Thursday, April 30, 2015

जलने, मोच व चोट


जलने, मोच व चोट लगने का उपचार


हमारे पूरे जीवन में अनेकों बार दुर्घटना वश, हम मोच आने, जलने व चोट लगने जैसी घटनाओं के शिकार होते हैं। ऐसी घटनाओं से हम भयंकर पीड़ा का सामना करते हैं। जलन, दर्द और संक्रमण से हमें बहुत परेशानी उठानी पड़ती है। यदि तुरंत उपचार शुरू न किया जाए तो गंभीर परिणाम भी भुगतने पड़ते हैं। इसलिए आपकी मुश्किलों को आसान करने के लिए मैं आपको कुछ उपचार बता रही हूं। पर आप इन्‍हें अजमाने से पहले किसी रजिस्‍टर्ड वैध अथवा चिकित्‍सक से सलाह जरूर ले लें।


मोच व चोट लगने पर क्‍या करें...?


१ * चोट के घाव पर तुलसी के पत्‍तों को पीसकर लगाने से भी घाव भर जाते हैं।

२ * गूलर के पत्‍तों को पीसकर घाव पर लगाने से भी घाव आसानी से भर जाता है।

३ * मोच आने पर सरसों का तेल लगा कर, हल्‍दी का पाउडर छिड़कें और तौलिए से ढंक दें। फिर एक कपड़े में नमक की पोटली बांधे और इसे तवे पर गर्म करके तौलिए से गर्माहट सहन करने लायक सिंकाई करें।

४ * त्‍वचा या घाव से खून बह रहा हो, तो उस स्‍थान पर फिटकरी पीस कर बुरक दें। इससे खून का बहना रूक जाएगा।

५ * यदि सब्‍जी काटते वक्‍त चाकू से उंगली या हाथ कट गया हो और खून बह रहा हो, तो आप मिटटी के तेल में कपड़ा भिगोकर उंगली पर बांध दें। खून का बहना रूक जाएगा और दो तीन दिन में घाव भी भर जाएगा।


आग से जलने पर क्‍या करें...?


१ * बेर की कोमल कोमल पत्तियों को दही के साथ पीस कर लगाने से जलने के निशान दूर हो जाते हैं।

२ * केले का गूदा जले हुए स्‍थान पर लगाने से जलन दूर हो जाती है।

३ * बरगद के कोमल पत्‍तों को गाय के घी में पीसकर लगाने से बहुत आराम मिलता है।

४ * इमली की लकड़ी को जलाकर उसकी राख नारियल के तेल में मिलाकर लगाने से जख्‍म ठीक हो जाते हैं।

५ * मेंहदी के पत्‍तों को पानी या सरसों के तेल के साथ पीसकर जले हुए स्‍थान पर लगाने से बहुत लाभ होता है।

६ * दही में पिसा हुआ चूना मिलाकर लगाने से जलन शांत हो जाती है।

७ * तारपीन का तेल और कपूर बराबर मात्रा में मिलाकर लगाने से फौरन आराम मिलता है।

८ * नमक का गाढ़ा घोल जले हुए स्‍थान पर लगाने से छाले नहीं पड़ते हैं।

९ * जले हुए स्‍थान पर शहद का लेप करने से भी लाभ होता है।

१० * अनार की पत्तियों को पीसकर जले हुए स्‍थान पर लगाने से जलन शांत हो जाती है।

११ * चौलाई के पत्‍तों के साथ घांस पीस कर जले हुए स्‍थान पर लगाएं, बहुत लाभ होगा।

१२ * आलू पीसकर उसकी लुगदी बना लें और फिर प्रभावित स्‍थान पर लगाएं। लाभ होगा।

१३ * करेले के रस को रूई की सहायता से जले हुए स्‍थान पर लगाएं। आराम मिलेगा।

१४ * नारियल के पानी को अलसी के तेल के साथ पकाकर लगाने से भी आराम मिलता है।

१५ * शहद के साथ लौंग पीस कर लगाने से ज़ख्‍म ठीक हो जाता है।

१६ * पीपल की छाल का बारीक पाउडर बनाकर रख लें। फिर जलने पर इसे लगाने से घाव में आराम मिलता है।


(समाप्‍त)

Wednesday, April 29, 2015

एक अनूठा उपहार है तुलसी .....!

* तुलसी एक राम बाण औषधि है। यह प्रकृति की अनूठी देन है। इसकी जड़, तना, पत्तियां तथा बीज उपयोगी होते हैं।

* रासायनिक द्रव्यों एवं गुणों से भरपूर, मानव हितकारी तुलसी रूखी गर्म उत्तेजक, रक्त शोधक, कफ व शोधहर चर्म रोग निवारक एवं बलदायक होती है। यह कुष्ठ रोग का शमन करती है। इसमें कीटाणुनाशक अपार शक्ति हैं। वैज्ञानिकों का मत है कि तपेदिक, मलेरिया व प्लेग के कीटाणुओं को नष्ट करने की क्षमता तुलसी में विद्यमान है। शरीर की रक्त शुद्धि, विभिन्न प्रकार के विषों की शामक, अग्निदीपक आदि गुणों से परिपूर्ण है तुलसी। इसको छू कर आने वाली वायु स्वच्छता दायक एवं स्वास्थ्य कारक होती है। घरों में हरे और काले पत्तों वाली तुलसी पाई जाती है। दोनों का सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। एक वर्ष तक निरंतर इसका सेवन करने से सभी प्रकार के रोग दूर हो सकते हैं। तुलसी का पौधा जिस घर में हो वहा जीवाणु को पनपने नहीं देता, जो की स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होते है।

तुलसी का तेल:----
<<<<<<<>>>>

* जड़ सहित तुलसी का हरा भरा पौधा लेकर धो लें, इसे पीसकर इसका रस निकालें। आधा लीटर पानी- आधा लीटर तेल डालकर हल्की आंच पर पकाएं, जब तेल रह जाए तो छानकर शीशी में भर कर रख दें। तेल बन गया। इसे सफेद दाग़ पर लगाएं। इन सब इलाज के लिए धैर्य की जरूरत है। कारण ठीक होने में समय लगता है।

सामान्य प्रयोग:---
<<<<<>>>>>

* तुलसी की पाँच पत्तियॉं, 2 नग काली मिर्च का चूर्ण, रात को पानी में भीगी हुई 2 नग बादाम का छिलका निकालकर फिर उसकी चटनी बनाकर एक चम्मच शहद के साथ सेवन करें एवं लगभग आधा घण्टा अन्न-जल ग्रहण ना करे।

* तुलसी के पत्तों को साफ़ पानी में उबाल ले उबाले जल को पीने में उपयोग करें। कुल्ला करने में भी इसका उपयोग कर सकते है। 2-3 पत्तिया ले और छाछ या दही के साथ सेवन करें। बहुत सारी आयुर्वेदिक कम्पनियां अपने जीवनदायी औषधीयों में तुलसी का उपयोग करती है।

व्यावहारिक प्रयोग:--
<<<<<<>>>>>>>>

* जड़, पत्र, बीज व पंचांग प्रयुक्त करते हैं।

मात्रा :-
===

स्वरस:-  दस से बीस ग्राम ले

बीज चूर्ण:- एक  से दो  ग्राम  ले

क्वाथ:- एक से दो औंस ले

तुलसी का रोगों में उपयोग:----
<<<<<<<>>>>>>>>>>

* गले और साँस की समस्या में खाँसी अथवा गला बैठने पर तुलसी की जड़ सुपारी की तरह चूसी जाती है।

