Tuesday, June 2, 2015

आंव का करे उपचार ....!

* जब आंव आने का रोग किसी व्यक्ति को हो जाता है तो उसे घबराना नहीं चाहिए, बल्कि इसका इलाज सही तरीके से करना चाहिए।जब मल त्याग करते समय या उससे कुछ समय पहले अंतड़ियों में दर्द, टीस या ऐंठन की शिकायत हो तो समझ लेना चाहिए कि यह पेचिश का रोग है| इस रोग में पेट में विकारों के कारण अंतड़ी के नीचे की तरफ कुछ सूजन आ जाती है| उस हालत में मल के साथ आंव या खून आने लगता है| यदि मरोड़ के साथ खून भी आए तो इसे रक्तातिसार कहते हैं| एक प्रकार का जीवाणु आंतों में चला जाता है जो पेचिश की बीमारी पैदा कर देता है| यह रोग पेट में विभिन्न दोषों के कुपित होने की वजह से हो जाता है|

* यह रोग मक्खियों से फैलता है| रोग के जीवाणु रोगी के मल में मौजूद रहते हैं| जब कभी पेचिश का रोगी खुल में मॉल त्याग करता है तो उस पर मक्खियां आकर बैठ जाती हैं| वे उन जीवाणुओं को अपने साथ ले जाती हैं और खुली हुई खाने-पीने की चीजों पर छोड़ देती हैं| फिर जो व्यक्ति उन वस्तुओं को खाता है, उनके साथ वे जीवाणु उसके पेट में चले जाते हैं| इस तरह उस व्यक्ति को भी पेचिश की बीमारी हो जाती है| यदि कच्चा और कम पचा भोजन भी पेट में कुछ समय तक पड़ा रहता है तो वह सड़कर पाचन संस्थान में घाव पैदा कर देता है| इससे भी आंव का रोग हो जाता है|

* शुरू में नाभि के पास तथा अंतड़ियों में दर्द होता है| लगता है, जैसे कोई चाकू से आंतों को काट रहा है| इसके बाद गुदा द्वार से पतला, लेसदार और दुर्गंधयुक्त मल बाहर निकलना शुरू हो जाता है| पेट हर समय तना रहता है| बार-बार पाखाना आता है| मल बहुत थोड़ी मात्रा में निकलता है जिसमें आंव और खून मिला होता है| कभी-कभी बुखार भी आ जाता है|

* जब आंव आने का रोग किसी व्यक्ति को हो जाता है तो इसके कारण व्यक्ति के मल के साथ एक प्रकार का गाढ़ा तेलीय पदार्थ निकलता है। आंव रोग से पीड़ित मनुष्य को भूख भी नहीं लगती है। रोगी को हर वक्त आलस्य, काम में मन न लगना, मन बुझा-बुझा रहना तथा अपने आप में साहस की कमी महसूस होती है।

करे ये उपचार :-
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* 10 ग्राम सूखा पुदीना, 10 ग्राम अजवायन, एक चुटकी सेंधा नमक और दो बड़ी इलायची के दाने-इन सबको पीसकर चूर्ण बना लें| सुबह-शाम भोजन के बाद एक-एक चम्मच चूर्ण मट्ठे या ताजे पानी के साथ लें|

* पुरानी पेचिश में तीन-चार दिन तक काली गाजर का रस सुबह-शाम भोजन के बाद सेवन करें|

* आम की गुठली को सुखा लें| फिर उसमें से गिरी निकालकर पीसें| दो चम्मच चूर्ण दही या मट्ठे के साथ सेवन करें|

* चार-पांच कालीमिर्च मुख में रखकर चूसें| थोड़ी देर बाद आधा गिलास गुनगुना पानी पी लें|

* दो चम्मच जामुन का रस और दो श्म्म्च गुलाबजल - दोनों को मिलाकर उसमें जरा-सी खांड़ या मिश्री डालकर तीन-चार दिन तक पिएं|

* अनारदाना , सौंफ तथा धनिया - इन तीनों को 100-100 ग्राम की मात्र में कूट-पीसकर चूर्ण बना लें| फिर इसमें थोड़ी-सी मिश्री मिलाकर दिनभर में चारनीम की सात-आठ कोंपलें मिश्री के साथ सेवन करें|

* अजवायन, सूखा पूदीना और बड़ी इलायची 10-10 ग्राम लेकर चूर्ण बना लें| भोजन के बाद आधा चम्मच चूर्ण पानी के साथ सेवन करें|

* एक कप गरम पानी में 10 ग्राम बबूल का गोंद डाल दें| थोड़ी देर बाद जब बबूल फूल जाए तो पानी में मथकर सेवन करें|

* कच्चे केले का रस एक चम्मच सुबह और एक चम्मच शाम को जीरा था कालीमिर्च के साथ सेवन करें|

* एक चम्मच ईसबगोल की भूसी 250 ग्राम दूध में भिगो दें| जब भूसी फूल जाए तो रात जरा-सी सोंठ और जरा-सा जीरा मिलाकर सेवन करें|

