Sunday, March 8, 2015

थायराइड ग्रंथि से सम्बंधित समस्या और उपचार -

आजकल यह समस्या एक आम समस्या बनकर सामने आ चुकी है- जीवन शैली में  आ रहा परिवर्तन स्वास्थ्य से सम्बंधित नित नयी समस्याओं को सामने ला रहा है और कई समस्याओं में  से एक समस्या है थायराइड ग्रंथि से सम्बंधित समस्या-


थायरायड ग्रंथि गर्दन के सामने की ओर,श्वास नली के ऊपर एवं स्वर यन्त्र के दोनों तरफ दो भागों में बनी होती है . एक स्वस्थ्य मनुष्य में थायरायड ग्रंथि का भार 25 से 50 ग्राम तक होता है . यह ‘ थाइराक्सिन ‘ नामक हार्मोन का उत्पादन करती है . पैराथायरायड ग्रंथियां, थायरायड ग्रंथि के ऊपर एवं मध्य भाग की ओर एक-एक जोड़े [ कुल चार ] में होती हैं . यह ” पैराथारमोन ” हार्मोन का उत्पादन करती हैं .

तनावग्रस्त जीवन शैली से थायराइड रोग बढ़ रहा है। आराम परस्त जीवन से हाइपो थायराइड और तनाव से हाइपर थायराइड के रोग होने की आशंका आधुनिक चिकित्सक निदान में करने लगे हैं। आधुनिक जीवन में व्यक्ति अनेक चिंताओं से ग्रसित है, जैसे परिवार की चिंताएँ, आपसी स्त्री-पुरुषों के संबंध, आत्मसम्मान को बनाए रखना, लोग क्या कहेंगे आदि अनेक चिंताओं के विषय हैं।

व्यक्तिगत जीवन की चिंताएँ जैसे बच्चों का भविष्य, महँगाई में जीवन जीना, आतंक वाद, आपसी परिवार में संबंध आदि अनेक बातें व्यक्ति को चिंताओं से घेरे हुए हैं। ये तो हो गए वयस्कों की चिंता के विषय, परंतु किशोरों की भी चिंताएँ हैं जैसे उनको माताओं से डर है कि कभी डायरियाँ, कॉपियाँ, एस एम एस न पढ़ लें।

किशोरियों को वजन बढ़ने की चिंताएँ, किशोर मित्र (ब्यॉयफ्रेंड) बनाए रखने की चिंताएँ, सौंदर्य निखारने के लिए साधनों की प्राप्ति की चिंताएँ आदि चिंताएँ आत्मिक शक्ति को कम करती हैं। आजकल हम सभी लोग सुरक्षा के प्रति चिंतित हैं।

एक बड़ी आबादी काम-धंधे के उतार-चढ़ाव को लेकर चिंतित है। ब़ड़ी आयु के लोग आने वाले बुढ़ापे से चिंतित हैं। कई लोग स्वास्थ्य और भविष्य के प्रति चिंतित हैं। ये सब लोग मानसिक स्तर पर चिंतित हैं तो कुछ इनके विपरीत मिला जुला वर्ग है, जो आलस्य प्रेमी है।

शारीरिक परिश्रम के प्रति केवल आधा-एक घंटा योग व जिम करने के बाद संपूर्ण दिन आराम और आलस्य की भेंट चढ़ जाता है। ऊँचे तकिए लगाकर सोने या टी वी देखने, किताब पढ़ने से भी पीनियल और पिट्यूटरी ग्रंथियों के कार्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है, जो थायराइड पर परोक्ष रूप से दिखाई देता है। इन स्थितियों में हाइपो थायराइड रोग होने की आशंका है।


क्या है यह ये थायराइड ग्रंथि :-



थायराइड मानव शरीर मे पाए जाने वाले एंडोक्राइन ग्लैंड में से एक है। थायरायड ग्रंथि गर्दन में श्वास नली के ऊपर एवं स्वर यन्त्र के दोनों ओर दो भागों में बनी होती है। और इसका आकार तितली जैसा होता है। यह थाइराक्सिन नामक हार्मोन बनाती है जिससे शरीर के ऊर्जा क्षय, प्रोटीन उत्पादन एवं अन्य हार्मोन के प्रति होने वाली संवेदनशीलता नियंत्रित होती है।

