Tuesday, March 31, 2015

शाबर मंत्रो द्वारा रोग निवारण करे ....!

* शाबर मंत्र आम ग्रामीण बोलचाल की भाषा में ऐसे स्वयं सिद्ध मंत्र हैं जिनका प्रभाव अचूक होता है। थोड़े से जाप से भी ये मंत्र सिद्ध हो जाते हैं तथा अत्यधिक प्रभाव दिखाते हैं। इन मंत्रों का प्रभाव स्थायी होता है तथा किसी भी मंत्र से इनकी काट संभव नहीं है। शाबर मंत्रो का भी एक अलग विज्ञान है कुछ शब्दों का चयन इस प्रकार है जिसका कोई अर्थ नहीं होता मगर देवताओं को उस कार्य को करने को प्रेरित किया जाता है और एक दुहाई या कसम दी जाती है कुछ छिट-पुट रोगों के लिए हमने इसे आजमाया है और बिलकुल सटीक पाया है कई बीमारियों से इससे निजात पाई जा सकती है |

तो आपके लिए यह एक सरल साधना पोस्ट कर रहा हूँ .

उदर रोग का एक महत्वपूर्ण प्रयोग
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*  इस साधना को करने से पेट की तमाम बीमारियों से निज़ात पाई जा सकती है | बदहज्मी, पेट गैस, दर्द और आंव का पूर्ण इलाज हो जाता है | इसे ग्रहण काल, दीपावली और होली आदि शुभ मुहुरतों में कभी भी सिद्ध किया जा सकता है | आप दिन या रात में कभी भी कर सकते हैं | इस मंत्र को १०८ बार जप कर सिद्ध कर लें | प्रयोग के वक़्त ७ बार पानी पर मन्त्र पढ़ फूँक मारें और रोगी को पिला दें , जल्द ही फ़ायदा होगा |

साबर मन्त्र
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 || ॐ नमो अदेस गुरु को शियाम बरत शियाम  गुरु पर्वत में बड़ बड़ में कुआ कुआ में तीन सुआ कोन कोन सुआ वाई सुआ छर सुआ पीड़ सुआ भाज भाज रे झरावे यती हनुमत मार करेगा  भसमंत फुरो मन्त्र इश्वरो वाचा ||

नेत्र रोग की महत्वपूर्ण साधना
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* आंखे मनुष्य के लिए अनमोल रत्न हैं | कई बार व्यक्ति अकारण वश नेत्र रोग से पीड़ित हो जाते हैं | जिससे बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है | यह बहुत ही तीक्ष्ण मन्त्र है, इससे तमाम नेत्र रोग से निज़ात पाई जा सकती है | इसे भी ग्रहण काल, होली, दीपावली आदि शुभ मुहुरतों में १०८ बार जाप कर सिद्ध कर लें और प्रयोग के वक़्त इसको ७ बार पढ़कर कुषा से झाडा कर दें , तमाम नेत्र दोष दूर हो जाते हैं |

साबर मन्त्र
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||ॐ अन्गाली बंगाली अताल पताल गर्द मर्द आदर ददार फट फट उत्कट ॐ हुं हुं ठा ठा ||

आधा सिर दर्द
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* आधा सिर दर्द और माईग्रेन एक बहुत बड़ी समस्या है | उसके लिए एक महत्वपूर्ण मन्त्र दे रहा हूँ | इसे भी ग्रहण काल, दीपावली आदि पर उपर वाले तरीके से सिद्ध कर लें | प्रयोग के वक़्त एक छोटी नमक की डली ले कर उस पर ७ बार मन्त्र पढ़ें और पानी में घोल कर माथे पर लगा दें , आधे सिर की दर्द फ़ौरन बंद हो जाएगी |

साबर मन्त्र
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|| को करता कुडू करता बाट का घाट का हांक देता पवन बंदना योगीराज अचल सचल ||

दाड दर्द का एक महत्व पूर्ण  मंत्र
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 * दाड दर्द जिसे हो वही जानता है | कई बार तो दाड निकालने की नौबत आ जाती है | इस दर्द से निज़ात पाने का एक बहुत ही महत्वपूर्ण मन्त्र दे रहा हूँ | इसे सूर्य ग्रहण,  दीपावली आदि में १०८ बार जप कर सिद्ध कर लें | प्रयोग के वक़्त नीम की डाली से झाडा कर दें |

साबर मंत्र
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|| ॐ नमो आदेश गुरु को वन में विहाई अंजनी जिस जाया हनुमंत कीड़ा मकोड़ा माकडा यह तीनो भसमंत गुरु की शक्ति मेरी भगती फुरो मंत्र इश्वरो वाचा ||

यह सभी साधनाएं प्रयोग अजमाए हुए हैं | एक बार सिद्ध कर लेने से जब चाहे काम ले सकते हैं |जप से पहले अगर आप एक माला अपने गुरु मन्त्र का जाप करके सिद्ध करे तो इसका प्रभाव दुगना हो जाता है .

समय आने पे कुछ और शाबर मंत्रो की व्याख्या अवश्य करूँगा ...!
उपचार स्वास्थ्य और #प्रयोग -http://upchaaraurpryog120.blogspot.in/

Sunday, March 29, 2015

किवी एक फल है जिसमे सबसे जादा विटामिन है .......!

* ऐसे कई पहाड़ी फल जो हमें बहुत स्वादिष्ट लगते हैं किन्तु उनके लाभों की हमें जानकारी ही नहीं होती। आइये इन्हीं फलों में एक की विशेषता आपको बताते हैं। इस फल का नाम है किवी जो एंटीएजिंग से लेकरडायबिटीज़ तक में लाभकारी होता है।

* इसमें विटामिन ई और एंटीआक्सीडेंट्स की बड़ी मात्रा पायी जाती है और यह त्वचा की कोशिकाओं को लंबे समय तक ठीक रखता है औरप्रतिरोधी क्षमता बढ़ाता है।

* इसमें विटामिन सी सबसे अधिक मात्रा में पाया जाता है जो संतरेकी अपेक्षा दोगुनी मात्रा में होता है। यह शरीर में आयरन सोखने में सहायता प्रदानकरता है विशेषकर अनीमिया के उपचार मेंइसका सेवन बहुत लाभदायक है।

* इसमें ग्लाइकेमिक इंडेक्स कम मात्रा मेंहोता है जिससे रक्त में ग्लूकोज़ नहीं बढ़ता।इस कारण यह डायबिटीज़, हृदय रोग और वज़न कम करने में बहुत लाभकारी है।

* गर्भवती महिलाओं को प्रतिदिन 400से 600 माइक्रोग्राम फ़ोलिक एसिडकी आवश्यकता होती है। यह फ़ोलिक एसिड का एक बेहतरीन स्रोत है। गर्भ में बच्चे के मस्तिष्क के विकास में इसकी बहुत बड़ी भूमिका होती है।

* किवी में मौजूद फ़ाइबर शरीर का पाचन तंत्र ठीक रखने में सहायता प्रदान करता है विशेष कर क़ब्ज़ की समस्या में इसका सेवन बहुत लाभदायक है।

* इसमें केले जितना ही पोटैशियम पाया जाता है जो ओस्टियोपोरोसिस के रोगियों के लिए लाभदायक होता है और हड्डियों और मांसपेशियों को मज़बूत करने में सहायता प्रदान करता है।

* किवी को यदि पोषक तत्वों का समूह कहा जाए तो ग़लत न होगा। इसमें 27 से अधिक पोषक तत्व मौजूद हैं। यह फ़ाइबर, विटामिन सी और ई, कैरोटेनाइड्स, एंटीआक्सीडेंट्स और कई प्रकार के मिनिरल्स से भरपूर हैं।
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क्या आप पूरी तरह एलोवेरा (संजीवनी बूटी) के बारे में जानते है ....?

*  "एलो" का अर्थ होता है रेडिएन्स अर्थात चमक। लिली परिवार का यह पौधा बहुत सारे खनिजों, लवणों और विटामिनों से भरपूर होता है। अपने उम्र वृद्धिकारक गुणों तथा आर्द्रताकारी (Moisturizing) के कारण बहुत बार इसका प्रयोग त्वचा लोशन या क्रीम के रूप में किया जाता है। एलोवेरा में 18 धातु, 15 एमिनो एसिड और 12 विटामिन मौजूद होते हैं, जो खून की कमी को दूर कर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं।

* एलोवेरा का एक अच्छे स्वास्थ्यवर्द्धक पेय (Drink) के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। एलोवेरा 5,000 वर्ष पुरानी रामबाण औषधि है। इसका वनस्पति नाम धृतकुमारी ,ग्वारपाठा है। इसे संजीवनी पौधा भी कहा जाता है। इसकी लगभग 250 उपजातियां हैं जिनमें से कुछ गिनी चुनी ही औषधीय गुणों से परिपूर्ण होती है। उन कुछ प्रजाततियों में से एक है जो सबसे ज्यादा प्रभावशाली है वह है बार्बाडेन्सीस मीलर। आप जानते है कि हमारे शरीर को 21 अमीनोएसिड़ की जरूरत होतीहै जिनमेंसे 18अमीनो एसिड़ केवल एलोवेरा से ही मिलते है।

* एलोवेरा जैल में वो औषधीय तत्व हैं जो खुद से शरीर में नहीं बनते बल्कि एलोवेरा से ही प्राप्त होते हैं जैसे– कुछ अनिवार्य खनिज, 8अनिवार्य अमीनो एसिड,जो शरीर में खुद से नहीं बनते न ही शरीर में जमा होते हैं इस कारण इन तत्वों को निरंतर शरीर को जरूरत रहती है जिसे पूरी करना भी जरूरी है। एलोवेरा में सेपोनिन नामक तत्व होता है जो शरीर की अंदरूनी सफाई करता है तथा रोगाणु रहित रखने का गुण रखता है।एलोवेरा दुनिया का सबसें बढिया एंटिबाइटिक ,एंटी,सेप्टिक है।

* एलोवेरा का विशेष गुण-है कि शरीर के कोमल तत्वों को हानि नहीं पहुंचने देता यदि हानि होती भी है तो उस नुकसान की भरपाई करने में मदद भी करता है।जिन तत्वों से बुढापा जल्दी आता है एलोवेरा ऐसे तत्वों को नष्ट करता है। एलोवेरा हमारे शरीर की छोटी बड़ी नस,ना़डियों की सफाई करता है उनमें नवीन शक्ति तथा स्फूर्ति भरता है। एलोवेरा जैल हर उम्र के लोग इस्तेमाल कर सकते है यह शरीर में जाकर जो भी सिस्टम खराब है वहां काम करता है।इसका कोई साइड़ इफेक्ट भी नहीं होता इसे संजीवनी बूटी भी कहते हैं।

इसका प्रचलित नाम :- घीकुवार, ग्वार पाठा, घृतकुमारी, रससार-एलुआ, मुसब्वर

अंग्रेजी नाम :- एलो, ए बार्बएडनेन्सिस मिल

पौधे का परिचय :-
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*घृत कुमारी का पौधा बिना तने का या बहुत ही छोटे तने का एक गूदेदार और रसीला पौधा होता है जिसकी लम्बाई ६०-१०० सेंटीमीटर तक होती है। इसका फैलाव नीचे से निकलती शाखाओं द्वारा होता है। इसकी पत्तियां भालाकार, मोटी और मांसल होती हैं जिनका रंग, हरा, हरा-स्लेटी होने के साथ कुछ किस्मों मे पत्ती के ऊपरी और निचली सतह पर सफेद धब्बे होते हैं। पत्ती के किनारों पर की सफेद छोटे दाँतों की एक पंक्ति होती है। गर्मी के मौसम में पीले रंग के फूल उत्पन्न होते हैं। माना जाता है कि घृत कुमारी मूलत: उत्तरी अफ्रीका का पौधा है और मुख्यत: अल्जीरिया, मोरक्को, ट्यूनीशिया के साथ कैनेरी द्वीप और माडियरा द्वीपों से संबंधित है हालाँकि अब इसे पूरे विश्व मे उगाया जाता है। इस प्रजाति को चीन, भारत, पाकिस्तान और दक्षिणी यूरोप के विभिन्न भागों में सत्रहवीं शताब्दी में लाया गया था। इस प्रजाति को शीतोष्ण और उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में जैसे ऑस्ट्रेलिया, बारबाडोस, बेलीज़, नाइजीरिया, संयुक्त राज्य अमरीका और पैराग्वे मे भी सफलता पूर्वक उगाया जाता है। विश्व में इसकी २७५ प्रजातियाँ पाई जाती हैं।

*  घृत कुमारी का स्वाद बहुत ही कड़वा होता है तथापि इसके जैल का प्रयोग व्यावसायिक रूप में उपलब्ध दही, पेय पदार्थों और कुछ मिठाइयों मे एक घटक के रूप में किया जाता है। माना जाता है कि घृत कुमारी के बीजो से जैव इंधन प्राप्त किया जा सकता है। भेड़ के कृत्रिम गर्भाधान मे वीर्य को पतला करने के लिये घृत कुमारी का प्रयोग होता है। ताजा भोजन के संरक्षक के रूप में और छोटे खेतों में जल संरक्षण के उपयोग मे भी आता है।

उपयोगी अंग :-
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* पत्तियों से प्राप्त लसीला पीला कड़ुआ द्रव्य (एलोएटिक जूस), सफेद गूदा (एलो जेल)।

मुख्य रासायनिक घटक :-
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* घृतकुमारी का प्रमुख घटक ‘एल्वायन’ होता है, जिसमें बार्बेल्वायन, आईसोवार्वेल्वायन एवं एलोइमोडिन आदि घटक पाये जाते हैं।

औषधीय गुण एवं उपयोग :-
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* घृतकुमारी अल्पमात्र में दीपन, पाचन, कटुपौष्टिक, यकृत उत्तेजक तथा बड़ी मात्रा में विरेचन, कृमिघ्न, रक्तशोधक, आर्त्तजनन, गुण वाली होती है। वर्तमान समय में एलोजेल का सौन्दर्य प्रसाधन में अत्यधिक उपयोग किया जा रहा है, एवं विभिन्न प्रकार के क्रीम, शैम्पू, लोशन, इत्यादि व्यावसायिक उत्पाद बाजार में उपलब्ध हैं।


* बालों की खूबसूरती बढ़ाए एलोवेरा एलोवेरा के फायदे बहुत हैं। यह ना सिर्फ बालों को खूबसूरत और चमकदार बनाता है, बल्कि उन्‍हें जड़ से मजबूत बनाता है। इससे बालों का टूटना कम होता है। बालों को खूबसूरत बनाने के लिए एलोवेरा का इस्तेमाल काफी लाभप्रद रहता है। यह बालों से जुड़ी कई तकलीफों से राहत दिलाता है। आइए जानें खूबसूरत बालों के लिए एलोवेरा और कितना मददगार है। तैलीय बालों की समस्याओं को दूर करने में एलोवेरा जेल बहुत कारगर है। बालों और स्‍कैल्‍प में तेल की अतिरिक्‍त मात्रा को सामान्य कर बालों की शक्ति को भी बढ़ाने में एलोवेरा जेल का जवाब नहीं।

