्रुओं की जीभ को कीलित कर देती हैं। मुकदमे आदि में इनका अनुष्ठान सफलता प्राप्त करने वाला माना जाता है। इनकी आराधना करने से साधक को विजय प्राप्त होती है। शुत्र पूरी तरह पराजित हो जाते हैं। यहाँ के पंडित तो यहाँ तक कहते हैं कि, जो राज्य आतंकवाद व नक्सलवाद से प्रभावित हैं, वह माँ पीताम्बरा की साधना व अनुष्ठान कराएँ, तो उन्हें इस समस्या से निजात मिल सकती है-
श्री बगुलामुखी यंत्र के प्रयोग का परामर्श नये कार्यों को शुरु करने के लिए तथा उनमें सफलता प्राप्त करने के लिए, कार्यों में आने वाली विघ्न बाधाओं को दूर करने के लिए, पराक्रम, साहस तथा युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए, शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए, न्यायालय आदि में चल रहे मुकद्दमों में अनुकूल निर्णय प्राप्त करने के लिए, चुनाव आदि में विजय प्राप्त करने के लिए, श्री बगुलामुखी कृपा तथा अन्य बहुत सी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए देते हैं तथा इस यंत्र को विधिवत स्थापित करने वाले तथा इसकी विधिवत पूजा करने वाले जातक अपने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में अनेक लाभ के अवसर प्राप्त करने में सफल होते हैं-
श्री बगुलामुखी यंत्र को स्थापित करने से प्राप्त होने वाले लाभ उस जातक को पूर्ण रूप से तभी प्राप्त हो सकते हैं जब उसके द्वारा स्थापित किया जाने वाला श्री बगुलामुखी यंत्र शुद्धिकरण, प्राण प्रतिष्ठा तथा ऊर्जा संग्रह की प्रक्रियाओं के माध्यम से विधिवत बनाया गया हो तथा विधिवत न बनाए गए श्री बगुलामुखी यंत्र को स्थापित करना कोई विशेष लाभ प्रदान नहीं होता-
किसी भी श्री बगुलामुखी यंत्र की वास्तविक शक्ति इस यंत्र को श्री बगुलामुखी मंत्रों द्वारा प्रदान की गई शक्ति के अनुपात में ही होती है तथा इस प्रकार जितने अधिक मंत्रों की बगुलामुखी के साथ किसी श्री बगुलामुखी यंत्र को ऊर्जा प्रदान की गई हो, उतना ही वह श्री बगुलामुखी यंत्र शक्तिशाली होगा। किसी भी श्री बगुलामुखी यंत्र को लाभ प्रदान करने के लिए कम से कम 11,000 श्री बगुलामुखी मंत्रों की सहायता से ऊर्जा प्रदान की जानी चाहिए, तथा बिना ऊर्जा के संग्रह वाला श्री बगुलामुखी यंत्र धातु के एक टुकड़े के समान ही होता है जिसे 60 रूपये के मूल्य में प्राप्त किया जा सकता है-
यहां पर यह बात ध्यान देने योग्य है कि श्री बगुलामुखी यंत्र को विधिवत बनाने की प्रक्रिया में इस यंत्र को ऊर्जा प्रदान करने वाला चरण सबसे अधिक महत्वपूर्ण है तथा यदि ऊर्जा संग्रहित करने की इस प्रक्रिया को यदि विधिवत तथा उचित प्रकार से न किया जाए तो कोई विशेष फल प्रदान करने में सक्षम नही होगा-