यह ग्रंथि शरीर के मेटाबॉल्जिम को नियंत्रण करती है यानि जो भोजन हम खाते हैं यह उसे उर्जा में बदलने का काम करती है। इसके अलावा यह हृदय, मांसपेशियों, हड्डियों व कोलेस्ट्रोल को भी प्रभावित करती है।

आमतौर पर शुरुआती दौर में थायराइड के किसी भी लक्षण का पता आसानी से नहीं चल पाता, क्योंकि गर्दन में छोटी सी गांठ सामान्य ही मान ली जाती है। और जब तक इसे गंभीरता से लिया जाता है, तब तक यह भयानक रूप ले लेता है।


क्या कारण है थायराइड का :-


थायरायडिस- यह सिर्फ एक बढ़ा हुआ थायराइड ग्रंथि (घेंघा) है, जिसमें थायराइड हार्मोन बनाने की क्षमता कम हो जाती है।

इसोफ्लावोन गहन सोया प्रोटीन, कैप्सूल, और पाउडर के रूप में सोया उत्पादों का जरूरत से ज्यादा प्रयोग भी थायराइड होने के कारण हो सकते है।

कई बार कुछ दवाओं के प्रतिकूल प्रभाव भी थायराइड की वजह होते हैं।

थायराइट की समस्या पिट्यूटरी ग्रंथि के कारण भी होती है क्यों कि यह थायरायड ग्रंथि हार्मोन को उत्पादन करने के संकेत नहीं दे पाती। भोजन में आयोडीन की कमी या ज्यादा इस्तेमाल भी थायराइड की समस्या पैदा करता है।

सिर, गर्दन और चेस्ट की विकिरण थैरेपी के कारण या टोंसिल्स, लिम्फ नोड्स, थाइमस ग्रंथि की समस्या या मुंहासे के लिए विकिरण उपचार के कारण।

जब तनाव का स्तर बढ़ता है तो इसका सबसे ज्यादा असर हमारी थायरायड ग्रंथि पर पड़ता है। यह ग्रंथि हार्मोन के स्राव को बढ़ा देती है।

यदि आप के परिवार में किसी को थायराइड की समस्या है तो आपको थायराइड होने की संभावना ज्यादा रहती है। यह थायराइड का सबसे अहम कारण है।

हाइपोथायराइड के लक्षणों में अनावश्यक वजन बढ़ना, आवाज भारी होना, थकान, अधिक नींद आना, गर्दन का दर्द, सिरदर्द, पेट का अफारा, भूख कम हो जाना, बच्चों में ऊँचाई की जगह चौड़ाई बढ़ना, चेहरे और आँखों पर सूजन रहना, ठंड का अधिक अनुभव करना, सूखी त्वचा, कब्जियत, जोड़ों में दर्द आदि लक्षणों को व्यक्ति तब अनुभव करता है, जब उसकी थायराइड ग्रंथि का थायरोक्सीन संप्रेरक (हार्मोन) कम बनने लगता है। यह समस्या स्त्री-पुरुषों में एक समान आती है, परंतु महिलाओं में अधिक पाई जाती है। इसका कोलेस्ट्रॉल, मासिक रक्तस्राव, हृदय की धड़कन आदि पर भी प्रभाव पड़ता है।

थाइराडड की दूसरी समस्या है हायपरथायराइड अर्थात थायराइड ग्रंथि के अधिक कार्य करने की प्रवृत्ति। यह जीवन के लिए अधिक खतरनाक होती है। थायराइड ग्रंथि की अधिक संप्रेरक (हर्मोन) निर्माण करने की स्‍थिति से चयापचय (बीएमआर) बढ़ने से भूख लगती है। व्यक्ति भोजन भी भरपूर करता है फिर भी वजन घटता ही जाता है। व्यक्ति का भावनात्मक या मानसिक तनाव ही प्रमुख कारण होता है।