* बालों के लिए एलोवेरा का इस्तेमाल खूबसूरत बालों की यदि आप ख्वाहिश रखती है तो इसके लिए आपको कुछ खास तत्वों का भी इस्तेमाल करना होगा जिससे आप बालों को खूबसूरत बना सकें। ऐसे में आप आवला, शिकाकाई या फिर एलोवेरा का इस्तेमाल कर सकती हैं। इन तीनों में से किसी एक के प्रयोग से आप अपने बालों को चमकदार और खूबसूरत बना सकती हैं। एलोवेरा के फायदे बहुत हैं। यह ना सिर्फ आपके बालों को खूबसूरत और चमकदार बनाता है बल्कि बालों की जड़ों को मजबूत करता है और बालों में जान डालने के लिए भी कारगर है। बालों को खूबसूरत बनाने के लिए इधर-उधर के उपाय छोड़ आपको एलोवेरा का इस्तेमाल करना ही सबसे बढि़या रहेगा। इसके इस्तेमाल से बालों संबंधित समस्याओं से भी निजात पाई जा सकती है।

*  बालों संबंधी जितनी भी समस्याएं हैं एलोवेरा के प्रभाव से दूर हो जाती हैं जैसे- बालों का गिरना, रूखे बाल, बालों में डेंड्रफ इत्यादि समस्याएं। एलोवेरा जेल को सिर्फ आधा घंटा लगाने के बाद आप उनको धो सकते हैं। ऐसा आप सिर्फ महीने में दो बार भी करते हें तो आपको इसके परिणाम कुछ ही महीनों में दिखाई देने लगेंगे। ऑयली बालों की समस्याओं को सुलझाने के लिए भी एलोवेरा जेल बहुत कारगर है। बालों और स्कॉल्प में ऑयल की अधिक मात्रा को सामान्य कर बालों की शक्ति को भी बढ़ाता है।

* एलोवेरा से गंजेपन को भी दूर किया जा सकता है। एलोवेरा को स्‍कैल्‍प पर शैंपू की तरह इस्‍तेमाल किया जा सकता है। इससे बाल मजबूत तो होते ही हैं साथ ही रूसी की समस्‍या भी दूर होती है। केश संबंधी समस्‍याओं को एलोवेरा के प्रयोग से दूर किया जा सकता है। इससे बालों का गिरना, रूखे बाल, बालों में डेंड्रफ इत्यादि समस्याओं को दूर किया जा सकता है। एलोवेरा जेल को सिर्फ आधा घंटा लगाने के बाद ही सिर धोया जा सकता है। अगर महीने में सिर्फ दो बार इसे सिर पर लगाया जाए तो कुछ ही महीनों में आपको इसके सकारात्‍मक प्रभाव नजर आने लगेंगे।

* एलोवेरा बाजार में बालों के लिए कई रासायनिक उत्‍पाद मिलते हैं। जिनके कुछ प्रतिकूल प्रभावों के चलते बालों की समस्‍या हो सकती है। वहीं दूसरी ओर एलोवेरा पूरी तरह प्राकृतिक है। इसके इस्‍तेमाल का कोई दुष्‍परिणाम नहीं होता। बाजार में एलोवेरा युक्त कई उत्‍पाद उपलब्‍ध हैं। इन उत्पादों का उपयोग कर आप अपने बालों को खूबसूरत और आकर्षक बना सकते हैं। बालों को नरम, चमकदार बनाने के साथ ही लंबे बनाने के लिए आप खुद घर पर एलोवेरा शैंपू भी बना सकते हैं। इसके लिए आपको एलोवेरा जूस में नारियल, दूध और गेहूं और तेल मिलाकर बनाएं।

* बाजार में बहुत सी ऐसी दवाईया मौजूद है जिनके सेवन से आप बालों संबंधी समस्याओं से बचाव का सकते हैं। लेकिन यदि आप ऐलोवेरा के नेचुरल प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करेंगे तो उसका आपके बालों पर ना तो कोई अतिरिक्त प्रभाव पड़ेगा और आपके बाल अधिक घने, लंबे और खूबसूरत भी होगे। आजकल बाजार में एलोवेरा युक्त बहुत से उत्पाद आते हैं, लिहाजा आप उन उत्पादों को खरीदकर अपने बालों के लिए उपयोग कर सकते हैं। लेकिन उसके लिए जरूरी है कि आपको अपने बालों के हिसाब से इन उत्पादों का प्रयोग करना होगा। एलोवेरा का सबसे बड़ा फायदा है कि इसके कोई अतिरिक्त प्रभाव नहीं है। ऐसे में यदि आप बालों की प्रभावित जगह पर एलोवेरा का सीधा-सीधा इस्तेमाल करती हैं तो इसमें आपको डरने की कोई जरूरत नहीं है। इससे आपको नए बालों की ग्रोथ में भी मदद मिलेगी।

* झुर्रियों से बचाव झुर्रियों आपको समय से पहले बूढ़ा बना देती हैं इससे बचने के लिए रोजाना एलोवेरा जॅल से मालिश कीजिये। यह त्‍वचा को अंदर से मॉइश्‍चराइज करता है। इसका रस स्‍किन को टाइट बनाता है और इसमें मौजूद विटामिन सी और के कारण त्‍वचा हाइड्रेट भी बनी रहती है

* स्किन टोनर एलोवेरा एक बेहतरीन स्किन टोनर है। एलोवेरा फेशवॉश से त्‍वचा की नियमित सफाई से त्‍वचा से अतिरिक्‍त तेल निकल जाता है, जो पिंपल्‍स यानी कील-मुहांसे को पनपने ही नहीं देता है एलोवेरा त्वचा को जरूरी मॉश्चयर देता है। एलोवेरा त्वचा की नमी को बनाए रखता है।

* एक गिलास ठंडे नारियल पानी में दो से चार चम्मच एलोवेरा का रस या पल्प (गूदा) मिलाकर पीने से लू लगने का खतरा नहीं रहता है।

* एलोवेरा का जूस बवासीर, डायबिटीज़, गर्भाशय के रोग तथा पेट के विकारों को दूर करता है।

* एलोवेरा के पल्प (गुदे) में मुल्तानी मिट्टी या चंदन पाऊडर में मिलाकर लगाने से त्वचा के कील - मुहांसे ठीक हो जाते हैं।

* सुबह उठकर खाली पेट एलोवेरा की पत्तियों के रस का सेवन करने से पेट में कब्ज़ की समस्या से निजात मिलती है।

* गर्मी, उमस और बारिश के कारण निकलने वाले फोड़े - फुंसियों पर भी इसका रस लगाने पर आराम मिलता है और तीन - चार बार लगाने से वो ठीक भी हो जाते हैं।

* गुलाब जल में एलोवेरा का रस मिलाकर त्वचा पर लगाने से त्वचा में नमी बरकरार रहती है और खोई नमी लौटती है।

* एलोवेरा का जूस मेहँदी में मिलाकर बालों में लगाने से बाल चमकदार तथा स्वस्थ रहते हैं।

* कहीं भी जलने या चोट लगने पर एलोवेरा का रस लगाने से बहुत आराम मिलता और वो तेज़ी से भी ठीक होती है।

* इसके अलावा शारीरिक ऊर्जा, पाचन क्रिया तथा त्वचा - पुनर्निर्माण के लिए भी एलोवेरा का रस और पल्प (गूदा) काफी लाभदायक होता है।

* स्ट्रेच मार्क्स त्वचा से संबंधित अलग-अलग तरह के रोगों को दूर करने में एलोवेरा बेहद लाभकारी है। इसमें पाए जाने वाले तत्व स्ट्रेच मार्क्स को दूर करने में कारगर साबित हो सकते हैं। स्‍ट्रेच मार्क्‍स पर ताजा एलोवेरा के गूदे से मसाज करने पर त्‍वचा टोन होती है। इसमें मौजूद एंजाइम खराब हो चुकी त्‍वचा को हटाकर दूसरी त्‍वचा को हाइड्रेट करता है। एलोवेरा के जूस को भी स्ट्रेच मार्क्स पर लगा सकते हैं। इसे लगाने के कुछ मिनट के बाद गुनगुने पानी से धो सकते हैं.

* एलोवेरा औषधीय गुणों का भण्‍डार है। यह त्वचा को कोमल और चमकदार बनाने में मदद करता हैं। इसके एंटी-ऑक्सीडेंट गुण त्वचा की मृत कोशिकाओं को हटाने में मदद करते हैं। एलोवेरा न केवल स्किन सेल के नवीनीकरण की प्रक्रिया में मदद करता है, बल्कि त्वचा को नमी बनाए रखने की क्षमता भी देता है।

* सनबर्न में फायदेमंद एलोवेरा में सनबर्न से लड़ने के शक्तिशाली चिकित्‍सा गुण होते है। इसके हर्बल एक्स्ट्रैक्ट त्‍वचा पर सुरक्षात्‍मक परत के रूप में काम करते है और साथ ही इसके एंटी ऑक्‍सीडेंट गुण नमी की कमी की भरपाई करने में मदद करते हैं। इसलिए जब भी आप धूप में घर से बाहर जाएं तो एलोवेरा का रस अच्‍छी तरह से अपने चेहरे पर लगा कर जायें। त्‍वचा के लिए मॉश्‍चराइजर एलोवेरा के एक्स्ट्रैक्ट मॉइस्चराइजिंग उत्पादों में इस्तेमाल किये जाते है। यह तैलीय त्‍वचा के लिए भी आदर्श माना जाता है क्‍योंकि इससे त्‍वचा चिकनी नही लगती।

* वह महिलायें जो मिनरल बेस मेकअप का उपयोग करती है उनकी त्‍वचा की ड्राईनस को कम करने के लिए एलोवेरा मॉइस्चर के रूप में भी कार्य करता है।

* शरीर के कोमल तत्वों को हानि नहीं पहुंचने देता यदि हानि होती भी है तो उस नुकसान की भरपाई करने में मदद भी करता है।जिन तत्वों से बुढापा जल्दी आता है एलोवेरा ऐसे तत्वों को नष्ट करता है। एलोवेरा हमारे शरीर की छोटी बड़ी नस, नाड़ियों की सफाई करता है उनमें नवीन शक्ति तथा स्फूर्ति भरता है। एलोवेरा जैल हर उम्र के लोग इस्तेमाल कर सकते है यह शरीर में जाकर जो भी सिस्टम खराब है वहां काम करता है। इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता इसे संजीवनी बूटी भी कहते हैं।

चमकदार त्वचा के लिए एलोवेरा फेस पैक:-
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 एक चुटकी हल्‍दी

एक चम्मच शहद

एक चम्‍मच दूध

गुलाब जल की कुछ बूंदे

* इन सभी का मिश्रण बना लें। फिर आप इसमें थोड़ा सा एलोवेरा का जैल मिला लें और इसे अच्छी तरह से मिक्‍स करें। अब आप इसे चेहरा और गर्दन पर लगायें। 20 मिनट के लिए रखें और फिर ठंडे पानी से धो दें।

टैन हटाने के लिए एलोवेरा फेस मास्क:-
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 * नींबू के रस की कुछ बूंदों में एलोवेरा मिश्रण मिलायें। तथा प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं।  15 मिनट के लिए छोड़ दें। फिर आप ठंडे पानी से धोएं।

पिग्मन्टेशन मार्क्स हटाने के लिए एलोवेरा फेस पैक:-
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* एलोवेरा और गुलाब जल को मिलाकर पेस्ट तैयार करें। अब आप इसे चेहरे पर लगाए और कम से कम 15 मिनट के लिए इसे ऐसे ही रहने दें। फिर आप ठंडे पानी से चेहरे को धो लें.

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यूरिक एसिड बढ़ने का घरेलू उपचार -Increased uric acid remedies

यदि किसी कारणवश गुर्दे की छानने की क्षमता कम हो जाए -तो यह यूरिया में यूरिक एसिड बदल जाता है- जो कि बाद में हड्डियों में जमा होजाता है जिस कारण व्यक्ति को दर्द रहने लगता है-यूरिक एसिड प्‍यूरिन के टूटने से बनता है- वैसे तो यूरिक एसिड शरीर से बाहर पेशाब के रूप में निकल जाता है-परन्तु किसी कारण-वश जब यूरिक एसिड जब शरीर में रह जाए तो धीरे -धीरे इसकी मात्रा शरीर के लिए नुकसान दायक हो जाती है -





यूरिक अम्ल क्या होता है :-


कार्बन,हाईड्रोजन,आक्सीजन और नाईट्रोजन तत्वों से बना यह योगिक जिस का अणुसूत्र C5H4N4O3.यह एक विषमचक्रीय योगिक है जो कि शरीर को प्रोटीन से एमिनोअम्ल के रूप मे प्राप्त होता है. प्रोटीनों से प्राप्त ऐमिनो अम्लों को चार प्रमुख वर्गों में विभक्त किया गया है-

उदासीन ऐमिनो अम्ल
अम्लीय ऐमिनो अम्ल
क्षारीय ऐमिनो अम्ल
विषमचक्रीय ऐमिनो अम्ल.

यह आयनों और लवण के रूप मे यूरेट और एसिड यूरेट जैसे अमोनियम एसिड यूरेट के रूप में शरीर मे उपलब्ध है. प्रोटीन एमिनो एसिड के संयोजन से बना होता है। पाचन की प्रक्रिया के दौरान जब प्रोटीन टूटता है तो शरीर में यूरिक एसिड बनता है जब शरीर मे Purine nucleotides टूट जाती है तब भी यूरिक एसिड बनता है. प्युरीन क्रियात्मक समूह होने के कारण यूरिक अम्ल Aromatic compound  होते हैं. शरीर मे यूरिक अम्ल का स्तर बढ़ जाने की स्तिथि को ( hyperuricemia ) कहते हैं.  हम प्रोटीन कहाँ से प्राप्त करते है और प्रोटीन क्यों जरूरी हो शरीर के लिए ये जानना भी जरूरी हो जाता है ....?

मनुष्यों और अन्य जीव जंतुओं के लिए प्रोटीन बहुत जरूरी आहार है. इससे शरीर की नयी  कोशिकाएँ और नये ऊतक बनते हैं पुरानी कोशिकाओं और उत्तको की टूटफूट की मरम्मत के लिए प्रोटीन बहुत जरूरी आहार है.  प्रोटीन के अभाव से शरीर कमजोर हो जाता है और कईं रोगों से ग्रसित  होने की संभावना बढ़ जाती है। प्रोटीन शरीर को  ऊर्जा भी प्रदान करता है. वृद्धिशील शिशुओं,बच्चो,किशोरों और गर्भवती स्त्रियों के लिए अतरिक्त प्रोटीन भोजन की मांग ज्यादा होती है परन्तु 25 वर्ष की आयु के बाद कम शारीरिक श्रम करने वाले व्यक्तियों के लिए अधिक मात्रा मे प्रोटीन युक्त भोजन लेना उनके लिए यूरिक अम्लों की अधिकताजन्य दिक्कतों का खुला निमंत्रण साबित होते हैं.


रेडमीट(लालरंगकेमांस),सीफूड,रेडवाइन,दाल,राजमा,मशरूम,गोभी,टमाटर,मटर,पनीर,भिन्डी,अरबी,चावलआदि के अधिक मात्रा में सेवन से भी यूरिक एसिड बढ जाता है।

उच्च यूरिक एसिड के कारण :-



शरीर में यूरिक ऐसिड बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं-

भोजन के रूप मे लिए जाने वाले प्रोटीन प्युरीन और साथ मे उच्च मात्रा मे शर्करा का लिया जाना रक्त मे यूरिक एसिड की मात्रा को बढाता है.

कई लोगों मे वंशानुगत कारणों को भी यूरिक एसिड के ऊँचे स्तर के लिए जिम्मेवार माना गया है.

गुर्दे द्वारा सीरम यूरिक एसिड के कम उत्सर्जन के कारण  भी इसका स्तर रक्त मे बढ़ जाता है.