किसी भी श्री बगुलामुखी यंत्र के भली प्रकार से कार्य करने तथा जातक को लाभ प्रदान करने के लिए इस यंत्र को विधिवत बनाया जाना अति आवश्यक है। किन्तु एक ऐसे श्री बगुलामुखी यंत्र की, जिसे किसी व्यक्ति विशेष के लिए संकल्पित करके अकेले ही यंत्र को ऊर्जा प्रदान की गई हो, किसी ऐसे श्री बगुलामुखी यंत्र के साथ बिल्कुल भी तुलना नहीं की जा सकती जिसे सैंकड़ों अन्य श्री बगुलामुखी यंत्रों के साथ बिना किसी विशेष संकल्प के उर्जा प्रदान करने की चेष्टा की गई हो क्योंकि इनमें से प्रथम श्रेणी का श्री बगुलामुखी यंत्र विधिवत बनाया गया तथा उत्तम फल प्रदान करने में सक्षम है जबकि दूसरे यंत्र को उचित विधि से नहीं बनाया गया है ऊर्जा प्रदान करने के अतिरिक्त प्रत्येक श्री बगुलामुखी यंत्र को विशिष्ट विधियों के माध्यम से शुद्धिकरण, किसी व्यक्ति विशेष को ही अपने शुभ फल प्रदान करने की क्षमता प्रदान करने वाली प्रक्रिया से किया जाता है तथा अंत में जिससे यह यंत्र अपने फल देने में सक्षम हो जाता है-
इसलिए अपने लिए श्री बगुलामुखी यंत्र स्थापित करने से पहले सदा यह सुनिश्चित करें कि आपके द्वारा स्थापित किया जाने वाला श्री बगुलामुखी यंत्र उपरोक्त सभी प्रक्रियों में से निकलने के बाद विधिवत केवल आपके लिए ही बनाया गया है। विधिवत बनाया गया श्री बगुलामुखी यंत्र प्राप्त करने के पश्चात आपको इसे अपने ज्योतिषि के परामर्श के अनुसार अपने घर में पूजा के स्थान अथवा अपने बटुए अथवा अपने गले में स्थापित करना होता है। उत्तम फलों की प्राप्ति के लिए श्री बगुलामुखी यंत्र को मंगलवार वाले दिन स्थापित करना चाहिए तथा घर में स्थापित करने की स्थिति में इसे पूजा के स्थान में स्थापित करना चाहिए-
श्री बगुलामुखी यंत्र की स्थापना के दिन नहाने के पश्चात अपने यंत्र को सामने रखकर 11 या 21 बार श्री बगुलामुखी मंत्र का जाप करें तथा तत्पश्चात अपने श्री बगुलामुखी यंत्र पर थोड़े से गंगाजल अथवा कच्चे दूध के छींटे दें, मां बगुलामुखी से इस यंत्र के माध्यम से अधिक से अधिक शुभ फल प्रदान करने की प्रार्थना करें, तथा तत्पश्चात इस यंत्र को इसके लिए निश्चित किये गये स्थान पर स्थापित कर दें। तथा इस यंत्र से निरंतर शुभ फल प्राप्त करते रहने के लिए आपको इस यंत्र की नियमित रूप से पूजा करनी है। प्रतिदिन स्नान करने के पश्चात अपने श्री बगुलामुखी यंत्र की स्थापना वाले स्थान पर जाएं तथा इस यंत्र को नमन करके 11 या 21 श्री बगुलामुखी मंत्रों के उच्चारण के पश्चात अपने इच्छित फल को इस यंत्र से मांगें-
यदि आपने अपने श्री बगुलामुखी यंत्र को अपने बटुए अथवा गले में धारण किया है तो स्नान के बाद इसे अपने हाथ में लें तथा उपरोक्त विधि से इसका पूजन करें तथा अपना इच्छित फल इससे मांगें। अपने पास स्थापित किए गये श्री बगुलामुखी यंत्र की नियमित रूप से पूजा करने से आपके और आपके श्री बगुलामुखी यंत्र के मध्य एक बगुलामुखीशाली संबंध स्थापित हो जाता है जिसके कारण यह यंत्र आपको अधिक से अधिक लाभ प्रदान करता है-
एक ऐतिहासिक सत्य:-
माँ पीताम्बरा बगलामुखी का स्वरूप रक्षात्मक है। पीताम्बरा पीठ मन्दिर के साथ एक ऐतिहासिक सत्य भी जुड़ा हुआ है। सन् 1962 में चीन ने भारत पर हमला कर दिया था। उस समय देश के प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू थे। भारत के मित्र देशों रूस तथा मिस्र ने भी सहयोग देने से मना कर दिया था। तभी किसी योगी ने पंडित जवाहर लाल नेहरू से स्वामी महाराज से मिलने को कहा। उस समय नेहरू दतिया आए और स्वामीजी से मिले। स्वामी महाराज ने राष्ट्रहित में एक यज्ञ करने की बात कही। यज्ञ में सिद्ध पंडितों, तांत्रिकों व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को यज्ञ का यजमान बनाकर यज्ञ प्रारंभ किया गया। यज्ञ के नौंवे दिन जब यज्ञ का समापन होने वाला था तथा पूर्णाहुति डाली जा रही थी, उसी समय 'संयुक्त राष्ट्र संघ' का नेहरू जी को संदेश मिला कि चीन ने आक्रमण रोक दिया है। मन्दिर प्रांगण में वह यज्ञशाला आज भी बनी हुई है-
