Tuesday, October 6, 2015

घट-स्थापना नियम क्या है -Pitcher has established rules

नवरात्र आरंभ होने जा रहा है। बड़े-बड़े पंडालों एवं घरों में मां दुर्गा की पूजा की जाएगी। लेकिन मां की पूजा से पहले नवरात्र पूजा की सफलता हेतु घट- स्थापन का नियम है। घट स्थापन हमेशा शुभ मुहूर्त में किया जाता है-




जहां घट- स्‍थापना करनी हो, उस स्‍थान को शुद्ध जल से साफ करके गंगाजल का छिड़काव करें। फिर अष्टदल बनाएं। उसके ऊपर एक लकड़ी का पाटा रखें और उस पर लाल रंग का वस्‍त्र बिछाएं। लाल वस्‍त्र के ऊपर अंकित चित्र की तरह पांच स्‍थान पर थोड़े-थोड़े चावल रखें। जिन पर क्रमशः गणेशजी, मातृका, लोकपाल, नवग्रह तथा वरुण देव को स्‍थान दें। सर्वप्रथम थोड़े चावल रखकर श्रीगणेजी का स्मरण करते हुए स्‍थान ग्रहण करने का आग्रह करें।


इसके बाद मातृका, लोकपाल, नवग्रह और वरुण देव को स्‍थापित करें और स्‍थान लेने का आह्वान करें। फिर गंगाजल से सभी को स्नान कराएं। स्नान के बाद तीन बार कलावा लपेटकर प्रत्येक देव को वस्‍त्र के रूप में अर्पित करें। अब हाथ जोड़कर देवों का आह्वान करें। देवों को स्‍थान देने के बाद अब आप अपने कलश के अनुसार जौ मिली मिट्टी बिछाएं। कलश में जल भरें। अब कलश में थोड़ा और जल-गंगाजल डालते हुए 'ॐ वरुणाय नमः' मंत्र पढ़ें और कलश को पूर्ण रूप से भर दें।


इसके बाद आम की टहनी (पल्लव) डालें। जौ या कच्चा चावल कटोरे में भरकर कलश के ऊपर रखें। फिर लाल कपड़े से लिपटा हुआ कच्‍चा नारियल कलश पर रख कलश को माथे के समीप लाएं और वरुण देवता को प्रणाम करते हुए रेत पर कलश स्थापित करें। कलश के ऊपर रोली से ॐ या स्वास्तिक लिखें। मां भगवती का ध्यान करते हुए अब आप मां भगवती की तस्वीर या मूर्ति को स्‍थान दें। एक नंबर पर थोड़े से चावल डालें। मां की षोडशोपचार विधि से पूजा करें। अब यदि सामान्य द्वीप अर्पित करना चाहते हैं, तो दीपक प्रज्‍ज्वलित करें।


यदि आप अखंड दीप अर्पित करना चाहते हैं, तो सूर्य देव का ध्यान करते हुए उन्हें अखंड ज्योति का गवाह रहने का निवेदन करते हुए जोत को प्रज्‍ज्वलित करें। यह ज्योति पूरे नौ दिनों तक जलती रहनी चाहिए। इसके बाद पुष्प लेकर मन में ही संकल्प लें कि मां मैं आज नवरात्र की प्रतिपदा से आपकी आराधना अमुक कार्य के लिए कर रहा/रही हूं, मेरी पूजा स्वीकार करके इष्ट कार्य को सिद्ध करो।


पूजा के समय यदि आप को कोई भी मंत्र नहीं आता हो, तो केवल दुर्गा सप्तशती में दिए गए नवार्ण मंत्र 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे' से सभी पूजन सामग्री चढ़ाएं। मां शक्ति का यह मंत्र अमोघ है। आपके पास जो भी यथा संभव सामग्री हो, उसी से आराधना करें। संभव हो तो श्रृंगार का सामान और नारियल-चुन्नी जरूर चढ़ाएं।


यदि आप दुर्गा सप्तशती पाठ करते हैं, तो संकल्प लेकर पाठ आरंभ करें। सिर्फ कवच आदि का पाठ कर व्रत रखना चाहते हैं, तो माता के नौ रूपों का ध्यान करके कवच और स्तोत्र का पाठ करें। इसके बाद आरती करें। दुर्गा सप्तशती का पूर्ण पाठ एक दिन में नहीं करना चाहते हैं, तो दुर्गा सप्तशती में दिए श्रीदुर्गा सप्तश्लोकी का 11 बार पाठ करके अंतिम दिन 108 आहुति देकर नवरात्र में श्री नवचंडी जपकर माता का पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।


माता की पूजा में सिर्फ मन की श्रधा का विशेष प्रभाव भी है इस कलियुग में इसलिए जो लोग विधान पूर्वक न कर सके वो श्रधा से भी मन्त्र जप कर सकते है-


उपचार और प्रयोग-

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