उपवास या तेजी से वजन घटाने की प्रक्रिया मे भी अस्थायी रूप से यूरिक एसिड का स्तर आश्चर्यजनक स्तर  तक वृद्धि कर जाता हैं.

रक्त आयरन की अधिकता भी यूरेट स्तर को बढ़ाती है जिस पर आयरन त्याग यानी रक्तदान से नियंत्रण किया जा सकता है.

पेशाब बढ़ाने वाली दवाएं या डायबटीज़ की दवाओं के प्रयोग से भी यूरिक ऐसिड बढ़ सकता है.

उच्च यूरिक एसिड के नुकसान :-



इसका सबसे बड़ा नुकसान है शरीर के छोटे जोड़ों मे दर्द जिसे गाउट रोग के नाम से जाना जाता है. मान लो आप की उम्र 25 वर्ष से ज्यादा है और आप उच्च आहारी हैं रात को सो कर सुबह जागने पर आप महसूस करते है कि आप के पैर और हाथों की उँगलियों अंगूठों के जोड़ो मे हल्की हल्की चुभन जैसा दर्द है तो आप को यह नहीं मान लेना चाहिये कि यह कोई थकान का दर्द है आप का यूरिक एसिड स्तर बड़ा हुआ हो सकता है. तो अगर कभी आपके पैरों की उंगलियों, टखनों और घुटनों में दर्द हो तो इसे मामूली थकान की वजह से होने वाला दर्द समझ कर अनदेखा न करें यह आपके शरीर में यूरिक एसिड बढने का लक्षण हो सकता है. इस स्वास्थ्य समस्या को गाउट आर्थराइट्सि कहा जाता है.

गाउट आर्थराइट्सि गठिया का एक रूप :-



गाउट एक तरह का गठिया रोग ही होता है. जिस के कारण शरीर के छोटे ज्वाईन्ट्स प्रभावित होते हैं और
विशेषकर पैरों के अंगूठे का जोड़ और उँगलियों के जोड़ व उँगलियों मे जकड़न रहती है. हालाँकि इससे एड़ी, टख़ने, घुटने, उंगली, कलाई और कोहनी के जोड़ भी प्रभावित हो सकते हैं. इसमें बहुत दर्द होता है. जोड़ पर सुर्ख़ी और सूजन आ जाती है और बुख़ार भी आ जाता है.  यह शरीर में यूरिक ऐसिड के बढ़ने से पैदा होती है.

(पेशियों में जमा यूरिक एसिड क्रिस्टल, मस्क्युलर रिह्यूमेटिज्म के रूप में सामने आता है, तो जोड़ों के बीच जमा एसिड क्रिस्टल आरथ्राइटिस के रूप में जोड़ों के बीच एसिड क्रिस्टल जमा होने से चलने-फिरने पर चुभने जैसा दर्द और टीस होती है जोड़ों में जकड़न आ सकती है.)

यह बढ़ा हुआ यूरिक एसिड रक्त के साथ शरीर के अन्य स्थानों मे पहुँच जाता है. खास तौर पर हड्डियों के संधि भागों मे जाकर रावों के रूप मे जमा होना  शुरू हो जाता है. यह  जन्म देती है साध्य रोग शरीर के छोटे जोड़ों मे दर्द गाउट Gout को.

जोड़ो मे जमा यूरिक एसिड के क्रिस्टल :-



अगर यूरिक ऐसिड बढ़ जाए तो वह बहुत नन्हें-नन्हे क्रिस्टलों के रूप में जमा हो जाता है. हड्डियों मे ख़ासतौर से जोड़ों के आस पास.  ये क्रिस्टल बहुत ही धारदार होते हैं.  जो की जोड़ों की चिकनी झिल्ली में चुभते हैं.  चुभन और भयंकर दर्द पैदा करते हैं.   गाउट रोग के कारण जोड़ों को घुमाने या गति उत्पन्न करने में कठिनाई महसूस होती है. ठंडी या शीत हवाओं के कारण पीड़ा बढ़ जाती है. इसकी सबसे बड़ी पहचान यह है की इसमें रात में दर्द बढ़ जाता है और सुबह शरीर अकड़ता है.

व्यक्ति की किडनी भीतरी दीवारों की लाइनिंग क्षतिग्रस्त हो तो ऐसे में यूरिक एसिड बढने की वजह से किडनी में स्टोन भी बनने लगता है.

यूरिक एसिड के असंतुलन से ही गठिया जैसी समस्‍याएं हो जाती है। उच्‍च यूरिक एसिड की मात्रा को नियंत्रित करना अति आवश्‍यक होता है। नियंत्रण के लिए यूरिक एसिड़ बढ़ने के कारण को जानना आवश्‍यक है। अगर आपको यह समस्‍या आनुवांशिक है तो इसे बैलेंस किया जा सकता है लेकिन अगर शरीर में किसी प्रकार की दिक्‍कत है जैसे - किडनी का सही तरीके से काम न करना आदि तो डॉक्‍टरी सलाह लें और दवाईयों का सेवन करें। शरीर में हाई यूरिक एसिड का अर्थ होता है कि आप जो भी भोजन ग्रहण करते है उसमें प्‍यूरिन की मात्रा में कमी है जो शरीर में प्‍यूरिन की बॉन्डिंग को तोड़ देती है और यूरिक एसिड बढ़ जाता है। यूरिक एसिड को नियंत्रित करने के कुछ टिप्‍स निम्‍म प्रकार हैं...

अगर शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा लगातार बढ़ती है तो आपको भरपूर फाइबर वाले फूड खाने चाहिए। दलिया, पालक, ब्रोकली आदि के सेवन से शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा नियंत्रित हो जाती है..

यह प्रयास करें कि अधिक से अधिक मात्रा में पानी पीया जाए, इससे रक्त में मौजूद अतिरिक्त यूरिक एसिड मूत्र के द्वारा शरीर से बाहर निकल जाता है.

यदि दर्द बहुत ज्यादा है तो दर्द वाले स्थान पर बर्फ को कपडे मे लपेट कर सिंकाई करने से फायदा होता है.
खान-पान की आदत बदलें शरीर में जमा अतिरिक्त यूरिक एसिड को उदासीन करने के लिए खानपान में क्षारीय   पदार्थों की मात्रा को बढ़ाना चाहिए। फलों, हरी सब्जियों, मूली का जूस, दूध, बिना पॉलिश किए गए अनाज इत्यादि में अल्कली की मात्रा अधिक होती है

शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा को कम करने के लिए हर दिन 500 मिलीग्राम विटामन सी लें. एक दो महीने में यूरिक एसिड काफी कम हो जाएगा.

जैतून के तेल में बना हुआ भोजन, शरीर के लिए लाभदायक होता है। इसमें विटामिन ई भरपूर मात्रा में होता है जो खाने को पोषक तत्‍वों से भरपूर बनाता है और यूरिक एसिड को कम करता है। आश्‍चर्य की बात है, लेकिन यह सच है।खाना बनाने के लिए बटर या वेजटेबल ऑयल के बजाए कोल्ड प्रेस्ड जैतून के तेल का इस्तेमाल करें. तेल को गर्म कर देने पर इससे जल्द ही दुर्गध आने लगती है. दुर्गधयुक्त फैट शरीर के विटामिन ई को नष्ट कर देता है. यह विटामिन यूरिक एसिड के लेवल को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक होता है. जैतून के तेल के इस्तेमाल से शरीर में अतिरिक्त यूरिक एसिड नहीं बनेगा.

अजवाइन के बीज का अर्क भी गठिया और यूरिक एसिड की समस्या का यह एक प्रसिद्ध प्राकृतिक उपचार है. अजवाइन के बीज का इस्तेमाल गठिया रोग के उपचार में लंबे समय से किया जाता रहा है. अजवाइन में दर्द को कम करने, एंटीऑक्सीडेंट और डाइयूरेटिक गुण पाया जाता है. साथ ही इसे यूरेनरी एंटीसेप्टिक भी माना जाता है. कई दुर्भल मामलों में नींद न आने की समस्या, व्याग्रता और नर्वस ब्रेकडाउन का उपचार भी इससे किया जाता है. इसके बीज का इस्तेमाल जहां कई तरह के हर्बल सप्लीमेंट्स में किया जाता है वहीं इसकी जड़ भी काफी उपयोगी होती है.

बेकरी के फूड स्‍वाद में लाजबाव होते है लेकिन इसमें सुगर की मात्रा बहुत ज्‍यादा होती है। इसके अलावा, इनके सेवन से शरीर में यूरिक एसिड़ भी बढ़ जाता है। अगर यूरिक एसिड कम करना है तो पेस्‍ट्री और केक खाना बंद कर दें।

पानी की भरपूर मात्रा से शरीर के कई विकार आसानी से दूर हो जाते है। दिन में कम से कम दो से तीन लीटर पानी का सेवन करें। पानी की पर्याप्‍त मात्रा से शरीर का यूरिक एसिड पेशाब के रास्‍ते से बाहर निकल जाएगा। थोड़ी - थोड़ी देर में पानी को जरूर पीते रहें।


चेरी में एंटी - इंफ्लामेट्री प्रॉपर्टी होती है जो यूरिक एसिड को मात्रा को बॉडी में नियंत्रित करती है। हर दिन 10 से 40 चेरी का सेवन करने से शरीर में उच्‍च यूरिक एसिड की मात्रा नियंत्रित रहती है, लेकिन एक साथ सभी चेरी न खाएं बल्कि थोड़ी - थोड़ी देर में खाएं।

हर दिन ली जाने खुराक में कम से कम 500 ग्राम विटामिन सी जरूर लें। विटामिन सी, हाई यूरिक एसिड को कम करने में सहायक होता है और यूरिक एसिड को पेशाब के रास्‍ते निकलने में भी मदद करता है। यकृत की शुद्धि के लिए नींबू अक्सीर है। नींबू का साईट्रिक ऐसिड भी यूरिक एसिड का नाश करता है।




एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर भोजन: लाल शिमला मिर्च, टमाटर, ब्लूबेरी, ब्रोकली और अंगूर एंटीऑक्सीडेंट विटामिन का बड़ा स्रोत है. एंटीऑक्सीडेंट विटामिन फ्री रेडिकल्स अणुओं को शरीर के अंग और मसल टिशू पर आक्रमण करने से रोकता है, जिससे यूरिक एसिड का स्तर कम होता है.

शरीर में यूरिक एसिड  की मात्रा बढने पर इसे कम करना आसान नहीं होता । लेकिन शतावर (asparagus) की जड़ का चूर्ण 2-3 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन दूध या पानी के साथ लिया जाए , तो यूरिक एसिड घटना प्रारम्भ हो जाता है और शरीर की कमजोरी भी दूर होती है ।


गाजर और चुकन्दर का जूस भी पीते रहें इससे और भी जल्दी लाभ होगा ।



सेब का सिरका भी रक्त का पी एच वैल्यू बढ़ाकर हाई यूरिक एसिड लेवल को कम करता है. पर सेब का सिरका कच्चा, बिना पानी मिला और बिना पाश्चरीकृत होना चाहिए. हेल्थ फूड स्टोर से आप इसे आसानी से हासिल कर सकते हैं-

उपचार और प्रयोग -

Sunday, March 22, 2015

पायरिया से परेशान है तो करे ये उपाय -

पायरिया दाँतों की एक गंभीर बीमारी होती है जो दाँतों के आसपास की मांसपेशियों को संक्रमित करके उन्हें हानि पहुँचाती है। दांतों की साफ सफाई में कमी होने से जो बीमारी सबसे जल्दी होती है वो है पायरिया। सांसों की बदबू, मसूड़ों में खून और दूसरी तरह की कई परेशानियां। जाड़े के मौसम में पायरिया की वजह से ठंडा पानी पीना मुहाल हो जाता है। पानी ही क्यों कभी-कभी तो हवा भी दांतों को सिहरा देता है-





खाना खाने के बाद दांतों की साफाई ठीक ढंग से नहीं करते हैं तो आपको पायरिया जैसी घातक बीमारी होने की संभावना हो सकती है। मुंह से गंदी बदबू आना, दांतों में दर्द और मसूड़ों में सूजन और खून आना पायरिया के लक्षण हो सकते हैं-

अगर पायरिया को रोका ना गया तो इस बीमारी की वजह से आपके पूरे दांत गिर सकते हैं। कई लोग ब्रश तो अच्‍छी तरह से कर लेते हैं मगर जब बात जीभ को साफ करने की आती है तो, वह उसे ऐसे ही छोड़ देते हैं, जिससे मुंह में बैक्‍टीरिया पनपने लगते हैं। यह भी पायरिया होने का एक बड़ा कारण है-

पायरिया का आयुर्वेदिक उपचार:-



नीम नीम की पत्‍तियों को धो कर छाया में सुखा लें और फिर उसे एक बत्रन में रख कर जला लें। जब पत्‍तियां जल जाएं तब बर्तन को ढंक दें और फिर कुछ देर के बाद राख में सेंधा नमक मिला लें। इस मिश्रण को शीशी में भर कर लख लें और चूर्ण बना कर तीन चार बार मंजन करें।

चुटकी भर सादा नमक चुटकी भर हल्दी में चार पांच बुंद सरसों का तेल मिला कर उंगली से दांतों पर लगाकर 20 मिनट तक रखें और लार आने पर थूकते रहें।

कच्‍चा अमरूद कच्चे अमरुद पर थोडा सा नमक लगाकर खाने से भी पायरिया के उपचार में सहायता मिलती है, क्योंकि यह विटामिन सी का उम्दा स्रोत होता है जो दाँतों के लिए लाभकारी सिद्ध होता है।

घी और कपूर घी में कपूर मिलाकर दाँतों पर मलने से भी पायरिया मिटाने में सहायता मिलती है।

काली मिर्च काली मिर्च के चूरे में थोडा सा नमक मिलाकरदाँतों पर मलने से भी पायरिया के रोग से छुटकारा पाने के लिए काफी मदद मिलती है।

आंवला आंवला जलाकर सरसों के तेल में मिलाएं, इसे मसूड़ों पर धीरे-धीरे मलें।

सूखे मसाले जीरा, सेंधा नमक, हरड़, दालचीनी, दक्षिणी सुपारी को समान मात्रा में लें, इसे बंद बर्तन में जलाकर पीस लें,इस मंजन का नियमित प्रयोग करें।

200 मिलीलीटर अरंडी का तेल, 5 ग्राम कपूर, और 100 मिलीलीटर शहद को अच्छी तरह मिला दें, और इस मिश्रण को एक कटोरी में रखकर उसमे नीम के दातुन को डुबोकर दाँतों पर मलें और ऐसा कई दिनों तक करें। यह भी पायरिया को दूर करने के लिए एक उत्तम उपचार माना जाता है-

प्याज प्याज के टुकड़ों को तवे पर गर्म कीजिए और दांतों के नीचे दबाकर मुंह बंद कर लीजिए। इस प्रकार 10-12 मिनट में लार मुंह में इकट्ठी हो जाएगी। उसे मुंह में चारों ओर घुमाइए फिर निकाल फेंकिए। दिन में 4-5 बार 8-10 दिन करें, पायरिया जड़ से खत्म हो जाएगा, दांत के कीड़े भी मर जाएंगे और मसूड़ों को भी मजबूती प्राप्त होगी-

खस, इलायची और लौंग का तेल मिलाकर मसूड़ों में लगाएं-

तम्बाखू का मंजन केसे बनाये :-



सादी तम्बाकू- 50 ग्राम

सेंधा नमक - 25 ग्राम

फिटकरी - 25 ग्राम


तम्बाखू को लेकर  तवे पर काला होने तक भूनें। फिर पीसकर कपड़छान कर महीन चूर्ण कर लें।

सेंधा नमक और फिटकरी बराबर मात्रा में लेकर पीस लें और तीनों को मिलाकर तीन बार छान लें, ताकि ये एक जान हो जाएँ।

इस मिश्रण को थोड़ी मात्रा में हथेली पर रखकर इस पर नीबू के रस की 5-6 बूँदें टपका दें। अब इससे दाँतों व मसूढ़ों पर लगाकर हलके-हलके अँगुली से मालिश करें। यह प्रयोग सुबह और रात को सोने से पहले 10 मिनट तक करके पानी से कुल्ला करके मुँह साफ कर लें।जो तम्बाकू का प्रयोग नहीं करते उन्हें इसके प्रयोग में तकलीफ होगी। उन्हें चक्कर आ सकते हैं। अत: सावधानी के साथ कम मात्रा में मंजन लेकर प्रयोग करें-


एक और प्रयोग ये भी आप बना सकते है :-



गंधक रसायन- 5 ग्राम

आरोग्यवर्धिनी बटी - 5 ग्राम

कसीस भस्म - 5  ग्राम

शुभ्रा(फिटकरी) भस्म- 5 ग्राम

सोना गेरू- 10  ग्राम

त्रिफला चूर्ण-  20 ग्राम


उपरोक्त ये सभी दवाए आप आयुर्वेदिक दवा खाने से ले ...!