शत्रुओं का नाश करे बगुलामुखी यंत्र:-
आज लोग अपनी विफलता से दुखी नहीं, बल्कि पड़ोसी की सफलता से दुखी हैं। ऐसे में उन लोगों को सफलता देने के लिए माताओं में माता बगलामुखी (वाल्गामुखी) मानव कल्याण के लिये कलियुग में प्रत्यक्ष फल प्रदान करती रही हैं। आज इन्हीं माता, जो दुष्टों का संहार करती हैं। अशुभ समय का निवारण कर नई चेतना का संचार करती हैं। ऐसी माता के बारे में मैं अपनी अल्प बुद्धि से आपकी प्रसन्नता के लिए इनकी सेवा आराधना पर कुछ कहने का साहस कर रहा हूं। मुझे आशा ही नहीं वरन पूर्ण विश्वास है कि मैं माता वाल्गामुखी (बगलामुखी) की जो बातें आपसे कह रहा हूं अगर आप उसका तनिक भी अनुसरण करते हैं तो माता आप पर कृपा जरूर करेंगी-
इनकी साधना अथवा प्रार्थना में आपकी श्रद्धा और विश्वास असीम हो तभी मां की शुभ दृष्टि आप पर पड़ेगी। इनकी आराधना करके आप जीवन में जो चाहें जैसा चाहे वैसा कर सकते हैं-
आजकल इनकी सर्वाधिक आराधना राजनेता लोग चुनाव जीतने और अपने शत्रुओं को परास्त करने में अनुष्ठान स्वरूप करवाते हैं। इनकी आराधना करने वाला शत्रु से कभी परास्त नहीं हो सकता, वरन उसे मनमाना कष्टï पहुंच सकता है। वर्ष 2004 के चुनाव में तो कई राजनेताओं जिनका नाम लेना उचित नहीं है ने माता बगलामुखी की आराधना करके (पंडितों द्वारा) चुनाव भी जीते और अच्छे मंत्रालय भी प्राप्त किये-
माता की यही आराधना युद्ध, वाद-विवाद मुकदमें में सफलता, शत्रुओं का नाश, मारण, मोहन, उच्चाटन, स्तम्भन, देवस्तम्भन, आकर्षण कलह, शत्रुस्तभन, रोगनाश, कार्यसिद्धि, वशीकरण व्यापार में बाधा निवारण, दुकान बाधना, कोख बाधना, शत्रु वाणी रोधक आदि कार्यों की बाधा दूर करने और बाधा पैदा करने दोनों में की जाती है। साधक अपनी इच्छानुसार माता को प्रसन्न करके इनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है। जैसा कि पूर्व में उल्लेख किया जा चुका है कि माता श्रद्धा और विश्वास से आराधना (साधना) करने पर अवश्य प्रसन्न होंगी, लेकिन ध्यान रहे इनकी आराधना (अनुष्ठान) करते समय ब्रह्मचर्य परमावश्यक है-
ब्लॉग लेखक का प्रयोग-
आपके लिए पहली बार इस लेख में इस लिए उल्लेख कर रहा हूँ क्युकि मेने इस विद्या का अपने जीवन में समावेश किया है और पूरे जीवन में मेने खुद को सुरक्षित ही पाया है कितना भी बलवान शत्रु हो कोई कितना भी आपका अनिष्ट चाहने वाला हो आपका बाल बांका भी नहीं कर सकेगा इसके विपरीत उसे ही मुंह की खानी पड़ेगी मेने ये प्रयोग सन 1991 में इलाहबाद में शुरू किया था और आज तक देनिक पूजा में करता रहा हूँ -