* #श्वांस रोगों में तुलसी के पत्ते काले नमक के साथ सुपारी की तरह मुँह में रखने से आराम मिलता है।

* तुलसी की हरी पत्तियों को आग पर सेंक कर नमक के साथ खाने से #खांसी तथा #गला बैठना ठीक हो जाता है।

* तुलसी के पत्तों के साथ 4 भुनी लौंग चबाने से #खांसी जाती है।

* तुलसी के कोमल पत्तों को चबाने से खांसी और #नजले से राहत मिलती है।

* खांसी#जुकाम में - तुलसी के पत्ते, अदरक और काली मिर्च से तैयार की हुई चाय पीने से तुरंत लाभ पहुंचता है।

* 10-12 तुलसी के पत्ते तथा 8-10 काली मिर्च के चाय बनाकर पीने से खांसी जुकाम, #बुखार ठीक होता है।

* #फेफड़ों में खरखराहट की आवाज़ आने व खाँसी होने पर तुलसी की सूखी पत्तियाँ 4 ग्राम मिश्री के साथ देते हैं।

* काली तुलसी का स्वरस लगभग डेढ़ चम्मच काली मिर्च के साथ देने से #खाँसी का वेग एकदम शान्त होता है।

* 10 ग्राम तुलसी के रस को 5 ग्राम शहद के साथ सेवन करने से #हिचकी, #अस्थमा एवं श्वांस रोगों को ठीक किया जा सकता है। #जुकाम में तुलसी का पंचांग व अदरक समान भाग लेकर क्वाथ बनाते हैं। इसे दिन में तीन बार लेते हैं।

* अदरक या सोंठ, तुलसी, कालीमिर्च, दालचीनी थोड़ा-थोडा सबको मिलाकर एक ग्लास पानी में उबालें, जब पानी आधा रह जाए तो शक्कर नमक मिलाकर पी जाएं। इससे #फ्लू, खांसी, #सर्दी, जुकाम ठीक होता है।

* तुलसी के पत्ते 10, काली मिर्च 5 ग्राम, सोंठ 15 ग्राम, सिके चने का आटा 50 ग्राम और गुड़ 50 ग्राम, इन सबको पान व अदरक में घोंट लें तथा एक एक ग्राम की गोलियां बना लें।

* शहद, अदरक और तुलसी को मिलाकर बनाया गया काढ़ा पीने से #ब्रोंकाइटिस, #दमा, #कफ और सर्दी में राहत मिलती है।

* नमक, लौंग और तुलसी के पत्तों से बनाया गया काढ़ा #इंफ्लुएंजा में फौरन राहत देता है। जब भी खांसी हो सेवन करें।
तुलसी व अदरक का रस एक एक चम्मच, शहद एक चम्मच, मुलेठी का चूर्ण एक चम्मच मिलाकर सुबह शाम चाटें, यह खांसी की अचूक दवा है।

* तुलसी के पत्तों का रस, शहद, प्याज का रस और अदरक का रस सभी चाय का एक-एक चम्मच भर लेकर मिला लें। इसे आवश्यकता के अनुसार दिन में तीन-चार बार लें। इससे #बलगम बाहर निकल जाता है और रोग ठीक हो जाता है।

* तुलसी दमा #टीबी में अत्यंत लाभकारी हैं। तुलसी के नियमित सेवन से दमा, टीबी नहीं होती हैं क्यूँकि यह बीमारी के जिम्मेदार कारक जीवाणु को बढ़ने से रोकती हैं। चरक संहिता में तुलसी को दमा की औषधि बताया गया हैं।

* #फ्लू रोग तुलसी के पत्तों का काढ़ा, सेंधा नमक मिलाकर पीने से ठीक होता है।

* क़रीब सभी #कफ सीरप को बनाने में तुलसी का इस्तेमाल किया जाता है। तुलसी की पत्तियां कफ साफ़ करने में मदद करती हैं।

* तुलसी के सूखे पत्ते ना फेंके, ये #कफ नाशक के रूप में काम में लाये जा सकते हैं।

* ज्वर से जुड़ी समस्या...#ज्वर यदि विषम प्रकार का हो तो तुलसी पत्र का क्वाथ 3-3 घंटे पश्चात सेवन करने का विधान है। अथवा 3 ग्राम स्वरस शहद के साथ 3-3 घंटे में लें।

* हल्के ज्वर में कब्ज भी साथ हो तो काली तुलसी का स्वरस (10 ग्राम) एवं गौ घृत (10 ग्राम) दोनों को एक कटोरी में गुनगुना करके इस पूरी मात्रा को दिन में 2 या 3 बार लेने से #कब्ज भी मिटता है, ज्वर भी।

* तुलसी की जड़ का काढ़ा भी आधे औंस की मात्रा में दो बार लेने से ज्वर में लाभ पहुँचाता है।

* तुलसी के पत्ते का रस 1-2 ग्राम रोज पिएं, #बुखार नहीं होगा।

* एक सामान्य नियम सभी प्रकार के ज्वरों के लिए यह है कि बीस तुलसी दल एवं दस काली मिर्च मिलाकर क्वाथ पिलाने से तुरन्त ज्वर उतर जाता है।

* #मोतीझरा (टायफाइड) में 10 तुलसी पत्र 1 माशा जावित्री के साथ पानी में पीसकर शहद के साथ दिन में चार बार देते हैं।
तुलसी, काली मिर्च, दालचीनी, लौंग, अदरक कूटकर पीसकर एक ग्लास पानी में इतना उबालें कि आधा रह जाए तो उतार कर नमक चीनी में इच्छानुसार डालकर पीयें, फिर ओढ़कर सो जाएं।

* तुलसी सौंठ के साथ सेवन करने से लगातार आने वाला बुखार ठीक होता है।

*तुलसी, अदरक, मुलैठी सबको घोटकर शहद के साथ लेने से #सर्दी के बुखार में आराम होता है।

* यदि तुलसी की 11 पत्तियों का 4 खड़ी कालीमिर्च के साथ सेवन किया जाए तो #मलेरिया एवं #मियादी बुखार ठीक किए जा सकते हैं।

त्वचा रोग से जुड़ी समस्या.....
<<<<<<<>>>>>>>>>>

* औषधीय गुणों से भरपूर तुलसी के रस में थाइमोल तत्व पाया जाता है। जिससे #त्वचा के रोगों में लाभ होता है। इसकी पत्तियों का रस निकाल कर बराबर मात्रा में नींबू का रस मिलायें और रात को चेहरे पर लगाये तो #झाइयां नहीं रहती, फुंसियां ठीक होती है और चेहरे की रंगत में निखार आता है।

* #दाद व #एक्जिमा रोग में इसके पौधे की मिट्टी की पट्टी एक से डेढ़ घंटे तक बांधी जाती है।

* दाद, #खुजली और त्वचा की अन्य समस्याओं में तुलसी के अर्क को प्रभावित जगह पर लगाने से कुछ ही दिनों में रोग दूर हो जाता है।

* नैचुरोपैथों द्वारा #ल्यूकोडर्मा का इलाज करने में तुलसी के पत्तों को सफलता पूर्वक इस्तेमाल किया गया है।