अब आप इन सबको घोंट करके मिला लीजिये। इस पूरी दवा की बराबर वजन की कुल इक्कीस पुड़िया बना लीजिये। सुबह – दोपहर – शाम को एक-एक पुड़िया एक कप पानी में घोल कर मुंह में भर कर जितनी देर रख सकें रखिये फिर उसे निगल लीजिये-


अनार के छिलके पानी मे डाल कर खूब खौला कर ठंडा कर लें । इस पानी से दिन मे तीन चार बार कुल्ले करें । इससे मुंह की बदबू से बहुत जल्द छुटकारा मिल जाएगा -

बादाम के छिलके तथा फिटकरी को भूनकर फिर इनको पीसकर एक साथ मिलाकर एक शीशी में भर दीजिए। इस मंजन को दांतों पर रोजाना मलने से पायरिया रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है-

पायरिया होने पर कपूर का टुकड़ा पान में रखकर खूब चबाने और लार एवं रस को बाहर निकालने से पायरिया रोग खत्म होता है-

5 से 6 बूंद गर्म पानी में लौंग का तेल 1 गिलास गर्म पानी में मिलाकर प्रतिदिन गरारे व कुल्ला करने से पायरिया रोग नष्ट होता है-


बचाव और सावधानियाँ :-


दिन में दो बार दाँतों को सही और नियमित रूप से ब्रश करना बहुत ज़रूरी होता है। शरीर में मौजूद विषैले तत्वों के निष्काशनके लिए पानी का सेवन भरपूर मात्रा में करें। विटामिन सी युक्त फल, जैसे कि आंवला, अमरुद, अनार, और संतरे का भी सेवन भरपूर मात्रा में करें।

पायरिया के इलाज के दौरान रोगी को मसाले रहित उबली सब्ज़ियों का ही सेवन करें।

मसालेदार खान पान, जंक फ़ूड और डिब्बाबंद आहार का सेवन बिल्कुल भी न करें।

चीज़ और दूध के अन्य उत्पादनों का सेवन बिल्कुल भी न करें, क्योंकि इनका दाँतों से चिपकने का खतरा होता है, और जीवाणुओं के बढ़ने में सहायता करते हैं।

धूम्रपान और तम्बाकू के सेवन से भी बचें क्योंकि यह पायरिया की बीमारी को बढाते हैं।

पायरिया रोग से पीड़ित रोगी को कभी-भी चीनी, मिठाई या डिब्बा बंद खाद्य पदार्थों का उपयोग नहीं करना चाहिए।

दांतों के पस को ठीक करने के घरेलू उपचार:-



दांतों में पस मुख्य रूप से मसूड़ों में जलन और टूटे हुए दांत के कारण होता है। दांतों में पस मुख्य रूप से एक प्रकार का संक्रमण होता है जो मसूड़ों और दांतों की जड़ों के बीच होता है तथा इसके कारण बहुत अधिक दर्द होता है। इसके कारण दांत के अंदर पस बन जाता है जिसके कारण दांत में दर्द होता है। जिस दांत में पस हो जाता है उसमें बैक्टीरिया प्रवेश कर जाता है और वही बढ़ता रहता है जिससे उन हड्डियों में संक्रमण हो जाता है जो दांतों को सहारा देती हैं। यदि समय पर इसका उपचार नहीं किया गया तो इसके कारण जीवन को खतरा हो सकता है। मसूड़ों के लिए टिप्स दांतों में पस होने के कारण जो दर्द होता है वह असहनीय होता है तथा इस दर्द को रोकने के लिए लोग कई तरह के उपचार करते हैं परंतु अंत में दर्द बढ़ जाता है।

यदि आप भी मसूड़ों की इस बीमारी से ग्रसित हैं तो हम आपको बताएँगे कि आपको क्या करना चाहिए तथा क्या नहीं। पहले आपको इस बीमारी के लक्षण तथा कारण पहचानने होंगे। दांतों में पस होने के कारण मसूड़ों की बीमारी मुंह की सफाई ठीक से न करना प्रतिरक्षा प्रणाली कमज़ोर होना टूटा हुआ दांत मसूड़ों में सूजन और जलन दांतों में संक्रमण बैक्टीरिया कार्बोहाइड्रेट युक्त तथा चिपचिपे पदार्थ अधिक मात्रा में खाना....!



उपचार दांतों में पस होने के लक्षण:-


जब भी आप कुछ खाएं तो संक्रमित जगह पर दर्द संवेदनशील दांत मुंह में गंदे स्वाद वाले तरल पदार्थ का स्त्राव साँसों में बदबू मसूड़ों में लालिमा और दर्द अस्वस्थ महसूस करना मुंह खोलने में तकलीफ होना प्रभावित क्षेत्र में सूजन-

लहसुन बैक्टीरिया को मारने के लिए एक प्राकृतिक हथियार है। कच्चे लहसुन का रस संक्रमण को मारने में मदद करता है। यदि वास्तव में आपके दांत में बहुत अधिक दर्द हो रहा हो तो आप ऐसा कर सकते हैं। कच्चे लहसुन की एक कली लें। इसे पीसें और निचोड़ें तथा इसका रस निकालें। इस रस को प्रभावित क्षेत्र पर लगायें। यह घरेलू उपचार दांत के दर्द में जादू की तरह काम करता है-

लौंग का तेल भी संक्रमण रोकने में सहायक होता है तथा दांतों के दर्द में तथा मसूड़ों की बीमारी में अच्छा उपचार है। थोड़ा सा लौंग का तेल लें तथा इस तेल से धीरे धीरे ब्रश करें। जब आप प्रभावित क्षेत्र में इसे लगायें तो अतिरिक्त सावधानी रखें। बहुत अधिक दबाव न डालें तथा अपने मसूड़ों पर धीरे धीरे मालिश करें अन्यथा अधिक दर्द होगा। मसूड़ों पर लौंग के तेल की कुछ मात्रा लगायें तथा धीरे धीरे मालिश करें-

आईल पुलिंग यह एक घरेलू उपचार बहुत ही सहायक है। इसमें आपको सिर्फ नारियल के तेल की आवश्यकता होती है। एक टेबलस्पून नारियल का तेल लें और इसे अपने मुंह में चलायें। इसे निगले नहीं, इसे लगभग 30 मिनिट तक अपने मुंह में रखें रहें। फिर इसे थूक दें और मुंह धो लें। आपको निश्चित रूप से आराम मिलेगा-

दांत के दर्द में पेपरमिंट आईल जादू की तरह काम करता है। अपनी उँगलियों के पोरों पर कुछ तेल लें तथा इसे धीरे धीरे प्रभावित क्षेत्र पर मलें। आपको दांत के दर्द से तुरंत आराम मिलेगा-

दांतों में पस होने पर ऐप्पल सीडर विनेगर एक अन्य प्रभावशाली उपचार है। चाहे वह प्राकृतिक हो या ऑर्गेनिक, यह बहुत अधिक प्रभावशाली है। एक टेबलस्पून ए सी वी लें। इसे कुछ समय के लिए अपने मुंह में रखें और फिर इसे थूक दें। इसे निगलें नहीं। इससे प्रभावित क्षेत्र रोगाणुओं से मुक्त हो जाएगा। इससे सूजन भी कम होती है-


चमकते सफेद दांतों के लिए क्‍या करें और क्‍या न करें:-


आप जितना मुश्किल समझते है उससे कहीं ज्‍यादा आसान होता है दांतों की सफेदी और चमक को बरकरार रखना। जानिए कैसे - दांतों की सही तरीके से देखभाल करने से न सिर्फ दांत स्‍वस्‍थ रहते है बल्कि उनकी चमक भी बरकरार रहती है। इस बारे में आपको इस आर्टिकल में कुछ टिप्‍स दिए जा रहे है -

क्‍या न करें :-



बेकिंग सोडा के ज्‍यादा सेवन या इस्‍तेमाल से बचाव करें। पहले इसके इस्‍तेमाल से आपको दांत सफेद और चमकदार लग सकते है लेकिन बाद में दांतों में पीलापन आ जाता है-

ज्‍यादा गाढ़े रंग वाले फलों या खाद्य सामग्रियों के सेवन से बचें। सोया सॉस, मरिनारा सॉस आदि दांतों पर दाग छोड़ देते है-

बहुत ज्‍यादा मात्रा में एनर्जी ड्रिंक न पिएं। इसमें मिला हुआ एसिड दांतों को नुकसान पहुंचाता है और दातों की सफेदी चली जाती है-

क्‍या करें :-



समय-समय पर अपने ब्रश को बदलते रहें। हर तीन महीने में ब्रश को बदलना सही रहता है। ब्रश अच्‍छी क्‍वालिटी का होना चाहिये ताकि दातों और मसूडों को नुकसान न पहुंचे-

जीभ साफ रखें। जब भी ब्रश करें, अपनी जीभ को साफ करना कतई न भूलें। इससे सांसों में बदबू नहीं आएगी और मुंह फ्रेश रहेगा-

फल को काटकर खाने से बेहतर है कि उसे यूं ही खाएं। इससे दांतों में मजबूती आएगी, दांत साफ रहेगें और स्‍ट्रांग बनेगें-

उपचार और प्रयोग -

मोतीझरा (टायफायड ) क्या है करे ये #उपाय ......!

* मोतीझरा या टाइफाइड एक खतरनाक बुखार है, इस बुखार का कारण 'साल्मोनेला टाइफी' नामक बैक्टीरिया का संक्रमण होता है। इस बीमारी में तेज बुखार आता है, जो कई दिनों तक बना रहता है। यह बुखार कम-ज्यादा होता रहता है, लेकिन कभी सामान्य नहीं होता।




* यह बैक्टीरिया छोटी आंत में स्थापित हो जाता है, लेकिन कभी-कभी यह पित्ताशय में भी स्थापित रहता है। यह वहीं अपनी संख्या बढ़ाकर विष फैलाता है और रक्त में मिलकर इस बीमारी का कारण बनता है। मोतीझरा का इन्फेक्शन होने के एक सप्ताह बाद रोग के लक्षण नजर आने लगते हैं। कई बार दो-दो माह बाद तक इसके लक्षण दिखते हैं, यह सब संक्रमण की शक्ति पर निर्भर करता है।

* साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया केवल मानव में छोटी आंत में पाए जाते हैं। ये मल के साथ निकल जाते हैं। जब मक्खियाँ मल पर बैठती हैं तो बैक्टीरिया इनके पाँव में चिपक जाते हैं और जब यही मक्खियाँ खाद्य पदार्थों पर बैठती हैं, तो वहाँ ये बैक्टीरिया छूट जाते हैं। इस खाद्य पदार्थ को खाने वाला व्यक्ति इस बीमारी की चपेट में आ जाता है।

* इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति जब खुले में मल त्याग करता है, तो ये बैक्टीरिया वहाँ से पानी में मिल सकते हैं, मक्खियों द्वारा इन्हें खाद्य पदार्थों पर छोड़ा जा सकता है और ये स्वस्थ व्यक्ति को रोग का शिकार बना देते हैं।

* शौच के बाद संक्रमित व्यक्ति द्वारा हाथ ठीक से न धोना और भोजन बनाना या भोजन को छूना भी रोग फैला सकता है।

* कई व्यक्ति ऐसे होते हैं, जिनके पेट में ये बैक्टीरिया होते हैं और उन्हें हानि नहीं पहुँचाते, बल्कि बैक्टीरिया फैलाकर दूसरों को रोग का शिकार बनाते हैं। ये लोग अनजाने में ही बैक्टीरिया के वाहक बन जाते हैं।

* मोतीझरा की शुरुआत सिर दर्द, बेचैनी तथा तेज बुखार के साथ होती है। साथ ही तेज सूखी खाँसी होती है और कुछ को नाक से खून भी निकलता है।

* मोतीझरा में बुखार 103 डिग्री से 106 डिग्री तक हो सकता है और यह बिना उतरे दो-तीन सप्ताह तक रहता है, इसमें तेज ठंड लगती है और मरीज काँपता रहता है।

* इसके अलावा पेट दर्द, पेट फूलना, भूख न लगना, कब्ज बना रहना, छाती व पेट पर हलके रंग के दाने निकलते हैं जो दो-तीन दिन तक रहते हैं। कई रोगियों में हार्ट बीट मंद हो जाती है।

* एक सप्ताह बाद पानी समान दस्त शुरू होते हैं, कुछ केस में दस्त में खून भी आता है, इससे रोगी कमजोर हो जाता है व उसके यकृत व प्लीहा का आकार बढ़ जाता है।

* इसके बाद तीसरे सप्ताह से बुखार कम होने लगता है व बाद में पूरी तरह उतर जाता है। समय पर इलाज न लेने से यह रोग आठ सप्ताह तक रह सकता है और जानलेवा होता है।

* उपरोक्त लक्षणों में से कोई भी मिलता हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए और अपने मल-मूत्र की जाँ च करानी चाहिए। मल-मूत्र की जाँच इसलिए कि मोतीझरा के लक्षण अन्य सामान्य रोग का भ्रम पैदा करने वाले होते हैं, रोगी भ्रम की अवस्था में रहता है, इलाज में गेप देता है और रोग तीव्र हो जाता है।

* इस रोग का वैक्सीन आज उपलब्ध है, यह बचपन में ही बच्चे को लगा दिया जाता है। बच्चे को 6 से 8 सप्ताह के अंतर से दो डोज लगाए जाते हैं। इसके बाद बच्चा तीन वर्ष का होने पर फिर एक बार टीका लगाना जरूरी होता है।

* वर्तमान में मुँह से ली जाने वाली दवाएँ भी उपलब्ध हैं, इन्हें ओरल वैक्सीन कहते हैं।

* उपचार में एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है, पेट दर्द, बुखार तथा जो-जो तकलीफ हो, उनकी दवा दी जाती है।

* रोगी को दवा बगैर नागा दी जाए, उसे अलग कमरे में रखा जाए, रोगी की तथा उसके कमरे की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। हाथ हर बार साबुन से धोएँ।

* मोतीझरा ठीक होने के दो सप्ताह बाद यह फिर से हो सकता है, इसकी समय पर चिकित्सा न करने पर यह बढ़ता है और आंतों में छेद हो सकते हैं, आंतों से खून जा सकता है, जिससे पेरिटोनाइटिस रोग हो सकता है।

* मोतीझरा के साथ पीलिया हो सकता है, न्योमोनिया हो सकता है, मेनिन्जाइटिस, औस्टियोमाइलाइटिस तथा बहरापन भी हो सकता है।

मोतीझरा ( टॅायफायड़ ) कभी नहीं होगा दुबारा:-
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मुन्नका - दो नग
बड़ी इलायची - दो नग
छोटी पीपल - दो नग
लौंग - चार नग
काली मिर्च - पांच नग
काकड़ा सिंगी - तीन  मासा
नागरमोथा - तीन  मासा
खुबकला - तीन  मासा
सोंठ - तीन  मासा
तुलसी के पत्ते - पांच पीस
बतासे(शक्कर) - पांच पीस
मुलहटी - तीन  मासा

* इन सबको एक साथ कूटकर एक पाव पानी में बिना ढके उबालें , जब पानी एक चौथाई रहे जाए तो बाकि बचे पानी को छानकर पी जाए इस तरह काढ़े को तीन रात को सोने से पहले प्रयोग करें .