गृहस्थ भाइयों के लिये मैं माता की आराधना का सरल उपाय बता रहा हूं। आप इसे करके शीघ्र फल प्राप्त कर सकते हैं। किसी भी देवी-देवता का अनुष्ठान (साधना) आरम्भ करने बैठे तो सर्वप्रथम शुभ मुर्हूत, शुभ दिन, शुभ स्थान, स्वच्छ वस्त्र, नये ताम्र पूजा पात्र, बिना किसी छल कपट के शांत चित्त, भोले भाव से यथाशक्ति यथा सामग्री, ब्रह्मचर्य के पालन की प्रतिज्ञा कर यह साधना आरम्भ कर सकते हैं। याद रहे अगर आप अति निर्धन हो तो केवल पीले पुष्प, पीले वस्त्र, हल्दी की 108 दाने की माला और दीप जलाकर माता की प्रतिमा, यंत्र आदि रखकर शुद्ध आसन कम्बल, कुशा या मृगचर्य जो भी हो उस पर बैठकर माता की आराधना कर आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। माता बगलामुखी की आराधना के लिये जब सामग्री आदि इकट्ठा करके शुद्ध आसन पर बैठें (उत्तर मुख) तो दो बातों का ध्यान रखें, पहला तो यह कि सिद्धासन या पद्मासन हो, जप करते समय पैर के तलुओं और गुह्य स्थानों को न छुएं शरीर गला और सिर सम स्थित होना चाहिए-
इसके पश्चात गंगाजल से छिड़काव कर (स्वयं पर) यह मंत्र पढें-
"अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थाङ्गतोऽपिवा, य: स्मरेत, पुण्डरी काक्षं स बाह्य अभ्यांतर: शुचि:।"
उसके बाद इस मंत्र से दाहिने हाथ से आचमन करें-
"ऊं केशवाय नम:, ऊं नारायणाय नम:, ऊं माधवाय नम:अन्त में ऊं हृषीकेशाय नम: "
कहके हाथ धो लेना चाहिये-
इसके बाद गायत्री मंत्र पढ़ते हुए तीन बार प्राणायाम करें। चोटी बांधे और तिलक लगायें। अब पूजा दीप प्रज्जवलित करें। फिर विघ्नविनाशक गणपति का ध्यान करें। याद रहे ध्यान अथवा मंत्र सम्बंधित देवी-देवता का टेलीफोन नंबर है-
जैसे ही आप मंत्र का उच्चारण करेंगे, उस देवी-देवता के पास आपकी पुकार तुरंत पहुंच जायेगी। इसलिये मंत्र शुद्ध पढऩा चाहिये। मंत्र का शुद्ध उच्चारण न होने पर कोई फल नहीं मिलेगा, बल्कि नुकसान ही होगा। इसीलिए उच्चारण पर विशेष ध्यान रखें। अब आप गणेश जी के बाद सभी देवी-देवादि कुल, वास्तु, नवग्रह और ईष्ट देवी-देवतादि को प्रणाम कर आशीर्वाद लेते हुए कष्ट का निवारण कर शत्रुओं का संहार करने वाली वाल्गा (बंगलामुखी) का विनियोग मंत्र दाहिने हाथ में जल लेकर पढ़ें-
ऊं अस्य श्री बगलामुखी मंत्रस्य नारद ऋषि: त्रिष्टुप्छन्द: बगलामुखी देवता, ह्लींबीजम् स्वाहा शक्ति: ममाभीष्ट सिध्यर्थे जपे विनियोग: (जल नीचे गिरा दें)।
अब माता का ध्यान करें, याद रहे सारी पूजा में हल्दी और पीला पुष्प अनिवार्य रूप से होना चाहिए-
ध्यान मन्त्र :-
मध्ये सुधाब्धि मणि मण्डप रत्न वेद्यां,
सिंहासनो परिगतां परिपीत वर्णाम,
पीताम्बरा भरण माल्य विभूषिताड्गीं
देवीं भजामि धृत मुद्गर वैरिजिह्वाम
जिह्वाग्र मादाय करेण देवीं,
वामेन शत्रून परिपीडयन्तीम,
गदाभिघातेन च दक्षिणेन,
पीताम्बराढ्यां द्विभुजां नमामि॥
अपने हाथ में पीले पुष्प लेकर उपरोक्त ध्यान का शुद्ध उच्चारण करते हुए माता का ध्यान करें। उसके बाद यह मंत्र जाप करें। साधक ध्यान दें, अगर पूजा मैं विस्तार से कहूंगा तो आप भ्रमित हो सकते हैं। परंतु श्रद्धा-विश्वास से इतना ही करेंगे जितना कहा जा रहा है तो भी उतना ही लाभ मिलेगा। जैसे विष्णुसहस्र नाम का पाठ करने से जो फल मिलता है वही ऊं नमोऽभगवते वासुदेवाय से, यहां मैं इसलिये इसका जिक्र कर रहा हूं ताकि आपके मन में कोई संशय न रहे। राम कहना भी उतना ही फल देगा। अत: थोड़े मंत्रो के दिये जाने से कोई संशय न करें। अब जिसका आपको इंतजार था उन माता बगलामुखी के मंत्र को आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं-