* पुराने आंव को ठीक करने के लिए प्रतिदिन सुबह बिना कुछ खाए-पिए दो चम्मच अदरक का रस जरा-सा सेंधा नमक डालकर सेवन करें|

* 20 ग्राम फिटकिरी और 3 ग्राम अफीम पीसकर मिला लें| इसमें से दो रत्ती दवा सुबह-शाम पानी के साथ लें|

* छोटी हरड़ का चूर्ण घी में तल लें| फिर वह चूर्ण एक चुटकी और 4 ग्राम सौंफ का चूर्ण मिलाकर दें|

* जामुन के पेड़ की छाल 25 ग्राम की मात्र में लेकर सुखा लें| फिर उसका काढ़ा बनाएं| ठंडा होने पर दो चम्मच शहद मिलाकर पी जाएं|

* पुरानी पेचिश में आधा चम्मच सोंठ का चूर्ण गुनगुने पानी के साथ लें|

* खूनी पेचिश में मट्ठे के साथ एक चुटकी जावित्री लेने से भी काफी लाभ होता है|

* सौंफ का तेल 5-6 बूंदें एक चम्मच चीनी में रोज दिन में चार बार लें|

* पेचिश रोग में नीबू की शिकंजी या दही के साथ जरा-सी मेथी का चूर्ण बहुत लाभदयक है|

* सेब के छिलके में जरा-सी कालीमिर्च डालकर चटनी पीस लें| इस चटनी को सुबह-शाम भोजन के बाद सेवन करें|

* पेचिश होने पर आधे कप अनार के रस में चार चम्मच पपीते का रस मिलाकर पिएं|

* केले की फली को बीच से तोड़कर उसमें एक चम्मच कच्ची खांड़ रखकर खाएं| एक बार में दो केले से अधिक न खाएं|

परहेज :-
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* बासी भोजन, मिर्च-मसालेदार पदार्थ, देर से पचने वाली चीजें, चना, मटर, मूंग आदि का सेवन न करें| वायु बनाने वाले पदार्थ खाने से भी पेचिश में आराम नहीं मिलता| अत: बेसन, मेदा, आलू, गोभी, टमाटर, बैंगन, भिण्डी, करेला, टिण्डे आदि नहीं खाना चाहिए| रोगी को भूख लगने पर मट्ठे के साथ मूंग की दाल की खिचड़ी दें| पानी में नीबू निचोड़कर दिनभर में चार गिलास पानी पिएं| इससे पेचिश के कारण होने वाली पेट की खुश्की दूर होती रहेगी| भोजन के साथ पतला दही, छाछ, मट्ठा आदि अवश्य लें| सुबह-शाम खुली हवा में टहलें| स्नान करने से पहले सरसों या तिली के तेल की शरीर में मालिश अवश्य करें| रात को सोते समय दूध के साथ ईसबगोल की भूसी एक चम्मच की मात्रा में लेने से सुबह सारा आंव निकल जाता है|

आंव रोग से पीड़ित व्यक्ति का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-
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* इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को कुछ दिनों तक रसाहार पोषक तत्वों (सफेद पेठे का पानी, खीरे का रस, लौकी का रस, नींबू का पानी, संतरा का रस, अनानास का रस, मठ्ठा तथा नारियल पानी) का अपने भोजन में उपयोग करना चाहिए।

* रोगी व्यक्ति को कुछ दिनों तक अपने भोजन में फलों का सेवन करना चाहिए। इसके बाद कुछ दिनों तक फल, सलाद और अंकुरित पदार्थों का सेवन करना चाहिए। इसके कुछ दिनों के बाद रोगी को सामान्य भोजन का सेवन करना चाहिए।

* इसके अलावा इस रोग का उपचार करने के लिए रोगी व्यक्ति को एनिमा क्रिया करनी चाहिए ताकि उसका पेट साफ हो सके।

* रोगी के पेट पर सप्ताह में 1 बार मिट्टी की गीली पट्टी करनी चाहिए  तथा सप्ताह में 1 बार उपवास भी रखना चाहिए।

* आंव रोग से पीडि्त रोगी को घबराना नहीं चाहिए। रोगी को अपना उपचार करने के साथ-साथ गर्म पानी में दही एवं थोड़ा नमक डालकर सेवन करना चाहिए।

* इस रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन सुबह तथा शाम को मट्ठा पीना चाहिए। इस प्रकार से रोगी का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से करने से आंव रोग ठीक हो सकता है।

* इस रोग से पीड़ित रोगी को पानी अधिक मात्रा में पीना चाहिए ताकि शरीर में पानी का कमी न हों क्योंकि शरीर में पानी की कमी के कारण कमजोरी आ जाती है।

* आंव रोग से पीड़ित रोगी को नारियल का पानी और चावल का पानी पिलाना काफी फायदेमंद होता है।

* यदि रोगी का जी मिचला रहा हो तो उसे हल्का गर्म पानी पीकर उल्टी कर देनी चाहिए ताकि उसका पेट साफ हो जाए।

नोट:-
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* हमेशा चीजो को ढक कर  रक्खे तथा बाजार में खुली चीजो के खाने से परहेज करे .

उपचार स्वास्थ्य और प्रयोग-

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