* बच्चोँ के लिए मात्रा को आधी या चौथाई रखें ,

* तीन काढ़े पीने से मोतीझारा ठीक हो जाता है और बुखार उतर जाता है , तब कलोरोफैनिकोल सिरप 10 दिन तक 2 चम्मच रोजाना पीने से दोबारा टॅायफायड़ कभी नहीं होगा

मोतीझरा में होने वाले बुखार में उपयोगी पारंपरिक उपचार की विधि  है :-
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पहली विधि :-
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* 10 मी.ली तुलसी की पत्तियों का रस, 10 मी.ली. अदरक का रस, 5 कालीमिर्च के दाने इन सभी को 1 चम्मच शहद के साथ मोतीझरा से पीड़ित रोगी को पिलाए और चादर ओढाकर सुला दें. इससे मोतीझरा के बुखार में लाभ मिलता है.

दूसरी विधि :-
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10 मी.ली तुलसी की पत्तियों का रस, 10 ग्राम दालचीनी, 10 ग्राम जावित्री को 1 लीटर पानी में उबालें और जब ¼ पानी शेष बचे तो इसे मोतीझरा के रोगी को थोड़े-थोड़े अंतराल में पिलाएं इससे मोतीझरा में लाभ मिलता है.
उपचार स्वास्थ्य और #प्रयोग -http://upchaaraurpryog120.blogspot.in/

मलेरिया के लक्षण दिखे तो करे ये #उपाय ....!

* मलेरिया ज्वर में जाड़ा लगने के साथ तेज बुखार चढ़ता है| इसमें प्रतिदिन या हर तीसरे-चौथे दिन भी बुखार आ सकता है| यह एक संक्रामक बीमारी मानी जाती है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को हो जाती है|

* यह ज्वर वर्ष ऋतू में पानी से भरे गड्ढों में मच्छरों के बैठने के कारण फैलता है| एनोफेलीज मादा मच्छर #मलेरिया के रोगी को काटता है| इसके बाद परजीवी मच्छर जब किसी दूसरे व्यक्ति को काटते हैं तो वह स्वस्थ व्यक्ति रोगग्रस्त हो जाता है|

* इस रोग में सिर दर्द, जी मिचलाना, उल्टी होना, सर्दी लगकर तेज बुखार चढ़ना और बुखार उतरते समय पसीना आना लक्षण पार्ट होते हैं| मलेरिया रोग गलत खान-पान और दोषपूर्ण जीवन-शैली के कारण होता है| ऐसे में शरीर के विकार बाहर नहीं निकल पाते| जब शरीर इन विकारों को सामान्य रीति से नहीं निकाल पाता तो बुखार और पसीने द्वारा उन्हें
बाहर निकालता है|

करे ये इलाज :--
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* तुलसी के चार पत्ते, करंज की गिरी 3 ग्राम और कालीमिर्च - तीनों को पीसकर सुबह-शाम दूध में सेवन करें|

* नीबू में जरा-सा सेंधा नमक और जरा-सा कालीमिर्च का चूर्ण लगाकर गरम करके धीरे-धीरे चूसें| इससे बुखार की गरमी शान्त हो जाती है|

* तुलसी के पत्तों का रस एक चम्मच, चार कालीमिर्च का चूर्ण तथा थोड़ा सा शहद मिलाकर सेवन करें|

* तुलसी, नीम की कोंपले तथा नीबू का रस - तीनों को मिलाकर रोगी को देने से मलेरिया बुखार में काफी लाभ होता है|

* लाल मिर्च पानी में घोलकर गाढ़ी चटनी की तरह बना लें| फिर इस मिर्च की पोटली बनाकर स्त्री की बाईं तथा पुरुष की दाईं बांह (भुजा) में बांध दें| इससे मलेरिया का बुखार उतर जाएगा|

* 1 ग्राम फूली हुई फिटकिरी, 2 ग्राम मिश्री और 10 ग्राम चीनी-तीनों को मिलाकर दूध या पानी के साथ सेवन करें|

* चिरायता तथा संतरे का रस - दोनों 10-10 ग्राम लेकर रोगी को सुबह शाम पिलाएं|

* 10 ग्राम हरड़ का चूर्ण एक कप पानी में मिलाकर काढ़ा बनाएं| जब पानी आधा कप रह जाए तो उसमें जरा-सी शक्कर डालकर चार खुराक करें| इसे दिनभर में चार बार पिलाएं| मलेरिया सिर पर पैर रखकर भाग जाएगा|

* सादा खाने का नमक पिसा हुआ लेकर तवे पर इतना सेंके कि उसका रंग काला भूराहो जाये । ठण्डा होने पर शीशी में भर लें । मलेरिया, विषम ज्वर, एंकातरा - पारीतिजारी, चौथारी, चौथारी बुखारों की खास दवा है । ज्वर आने से पहले छ: ग्रामभुना नमक एक गिलास गर्म पानी में मिलाकर दें| इन दो खुराकों में ज्वर चला जायेगा ।

* जामुन के पेड़ की छाल 5 ग्राम लेकर पीस डालें| फिर उसमें जरा-सा गुड़ मिलाकर सेवन करें|

* एक चम्मच प्याज के रस में दो-तीन कलीमिर्चों का चूर्ण मिलाकर नित्य सेवन करें|

* नीम की थोड़ी-सी कोंपलों में चार-पांच कालीमिर्च और जरा-सा नमक मिलाकर चटनी बना लें| इसका सेवन सुबह-शाम करें|

* तुलसी के पत्ते और कालीमिर्च सुबह-शाम कुचलकर खाने से मलेरिया बुखार नहीं चढ़ता|

* मलेरिया बुखार चढ़ने के समय से पहले लहसुन का रस हाथ-पैर के नाखूनों पर लगा लें|

* अमरूद को भूमल में भूनकर खाने से मलेरिया का रोग चला जाता है|

* नारंगी के छिलकों को पानी में उबालकर केवल पानी पी जाएं|

क्या खाये :--
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* मलेरिया बुखार में रोगी को आलूबुखारा, चीकू, संतरा, अंगूर, चकोतरा, मौसमी, अनार, प्याज, पुदीना एवं साबूदाना आदि देना चाहिए| अधिक तेज बुखार होने पर ठंडे पानी की पट्टी मरीज के पूरे शरीर पर बार-बार रखनी चाहिए| इसके अलावा लौकी के गोल कटे हुए टुकड़ों से हथेलियों और तलवों को भी मला जा सकता है|

* गड्ढों, नालियों तथा पोखरों के आसपास पानी इकट्ठा न होने दें क्योंकि मच्छर इन्हीं स्थानों पर अण्डे देते हैं| सीलन भरे स्थानों तथा नालियों पर डी.डी.टी., मिट्टी का तेल, बी. एच. सी., तम्बाकू का घोल आदि छिड़कना चाहिए ताकि मच्छर नष्ट हो जाएं| बच्चों को निर्देश दें कि वे इधर-उधर न थूकें, मुंह में उंगली न डालें, खेल के बाद हाथों को साबुन से धोएं तथा नाली में गिरी गेंद निकालने के बाद साफ पानी से धोकर खेलें| पानी सदा उबालकर पिएं| फलों, सब्जियों तथा तरकारियों को अच्छे पानी से धोकर उपयोग में लाएं| खुली चीजों का सेवन न करें|
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Thursday, March 19, 2015

घटस्थापना केसे करे - Ghat Sthaapana Kese Kare

हम हर वर्ष नवरात्रि का आगमन होता है और हम सभी माता की पूजा अर्चना करते है - मां की पूजा से पहले नवरात्र पूजा की सफलता हेतु घट स्थापन का नियम है। घट स्थापन हमेशा शुभ मुहूर्त में किया जाता है-



जहां घट स्‍थापना करनी हो, उस स्‍थान को शुद्ध जल से साफ करके गंगाजल का छिड़काव करें। फिर अष्टदल बनाएं। उसके ऊपर एक लकड़ी का पाटा रखें और उस पर लाल रंग का वस्‍त्र बिछाएं। लाल वस्‍त्र के ऊपर अंकित चित्र की तरह पांच स्‍थान पर थोड़े-थोड़े चावल रखें। जिन पर क्रमशः गणेशजी, मातृका, लोकपाल, नवग्रह तथा वरुण देव को स्‍थान दें। सर्वप्रथम थोड़े चावल रखकर श्रीगणेजी का स्मरण करते हुए स्‍थान ग्रहण करने का आग्रह करें।


इसके बाद मातृका, लोकपाल, नवग्रह और वरुण देव को स्‍थापित करें और स्‍थान लेने का आह्वान करें। फिर गंगाजल से सभी को स्नान कराएं। स्नान के बाद तीन बार कलावा लपेटकर प्रत्येक देव को वस्‍त्र के रूप में अर्पित करें। अब हाथ जोड़कर देवों का आह्वान करें। देवों को स्‍थान देने के बाद अब आप अपने कलश के अनुसार जौ मिली मिट्टी बिछाएं। कलश में जल भरें। अब कलश में थोड़ा और जल-गंगाजल डालते हुए 'ॐ वरुणाय नमः' मंत्र पढ़ें और कलश को पूर्ण रूप से भर दें।


इसके बाद आम की टहनी (पल्लव) डालें। जौ या कच्चा चावल कटोरे में भरकर कलश के ऊपर रखें। फिर लाल कपड़े से लिपटा हुआ कच्‍चा नारियल कलश पर रख कलश को माथे के समीप लाएं और वरुण देवता को प्रणाम करते हुए रेत पर कलश स्थापित करें। कलश के ऊपर रोली से ॐ या स्वास्तिक लिखें। मां भगवती का ध्यान करते हुए अब आप मां भगवती की तस्वीर या मूर्ति को स्‍थान दें। एक नंबर पर थोड़े से चावल डालें। मां की षोडशोपचार विधि से पूजा करें। अब यदि सामान्य द्वीप अर्पित करना चाहते हैं, तो दीपक प्रज्‍ज्वलित करें।


यदि आप अखंड दीप अर्पित करना चाहते हैं, तो सूर्य देव का ध्यान करते हुए उन्हें अखंड ज्योति का गवाह रहने का निवेदन करते हुए जोत को प्रज्‍ज्वलित करें। यह ज्योति पूरे नौ दिनों तक जलती रहनी चाहिए। इसके बाद पुष्प लेकर मन में ही संकल्प लें कि मां मैं आज नवरात्र की प्रतिपदा से आपकी आराधना अमुक कार्य के लिए कर रहा/रही हूं, मेरी पूजा स्वीकार करके इष्ट कार्य को सिद्ध करो।


पूजा के समय यदि आप को कोई भी मंत्र नहीं आता हो, तो केवल दुर्गा सप्तशती में दिए गए नवार्ण मंत्र 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे' से सभी पूजन सामग्री चढ़ाएं। मां शक्ति का यह मंत्र अमोघ है। आपके पास जो भी यथा संभव सामग्री हो, उसी से आराधना करें। संभव हो तो श्रृंगार का सामान और नारियल-चुन्नी जरूर चढ़ाएं।


यदि आप दुर्गा सप्तशती पाठ करते हैं, तो संकल्प लेकर पाठ आरंभ करें। सिर्फ कवच आदि का पाठ कर व्रत रखना चाहते हैं, तो माता के नौ रूपों का ध्यान करके कवच और स्तोत्र का पाठ करें। इसके बाद आरती करें। दुर्गा सप्तशती का पूर्ण पाठ एक दिन में नहीं करना चाहते हैं, तो दुर्गा सप्तशती में दिए श्रीदुर्गा सप्तश्लोकी का 11 बार पाठ करके अंतिम दिन 108 आहुति देकर नवरात्र में श्री नवचंडी जपकर माता का पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।


माता की पूजा में सिर्फ मन की श्रधा का विशेष प्रभाव भी है इस कलियुग में इसलिए जो लोग विधान पूर्वक न कर सके वो श्रधा से भी मन्त्र जप कर सकते है-



उपचार और प्रयोग -

आप कितनी बार पलक झपकाते है - How often do you the blink

जी हाँ फेस रिडिंग एक बहुत दिलचस्प विषय है। हर व्यक्ति चाहता है कि वह किसी भी व्यक्ति को देखते ही उसका स्वभाव जान ले ताकि वह अपनी जिंदगी में कभी किसी से धोखा ना खाए-




लेकिन ज्योतिष के अनुसार यदि कोई व्यक्ति फेस रिडिंग करना सीख जाए तो वह आसानी से किसी भी व्यक्ति का स्वभाव जान सकता है। फेस रिडिंग में चेहरे के आकार से लेकर पलकों की झपकन तक सब कुछ नोटिस किया जाता है। इसलिए आई ब्रो भी किसी व्यक्ति के स्वभाव की कई सारी विशेषताओं की ओर इशारा करती है-

पच्चीस सेकंड में पलकें झपकाने वाले अपने आप एक अजीब सा आकर्षण लिए होते हैं इनमे सम्मोहित करने की क्षमता होती हैं।

बीस सेकंड में पलकें झपकाने वाले स्थिरबुद्धि वाले और प्रभावशाली होते हैं।

पन्द्रह सेकंड में पलकें झपकाने वाले तेजी से निर्णय लेने वाले और चतुर होते हैं।

दस सेकंड में पलकों को झपकाने वाले दूसरों पर आश्रित रहते हैं ये अपना काम दूसरों से करवाकर अधिक खुशी महसुस करते हैं।

पांच सेकंड में पलकें झपकाने वाले अपने जीवन से परेशान वैभव व समृद्धि हीन होते हैं।

आम तौर पर फेस रीडिंग से किसी के कैरेक्टर और नेचर के बारे में अनुमान लगाया जा सकता है। इसमें आई ब्रो का भी महत्वपूर्ण स्थान है। आई ब्रो से किसी के बारे में जानने के लिए उसकी शुरुआत, अंत, लंबाई, गोलाई, मोटाई की बहुत ध्यान से स्टडी करना चाहिए।

कुछ युवाओं की आई ब्रो टेढ़ी-मेढ़ी, मोटे गुच्छेदार बालों वाली होती हैं। ये अक्सर रहन-सहन के प्रति लापरवाह एवं रौबदार व्यक्तित्व वाले होते हैं। ये अपनी फीलिंग्स तुरंत रिएक्ट कर देते हैं। इस प्रकार की भौंहें प्रबल दिमागी ताकत वाले युवा की होती हैं।

दोनों आई ब्रो आपस में मिली हों तो ऐसे व्यक्ति पर संदेह रखना चाहिए। अपने काम को निकलवाने के लिए वे कोई भी रास्ता अपना सकते हैं। कुछ बुराइयाँ भी इनमें छिपी रहती हैं, जो मौका पड़ने पर ही हमें मालूम पड़ती हैं।

दोनों आई ब्रो के बीच यदि ज्यादा जगह हो अथवा अलग-अलग हो तो ऐसे व्यक्ति सच्चरित्र, स्पष्टवादी, नेक दिल के होते हैं। उनका जीवन काँच की तरह ट्रांसपरेंट होता है।

मोटी आई ब्रो हों और वे भी एक सीध में तो व्यक्ति बुद्धिमान, अपने कार्य में कुशल एवं हिसाब-किताब में प्रवीण होता है।

मधुरता, सरलता, कलाप्रियता की प्रवृत्ति तलवार की तरह घूमी हुई आई ब्रो के मालिक की होती है। यदि इस प्रकार की आई ब्रो आँखों से दूर हों तो इनमें मानसिक दुर्बलता एवं कमजोरी के गुण विद्यमान होते हैं। कई बार अपनी अल्पबुद्धि के कारण मजाक के शिकार भी बन जाते हैं।

यदि भौंहें पतली होकर टेढ़ी-मेढ़ी हों तो व्यक्ति कुटिल और लड़ाकू होता है।

अगर भौंहों के बाल छोटे हों तो समझना चाहिए कि उस व्यक्ति में दूसरों को देखकर बहुत कुछ सीखने की क्षमता मौजूद है-

उपचार और प्रयोग -

आज की स्त्री क्या है ....?