* कुष्ठरोग में - तुलसी की जड़ को पीसकर, सोंठ मिलाकर जल के साथ प्रात: पीने से #कुष्ठ रोग निवारण का लाभ मिलता है।
कुष्ठ रोग या कोढ में तुलसी की पत्तियां रामबाण सा असर करती हैं। खायें तथा रस प्रभावित स्थान पर मलें भी। कुष्ठ रोग में तुलसी पत्र स्वरस प्रतिदिन प्रातः पीने से लाभ होता है।

* तुलसी के पत्तों का रस एक्जिमा पर लगाने, पीने से एक्जिमा में लाभ मिलता है।

* दाद, छाज व खाज में तुलसी पंचांग नींबू के रस में मिलाकर लेप करते हैं।

* उठते हुए #फोड़ों में तुलसी के बीज एक माशा तथा दो गुलाब के फूल एक साथ पीसकर ठण्डाई बनाकर पीते है।

* #पित्ती निकलने पर मंजरी व पुनर्नवा की पत्ती समान भाग लेकर क्वाथ बनाकर पिएँ।

* चेहरे के #मुँहासों में तुलसी पत्र एवं संतरे का रस मिलाकर रात्रि को चेहरा धोकर अच्छी तरह से लेप करते है।

* व्रणों को शीघ्र भरने तथा #संक्रमण ग्रस्त जख्मों को धोने के लिए तुलसी के पत्तों का क्वाथ बनाकर उसका ठण्डा लेप करते हैं।

* #रक्त विकारों में तुलसी व गिलोय का तीन-तीन माशे की मात्रा में क्वाथ बनाकर दो बार मिश्री के साथ लेते हैं।

* तुलसी पत्रों को पीसकर चेहरे पर उबटन करने से #चेहरे की आभा बढ़ती है।

* वमन की स्थिति में तुलसी पत्र स्वरस मधु के साथ प्रातःकाल व जब आवश्यकता हो पिलाते हैं।

* पाचन शक्ति बढ़ाने के लिए, अपच रोगों के लिए तथा बालकों के यकृत प्लीहा संबंधी रोगों के लिए तुलसी के पत्रों का फाण्ट पिलाते हैं। छोटी इलायची, अदरक का रस व तुलसी के पत्र का स्वरस मिलाकर देने पर उल्टी की स्थिति को शान्त करते हैं। #दस्त लगने पर तुलसी पत्र भुने जीरे के साथ मिलाकर (10 तुलसीदल + 1 माशा जीरा) शहद के साथ दिन में तीन बार चाटने से लाभ मिलता है।

* तुलसी के चार-पांच ग्राम बीजों का मिश्री युक्त शर्बत पीने से आंव ठीक रहता है। तुलसी के पत्तों को चाय की तरह पानी में उबाल कर पीने से #आंव (पेचिस) ठीक होती है।

* #अपच में मंजरी को काले नमक के साथ देते हैं।

* #बवासीर रोग में तुलसी पत्र स्वरस मुँह से लेने पर तथा स्थानीय लेप रूप में तुरन्त लाभ करता है। #अर्श में इसी चूर्ण को दही के साथ भी दिया जाता है।

* संक्रामक अतिसार....बालकों के संक्रामक #अतिसार रोगों में तुलसी के बीज पीसकर गौ दुग्ध में मिलाकर पीने से लाभ होता है। प्रवाहिका में मूत्र स्वरस 10 ग्राम प्रातः लेने पर रोग आगे नहीं बढ़ता।

* #कृमि रोगों में तुलसी के पत्रों का फाण्ट सेवन करने से कृमिजन्य सभी उपद्रव शान्त हो जाते हैं।

* #उदर शूल में तुलसी दलों को मिश्री के साथ देते हैं तथा #संग्रहणी में बीज चूर्ण 3 ग्राम सुबह-शाम मिश्री के साथ।

* बच्चों में बुखार, खांसी और उल्टी जैसी सामान्य समस्याओं में तुलसी बहुत फ़ायदेमंद है।

* सिर के दर्द में प्रातः काल और शाम को एक चौथाई चम्मच भर तुलसी के पत्तों का रस, एक चम्मच शुद्ध शहद के साथ नित्य लेने से 15 दिनों में रोग पूरी तरह ठीक हो सकता है। तुलसी का काढ़ा पीने से #सिर के दर्द में आराम मिलता है।

* #मेधावर्धन हेतु तुलसी के पाँच पत्ते जल के साथ प्रतिदिन प्रातः निगलना चाहिए।

* असाध्य #शिरोशूल में तुलसी पत्र रस कपूर मिलाकर सिर पर लेप करते हैं, तुरन्त आराम मिलता है।

* #आंखों की समस्या....तुलसी का रस आँखों के दर्द, रात्रि अंधता जो सामान्यतः विटामिन ‘ए‘ की कमी से होता है के लिए अत्यंत लाभदायक है। आंखों की जलन में तुलसी का अर्क बहुत कारगर साबित होता है। रात में रोजाना श्यामा तुलसी के अर्क को दो बूंद आंखों में डालना चाहिए। श्याम तुलसी (काली तुलसी) पत्तों का दो-दो बूंद रस 14 दिनों तक आंखों में डालने से रतौंधी ठीक होती है। आंखों का पीलापन ठीक होता है। आंखों की लाली दूर करता है। तुलसी के पत्तों का रस काजल की तरह आंख में लगाने से आंख की रोशनी बढ़ती है।

* तुलसी के हरे पत्तों का रस (बिना पानी में डाले) गर्म करके सुबह शाम #कान में डालें, #कम सुनना, #कान का बहना, दर्द सब ठीक हो जाता है। तुलसी के रस में कपूर मिलाकर हल्का गर्म करके कान में डालने से कान का दर्द तुरंत ठीक हो जाता है। कनपटी के दर्द में तुलसी की पत्तियों का रस मलने से बहुत फ़ायदा होता है।

* मुंह का संक्रमण....#अल्सर और मुंह के अन्य संक्रमण में तुलसी की पत्तियां फ़ायदेमंद साबित होती हैं। रोजाना तुलसी की कुछ पत्तियों को चबाने से मुंह का संक्रमण दूर हो जाता है। तुलसी की सूखी पत्तियों को सरसों के तेल में मिलाकर दांत साफ़ करने से सांसों की दुर्गध चली जाती है। #पायरिया जैसी समस्या में भी यह ख़ासा कारगर साबित होती है। मुख रोगों व छालों में तुलसी क्वाथ से कुल्ला करें एवं दँतशूल में तुलसी की जड़ का क्वाथ बनाकर उसका कुल्ला करें।

* #संधिशोध में अथवा #गठिया के दर्द में तुलसी के पंचाग (जड़, पत्ती, डंठल, फल, बीज) का चूर्ण बनाएं। बराबर का पुराना गुड़ मिलाकर 12-12 ग्राम की गोलियां बना लें। सुबह शाम गौ दूध या बकरी के दूध से 1-12 गोली खालें। गठिया व जोड़ों का दर्द में लाभ होता है। #सियाटिका रोग में तुलसी पत्र क्वाथ से रोग ग्रस्त वात नाड़ी का स्वेदन करते हैं। तुलसी व अदरक का रस 5-5 ग्राम की मात्रा मे सेवन करने से थोड़े ही दिनों में हड्डी में गैस की समस्या हल हो जाती है। जोड़ों में दर्द हो तो तुलसी का रस पियें। तुलसी के सेवन से टूटी हड्डियां शीघ्रता से जुड़ जाती हैं।

