Tuesday, October 20, 2015

ब्रेस्ट बेडौल क्यों है बनाए ये तेल - They maintain oil Why breast is incommensurate

लोगो की मांग थी कि कोई येसा तेल बताये जो आपके स्तन को सुडौल और पुष्ट और सही आकार में ला सके बहुत सी महिलाओं को नवजात शिशु को स्तन पान कराने से उनके स्तन बेडौल हो जाते है उनके लिए कुछ ख़ास उपाय है करे -




सामग्री :-




अरंडी के पत्ते - 50 ग्राम 




इन्द्रायन की जड़ - 50 ग्राम 




गोरखमुंडी - 50 ग्राम 




पीपल वृक्ष की अन्तरछाल - 50 ग्राम




घीग्वार (ग्वारपाठा) की जड़ - 50 ग्राम




सहिजन के पत्ते - 50 ग्राम




अनार की जड़ और अनार के छिलके - 50-50 ग्राम 




खम्भारी की अन्तरछाल - 50 ग्राम




कूठ और कनेर की जड़ - 50-50 ग्राम




केले का पंचांग - 10-10 ग्राम (फूल, पत्ते, तना, फल व जड़)




सरसों व तिल का तेल - 250-250 मिलीग्राम




शुद्ध देशी कपूर - 15 ग्राम





नोट- सभी सामान आयुर्वेद औषधि की दुकान पर मिल जाएगा-



बनाने की विधि :-



आप इन सब द्रव्यों को मोटा-मोटा कूट-पीसकर 5 लीटर पानी में डालकर 

उबालें। जब पानी सवा लीटर बचे तब उतार लें। इसमें सरसों व तिल का 

तेल डालकर फिर से आग पर रखकर उबालें। जब पानी जल जाए और 

सिर्फ तेल बचे, तब उतारकर ठंडा कर लें, इसमें शुद्ध कपूर मिलाकर 

अच्छी तरह मिला लें। बस दवा तैयार है-

कैसे प्रयोग करे :-



इस तेल को नहाने से आधा घंटा पूर्व और रात को सोते समय स्तनों पर 

लगाकर हलके-हलके मालिश करें। इस तेल के नियमित प्रयोग से 2-3 

माह में स्तनों का उचित विकास हो जाता है और वे पुष्ट और सुडौल हो 

जाते हैं। ऐसी युवतियों को तंग चोली नहीं पहननी चाहिए और सोते 

समय चोली पहनकर नहीं सोना चाहिए। इस तेल का प्रयोग लाभ न होने 

तक करना चाहिए-





एक और प्रयोग :-




जैतून का तेल- 100 मिली





कड़वे बादाम का तेल- 100 मिली





काशीशादि तेल - 100 मिली (सभी आयुर्वेदिक दूकान से ले )







तीनो लेकर एक प्याली में थोडा-थोडा ब्रेस्ट की हल्के हाथों से गोलाई में 

मालिश करें। इस तेल का  प्रभाव के आने में दो से तीन माह लग जाते हैं 

लेकिन बहुत दिनों तक स्थायी रहने वाला प्रभाव मिलता है- 






अन्य और प्रयोग :-


छोटी कटेरी नामक वनस्पति की जड़ व अनार की जड़ को पानी के साथ 

घिसकर गाढ़ा लेप करें। इस लेप को स्तनों पर लगाने से कुछ दिनों में 

स्तनों का ढीलापन दूर हो जाता है-


बरगद के पेड़ की जटा के बारीक नरम रेशों को पीसकर स्त्रियां अपने 

स्तनों पर लेप करें तो स्तनों का ढीलापन दूर होता है और कठोरता आती 

है-



स्तनों की शिथिलता दूर करने के लिए एरण्ड के पत्तों को सिरके में 

पीसकर स्तनों पर गाढ़ा लेप करने से कुछ ही दिनों में स्तनों का ढीलापन 

दूर हो जाता है। कुछ व्यायाम भी हैं, जो वक्षस्थल के सौन्दर्य और आकार 

को बनाए रखते हैं-




असगंध और शतावरी को बारीक पीसकर चूर्ण बनाकर लगभग 2-2 ग्राम 

की मात्रा में शहद के खाकर ऊपर से दूध में मिश्री को मिलाकर पीने से 

स्तन आकर्षक हो जाते हैं-




कमलगट्टे की गिरी यानी बीच के भाग को पीसकर पाउडर बनाकर दही के 

साथ मिलाकर प्रतिदिन 1 खुराक यानी लगभग 5 ग्राम के रूप में सेवन 

करने से स्तन आकार में सुडौल हो जाते हैं-




गम्भारी की छाल 100 ग्राम व अनार के छिलके सुखाकर कूट-पीसकर 

महीन चूर्ण कर लें। दोनों चूर्ण 1-1 चम्मच लेकर जैतून के इतने तेल में 

मिलाएं कि लेप गाढ़ा बन जाए। इस लेप को स्तनों पर लगाकर अंगुलियों 

से हलकी-हलकी मालिश करें। आधा घंटे बाद कुनकुने गर्म पानी से धो 

डालें-




फिटकरी 20 ग्राम, गैलिक एसिड 30 ग्राम, एसिड आफ लेड 30 ग्राम, 

तीनों को थोड़े से पानी में घोलकर स्तनों पर लेप करें और एक घंटे बाद 

शीतल जल से धो डालें। लगातार एक माह तक यदि यह प्रयोग किया 

गया तो 45 वर्ष की नारी के स्तन भी नवयौवना के स्तनों के समान पुष्ट 

हो जाएंगे-



उपचार और प्रयोग-

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