*  स्त्री के जीवन में प्यार बहुत मायने रखता है। प्यार उसकी सांसों में फूलों की खुशबू की तरह रचा-बसा होता है, जिसे वह पूरी उम्र भूल नहीं पाती।

* जब इस संसार की रचना हुई होगी और धरती पर पहली बार आदम और हौवा ने धरती पर कदम रखा होगा, तभी से औरत ने आदमी के साथ मिलकर जिंदगी़ मुश्किलों से लडते हुए साथ मिलकर रहने की शुरुआत की होगी और वहीं से उसके जीवन में पहली बार प्यार का पहला अंकुर फूटा होगा।

* प्रेम एक ऐसी अबूझ पहेली है, जिसके रहस्य को जानने की कोशिश में जाने कितने प्रेमी दार्शनिक, कवि और कलाकार बन गए। एक बार प्रेम में डूबने के बाद व्यक्ति दोबारा उससे बाहर नहीं निकल पाता। स्त्रियों का प्रेम पुरुषों के लिए हमेशा से एक रहस्य रहा है। कोई स्त्री प्यार में क्या चाहती है, यह जान पाना किसी भी पुरुष के लिए बहुत मुश्किल और कई बार तो असंभव भी हो जाता है।

* प्यार एक ऐसा खूबसूरत एहसास है, जो हर इंसान के दिल के किसी न किसी कोने में बसा होता है। इस एहसास के जागते ही कायनात में जैसे चारों ओर हजारों फूल खिल उठते हैं जिंदगी को जीने का नया बहाना मिल जाता है।

* आज की स्त्री निर्भीक और आत्मविश्वासी है। इस वजह से पहले की तुलना में आज वह अपने रिश्ते को लेकर ज्यादा ईमानदार है। अपने संबंध को बचाए रखने के लिए वह अपने बलबूते पर समाज से लडती है। पुराने समय में लडकियां दब्बू और डरपोक स्वभाव की होती थीं, साथ ही उन पर परिवार और समाज का प्रतिबंध भी ज्यादा होता था। अगर वे किसी से प्यार भी करती थीं तो उनका यह प्यार बहुत दबा-ढका होता था अकसर उनके मन में प्रेम को लेकर अपराधबोध की भावना होती थी कि माता-पिता की मर्जी के िखलाफ वे जो कुछ भी कर रही हैं, वह गलत है। अगर माता-पिता ज्यादा सख्ती से पेश आते और लडकी की शादी कहीं और तय कर देते तो उसका प्यार परवान चढने से पहले ही दम तोड देता था। जहां तक प्यार के लिए समाज से लडने की बात है तो इसकी िजम्मेदारी लडके की ही मानी जाती थी पर आज की स्त्री अपने प्यार को छिपाती नहीं और उसे हासिल करने के लिए वह खुद तैयार रहती है।

* आज के युग में किसी से प्यार करना कोई गुनाह नहीं है, जिसे लोगों से छिपाया जाए। आज के परिवर्तन में अब माता-पिता को यह बात समझ आ गई और अब वे लोग भी इस बात से रजामंद हो गए हैं।

* प्रेम एक शाश्वत भावना है, जो सदैव बनी रहती है। फिर भी बदलते वक्त के साथ प्रेम को लेकर स्त्री के विचारों में काफी बदलाव आया है।  आधुनिक मध्यवर्गीय स्त्री का जीवन अति व्यस्त और कशमकश से भरा हुआ है। पहले वह घर की चारदीवारी में कैद रहती थी, इस वजह से उसकी इच्छाएं भी बहुत सीमित थीं और अपने बंद दायरे में भी वह खुश और संतुष्ट रहती थी। पहले बाहर की दुनिया से वह बेखबर थी लेकिन आज की शिक्षित और कामकाजी स्त्री के अनुभवों का दायरा पहले की तुलना में काफी विस्तृत है।

* आज की स्थिति में अब उसे समाज को ज्यादा करीब से देखने और समझने का अवसर मिला है। अब वह अपने जीवन की तुलना दूसरी स्त्रियों से आसानी से कर सकती है। आज पुरुषों की तुलना में स्त्रियों का जीवन ज्यादा तेजी से बदला है। पहले की तुलना में उसके संबंधों में ज्यादा उथल-पुथल देखने को मिलता है। आज स्त्रियों के प्रेम में समर्पण की भावना खत्म होती जा रही है, इसी वजह से चाहे प्रेम हो या शादी उनके किसी भी रिश्ते के स्थायित्व के लिए खतरा पैदा हो गया है।
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चुंबन दो आत्माओं का मिलन भी होता है....!

* किस करना हमेशा से एक चर्चा का विषय रहा है। प्रेमियों के लिए इसका खास महत्व होता है और अन्य के लिए यह सिर्फ एक खबर हो सकती है। यूं तो चुंबन प्रेम की अभिव्यक्ति का माध्यम है। इसके द्वारा आप अपने साथी पर अपना समस्त प्रेम न्यौछावर कर देते हैं.
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* पुरुषों के लिए चुंबन अपने साथी के मीठे स्पर्श का अहसास कराता है, जबकि महिलाओं को लंबे चुंबन पसंद होते हैं। पुरुष और महिलाओं के बीच चुंबन दो आत्माओं का मिलन भी होता है।

* महिलाएं अक्सर चुंबन को अपने पार्टनर के साथ एक बॉन्ड की तरह उपयोग करती हैं और उन्हें यह एहसास दिलाती है कि उन्होंने उन्हें अपने संभावित पार्टनर के तौर पर चुना है।

* दूसरी तरफ पुरुष के लिए चुंबन का मतलब किसी बात को खत्म करना समझते हैं। इसका अंत सेक्स ही होता है और पुरुष अपनी महिला पार्टनर में सेक्स उत्तेजना जगाने के लिए ही चुंबन का सहारा लेते हैं।
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Wednesday, March 18, 2015

आर्थिक तंगी और कर्ज -मुक्ति के लिए प्रयोग ....!

*कभी-कभी मज़बूरी वश या अपनी आवश्यकताओं के कारण लोगो को कर्जा लेना ही पड़ता है। कर्ज लेने वाले व्यक्ति को सामने वाले की बहुत सी सही / गलत मनमानी शर्तों को भी मानना पड़ता है।आजकल तो हर छोटा बड़ा आदमी कहीं न कहीं से मकान, गाड़ी,गृह उपोयोगी वस्तुओं,शिक्षा, व्यापार आदि के लिए कर्ज लेता है ।कई बार गलत समय पर कर्ज लेने के कारण या किसी भी अन्य कारण से कर्ज लेने के बाद उसे लौटाना व्यक्ति को भारी हो जाता है वह लाख चाहकर भी कर्ज समय पर नहीं चुका पाता है उस पर कर्ज लगातार बहुत अधिक बड़ता ही जाता है और कई बार तो उसकी पूरी जिंदगी कर्ज चुकाते-चुकाते समाप्त हो जाती है।वेसे व्यक्ति को यथा संभव कर्जा लेने से बचना चाहिए। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार कर्ज लेने व देने संबंधी कुछ आसान से उपाय बता रहे है इन पर अमल करने पर निश्चित ही आपका कर्ज, बिलकुल समय से सुविधानुसार आपके सिर से उतर जाएगा।

कर्जा मुक्ति मन्त्र:-
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 “ॐ ऋण-मुक्तेश्वर महादेवाय नमः”

 “ॐ मंगलमूर्तये नमः”

 “ॐ गं ऋणहर्तायै नमः”

* इनमे से किसी भी एक मन्त्र के नित्य कम से कम एक माला के जप से व्यक्ति को अति शीघ्र कर्जे से मुक्ति मिलती है ।

* किसी के सिर पर कर्जा है तो एक सफेद कपड़ा ले लिया और पाँच फूल गुलाब के ले लिए पहले एक फुल हाथ में लिया और गायत्री मंत्र बोलना है  :-

ॐ भू र्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात् |

अब इस फूल को  कपड़े पर रख दिया इसी प्रकार  ऐसे ही पाँचो फुल गायत्री मंत्र जपते हुये कपडे पर रख दिये और कपड़े को गठान लगाईं और प्रार्थना करना है कि मेरे सिर पर जो भार है.. हे भगवान, हे भागीरथी गंगा !! वो भार भी बह जाये, दूर हो जाये, नष्ट हो जाये ऐसा करके जो कपड़ा बाँधा है फूल रखकर बहते जल में उसे प्रवाहित कर  दे |

एक और कर्ज से मुक्ति हेतु उपाय :-
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* जब भी शुक्ल पक्ष हो किसी भी मास का, शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार को शिवलिंग पर दूध व जल के बाद मसूर की दाल अर्पण करते हुये ये मंत्र बोले :-

"ॐ ऋणमुक्तेश्वर महादेवाय नम: " तो इसे ऋण, कर्जे से मुक्ति मिलती है |

गुरूवार के पूजन से स्थायी लक्ष्मी :-
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* हर गुरुवार को तुलसी के पौधे में शुद्ध कच्चा दूध गाय का थोडा-सा ही डाले तो, उस घर में लक्ष्मी स्थायी होती है और गुरूवार को व्रत उपवास करके गुरु की पूजा करने वाले के दिल में गुरु की भक्ति स्थायी हो जाती है | तथा तुलसी की पूजा करने वाले के घर में लक्ष्मी स्थायी हो जायेगी |

आर्थिक परेशानी से बचने हेतु :-
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* हर महीने में शिवरात्रि (मासिक शिवरात्रि - कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी) को आती है | तो उस दिन जिसको घर में आर्थिक कष्ट रहते है वो शाम  के समय या संध्या के समय जप-तप करें, दीप-दान शिवमंदिर में कर दें और रात को जब १२ बज जायें तो थोड़ी देर जाग कर जप और एक पाठ हनुमान चालीसा का करें | तो आर्थिक परेशानी दूर हो जायेगी |

* वर्ष में एक महाशिवरात्रि आती है और हर महीने में एक मासिक शिवरात्रि आती है। उस दिन शाम  को बराबर सूर्यास्त हो रहा हो उस समय एक दिया पर पाँच लंबी बत्तियाँ अलग-अलग उस एक में हो शिवलिंग के आगे जला के रखना | प्रार्थना कर देना, बैठ के जप करना | इससे व्यक्ति के सिर पे कर्जा हो तो जलदी उतरता है, आर्थिक परेशानियाँ दूर होती है |

वार्षिक महाशिवरात्रि :-
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* इस दिन तो सुबह से सूर्योदय से लेकर अगले दिन के सूर्योदय तक पानी भी न पिये | हर महाशिवरात्रि को अगर कोई करे भाग्य की रेखा ही बदल सकती है | ये करना ही चाहिये १५ से लेकर ४५ साल के उम्र के लोगों को |

* त्रयोदशी को मंगलवार उसे भोम प्रदोष योग कहते है ....उस दिन नमक, मिर्च नहीं खाना चाहिये, उससे जल्दी  फायदा होता है | मंगलदेव ऋणहर्ता देव हैं। उस दिन संध्या के समय यदि भगवान भोलेनाथ का पूजन करें तो भोलेनाथ की, गुरु की कृपा से हम जल्दी ही कर्ज से मुक्त हो सकते हैं। इस दैवी सहायता के साथ थोड़ा स्वयं भी पुरुषार्थ करें। पूजा करते समय यह मंत्र बोलें –

" मृत्युंजयमहादेव त्राहिमां शरणागतम्। जन्ममृत्युजराव्याधिपीड़ितः कर्मबन्धनः।।"

कुछ बातो  का ध्यान भी रक्खे :-
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* पूर्णिमा व मंगलवार के दिन उधार दें और बुधवार को कर्ज लें।

* कभी भूलकर भी मंगलवार को कर्ज न लें एवं लिए हुए कर्ज की प्रथम किश्त मंगलवार से देना शुरू करें। इससे कर्ज शीघ्र उतर जाता है।

* कर्ज मुक्ति के लिए ऋणमोचन मंगल स्तोत्र का पाठ करें |

* कर्जे से मुक्ति पाने के लिए लाल मसूर की दाल का दान दें।

* अपने घर के ईशान कोण को सदैव स्वच्छ व साफ रखें।

* ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र का शुक्लपक्ष के बुधवार से नित्य पाठ करें।

* बुधवार को सवा पाव मूंग उबालकर घी-शक्कर मिलाकर गाय को खिलाने से शीघ्र कर्ज से मुक्ति मिलती है|

* सरसों का तेल मिट्टी के दीये में भरकर, फिर मिट्टी के दीये का ढक्कन लगाकर किसी नदी या तालाब के किनारे शनिवार के दिन सूर्यास्त के समय जमीन में गाड़ देने से कर्ज मुक्त हो सकते हैं।

* घर की चौखट पर अभिमंत्रित काले घोड़े की नाल शनिवार के दिन लगाएं।

*  ५ गुलाब के फूल, १ चाँदी का पत्ता, थोडे से चावल, गुड़ लें। किसी सफेद कपड़े में २१ बार गायत्री मन्त्र का जप करते हुए बांध कर जल में प्रवाहित कर दें। ऐसा ७ सोमवार को करें।

* सर्व-सिद्धि-बीसा-यंत्र धारण करने से सफलता मिलती है।

* मंगलवार को शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर मसूर की दाल “ॐ ऋण-मुक्तेश्वर महादेवाय नमः”मंत्र बोलते हुए चढ़ाएं।

* हनुमानजी के चरणों में मंगलवार व शनिवार के दिन तेल-सिंदूर चढ़ाएं और माथे पर सिंदूर का तिलक लगाएं।हनुमान चालीसा या बजरंगबाण का पाठ करें|

* घर अथवा कार्यालय मे गाय के आगे खड़े होकर वंशी बजाते हुए भगवान श्री कृष्ण का चित्र लगाने से कर्जा नहीं चडता और दिए गए धन की डूबने की सम्भावना भी कम रहती है |