* #गुर्दे का रोग.....#मूत्रकृच्छ (डिसयूरिया-पेशाब में जलन, कठिनाई) में तुलसी बीज 6 ग्राम रात्रि 150 ग्राम जल में भिगोकर इस जल का प्रातः प्रयोग करते हैं। तुलसी स्वरस को मिश्री के साथ सुबह-शाम लेने से भी जलन में आराम मिलता है। तुलसी गुर्दे को मज़बूत बनाती है। किडनी की पथरी में तुलसी की पत्तियों को उबालकर बनाया गया जूस (तुलसी के अर्क) शहद के साथ नियमित 6 माह सेवन करने से #पथरी मूत्र मार्ग से बाहर निकल जाता है।

* #धातु दौर्बल्य में तुलसी के बीज एक माशा, गाय के दूध के साथ प्रातः एवं रात्रि को देते हैं । ऐसा अनुभव है कि #नपुसंकता में तुलसी बीज चूर्ण अथवा मूल सम भाग में पुराने गुड़ के साथ मिलाने पर तथा नित्य डेढ़ से तीन ग्राम की मात्रा में गाय के दूध के साथ 5-6 सप्ताह तक लेने से लाभ होता है।

* #स्त्री रोग....यदि मासिक धर्म ठीक से नहीं आता तो एक ग्लास पानी में तुलसी बीज को उबाले, आधा रह जाए तो इस काढ़े को पी जाएं, #मासिक धर्म खुलकर होगा। मासिक धर्म के दौरान यदि #कमर में दर्द भी हो रहा हो तो एक चम्मच तुलसी का रस लें।

* #प्रदर रोग में अशोक पत्र के स्वरस के साथ मासिक धर्म की पीड़ा में बार-बार देने से लाभ होता है। तुलसी का रस 10 ग्राम चावल के माड़ के साथ पिए सात दिन। प्रदर रोग ठीक होगा। इस दौरान दूध भात ही खाएं। तुलसी के बीज पानी में रात को भिगो दें। सुबह मसलकर छानकर मिश्री में मिलाकर पी जाएं। प्रदर रोग ठीक होगा।

* विविध-विभिन्न प्रकार अर्बुदों में (कैंसर) तुलसी के प्रयोग किए गए हैं। 25 या इससे अधिक ताजे पत्ते पीसकर नित्य पिलाने पर उनकी वृद्धि की गति रुकती है। इस कथन की सत्यता की परीक्षा हेतु शोध अनिवार्य है।

* #हृदय रोग....जाड़ों में तुलसी के दस पत्ते, पांच काली मिर्च और चार बादाम गिरी सबको पीसकर आधा गिलास पानी में एक चम्मच शहद के साथ लेने से सभी प्रकार के हृदय रोग ठीक हो जाते हैं। तुलसी की 4-5 पत्तियां, नीम की दो पत्ती के रस को 2-4 चम्मच पानी में घोट कर पांच-सात दिन प्रातः ख़ाली पेट सेवन करें, उच्च रक्तचाप ठीक होता है। दिल की बीमारी में यह वरदान साबित होती है यह ख़ून में #कोलेस्ट्राल को नियंत्रित करता है।

* घाव, चोट और #फोङा-फुंसी....तुलसी के पत्ते पीसकर जख्मों पर लगाने से रक्त मवाद बंद हो जाता है।  तुलसी के रस को नारियल के तेल को समान भाग में लें और उन्हें एक साथ धीमी आंच पर पकाएं। जब तेल रह जाए तो इसे रख लें। इसे फोड़े, फुंसी पर लगाएं। तुलसी के बीजों को पीसकर गर्म करके #घाव में भर दें लाभ होगा। तुलसी के सूखे पत्तों का चूर्ण बना कर घाव में भर दें, कीड़े मर जाएंगे। छाया में सुखाई तुलसी की पत्तियां इसमें फिटकरी महीन पीस लें, कपड़े से छानकर ताजे घाव पर लगाएं, घाव शीघ्र भर जाएगा। तुलसी तथा कपूर का चूर्ण घाव में लगाने से घाव शीघ्र सूख जाता है। यदि अधिक चोट लगी हो और अधिक ख़ून बह रहा हो तो तुलसी के 20 पत्तों को पीसकर एक चम्मच शहद में मिलाकर चाटने से बहता ख़ून रुक जाता है।

* ज़हरीले जीव से जुड़ी समस्या....#ज़हरीले जीव सांप, ततैया, बिच्छू के काटने पर तुलसी पत्तों का रस उस स्थान पर लगाने से आराम मिलता है। तुलसी का रस शरीर पर मलकर सोयें, #मच्छरों से छुटकारा मिलेगा। मलेरिया मच्छर का दुश्मन है तुलसी का रस। तुलसी के बीज खाने से विष का असर नहीं होता।

* तुलसी की पत्तियां अफीम के साथ खरल करके चूहे के काटे स्थान पर लगाने से #चूहे का विष उतर जाता है।

* किसी के पेट में यदि विष चला गया हो तो तुलसी का पत्र जितना पी सके पिये, #विष दोष शांत हो जाता है।

* तुलसी के प्रत्येक हिस्से को #सर्प विष में उपयोगी पाया गया है। #सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति को यदि समय पर तुलसी का सेवन कराया जाए तो उसकी जान बच सकती है। जिस स्थान पर काटा हो उस पर तुलसी की जड़ को मक्खन या घी में घिसकर उस पर लेप कर देना चाहिए जैसे-जैसे ज़हर खिंचता चला जाता है इस लेप का रंग सफ़ेद से काला हो जाता है। काली परत को हटाकर फिर ताजा लेप कर देना चाहिए।

* #बिच्छूदंश में तुलसी स्वरस सिर की तरफ से पैर की तरफ मलने से तथा तुलसी पत्र को चौगुने जल में घोंटकर पाँच-पाँच मिनट में पिलाने से पीड़ा शान्त होती है।

* तुलसी के पौधों से प्रभावित क्षेत्र से विषकारक कीड़े-मकोड़े दूर भागते हैं।

* अन्य समस्या में लाभ....प्रातःकाल ख़ाली पेट 2-3 चम्मच तुलसी के रस का सेवन करें तो शारीरिक बल एवं #स्मरण शक्ति में वृद्धि के साथ-साथ आपका व्यक्तित्व भी प्रभावशाली होगा।
* शरीर के वजन को नियंत्रित रखने हेतु तुलसी अत्यंत गुणकारी है। इसके नियमित सेवन से भारी व्यक्ति का #वजन घटता है एवं पतले व्यक्ति का वजन बढ़ता है यानी तुलसी शरीर का वजन आनुपातिक रूप से नियंत्रित करती है।

* तुलसी के रस की कुछ बूँदों में थोड़ा-सा नमक मिलाकर #बेहोश व्यक्ति की नाक में डालने से उसे शीघ्र होश आ जाता है।

* चाय बनाते समय तुलसी के कुछ पत्ते साथ में उबाल लिए जाएँ तो सर्दी, बुखार एवं #मांसपेशियों के दर्द में राहत मिलती है।

* तुलसी की पत्तियों में #तनाव रोधीगुण भी पाए जाते हैं। हाल में हुए शोधों से पता चला है कि तुलसी तनाव से बचाती है। तनाव को खुद से दूर रखने के लिए कोई भी व्यक्ति तुलसी के 12 पत्तों का रोज दो बार सेवन कर सकता है।

* कभी-कभी किसी व्यक्ति में अधिक उत्तेजन (पागलपन) आ जाता है, ऐसे में लगातार तुलसी की पत्तियां सूंघे, मसलकर चबाएं, इसके रस को लें, सारे शरीर पर लगाएं, इससे #पागलपन की उत्तेजना ठीक होने में लाभ मिलता है।

