Monday, December 15, 2014

नव जवानो के के लिए एक प्रयोग -


आपने देखा होगा, नौ-जवान भी मुरझाये मुरझाये रहते हैं....!

* आदमी ओरत दोनो के लिए समान रुप से लाभकारी कोशिश करेँ दूध के साथ ले ना मिले तो गर्म पानी के साथ भी ले सकते हे कोई खास परहेज नहीँ 

* थकावट, उच्च-रक्तचाप, मानसिक चिंताएं, कमज़ोरी, अलसायापन, आलस, कांतिहीन चेहरा, फूला हुआ शरीर परन्तु जान नहीं, पैदल चल नहीं सकते, और जो मित्र विवाहित हैं, वो शारीरिक कमज़ोरी महसूस करते हैं, दाम्पत्य- जीवन का आनंद पूर्ण रूप से नहीं ले पाते, बस यूँ मानिये कि किसी तरह से समझौता किये जा रहे हैं, ये प्रयोग उनके लिए राम-बाण है!

* आप एक बार प्रयोग किये! फिर बताइये!



* किसी भी औषधि विक्रेता से आप सौ ग्राम बडे गोखरू ले लीजिये, दस से बीस रपये के बीच मिल जायेंगे, यदि न मिलें तो ये गाँव इत्यादि में भरपूर रूप से मिलते हैं, बस वो सुखाने पड़ेंगे, वैसे औषधि विक्रेता से मिल जायेंगे अवश्य ही! अब आप
इन सौ ग्राम गोखरू को साफ़ कर लें, झाड़ लें कपडे से, ताकि मिट्टी न बचे, आप धो भी सकते हैं, अब इनको पीस लीजिये, चाहे तो मिक्सर में ही पीस लीजिये, जब बारीक चूर्ण की तरह से हो जाएँ, तो एक तवे पर चार चम्मच चायवाले भरकर
देसी घी खौला लीजिये, और इन पिसे हुए गोखरू में डाल लीजिये, जब घी ठंडा हो जाए तो अब इस घी को मिला लीजिये इस चूर्ण में, और किसी डिब्बे में रख लीजिये, अब रोज रात को आधा चम्मच ये लीजिये, और आधा कप गुनगुने दूध के साथ इसका सेवन करें, सोने से पहले, एक हफ्ते में अपनी रंगत और ताक़त देखिये! दाम्पत्य जीवन में जो लम्हों का होता था, अब दस गुना बढ़ जाएगा! शरीर में ताक़त, चेहरे में कांति, अलसायापन ख़तम, स्फूर्ति, चुस्ती और चहकने लगोगे! उम्र भले ही कोई हो! करके देखिये! ये वाजीकारक का एक अहम् नुस्खा है! लाभ मिले
तो धन्यवाद कहिये!!

बिना नागा, अर्थात कोई भी दिन खाली न जाए! अब चाहे व्रत हो अथवा स्वास्थय ही खराब हो!

केवल रात को ही ले जब तक आप का दिल करे तब तक सेवन करेँ...!

* गोखरू का फल कांटेदार होता है और औषधि के रूप में काम आता है। बारिश के मौसम में यह हर जगह पर पाया जाता है। नपुंसकता रोग में गोखरू के लगभग 10 ग्राम बीजों के चूर्ण में इतने ही काले तिल मिलाकर 250 ग्राम दूध में डालकर आग पर पका लें। पकने पर इसके खीर की तरह गाढ़ा हो जाने पर इसमें 25 ग्राम मिश्री का चूर्ण मिलाकर सेवन करना चाहिए। इसका सेवन नियमित रूप से करने से नपुसंकता रोग में बहुत ही लाभ होता है।

इसके अलावा गोखरू का चूर्ण, आंवले का चूर्ण, नीम और गिलोय को बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। इस बने हुए चूर्ण को रसायन चूर्ण कहा जाता है। इस चूर्ण को रोजाना 3 बार 1-1 चम्मच की मात्रा में दूध या ताजे पानी के साथ लेने से नपुंसकता, संभोग करने की इच्छा न करना, वीर्य की कमी होना, प्रमेह, प्रदर और मूत्रकृच्छ जैसे रोगों में लाभ होता है।

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