* यदि व्यक्ति अपने घर के मंदिर में माँ लक्ष्मी की पूजा के साथ 21 हक़ीक पत्थरों की भी पूजा करें फिर उन्हें अपने घर में कहीं पर भी जमीन में गाड़ दे और ईश्वर से कर्जे से मुक्ति दिलाने के लिए प्रार्थना करें तो उसे शीघ्र ही कर्जे से छुटकारा मिल जायेगा ।

* कर्जे से मुक्ति प्राप्त करने के लिए व्यक्ति लाल वस्त्र पहनें या लाल रूमाल साथ रखें। भोजन में गुड़ का उपयोग करें।

* बुधवार को स्नान पूजा के बाद व्यक्ति सर्वप्रथम गाय को हरा चारा खिलाये उसके बाद ही खुद कुछ ग्रहण करें तो उसे शीघ्र ही कर्जे से छुटकारा मिल जाता है।

* कर्जा लेने वाला व्यक्ति यदि अपनी तिजोरी में स्फुटिक श्रीयंत्र के साथ साथ मंगल पिरामिड की स्थापना करें और नित्य धूप दीप दिखाएँ तो उसे शीघ्र ही ऋण से मुक्ति मिलती है ।
उपचार स्वास्थ्य और प्रयोग-

Sunday, March 15, 2015

असाध्य बीमारियों का इलाज है यहाँ -

रैसलपुर महाकाली दरबार में लग रही हजारों भक्तों की भीड़ -


पृथ्वी पर जड़ और चेतन हर पदार्थ में ज्ञान शक्ति के रूप में दैवीय शक्ति कार्य कर रही है इसका प्रत्यक्ष प्रमाण माता महाकाली दरबार रैसलपुर में देखा जा सकता है।

यह दरबार वर्ष 1990 से निरन्तर है। आज जहां एक ओर विज्ञान द्वारा आधुनिक यंत्रों से मनुष्य के अन्दर उत्पन्न व्याधियों का बड़े शहरों में लाखों रुपया खर्च करके सी.टी. स्केन/ एमआरआई/ कार्डियोग्राफी जैसे अनेकों प्रकार की जांच करके पता लगाया जाता है वहीं यहां पर जांच का सटीक विवरण माताजी के दरबार में व्याधिग्रस्त मनुष्य के उपस्थित होने पर पलभर में कर दिया जाता है, इससे भी आगे उस व्यक्ति के साथ भूतकाल से घटित घटना/ तथा बीमारी उत्पन्न करने वाली प्रेत आत्मा का उल्लेख जो उस व्यक्ति को स्वप्न में दिखाई देकर प्रभावित करके काल का योग बना रही है उसके संकेत एवं प्रमाण दरबार में दिए जाते हैं।

विगत 21-22 वर्षों से माता जी के दरबार में देश-विदेश के अनेकों शहरों, गांवों के असंख्य निराश व्यक्ति जो कैंसर, एड्स, ट्यूमर, लकवा, किडनी, मिर्गी, हृदय रोग निसंतान और ऐसी जघन्न व्याधि जो मेडिकल साइंस से परे थी का इलाज सफलता पूर्वक कराकर व्याधिमुक्त हुए हैं और निरन्तर लोग उपस्थित होकर आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं। ईश्वरीय शक्ति के विद्यमान होने के प्रमाण हेतु दरबार में माताजी घोर ज्वाला, महाकाली के रूप में उदय होती है काली, दुर्गा आदि समस्त शक्तियां उनके अंश हैं- काल/अकाल उनकी भुजा में धारण हैं वे मनुष्यों के भाग्य उदय करती हैं, बनाती हैं। धनहीन को धनवान तथा भाग्यहीन को भाग्यवान भी वे बनाती हैं वे काल की भी काल हैं ऐसी माता महाकाली त्रिलोक जननी हैं और वे कण-कण में व्याप्त हैं। मनुष्य देह में निराकार एवं सत्व रूप में विद्यमान है। इस प्रकार वेदों/ पुराणों में वर्णित महाकाली की महिमा को साक्षात दरबार में देखा और अनुभव किया जा सकता है और उनके दर्शन पाकर मनुष्य जीवन की सार्थकता प्राप्त कर सकते हैं इसमें कोई संदेह नहीं है।आप भी एक बार महाकाली दरबार में आकर स्वयं प्रत्यक्ष अनुभव कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

कलयुग में शीघ्र प्रसन्न:-
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आज के युग में माँ महाकाली की साधना कल्पवृक्ष के समान है क्योंकि ये कलयुग में शीघ्र-अतिशीघ्र फल प्रदान करने वाली महाविद्याओं में से एक महा विद्या है। जो साधक महाविद्या के इस स्वरूप की साधना करता है उसका मानव योनि में जन्म लेना सार्थक हो जाता है, क्योंकि एक तरफ जहाँ माँ काली अपने साधक की भौतिक आवश्कताओं को पूरा करती हैं वहीं दूसरी तरफ उसे सुखोपभोग कराते हुए एक-छत्र राज प्रदान करती है। वैसे तो जबसे इस ब्रह्मांड की रचना हुई है तब से लाखों करोड़ों साधनाओं को हमारे ऋषियों द्वारा आत्मसात किया गया है पर इन सबमें से दस महाविद्याओं, जिन्हें मात्रिक शक्ति की तुलना दी जाती है, की साधना को श्रेष्ठतम माना गया है। जबसे इस पृथ्वी का काल आयोजन हुआ है तब से माँ महाकाली की साधना को योगियों और तांत्रिको में सर्वोच्च की संज्ञा दी जाती है।

साधक को महाकाली की साधना के हर चरण को पूरा करना चाहिए क्योंकि इस साधना से निश्यच ही साधक को वाक-सिद्धि की प्राप्ति होती है। वैसे तो इस साधना के बहुतेरे गोपनीय पक्ष साधक समाज के सामने आ चुके हैं परन्तु आज भी हम इस महाविद्या के कई रहस्यों से परिचित नहीं है। कामकला काली, गुह्य काली, अष्ट काली, दक्षिण काली, सिद्ध काली आदि के कई गोपनीय विधान आज भी अछूते ही रह गए। साधकों के समक्ष आने से, जितना लिखा गया है ये कुछ भी नहीं उन रहस्यों की तुलना में जो कि अभी तक प्रकाश में नहीं आया है और इसका महत्वपूर्ण कारण है इन विद्याओं के रहस्यों का श्रुति रूप में रहना, अर्थात ये ज्ञान सदैव सदैव से गुरु गम्य ही रहा है, मात्र गुरु ही शिष्य को प्रदान करता रहा है और इसका अंकन या तो ग्रंथों में किया ही नहीं गया या फिर उन ग्रंथों को ही लुप्त कर दिया काल के प्रवाह और हमारी असावधानी और आलस्य ने।

किसी भी शक्ति का बाह्य स्वरूप प्रतीक होता है उनकी अन्त: शक्तियों का जो कि सम्बंधित साधक को उन शक्तियों का अभय प्रदान करती हैं, अष्ट मुंडों की माला पहने माँ यही तो प्रदर्शित करती हैं कि मैं अपने हाथ में पकड़ी हुई ज्ञान खडग से सतत साधकों के अष्ट पाशों को छिन्न-भिन्न करती रहती हूं। उनके हाथ का खप्पर प्रदर्शित करता है ब्रह्मांडीय सम्पदा को स्वयं में समेट लेने की क्रिया का, क्योंकि खप्पर मानव मुंड से ही तो बनता है और मानव मष्तिष्क या मुंड को तंत्र शास्त्र ब्रह्माण्ड की संज्ञा देता है,अर्थात माँ की साधना करने वाला भला माँ के आशीर्वाद से ब्रह्मांडीय रहस्यों से भला कैसे अपरिचित रह सकता है। इन्ही रूपों में माँ का एक रूप ऐसा भी है जो अभी तक प्रकाश में नहीं आया है और वह रूप है माँ काली के अदभुत रूप महा घोर रावा का, जिनकी साधना से वीरभाव, ऐश्वर्य, सम्मान, वाक् सिद्धि और उच्च तंत्रों का ज्ञान स्वत: ही प्राप्त होने लगता है,अदभुत है माँ का यह रूप जिसने सम्पूर्ण ब्रह्मांडीय रहस्यों को ही अपने आप में समेटा हुआ है और जब साधक इनकी कृपा प्राप्त कर लेता है तो एक तरफ उसे समस्त आंतरिक और बाह्य शत्रुओं से अभय प्राप्त हो जाता है वही उसे माँ काली की मूल आधार भूत शक्ति और गोपनीय तंत्रों में सफलता की कुंजी भी तो प्राप्त हो जाती है। वस्तुत: ये क्रियाएँ अत्यंत ही गुप्त रखी गयी हैं और सामन्य साधकों को तो इन स्वरूपों की जानकारी भी नही है परन्तु हमारी सदगुरु परम्परा में हमें सहजता से सभी रहस्यों का परिचय प्राप्त होता है। इनकी मूल साधना अत्यधिक ही दुष्कर मानी गयी है और श्मशान, पूर्ण तैयारी और कुशल गुरु मार्गदर्शन के बिना इसका अभ्यास भी नहीं करना चाहिए अन्यथा स्वयं के प्राण तीव्रता के साथ बाह्य्गामी होकर ब्रह्माण्डीय प्राणों के साथ योग कर लेते हैं और पुन: लौट कर साधक के मूल शरीर मैं नहीं आते हैं। परन्तु सदगुरुदेव की कृपा से हम सभी को इसे जानने देखने व उनके सामीप्य होने का सौभाग्य मिला है। आइये जानते हैं रैसलपुर महाकाली दरबार की महिमा के बारे में।

दरबार में लगती है भक्तों की अर्जी:-
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महाकाली के दरबार में सबसे पहले हर भक्त की एक अर्जी लगती है। जिसमें एक नारियल, 250 ग्राम गेहूं, अगरबत्ती, कपूर, पुष्प, प्रसाद एवं दक्षिणा होती है। दरबार में एक तरफ महिलाएं व दूसरे तरफ पुरुष लाइन से बैठते हैं। जिसका नंबर आता है वह अर्जी लेकर गद्दी के समक्ष बैठ जाता है। अपने दोनों हाथों को सिर से पैर के नीचे तक तीन बार फेरता है। इसके बाद मातारानी जी भक्तों की अक्षरस: समस्या स्वत: ही बताती हैं। इसके बाद वह उनका उपाय बताती हैं जिससे भक्त को तत्क्षण लाभ हो जाता है।

रक्षा कवच:-
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मातारानी जी ने भक्त को बताया कि रक्षा कवच धारण करें तो रक्षा कवच एक साल के लिए दरबार वहीं बनाकर द्वारा दिया जाता है। जिससे आने वाली बाधा या नहीं आकर सालभर तक रक्षा करती है। एक साल से पहले भक्त को दरबार में आकर पुन: रक्षाकवच को बदलवाकर धारण करना पड़ता है।

हवन योग से समस्या का हल:-
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जो जातक जटिल बीमारियों से ग्रस्त हैं, ऐसी बीमारियां जो डॉक्टर ठीक नहीं कर पाते तथा व्यक्ति निराश होकर घर बैठकर भगवान से प्रार्थना करता है, उस स्थिति में दरबार में आते ही रोगी को तत्काल फायदा मिल जाता है। इसी तरह किसी लड़का-लड़की की शादी नहीं हो रही और अनेक बाधाएं आ रही हैं, ऐसे मांगलिक कार्य दरबार में हवन योग से सही हो जाते हैं। इसमें हर जातक को एक विशिष्ट हवन कराना पड़ता है जिससे वह जटिल बीमारी से मुक्ति पा लेता है। इसी तरह हवन योग कराकर मांगलिक कार्य होने लगते हैं। भयंकर ऊपरी बाधाओं (जादू-टोना) से ग्रस्त जातक प्रसन्नत चित्त होकर अपना नियमित कर्म बड़े ही आराम से करने लगता है एवं दिनोंदिन तरक्की के मार्ग पर चलता रहता है।

भक्तों की होती है वीडियो रिकार्डिंग:-
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हर शनिवार को रात 10 बजे से लगने वाले महाकाली दरबार में आने वाले प्रत्येक भक्त की वीडियो रिकार्डिंग कई बर्षों से अनवरत जारी है। जिससे जातकों का विश्वास लगातार बढ़ता जा रहा है।

डायरी लेखन:-
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रैसलपुर महाकाली दरबार में एक सेवक- भक्त का नाम पता मोबाइल नंबर, बीमारी तथा मातारानी द्वारा बताए गए उपाय लिखता है। जब वह ठीक हो जाता है उसका भी विवरण लिखा जाता है। जिससे प्रत्येक भक्त का रिकार्ड बना रहे।

जटिल बीमारियां और उनका इलाज :-
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हर प्रकार का कैंसर, एडस, टीबी, लकवा, मानसिक रोग, मिर्गी, सफेद दाग, थाइराइड (घुटनों, कमर में पुराना दर्द), किडनी, हार्ट, पथरी, वबासीर, डायबिटीज (शुगर), महिलाओं की बीमारियां आदि अनेक प्रकार की जटिल बीमारियों का इलाज बड़ी ही सरलता से हो जाता है। जहां डॉक्टर हार मान जाते हैं वहां दरबार में मरीज रो-रोकर आता है और हंसकर जाता है।

सभी प्रकार की समस्याओं का निदान:-
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जातक की समस्या किसी भी प्रकार की हो, दरबार में आते ही वह छूमंतर हो जाती हैं। उद्योग-व्यापार में बरकत, नौकरी प्रमोशन, पारिवारिक कलह, पति-पत्नी में अनबन, शादी-विवाह की समस्या, कोर्ट-कचहरी के निकारण, दुश्मनी खत्म करना, पढ़ाई में मन नहीं लगना, किसी काम में मन नहीं लगना, ऊपरी बाधाओं से छुटकारा आदि हर समस्या जल्द ठीक हो जाती है।

मातारानी का सच्चा है ये दरबार:-
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जो भक्त रैसलपुर महाकाली दरबार में पहली बार आता है वह यहीं का होकर रह जाता है। उसे जब एहसास होता है कि हमारी समस्या को क्षणभर में ही समाप्त हो गई है। फिर वह घर पहुंचकर और दस लोगों को महाकाली दरबार के बारे में बताता है जिससे भक्तों का जुड़ाव अपने आप होता जाता है। यहां हजारों लोग अपनी मनोकामना पूरी कराने के लिए हर शनिवार को रात 8 बजे तक पहुंच जाते हैं।

कैसे पहुंचे दरबार:-
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माता महाकाली का दरबार रैसलपुर में स्थित है। यह स्थान होशंगाबाद-इटारसी राजमार्ग पर बना है। यहां रेलवे, बस व चार पहिया वाहन से पहुंचा जा सकता है। भक्त को इटारसी या इटारसी जंक्शन पर उतरना पड़ता है। यहां से मिनी बस, मैजिक, चार पहिया वाहन से लगभग 20 मिनट की रास्ता है। दरबार इटारसी-होशंगाबाद रोड पर राजश्री ढाबा के सामने बना है। भक्त इस तरह से आएं कि शनिवार रात 8 बजे तक दरबार में पहुंच जाएं। जिससे दरबार में आसानी से शामिल हो सकें।