* प्रदूषण में तुलसी सेवन करने से छुटकारा मिलता है। यह #प्रदूषण जन्य रोगों से सुरक्षित रखती है।

* तुलसी की माला पहनने से #टांसिल नहीं होता।

* तुलसी के रस में शहद मिलाकर नियमित थोड़े दिनों तक लेते रहने से #मेधा शक्ति बढ़ती है, यह एक प्रकार का टॉनिक है।तुलसी की पिसी पत्तियों में एक चम्मच शहद मिलाकर नित्य एक बार पीने से आप निरोगी रहेंगे, गालों में चमक आएगी।
तुलसी के पत्तों का दो तीन चम्मच रस प्रातः ख़ाली पेट लेने से स्मरण शक्ति बढ़ती है। पानी में तुलसी के पत्ते डालकर रखने से यह पानी #टॉनिक का काम करता है।

* जब दूषित पानी पीने से पेट में #कृमि हो जाये तो जल की शुद्धता के लिए तुलसी के पत्ते जल पात्र में डालिए और कम से कम एक सवा घंटे रखिए। कपड़े से पात्र के जल को छानते हुए जल में डाले गये पत्तों को भी छान लीजिए तब यह पानी पीने लायक़ शुध्द हो जाता है।

* तुलसी भोजन को #शुद्ध करती है, इसी कारण ग्रहण लगने के पहले भोजन में डाल देते हैं जिससे सूर्य या चंद्र की विकृत किरणों का प्रभाव भोजन पर नहीं पड़ता। खाना बनाते समय सब्जी पुलाव आदि में तुलसी के रस का छींटा देने से खाने की पौष्टिकता व महक दस गुना बढ़ जाती है।

* तुलसी #रक्त अल्पता के लिए रामबाण दवा है। नियमित सेवन से #हीमोग्लोबीन तेजी से बढ़ता है, स्फूर्ति बनी रहती है।

* तुलसी की सेवा अपने हाथों से करें, कभी #चर्म रोग नहीं होगा।

* ज्वर व वमन में - तुलसी पत्र कालीमिर्च के साथ पीसकर पिलाने से वमन तथा ज्वर में शीघ्र आसान होता है।

* इसके पत्तों को या किसी भी अंग को सुखाना हो तो छाया में सुखाएं। तुलसी वातावरण को भी स्वच्छ बनने में भी मदद करती हैं। तुलसी के रस में प्रोटोजोवा और मच्छर को नष्ट करने की शक्ति पाई जाती हैं। हमें अपने घर के आगे एक तुलसी का पौधा अवश्य लगाने चाहिए। ताकि वहॉ मच्छर न हो और हमें रोगों का सामना न करना पड़े।

* बच्चों की आम बीमारियों जैसे सर्दी, बुखार, उल्टी दस्त आदि में तुलसी का रस लाभदायक है। यदि #चिकनपॉक्स (माता) हो गया हो तो केसर के साथ तुलसी पत्र लेने से शीघ्र आराम मिलता है।

* बच्चों के रोग- तुलसी के पत्तों से रस निकाल लें और उसमें मिश्री घोलकर रोज सुबह दें। इससे बच्चों को उल्टी, दस्त, खांसी, जुकाम, सर्दी आदि रोगों से आराम मिलता है।

* #पक्षाघात (लकवा) - आवश्यकतानुसार तुलसी के पत्ते और थोड़ा सा सेंधा नमक पीस लें। इसे दही में भली प्रकार मिलाएं और रोगग्रस्त अंग पर लेप करें। जल में तुलसी के पत्ते (एक बार में 25) उबालें और रोगग्रस्त अंग को उसकी भाप दें।

*तुलसी के बीज (मंजरी) पीसकर खाने से #स्तम्भन होता है और पौष्टिकता प्राप्त होती है।

*उपयोग में सावधानियाँ:---
<<<<<<<<>>>>>>>>>

*तुलसी की प्रकृति गर्म है, इसलिए गर्मी निकालने के लिये इसे दही या छाछ के साथ लें, इसकी उष्ण गुण हल्के हो जाते हैं।

*तुलसी अंधेरे में ना तोड़ें, शरीर में विकार आ सकते हैं। कारण अंधेरे में इसकी विद्युत लहरें प्रखर हो जाती हैं।

*तुलसी के सेवन के बाद दूध भूलकर भी ना पियें, चर्म रोग हो सकता है।

*तुलसी रस को अगर गर्म करना हो तो शहद साथ में ना लें। कारण गर्म वस्तु के साथ शहद विष तुल्य हो जाता है।

*तुलसी के साथ दूध, मूली, नमक, प्याज, लहसुन, मांसाहार, खट्टे फल ये सभी का सेवन करना हानिकारक है।

*तुलसी के पत्ते दांतो से चबाकर ना खायें, अगर खायें हैं तो तुरंत कुल्ला कर लें। कारण इसका अम्ल दांतों के एनेमल को ख़राब कर देता है।

*फायदे को देखते हुए एक साथ अधिक मात्रा में ना लें।

*बिना उपयोग तुलसी के पत्तों को तोड़ना उसे नष्ट करने के बराबर है।
उपचार स्वास्थ्य और प्रयोग -

Friday, April 24, 2015

क्या आप मच्छर भगाने के लिए अक्सर घर मे अलग- अलग दवाएं इस्तेमाल करते हैं......!


* आप कोई कोई क्वाइल के रूप मे और कोई छोटी टिकिया के रूप मे तो कोई तो लिक्विड फॉर्म  मे होती हैं एक सस्ता और घर पे ही मच्छर भगाने के लिए खुद ही बना ले ये हमने पुरे एक माह तक आजमाया है और आज भी यही प्रयोग कर रहे है।



नीम का तेल + कपूर = (All Out) या मोर्टीन का बाप:-
=================================

* (All Out) की केमिकल वाली रीफिल खाली आपको आपके घर में मिल जायेगी या फिर अपने पडोसी से खाली रिफिल ले ले अब बाजार से आपको दो चीज लानी है एक तो नीम का तेल और कपूर।

* खाली रिफिल में आप नीम का तेल डाले और थोड़ा सा कपूर भी डाल  दे और रिफिल को मशीन में लगा दे पूरी रात मच्छर नही आयेगे।

* जब एक प्राकृतिक तरीके से मच्छरो से छुटकारा मिल जाए तो पेस्टीसाइड का जहर अपने जिंदगी मे क्यो घोल रहे है ।

* मच्छर भगाने वाली कवायल 100 सिगरेट  के बराबर नुकसान करता है तो सावधान रहिए मच्छर भगाने का सबसे सस्ता, टिकाउ, आसान और देसी तरीका है पैसे और स्वास्थ दोनों की बचत है।

एक प्रयोग और भी आजमाए :-
==================

आवश्यक सामग्री :-
===========

एक लैम्प (लालटेन) या स्प्रिट लैम्प

नीम का तेल

कपूर(Camphour)

मिटटी का तेल(Kerosene Oil)

नारियल का तेल(Coconut Oil)

कैसे बनाये :-
=======

नीम -केरोसीन लैम्प:-
============

* एक छोटी लैम्प में मिटटी के तेल में 30 बुँदे नीम के तेल की डालें, दो टिक्की कपूर को 20 ग्राम नारियल का तेल में पीस इसमें घोल लो इसे जलाने पर मच्छर भाग जाते है और जब तक वो लैम्प जलती रहती है मच्छर नहीं आते है आज ही लाये और खुद आजमाए।

दिया:-
===

* नारियल तेल में नीम के तेल को डाल कर उसका दिया जलाये इससे भी मच्छर नही आयेंगे.