कोलेष्ट्रॉल की मात्र रक्त में कम हो जाती है। हृदय की धड़कनें बढ़कर एकांत में सुनाई पड़ती है। पसीना अधिक आना, आँखों का चौड़ापन, गहराई बढ़ना, नाड़ी स्पंदन 70 से 140 तक बढ़ जाता है।

थायराइड ग्रंथि के साथ ही पैराथायराइड ग्रंथि होती है। यह थायराइड के पास उससे आकार में छोटी और सटी होती है और इसकी सक्रियता से दाँतों और हड्डियों को बनाने में मदद मिलती है। भोजन में कैल्शियम और विटामिन डी का उपयोग करने में यह ग्रंथि अपना सहयोग देती है। इसके द्वारा प्रदत्त संप्रेरक की कमी से रक्त के कैल्शियम बढ़कर गुर्दों में जमा होने की आशंका होती है।

ग्रेव्स रोग थायराइड का सबसे बड़ा कारण है। इसमें थायरायड ग्रंथि से थायरायड हार्मोन का स्राव बहुत अधिक बढ़ जाता है। ग्रेव्स रोग ज्यादातर 20और 40 की उम्र के बीच की महिलाओं को प्रभावित करता है, क्योंकि ग्रेव्स रोग आनुवंशिक कारकों से संबंधित वंशानुगत विकार है, इसलिए थाइराइड रोग एक ही परिवार में कई लोगों को प्रभावित कर सकता है।

थायराइड का अगला कारण है गर्भावस्था, जिसमें प्रसवोत्तर अवधि भी शामिल है। गर्भावस्था एक स्त्री के जीवन में ऐसा समय होता है जब उसके पूरे शरीर में बड़े पैमाने पर परिवर्तन होता है, और वह तनाव ग्रस्त रहती है।

रजोनिवृत्ति भी थायराइड का कारण है क्योंकि रजोनिवृत्ति के समय एक महिला में कई प्रकार के हार्मोनल परिवर्तन होते है। जो कई बार थायराइड की वजह बनती है।

गर्दन के सामने वाले हिस्से में  स्थित तितली के आकार की अन्तःस्रावी ग्रंथि थायराइड ग्रंथि के नाम से जानी जाती है | इस ग्रंथि की खासबात यह है की यह एक हार्मोन  को उत्पन्न करती है जिससे हमारे शरीर  के मेटाबोलिज्म (चयापचय ) की क्रिया नियंत्रित होती है | चयापचय की क्रिया द्वारा ही हमारे शरीर को ऊर्जा को  खपत करने में मदद मिलती है | थायराइड ही एक ऐसी ग्रंथि है जो चयापचय की क्रिया को धीमी या तेज कर सकती है , इन सबके लिए इस ग्रंथि से निकलने वाला हार्मोन  “थायरोक्सिन”  जिम्मेदार होता है | इस  हार्मोन्स  के घटने और बढ़ने के कारण  अनेक लक्षण उत्पन्न होने लगते है |

यदि आपके वजन में अचानक घटने या बढ़ने जैसा परिवर्तन सामने आ रहा हो तो यह थायराइड ग्रंथि से समबन्धित समस्या की और आपका ध्यान दिला सकता है | वजन का अचानक बढ़ जाना“थायरोक्सिन" हार्मोन  की कमी (हायपो-थायराईडिज्म) के कारण उत्पन्न हो सकता है,इसके विपरीत यदि "थायरोक्सिन" की आवश्यक मात्रा से अधिक  उत्पत्ति होने से (हायपर-थायराईडिज्म ) की स्थिति उत्पन्न हो जाती है जिसमें अचानक वजन कम होने लग जाता है | इन दोनों ही स्थितियों में  से हायपो-थायराईडिज्म एक आम समस्या के रूप में  सामने आता है |

गर्दन के सामनेवाले हिस्से में अचानक सूजन उत्पन्न हो जाना भी आपको थायराइड से सम्बंधित समस्या की और इंगित करता है | हायपो या  हायपर-थायराईडिज्म दोनों ही स्थितियों में गोएटर (घेघा )बन सकता है |  हाँ, कभी-कभी गर्दन में सूजन का कारण थायराइड कैंसर या नोड्यूल्स अथवा ग्रंथि के अन्दर  किसी  लम्प  के बन जाने के कारण भी हो सकता है , कभी-कभी इसका थायराइड ग्रंथि से कोई सम्बन्ध नहीं होता है |