जिन भक्तों का कहना समस्या ठीक हुई :-
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22 वर्षों से समस्या से ग्रस्त था। पानी में दूर तक बह गया था इसे स्वप्र में 2 नाग ने घेरा, पुन: 3 नागों ने घेरा तीसरा नाग फन फटकार-फंककार कर मार रहा था। 46 वर्ष की आयु के काल योग है फिर भी बचाने का वर्णन दिया गया (ऊपर से गिरने की घटना होगी) घर का वर्णन किया खुले भाग में देवी स्थान जो खजाना ढूंढने के कारण रुष्ठ थी उसे शांत करने का आदेश दिया तथा देवी को स्वप्र में आकर प्रसन्नता दिखाने का आदेश प्रमाण हेतु दिया। ढाई माह पश्चात् परेशानी दूर कर कर्मगति बढ़ाने का उल्लेख किया हमने 22 अक्टूबर 2011 को दरबार में आकर बताया  कि जो  वर्णन किया गया था सत्य पाया।
राजेश चौबे- जीवन कला बकतरा, मो. 9993190051

लकवा सही हो गया:-
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लकवा पेशेंट मस्तिष्क में 3 मि.मी. का धब्बा बताया आसन पर हाथ उठवाया चल नहीं पाता था चलवाया तथा अदृश्य ऑपरेशन कर धब्बा ढाई सेमी मीटर कम कर दिया- गोलियां बन्द करने के आदेश दिये। अब लकवा सही हो गया।
गणेशराम माली, भोपाल - मो. 89825020456

पुत्र की मुराद पूरी:-
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4 वर्षों से परेशान पुत्र मांगने आई 2 योग असफल हो गये डॉक्टरों से परीक्षण कराया जांच आशा छोड़ दी। माताजी ने बताया इन्हें स्वप्र के शिशु भागता दिखता है बन्धन होकर हवन योग के माध्यम से उपचार बताया। काम सफल हुआ।
प्रीति विश्वकर्मा- होशंगाबाद

उपचार सही हुआ:-
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आयुषि लगभग 3-4 वर्ष की अवस्था में बरामदे में 10 फिट ऊंचाई से गिर गई थी उसके पश्चात् तेज बुखार- होना वजन नहीं बढऩा तथा बोलना नहीं हो पा रहा था डॉक्टर्स ने ब्लड टेस्ट स्केंनिग व आई.क्यू टेस्ट करने के पश्चात् सिर की चोट और मन्दता बताया गया 6 वर्षों की अवस्था से एलोपेथिक/आयुर्वेदिक/ व अन्य चिकित्सा निरन्तर चल रही थी इस प्रकार 16 वर्ष की अवस्था तक कोई विशेष लाभ नहीं हुआ।  शारीरिक विकास अवरूद्ध होने के साथ उसके सोचने/बोलने में कोई फायदा नहीं हुआ। दिनांक 26-11-2011 को उसे माताजी के दरबार लाया गया माताजी द्वारा वर्णन किया गया कि 4 वर्ष की अवस्था में रात्रि में भयभीत आकृति की आत्मा के प्रहार से नीचे गिरी है तब से वह आत्मा सवार है पीछा कर रही है इस वजह से पिछले 13 वर्षों से इसका शारीरिक/मानसिक/ विकास नहीं पा रहा है श्री उपाध्याय का परिवार उन्हें 3-12-11 को दरबार में उपचार कराया तथा माताजी की कृपा से आयुषी के  बोलने में, खड़े होने चलने में, असाधारण परिवर्तन आया 13 वर्षों के लम्बे समय के कारण शरीर विकास में आई बिकलांगता में भी परिवर्तन हुआ और व्याधि से पूर्णत: मुक्त हुई।
- आयुषी उपाध्याय, बैरागढ़ भोपाल 9826162124

गले का कैंसर सही हो गया:-
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श्रीमति हेमा बाई पति श्री चम्पालाल 2-6-2012 को दरबार में उपस्थित हुई उन्हें 3 माह से गले में सूजन थी बहुत बड़ी गांठ हो गई थी उसे दबाने पर दर्द होता था कंठ के योग पर कील का मुख बन गया था पानी पीने में तक तकलीफ होती थी डॉक्टरों ने कैंसर की आशंका बताई माताजी ने सारा विवरण उल्लेख कर बताया कि इन्हें स्वप्र में मशान बीर नाग द्वारा 2-3 बार फूंक मारकर कैंसर रोग मनुष्य मृत्यु लोक अनुसार उत्पन्न किया है घर के समीप जलता दीपक, काला कोयला राख आदि मिली थी जो क्रिया की गई थी उस योग से रोग उत्पन्न हुआ माताजी द्वारा उन्हे पूर्ण स्वथ्य कर लाभ प्रदान किया 7-7-2012 तक पूर्ण रूप  रोग मुक्त हो चुकी और उनकी आवाज भी बन्द हो गई थी अब तो आसानी से बोलती है खाना,पीना अच्छा होने से शारीरिक स्वास्थ्य में भी परिवर्तन हुआ हैं।
हेमाबाई पति श्री चम्पालाल होशंगाबाद मो.न. 9691223305

कोमा से बाहर आया:-
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विपिन चौरे ग्राम चिल्लई निवासी के भाई रैसलपुर बस स्टेन्ड पर दुर्घटना रात्रि में हुई उन्हें गम्भीर स्थिति में उपचार हेतु भोपाल ले जाया गया सीटी स्केल करने पर कोई गम्भीर चोट मस्तिष्क नहीं पाई गई उपचार चलता रहा इन्दौर भी दिखाया गया रिपोर्ट लेकर बाम्बे के डॉक्टरों को दिखाया सबसे अच्छी दवाई लेने के पश्चात् भी 3 माह से कोमा स्थिति में हैं श्री विपिन चौरे के दिनांक 4-8-12 को  दरबार में उपस्थित होने पर सारा वृतान्त डाक्टरों द्वारा किया गया वर्णन का उल्लेख किया। जो कोमा स्थिति में हैं के बारे में बताया गयाा है कि उन्हें कालरूपी आत्म द्वारा फेंका गया है और वहंा उन्हें प्रभावित कर रही है यह भी वर्णन किया कि उन्हें शरीर के 3 स्थान पर चौक हैं एक स्थान सुन्न हैं तथा एक स्थान पर घाव होने लगा है और माताजी ने उन्हें उसी क्षण से लाभ देना प्रारम्भ किया जिसमें उन्हेें रक्त की गति ज्ञान गति सोच की गति तथा देखने की क्रिया का लाभ प्रारम्भ कर दिया।
- विपिन चौरे/ ग्राम चिल्लई मो.न. 9754643106 (4 अगस्त 2012)

पैर सुन्न था, सही हो गया:-
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मैं 18-8-12 को दरबार में उपस्थित हुआ उनका एक पैर पिछले 6 वर्ष से सुन्न अवस्था में था पैर में जरा भी हरकत नहीं होती थी मुड़ता नहीं था तथा छाती में साढ़े छ: माह दर्द रहता था। एक गठान भी थी बार-बार बुखार आकर पीड़ा होती थी डाक्टर के पास जांच कराने पर कैंसर बताया गया। माताजी ने दरबार में बताया कि  जागृत एवं निंद्रा अवस्था में इनकी छाती पर विगत एक माह से कोई  छाती पर बैठकर खींचता हैं खांसने पर तीव्र दर्द होता हैं दरबार में ही माताजी सुन्न पैर पर गति उत्यन्त की तथा छाती का दर्द को बन्द किया यह लाभ तत्काल दिया गया।
खुमानसिंह कुशवाहा  भोपाल :- मो.न. 8357077575

मेरी मुराद पूरी हुई:-
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मैं काफी समय से परेशान था। मां के दरबार में गया। यहां मैं हर शनिवार पांच बार गया। हमारी मुराद पूरी हो गई। यह दरबार सच्चा है।
अशोक सिन्हा (रेल्वे सर्विस) भोपाल 9826372048

रीड की हड्डी सही हो गई:-
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श्री जोगेन्द्र यादव भोपाल निवासी फौज में सर्विस करते हैं दिनांक 18-8-12 को दरबार में उपस्थित हुए डाक्टरों ने उनके उपचार/जांच करने पर बताया गया कि उनके 3 गुरिये (कमर के) 2 खन्ड में गेप आ गया है जिसके कारण उन्हें बैठने में दर्द होता था खड़े होने के पैरों कम्पन जलन होता हैं यह बीमारी पूरा शरीर ग्रसित होने का उल्लेख किया दरबार के माताजी ने बताया कि रात्रि 12.30 बजे के बाद 2 नारी जोड़े से स्वप्र में आकर इनके शरीर को प्रभावित करती है ये काल रूपी आत्मा ही बीमारी का मुख्य कारण हैं ये जिन्हें आसन पर शरीर से अलग कर कमर की पीड़ा पैरों का कम्पन,जलन दूर कर प्रमाणित किया कि दर्द देने वाली कालरूपी आत्मा हैं इस प्रकार माताजी द्वारा श्री जोगेन्द्र यादव को उक्त व्याधि से पूर्ण रूप से मुक्त कर स्वस्थ लाभ दिया गया।
- जोगेन्द्र यादव (फोज में सर्विस) भोपाल, मोबाइल नं.  992621621

दुर्बलता समाप्त हो गई, मैं चंगी हो गई:-
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स्वीटी को शारीरिक दुर्बलता चक्कर आना, खाना नहीं खाती थी बहुत ही अधिक शरीर क्षीण  हो गया था डाक्टरों से सारे परीक्षण कराने के पश्चात् उन्हें एच.आई.वी ग्रसित एड्स रोग बताया था माताजी के दरबार में उपस्थित होने के पश्चात् उसके खाने में भूख लगना खून बनना बन्द हो गया था वह चालू हो गया सभी दवाइंया बन्द होने के पश्चात् जो शरीर सूख गया था 15 दिवस में आश्चर्य रूप से परिवर्तन आकर स्वस्थ होने लगी बजन बड़ गया तथा शरीर से स्थूल होने लगी दरबार में माताजी द्वारा आदेश दिया गया था कि उनके दी गई रक्षा 6 माह तक शरीर से जुदा नहीं करें किंतु 3 माह पश्चात् रक्षा हटा दी गई और पुन: गम्भीर स्थिति में कमजोर हो गई दिनांक 25-8-12 को उनके पिता श्री साहिबराव दरबार में आकर प्रार्थना की एवं रक्षा प्राप्त की माताजी ने एक सप्ताह तक समय देकर चुकी दरबार में उपस्थित कराने का आदेश दिया।
- स्वीटी/साहिबराव, नासिक,  मो.न. 08805628138

विकलांगता खत्म हो गई:-
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अजय दीक्षित विगत 16 वर्षों से दाहिने पैर से विकलांग थे। डाक्टरों ने उनके जोड़ों के गेप से एक नली का दवना बताया तथा ऑपरेशन अति दुर्लभ बताया तथा खतरा होने की आशंका बताई। छेड़छाड़ करने पर बड़ी हानि होना बताया । माताजी ने दरबार में लकवा ग्रस्त पैर को जो 16 वर्षों से उठ नहीं पा रहा था समक्ष में उठवाया पैरों की उंगलियों से पकडऩे पर सेन्स नही था स्पर्श होने का मान कराया भी अजय को स्वप्र में विचित्र आकृति का मनुष्य दिखता हैं इसके उल्लेख किया पहले उन्हेें बैठने में कम्पन्न होता था सहारा लेना पड़ता था किन्तु आसन पर समक्ष में उक्त पैर में रक्त संचार का लाभ देकर पैर उठने तथा उसमें स्पर्श मान होने का लाभ दिया बैठने में बिनाा सहारे का और कम्पन ना होने का लाभ दिया।
- अजय दीक्षित भोपाल,  मो.न. 9752416602

किडनी सही हो गई:-
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मोहम्मद उर्फ पप्पू की पत्नी को पूर्ण चेतना नहीं थी बेहोशी को हालत मेे लेकर 25-8-12 को दरबार में उपस्थित हुये थे माताजी डाक्टरों ने जो परीक्षण उपरान्त बताया गया उसका पूर्ण विवरण का उल्लेख किया और डाक्टर  जो बताया उसके अनुसार उनकी पत्नी की एक किडनी 25.777 कार्य कर रही थी तथा दूसरी किडनी 100 खराब होकर कार्य करना बन्द कर दिया था डायलेसेस पर रखा गया था। दरबार में वर्णन किया गया कि आत्मा सता रही है घर में परेशानी बनी हुई हैं धन से क्षीण हो गया सोचा कार्य भूल जाता हैं घर के 10 सदस्यों में से 5 पर उक्त क्रिया का असर है उनकी पुत्री को भयानक आकृति दिखती है तथा ऐसा आभास होता हैं कि किसी ने धक्का दिया। पत्नी रात्रि में सोते समय भयभीत हो जाती है तथा डरावनी मुद्रा बना लेती हैं कई बार उन्हें विस्तर से उठाकर आत्मा द्वारा फेेंका गया- अस्पताल में भी फैंका गया उनकी पत्नी बैठ नहीं पाती थी उन्हें दरबार के 15-20 मिनिट तक बैठाया गया तथा जो किडनी 25. कार्य कर रही थी उसे कुछ ही क्षण में 80परसेंट कार्य योग्य बनाया तथा दूसरी किडनी जो पूर्ण खराब बताई थी उसे 40 परसेंट तक कार्य योग्य बनाया और बताया गया किडनी फेल्यूवर नही हैं आत्माऐं सता रही हैं यह लाभ तत्काल दिया गया भविष्य में उसे बिस्तर से कोई फेंकेगा नही, डरेगी नही, भयानकर आकृति नहीं दिखेगी बेहोशी से चेतन अवस्था में रहने का लाभ दिया
- मोहम्मद / पप्पू भोपाल,  मो.न. 9827095102

घर में अब शांति है:-
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घर में आशांति उन्हें स्वप्र में जल की धार में पल्टा हुआ सर्प दिखाई देता हैं अशांति/ व्याधियों के निराकरण हेतु शिखा बन्धन मुक्ति कराने हेतु 2 योग का वर्णन किया गया।
- अरुण रणधीर भोपाल,  मो.न. 9893366264

महाकाली दरबार का पता :-
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पंडित श्याम सुंदर चौरे (माताजी) संचालक एवं व्यवस्थापक

रैसलपुर महाकाली दरबार इटारसी-

होशंगाबाद रोड राजश्री ढाबा के पास

रैसलपुर (म.प्र.)

संपर्क मोबाइल : 0940753555, 08251065398

अधिक जानकारी के लिए इन सेवकगणों से संपर्क करें :-
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1. संदीप चौरे - 09691949993
2. हरिनारायण सोलंकी - 09926347329
3. रामनरेश चिमानिया- 09977997595
4. राजकुमार सोनी - 08827294576
5. दीपसिंह राजपूत - 09713911511
6. महेश सिंह पटेल - 08109228303
7. लखन बुधानी, जलगांव - 0942282789
8. विजय बजाज, जलगांव - 09595107833
9. मनमोहन शर्मा, अहमद नगर - 09960161111
10. दर्शन भाई, भोपाल - 09303625432
11. नवीन, भोपाल - 9827564080

उपरोक्त लेख मेरा  नहीं है सिर्फ जन-सेवार्थ प्रकाशित है न कि अंधविश्वास के  लिए आप सभी पाठक गण समझदार है अपने बुद्धि और विवेक का प्रयोग करते हुए फोन नंबर दिए गए है जानकारी  करे और अगर आपका दिल कहे तो एक बार जा  कर देखने में कोई बुराई नहीं है - हम तो कभी जा नहीं सके या समझे आवश्यकता नहीं पड़ी है -मगर सुना जरुर है कि लोगो को लाभ  हुआ है -जो लोग सच्चे मन से जाते है - माता  रानी आप पर कृपा करे -मेरी शुभ-कामना है -

उपचार और प्रयोग -http://www.upcharaurprayog.com