मंत्र है :-
"ऊं ह्लीं बगलामुखि! सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय स्तम्भय जिह्वां कीलय कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ऊंस्वाहा। "
इस मंत्र का जाप पीली हल्दी की गांठ की माता से करें। आप चाहें तो इसी मंत्र से माता की षोड्शोपचार विधि से पूजा भी कर सकते हैं। आपको कम से कम पांच बातें पूजा में अवश्य ध्यान रखनी है-
1. ब्रह्मचर्य,
2. शुद्घ और स्वच्छ आसन
3. गणेश नमस्कार और घी का दीपक
4. ध्यान और शुद्ध मंत्र का उच्चारण
5. पीले वस्त्र पहनना और पीली हल्दी की माला से जाप करना
आप कहेंगे मैं बार-बार यही सावधानी बता रहा हूं। तो मैं कहूंगा इससे गलती करोगे तो माता शायद ही क्षमा करें। इसलिये जो आपके वश में है, उसमें आप फेल न हों। बाकी का काम मां पर छोड़ दें। इतनी सी बातें आपकी कामयाबी के लिये काफी हैं-
अधिकारियों को वश में करने अथवा शत्रुओं द्वारा अपने पर हो रहे अत्याचार को रोकने के लिए यह अनुष्ठान पर्याप्त है। तिल और चावल में दूध मिलाकर माता का हवन करने से श्री प्राप्ति होती हैै और दरिद्रता दूर भागती है। गूगल और तिल से हवन करने से कारागार से मुक्ति मिलती है। अगर वशीकरण करना हो तो उत्तर की ओर मुख करके और धन प्राप्ति के लिए पश्चिम की ओर मुख करके हवन करना चाहिए। अनुभूत प्रयोग कुछ इस प्रकार है। मधु, शहद, चीनी, दूर्वा, गुरुच और धान के लावा से हवन करने से समस्त रोग शान्त हो जाते हैं। गिद्ध और कौए के पंख को सरसों के तेल में मिलाकर चिता पर हवन करने से शत्रु तबाह हो जाते हैं। भगवान शिव के मन्दिर में बैठकर सवा लाख जाप फिर दशांश हवन करें तो सारे कार्य सिद्ध हो जाते हैं। मधु घी, शक्कर और नमक से हवन आकर्षण (वशीकरण) के लिए प्रयोग कर सकते हैं-
इसके अतिरिक्त भी बड़े प्रयोग हैं किन्तु इसका कहीं गलत प्रयोग न कर दिया जाए जो समाज के लिए हितकारी न हो इसलिये देना उचित नहीं है। अत: आप स्वयं के कल्याण के लिए माता की आराधना कर लाभ उठा सकते हैं। यहां संक्षिप्त विधि इसलिये दी गई है कि सामान्य प्राणी भी माता की आराधना कर लाभान्वित हो सकें। यह गृहस्थ भाइयों के लिए भी पर्याप्त है-
यदि आप सभी उपरोक्त साधन भी न कर सके तो भी आप अपने जीवन में साधारण रूप से उनका एक "माला मन्त्र" ही प्रयोग कर ले ये आप नित्य की पूजा में एक बार पढ़ सकते है उससे भी आपके काफी काम होने लगेगे जो आपको छोटी -छोटी कठिनाइयो से बचाते रहेगे क्युकि आज के युग में समय न होने के कारण सम्भब नहीं है कि आप विधि पूर्वक करे -
अब साधारण रूप से इस प्रयोग का वर्णन कर रहा हूँ लेकिन गृहस्थ जीवन में सिर्फ एक "माला मन्त्र" का ही जाप कर ले क्युकि ये आज के युग में सभी के लिए संभव नहीं है कि पूरा विधि पूर्वक कर सके -सिर्फ साधारण प्रयोग से भी जीवन की काफी कठिनाइयाँ हल हो जाती है -