नीबू का प्रयोग :-
=========

* कभी -कभी आप इस प्रकार की खुली जगह पे सोने को मजबूर होते है जब घर में लाईट नहीं आती है तो छत पे सोना होता है और गुड नाईट या आल आउट न लगा पाना आपकी मज़बूरी है। और ये मच्छर महाशय आपको सोने नहीं देते है। फिर आप रात भर तालियाँ बजाते रहते है और सो नहीं पाते है.... !

* तो मित्रो एक साधारण सा उपाय है एक नीबू को बीच से आधा काट लो दोनों अलग -अलग टुकड़ों में 10-15 लौंग घुसा दीजिये, और साथ में रख लीजिये, मच्छर पास आने की हिम्मत भी नहीं करेंगे.

उपचार स्वास्थ्य  और प्रयोग -http://upchaaraurpryog120.blogspot.in/

मच्छरों को दूर भागने का बहुत बढ़िया उपाय........ !

* कभी -कभी आप इस प्रकार की खुली जगह पे सोने को मजबूर होते है जब घर में लाईट नहीं आती है तो छत पे सोना होता है और गुड नाईट या आल आउट न लगा पाना आपकी मज़बूरी है। और ये मच्छर महाशय आपको सोने नहीं देते है। फिर आप रात भर तालियाँ बजाते रहते है और सो नहीं पाते है.... !






* तो मित्रो एक साधारण सा उपाय है एक नीबू को बीच से आधा काट लो दोनों अलग -अलग टुकड़ों में 10-15 लौंग घुसा दीजिये, और साथ में रख लीजिये, मच्छर पास आने की हिम्मत भी नहीं करेंगे.

* जब भी आप कहीं बाहर आउटिंग पर जायें, तो अपने साथ कुछ नीम्बू जरूर लेते जाइये, ये मच्छरों को दूर भागने का बहुत बढ़िया उपाय है......... !
उपचार स्वास्थ्य और प्रयोग -https://www.facebook.com/groups/satyan720634/

Wednesday, April 22, 2015

आलू में विटामिन बहुत होता है....!

*  आलू में कैल्शियम, लोहा, विटामिन-बी तथा फास्फोरस बहुतायत में होता है। आलू खाते रहने से रक्त वाहिनियां बड़ी आयु तक लचकदार बनी रहती हैं तथा कठोर नहीं होने पातीं, इसलिए आलू खाकर लम्बी आयु प्राप्त की जा सकती है।

* आलू में विटामिन बहुत होता है। इसको मीठे दूध में भी मिलाकर पिला सकते हैं। आलू को छिलके सहित गरम राख में भूनकर खाना सबसे अधिक गुणकारी है या इसको छिलके सहित पानी में उबालें और गल जाने पर खाएं।

* रक्तपित्त बीमारी में कच्चा आलू बहुत फायदा करता है।

* कभी-कभी चोट लगने पर नील पड़ जाती है। नील पड़ी जगह पर कच्चा आलू पीसकर लगाएँ ।

* शरीर पर कहीं जल गया हो, तेज धूप से त्वचा झुलस गई हो, त्वचा पर झुर्रियां हों या कोई त्वचा रोग हो तो कच्चे आलू का रस निकालकर लगाने से फायदा होता है।

* भुना हुआ आलू पुरानी कब्ज और अंतड़ियों की सड़ांध दूर करता है। आलू में पोटेशियम साल्ट होता है जो अम्लपित्त को रोकता है।

* चार आलू सेंक लें और फिर उनका छिलका उतार कर नमक, मिर्च डालकर नित्य खाएं। इससे गठिया ठीक हो जाता है।

* गुर्दे की पथरी में केवल आलू खाते रहने पर बहुत लाभ होता है। पथरी के रोगी को केवल आलू खिलाकर और बार-बार अधिक पानी पिलाते रहने से गुर्दे की पथरियाँ और रेत आसानी से निकल जाती हैं।

* उच्च रक्तचाप के रोगी भी आलू खाएँ तो रक्तचाप को सामान्य बनाने में लाभ करता है।

* आलू को पीसकर त्वचा पर मलें। रंग गोरा हो जाएगा।

* कच्चा आलू पत्थर पर घिसकर सुबह-शाम काजल की तरह लगाने से 5 से 6 वर्ष पुराना जाला और 4 वर्ष तक का फूला 3 मास में साफ हो जाता है।

* आलू का रस दूध पीते बच्चों और बड़े बच्चों को पिलाने से वे मोटे-ताजे हो जाते हैं। आलू के रस में मधु मिलाकर भी पिला सकते हैं।

* आलुओं में मुर्गी के चूजों जितना प्रोटीन होता है, सूखे आलू में 8.5 प्रतिशत प्रोटीन होता है। आलू का प्रोटीन बूढ़ों के लिए बहुत ही शक्ति देने वाला और बुढ़ापे की कमजोरी दूर करने वाला होता है।

उपचार स्वास्थ्य और प्रयोग-http://upchaaraurpryog120.blogspot.in/

घरेलू उपचार जलने या काटने पर - Home Remedies Burning or cutting

घर में काम करते वक्त जलना या कटना आम बात है लेकिन कभी-कभी जलने-कटने के निशान रह जाते है जो देखने में भद्दे और बेतुके लगते है कुछ निशान आपकी की खूबसूरती को भी प्रभावित करते है -


आपको परेशान होने की आवश्यकता नहीं है आपके रसोईघर में ही बहुत सी चीजे उपलब्ध है जिनका प्रयोग करके आप इनसे छुटकारा पा सकते है -

आपको पता है कि टमाटर और नीबू में बहुत सारा विटामिन सी होता है जो दाग-धब्बे को कम करता है टमाटर और नीबू के रस को आपस में मिला कर प्रतिदिन आधे घंटे के लिए लगा कर छोड़ दे ये आपके स्किन को साफ़ करती है स्किन में चमक लाती है -नीबू का खट्टा पन आपकी स्किन को निखारने में आपकी बहुत मदद करेगा ये एक प्राकतिक ब्लीच है आप इसे चेहरे पर भी इस्तेमाल कर सकते है -

अन्य उपाय :-



त्वचा के जलने पर आपके किचन में रक्खा हुआ बेकिंग सोडा उस जगह पर मले इससे दाग और फोड़ा नहीं पड़ता है और जलन पड़ने से भी राहत होगी -



जलने पर सबसे पहले ठंडे पानी से धो लें। उसके बाद जले हुए स्थान पर नींबू और टमाटर का जूस लगाकर कुछ देर के लिए रखें। इस जूस को रोज जलने या कटने के निशान पर हफ्ते में दो या तीन बार लगाएं। इससे निशान कम हो जाएंगे। नींबू को स्किन प्रॉब्लम जैसे मुंहासे, ब्लैकहेंड के लिए यूज कर सकते हैं। महीने भर में फर्क नजर आ जाएगा।