हृदय गति में अचानक आया परिवर्तन भी थायराइड ग्रंथि से सम्बंधित समस्या के कारण उत्पन्न हो सकता है |  हायपो -थायराईडिज्म से पीड़ित व्यक्ति अक्सर धीमी हृदयगति होने की शिकायत करते हैं जबकि इसके विपरीत हायपर-थायराईडिज्म से पीड़ित तीव्र हृदयगति से पीड़ित होते हैं |  तीव्र हृदयगति के कारण अचानक रक्तचाप बढ़ जाता है तथा रोगी धड़कन (पाल्पीटेशन ) बढ़ने की समस्या से जूझता है |

थायराइड ग्रंथि का प्रभाव शरीर के लगभग सभी अंगों पर होता है जिससे व्यक्ति का एनर्जी -लेवल एवं मूड प्रभावित होता है | हायपो-थायराईडिज्म से पीड़ित व्यक्ति अक्सर थकान,आलस्य,जोड़ों में दर्द ,सूजन एवं अवसाद जैसे लक्षणों से पीड़ित होता है जबकि हायपर-थायराईडिज्म से पीड़ित व्यक्ति  घबराहट,बैचैनी,अनिद्रा एवं उत्तेजित रहने जैसे लक्षणों से दो-चार होता है |

बालों का अचानक झड़ना भी थायराइड हार्मोस के बेलेंस के बिगड़ने की और इंगित करता है,हायपो या हापर-थायराईडिज्म दोनों ही स्थितियों  में  बाल झड़ने की समस्या उत्पन्न होती है |

थायराइड ग्रंथि से सम्बंधित समस्या का सीधा सम्बन्ध शरीर के तापक्रम को नियंत्रित करने से होता है | हायपो-थायराईडिज्म से पीड़ित रोगी को समान्य से अधिक ठण्ड लगती है जबकि हायपर-थायराईडिज्म से पीड़ित व्यक्ति को अधिक गर्मी लगती है साथ ही पसीना भी अधिक आता है | इसके अलावा भी कुछ अन्य लक्षण हैं जिससे  हायपर-थायराईडिज्म को   पहचाना जा सकता है जैसे :त्वचा का रुक्ष होना,हाथों का सुन्न (NUMBNESS ) हो जाना या हाथ-पाँव में चुनचुनाहट (TINGLING )  होना आदि.

इसी प्रकार हायपर-थायराईडिज्म को भी कुछ अतिरिक्त लक्षणों से पहचाना जा सकता है जैसे :मांसपेशियों का कमजोर पड़ना,कम्पन होना ,दस्त लग जाना,देखेने में  परेशानी होना और स्त्रियों में  मासिक-चक्र का अनियमित होना |

कभी-कभी थायराइड ग्रंथि की गड़बड़ी के कारण  स्त्रियों में मासिक-चक्र बदल जाता है जिससे मेनोपाज का भ्रम उत्पन्न होता है अतः ऐसी स्थिति में रक्त के नमूने से की गयी थायराइड ग्रंथि की कार्यकुशलता की जांच इस भ्रम को दूर कर देती है |

थायरायड ग्रंथि के कार्य :-



थायरायड ग्रंथि से निकलने वाले हार्मोन शरीर की लगभग सभी क्रियाओं पर अपना प्रभाव डालता है |


थायरायड ग्रंथि के प्रमुख कार्यों में :-



बालक के विकास में इन ग्रंथियों का विशेष योगदान है | यह शरीर में कैल्शियम एवं फास्फोरस को पचाने में उत्प्रेरक का कार्य करती है |

शरीर के ताप नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका है | शरीर का विजातीय द्रव्य [ विष ] को बाहर निकालने में सहायता करती है |

इसे भी देखे-

थायरायड के हार्मोन असंतुलित से होने वाले रोग -


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