साधारण व्यक्तियों के लिए बगलामुखी माला मंत्र बहुत सरल और उपयोगी सिद्ध हो सकता है। साधक को इस माला मंत्र का 108 बार पठन करना होता है। यह मंत्र अधिक क्लिष्ट भाषा में भी नहीं है और साधारण व्यक्ति भी इसको पढ़ सकता है। इस गोपनीय माला मंत्र में गजब की शक्ति है। यह शत्रु भय समाप्त करने वाला देखा गया है। मुख्य रूप से यह मंत्र उन विवाहित दंपतियों के लिए अधिक लाभकारी सिद्ध हो सकता है, जिन स्त्री-पुरुषों में भारी मनमुटाव हो रहा हो, पति-पत्नी में मतभेद हो तथा तलाक की स्थिति आ रही हो-
यदि इस माला मंत्र को कोई भी पत्नी, या पति, जो भी पीड़ित है, दुःखी है, विधानपूर्वक, स्नान कर, शुद्ध पीले वस्त्र धारण कर, रात्रि 9 बजे के पश्चात्, दक्षिण दिशा में बैठ कर 108 बार पाठ करे, तो निश्चित ही पारिवारिक शत्रुता, झगड़े, वैमनस्य समाप्त हो जाते हंै। यह अनुभव रहा है कि कोई पत्नी, या पति अपने जीवन साथी से दुःखी हो, या उसकी आदतों से परेशान हो, घर में नित्य झगड़े होते हों, उसके समाधान के लिए यह प्रयोग संपन्न किया जा सकता है-
पूजन विधि:-
सर्वप्रथम पीत वस्त्र बिछा कर उसपर पीले चावल की ढेरी बनावें। सामने पीतांबरा का चित्र रख कर, या चावल की ढेरी को पीतांबरा देवी मान कर उसकी विधिवत पंचमोपचार से पूजा करें। पीले पुष्प, पीले चावल आदि का उपयोग करें। घी, या तेल का दीपक जला कर सर्वप्रथम गुरु पूजा, फिर पीतांबरा देवी की पूजा करें। इसके पश्चात् संकल्प करें कि मैं अपनी अमुक समस्या के समाधान हेतु (समस्याः पारिवारिक कष्ट, पति, या पत्नी के अत्याचार से दुःखी हों आदि) पीतांबरा मंत्र माला 108 बार जप कर रहा हूं। मुझे इससे मुक्ति दिलावें-
मेरा अनुभव रहा है कि जिसने भी इसका पाठ किया, उसे सफलता प्राप्त हुई है। बल्कि इस बात की गारंटी है -
************************माला -मन्त्र *****************
ॐ नमो भगवति, ˙ नमो वीर प्रताप विजय भगवति, बगलामुखि! मम सर्वनिन्दकानां सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय, जिह्नां कीलय, बुद्धिं विनाशय विनाशय, अपर-बुद्धिं कुरू कुरू, आत्मविरोधिनां शत्रुणां शिरो, ललाटं, मुखं, नेत्र, कर्ण, नासिकोरू, पद, अणु-अणु, दंतोष्ठ, जिह्नां, तालु, गुह्य, गुदा, कटि, जानु, सर्वांगेषु केशादिपादांतं पादादिकेशपर्यन्तं स्तंभय स्तंभय, खें खीं मारय मारय, परमंत्र, परयंत्र, परतंत्राणि छेदय छेदय, आत्ममंत्र तंत्राणि रक्ष रक्ष, ग्रहं निवारय निवारय, व्याधिं विनाशय विनाशय दुःखं हर हर, दारिद्रयं निवारय निवारय, सर्वमंत्र स्वरूपिणि दुष्टग्रह भूतग्रह पाषाणग्रह सर्व चांडालग्रह यक्ष किन्नर किंपुरूष ग्रह भूत प्रेत पिशाचानां शाकिनी डाकिनीग्रहाणां पूर्व दिशं बंधय बंधय, वार्तालि! मां रक्ष रक्ष, दक्षिण दिशं बंधय बंधय, स्वप्नवार्तालि मां रक्ष रक्ष, पश्चिमदिशं बंधय बंधय उग्रकालि मां रक्ष रक्ष, पाताल दिशं बंधय बंधय बगला परमेश्वरि मां रक्ष रक्ष, सकल रोगान् विनाशय विनाशय, शत्रु पलायनम् पंचयोजनमध्ये राजजनस्वपचं कुरू कुरू, शत्रुन् दह दह, पच पच, स्तंभय मोहय मोहय, आकर्षण-आकर्षय, मम शत्रुन् उच्चाटय उच्चाटय, ींीं फट्स्वाहा !
यू ट्यूब पे आप इस मन्त्र को ध्यान से सुने :-
https://youtu.be/SPjsXgqRdnk
उपचार और प्रयोग-
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