एलोवेरा का असर प्रभावी है  इसके एंटी-आॅक्सीडेंट गुण त्वचा की मृत कोशिकाओं को हटाने में मदद करते है तथा इसमें एस्ट्रीजेंट गुण होते हैं। एलोवेरा त्वचा को साफ करता है, चमकाता है। जले का निशान हो या फिर अन्य दाग- धब्बे एलोवेरा जैल लगाने से काफी हद तक कम हो जाते हैं। एलोवेरा औषधीय गुणों का भण्डार है। यह त्वचा को कोमल और चमकदार बनाने में मदद करता है। एक चुटकी हल्दी, एक चम्मच शहद, एक चम्मच दूध और गुलाब जल की कुछ बूंदों का मिश्रण बना लें। इसमें थोड़ा सा एलोवेरा का जैल मिला लें और इसे अच्छी तरह से मिक्स करें। 20 मिनट के लिए लगाएं। फिर ठंडे पानी से धो दें। इसी तरह टैन हटाने के लिए नींबू का रस एलोवेरा में मिलाकर चेहरे पर लगाएं।


जले के निशान पर मिटं (पुदीना ) कि पत्‍तियों का रस लगाएं। कुछ मिंट की पत्‍तियों को क्रश करें और उन्‍हें मलमल के कपड़े में बांध कर उसका रस अपने जले के निशान पर लगाएं। इससे न तो जलन होगी और न ही फोड़ा होगा।


तुरंत के जलने पर एक पैक बनाएं जिसमें गुलाब जल, मुल्‍तानी मिट्टी और नींबू का रस मिलाएं। यह पैक ज्‍यादा गाढा न हो। इस पैक को अपने निशान पर 6-7 मिनट तक लगाएं और ठंडे पानी से धो लें। त्‍वचा को बिल्‍कुल रगड़े ना।


मेथी दाना है भी  है प्रभावी इसे आप रातभर के लिये पानी में भिगो दें। सुबह पेस्ट बना कर जले हुए निशान पर लगाएं। एक घंटे बाद चेहरा धो लें। ये  भी  एक  माह करे .


हल्दी, शहद और गुलाबजल का मिक्स पेस्ट बनाएं। इसे चेहरे पर 20 मिनट तक लगाएं। फिर धीरे- धीरे रगड़ कर हटाएं। कुछ दिनों में जला निशान हल्का हो जाएगा। इसके अलावा थोड़ा सा दही और चुटकीभर हल्दी, जौ पाउडर मिक्स कर नींबू रस डालकर चेहरे पर लगाएं।


पुराने निशान के लिए :-



मूंग की दाल कडाही में भून राख बना लें राख बनाने का मतलब है कि अच्‍छे से भून जाने पर पीस कर छान लें अब जले हुवे जगह तेल ( खोपरा तेल  ) चुपड मूंग का बनाया चूर्ण बुरक दें सुबह शाम दोनो समय यह करें आशा है 10 - 15 दिन में आपको लाभ नजर आने लगेगा

.
काली मसूर की दाल को तवे पर जला कोयला कर लें इसे पीस छान खोपरा तेल(नारियल तेल )  में मिला जले के निशान पर लगायें आशा है जले का निशान नहीं रहेगा ....


आंवले व तिल समान माञा में ले दूध में पीस लें इसमें गुलाब जल की 3 - 4 बूंदे मिला जले के निशान पर लेप दें यह रात को सोते समय करोगे तो आंवले को रात भर असर करने का मौका मिलेगा .


मूली या प्‍याज के रस का लेप भी ( दोनों मिला कर नहीं कोई भी एक प्रयोग करें ) जले के निशान को मिटाने में असरदार है .

उपचार और प्रयोग-

हैजा (कालरा) विसूचिका, कालरा,कै-दस्त के उपाय....... !


परिचय :    हैजा एक भयंकर रोग है जो गर्मियों से अन्त में या वर्षा ऋतु के शुरू में फैलता है। यदि इसका इलाज समय रहते नहीं किया जाता है तो रोगी की मृत्यु तक हो जाती है। यह बड़ी तेजी से फैलता है। इसके जीवाणु शरीर में पानी या भोजन के द्वारा प्रवेश करते हैं। यह बासी भोजन, थूक, उल्टी, मल, कृमि आदि द्वारा फैलता है, अर्थात् गन्दे स्थान में रहने, हजम न होने वाली वस्तुएं खाने, अनियमित परिश्रम के बाद पानी पी लेने, गन्दा पानी, अधिक या फास्ट फूड खाने से यह रोग फैलता है।

Colara, Haija by chiragan
बचाव या परहेज :
           हैजे की बीमारी में रोगी को पानी नहीं पिलाना चाहिए। प्यास लगने पर पीने के लिए थोड़ा-थोड़ा सौंफ अथवा पोदीने का रस पिलाया जा सकता है यदि पानी के बिना रोगी की जान बचाना कठिन जान पड़े तो पानी को उबालें और जब वह सोलहवां भाग मात्र रह जाय, तब ठंड़ा करके घूंट-घूंट पीने को दें। बर्फ का टुकड़ा भी चुसाया जा सकता है।
          रोगी को ठंड़ न लगने दें तथा उसका शरीर गर्म बना रहे, इसका ध्यान रखें। बोतलों में गर्म पानी भरकर उसके दोनों पैरों के बीच में रखें, इससे गर्मी बनी रहेगी, परन्तु पानी इतना गर्म भी न हो कि रोगी के पैर जलने लगे।
           रोगी जिस कमरे में हो, उसमें कपूर का दीपक जलायें तथा रोगी के हाथों में कपूर रखकर उसे सूंघने की सलाह दें। हाथ-पैरों की ऐंठन दूर करने के लिए तेल में कपूर मिलाकर मलना चाहिए। शरीर ठंड़ा पड़ जाने पर उसके हाथ-पैरों में सोंठ का चूर्ण मलें तथा कपूर, कस्तूरी एवं मकरध्वज मिलाकर शहद के साथ चटायें। उल्टी दूर करने के लिए पेट पर राई का लेप करना हितकर रहता है। रोगी का पेशाब रुक गया हो तो उसे खोलने में देर न करें। ठंड़ा अथवा कच्चा पानी रोगी को भूलकर भी नहीं पिलाना चाहिए।
 कारण :

