Monday, October 26, 2015

करवाचौथ पूजन विधान -

करवाचौथ हमारी सुहागिनों के लिए महत्व -पूर्ण ब्रत है सभी महिलाए सोलह-श्रृंगार करके हाथो में मेहँदी रचा के अपनी पति-परमेश्वेर की पूजा कर ब्रत परायण करती है ये पतिव्रता स्त्री का महत्वपूर्ण व्रत है ये व्रत कार्तिक कृष्णपक्ष की चंद्र्दोदय व्यापिनी चतुर्थी को किया जाता है -



महिलाए इस व्रत को अपने पति की लम्बी उम्र के लिए रखती है अलग-अलग  क्षेत्रों में वहां की प्रचलित मान्यताओं के अनुरूप रखा जाता है-लेकिन इन मान्यताओं में थोड़ा-बहुत अंतर होता है-बस होता सभी का 
एक ही उद्देश्य है पति की लम्बी आयु की कामना -


करवा चौथ व्रत विधि :-



व्रत के दिन प्रातः स्नानादि करने के पश्चात यह संकल्प बोलकर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें- 

         'मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।'

करवा चौथ की आवश्यक संपूर्ण पूजन सामग्री को एकत्र करें-पूरे दिन निर्जला रहें-

दीवार पर गेरू से फलक बनाकर पिसे हुए पीले चावलों के घोल से करवा का चित्र निर्मार्ण करें-इसे वर कहते हैं- चित्रित करने की कला को करवा धरना कहा जाता है-

आठ पूरियों की अठावरी बनाएं तथा हलुआ बनाएं- पक्के पकवान बनाएं-पीली मिट्टी से गौरी बनाएं और उनकी गोद में गणेशजी बनाकर बिठाएं-

गौरी को लकड़ी के आसन पर बिठाएं तथा चौक बनाकर आसन को उस पर रखें- गौरी को चुनरी ओढ़ाएं और उनका बिंदी आदि सुहाग सामग्री से श्रृंगार करें-

जल से भरा हुआ लोटा रखें-

वायना (भेंट) देने के लिए मिट्टी का टोंटीदार करवा लें-करवा में गेहूं और ढक्कन में शक्कर का बूरा भर दें-उसके ऊपर दक्षिणा रखें-

रोली से करवा पर स्वस्तिक बनाएं-


गौरी-गणेश और चित्रित करवा की परंपरानुसार पूजा करें तथा पति की दीर्घायु की कामना करें-

         'नमः शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम्‌। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे॥'

करवा पर 13 बिंदी रखें और गेहूं या चावल के 13 दाने हाथ में लेकर करवा चौथ की कथा कहें या सुनें-


कथा सुनने के बाद करवा पर हाथ घुमाकर अपनी सासुजी के पैर छूकर आशीर्वाद लें और करवा उन्हें दे दें-

तेरह दाने गेहूं के और पानी का लोटा या टोंटीदार करवा अलग रख लें-रात्रि में चन्द्रमा निकलने के बाद छलनी की ओट से उसे देखें और चन्द्रमा को अर्घ्य दें-

पति का मुख देखे इसके बाद पति का चरण-स्पर्श करके पति से आशीर्वाद लें। उन्हें भोजन कराएं और स्वयं भी भोजन कर लें-

उपचार और प्रयोग-

No comments:

Post a Comment