Colara, Haija by chiragan
           यह रोग प्रदूषित आहार, अति भोजन आदि कारणों से होता है, किन्तु भोजन न करने अर्थात् भूखे रहने से भी हो जाता है। खाली पेट रहने पर गर्मी में लू का प्रकोप आसानी से होता है, इसलिए गर्मियों में पानी अधिक पीना चाहिए।
रोग की पहचान (लक्षण) :
उल्टी-दस्त।
दस्त की शक्ल चावल के माण्ड जैसी पतली होती है।
प्यास अधिक लगना।
पेशाब बन्द हो जाना।
दिन-प्रतिदिन कमजोरी।
आंखे भीतर की ओर धंस जाती हैं।
हाथ-पैरों में पीड़ा व अकड़न प्रारंभ हो जाती है।
शरीर ठंड़ा पड़ने लगता है।
शरीर में पानी की मात्रा कम हो जाती है।
नोट : हैजे में निम्नलिखित अवस्थाएं देखी जाती हैं।
आक्रमण अवस्था : मामूली पतले दस्तों के साथ सिर्फ कमजोरी मालूम होती है, उल्टी भी होती है।
पूर्ण विकसित अवस्था : पूर्ण वेग के साथ दस्त और हाथ-पैरों में ऐंठन, प्यास, बेचैनी और आंखों का भीतर धंसना।
शीतांग अवस्था : इस भयानक अवस्था में रोगी का शरीर बर्फ के समान ठंड़ा हो जाता है। नाड़ी छूट जाती है, ललाट पर पसीना आता है। दस्त और प्यास की अधिकता के कारण उल्टी ज्यादा होती है।
          इस अवस्था में रोगी की शीघ्र मृत्यु हो जाती है। परन्तु जब रोगी अच्छा होने को होता है, तब नीचे लिखी चौथी अवस्था देखी जाती है।
प्रतिक्रिया अवस्था : कुछ देर तक शान्त रहकर रोगी का शरीर गर्म होने लगता है। मूत्र की थैली में मूत्र जमा होने लगता है या मूत्र हो जाता है। धीरे-धीरे रोगी आरोग्य लाभ करता है।
परिणामावस्था : अच्छी तरह आराम नहीं होने पर रोग फिर आक्रमण कर देता है। मूत्र का न होना, तन्द्रा, हिचकी, उल्टी आदि फिर हो जाते हैं। कई रोगी इस अवस्था को भोगकर भी ठीक हो जाते हैं। परन्तु अधिकतर रोगी इस अवस्था में प्राण त्याग देते हैं।
पेशाब बन्द रहने की स्थिति में निम्न योग लाभकारी होता है।
शुद्ध पारद और शुद्ध गंधक 5-5 ग्राम लेकर, खरल में कज्जली कर लें और उसे 30 ग्राम असली जवाखार (यवक्षार) में मिलाकर, ठीक से खरल करके रखें। इसकी मात्रा आधा से एक ग्राम तक, मिश्रीयुक्त ठंड़े पानी के साथ दें तो पेशाब हो जायेगा।
पतले दस्त और उल्टी की स्थिति में लालमिर्च, अजवाइन, शुद्ध कर्पूर, शुद्ध अफीम और शुद्ध कुचला समान भाग लेकर, जल योग से चना के बराबर गोलियां बना लें। मात्रा- 1 से 3 गोली तक रोग और रोगी की प्रकृति के अनुसार ठंड़े पानी के साथ देने से लाभ होगा।
नाभि के नीचे मूत्र की थैली में मूत्र जमा है या नहीं प्रथम इस बात की परीक्षा करनी चाहिए। यदि मूत्र जमा हो तो सलाई द्वारा मूत्र निकाल देना चाहिए।
ऐंठन : हाथ-पैरों की ऐंठन को दूर करने के लिए कपूर की मालिश करनी चाहिए। तेल में कपूर मिलाकर मालिश करना भी उत्तम है। गर्म पानी को बोतल में भरकर सेंकना भी लाभदायक है।
शीतांग होने पर : रोगी के हाथ-पैरों में सोंठ के चूर्ण या किसी अन्य गरम तेल की मालिश करनी चाहिए तथा मकरध्वज, कस्तूरी और कपूर मिलाकर शहद के साथ चटाना चाहिए।
नोट : पेडू पर मिट्टी की पट्टी, ठंड़ा घर्षण कटिस्नान अथवा मेहन स्नान हैजा एवं मूत्र खोलने की सर्वोत्तम प्राकृतिक चिकित्सा है।
पथ्य :
दो-तीन दिन बाद खाने के लिए मूंग की दाल से या तोरई से रोटी देनी चाहिए।
पुदीने की चटनी बराबर देते रहना चाहिए।
दलिया, पतली खिचड़ी तथा अजवाइन का रस रोग शान्त होने के बाद भी बराबर देते रहना चाहिए।
रोगी को ठीक होने के 48 घण्टे बाद तक रोटी इत्यादि न दें। इससे पहले दलिया दें।

हैजा रोग के लक्षण-

हैजा रोग से पीड़ित रोगी को उल्टियां और पीले रंग के पतले दस्त होने लगते हैं तथा उसके शरीर में ऐंठन तथा दर्द होने लगता है।
रोगी व्यक्ति को पेट में दर्द, बेचैनी, प्यास, जम्भाई, जलन तथा हृदय और सिर में दर्द होने लगता है।
हैजा रोग के कारण रोगी व्यक्ति का शरीर ठंडा तथा पीला पड़ जाता है और उसकी आंखों के आगे गड्ढ़े बन जाते हैं।
इस रोग से पीड़ित रोगी के होंठ, दांत और नाखून काले पड़ जाते हैं।
कभी-कभी तो इस रोग के कारण रोगी व्यक्ति की हडि्डयां अपने जोड़ों पर से काम करना बंद कर देती है।

हैजा रोग होने का कारण-

यह एक प्रकार का संक्रामक रोग है जो कई प्रकार की मक्खियों तथा दूषित पानी से फैलता है।
इस रोग के होने का सबसे प्रमुख कारण गलत तरीके से खान-पान तथा दूषित भोजन का सेवन करना है।
दूषित भोजन के कारण शरीर में दूषित द्रव्य जमा होने लगता है जिसके कारण हैजा रोग हो जाता है।
हैजा रोग अक्सर अर्जीण (बदहजमी) रोग के हो जाने के कारण होता है।
यदि किसी व्यक्ति की पाचनक्रिया खराब हो जाती है तो भी उसको यह रोग हो सकता हैं।
हैजा रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-
हैजा रोग से पीड़ित रोगी को पानी में नींबू या नारियल पानी मिलाकर पीना चाहिए ताकि उसके शरीर में पानी की कमी पूरी हो सकें और उल्टी करते समय दूषित द्रव्य शरीर से बाहर निकल सके।
इस रोग से पीड़ित रोगी को पुदीने का पानी पिलाने से भी बहुत अधिक लाभ मिलता है।
लौंग को पानी में उबालकर रोगी को पिलाने से हैजा रोग ठीक होने लगता है।
हैजा रोग से पीड़ित रोगी को तुलसी की पत्ती और कालीमिर्च पीसकर सेवन कराने से हैजा रोग ठीक हो जाता है।
इस रोग से पीड़ित रोगी को प्याज तथा नींबू का रस गर्म पानी में मिलाकर पिलाने से हैजा रोग ठीक हो जाता है।
हैजा रोग को ठीक करने के लिए रोगी के पेट पर गीली मिट्टी की पट्टी करनी चाहिए तथा इसके बाद रोगी को एनिमा क्रिया करानी चाहिए ताकि उसका पेट साफ हो सके। फिर इसके बाद रोगी को गर्म पानी से गरारे कराने चाहिए और इसके बाद उसे कटिस्नान कराना चाहिए। इस प्रकार से उपचार करने से हैजा रोग ठीक होने लगता है।
हैजा रोग से पीड़ित रोगी जब तक ठीक न हो जाए तब तक उसे नींबू के रस को पानी में मिलाकर पिलाते रहना चहिए और उसे उपवास रखने के लिए कहना चाहिए। यदि रोगी व्यक्ति को कुछ खाने की इच्छा भी है तो उसे फल खाने के लिए देने चाहिए।
हैजा रोग को ठीक करने के लिए सबसे पहले इस रोग के होने के कारणों को दूर करना चाहिए फिर इसके बाद इसका उपचार कराना चाहिए।
हैजा रोग को ठीक करने के लिए किसी प्रकार की दवाईयों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
इस रोग से पीड़ित रोगी को स्वच्छ स्थान पर रहना चाहिए जहां पर हवा और सूर्य की रोशनी ठीक तरह से प्राप्त हो सके।
इस रोग से पीड़ित रोगी को जब प्यास लग रही हो तो उसे हल्का गुनगुना पानी देना चाहिए।
हैजा रोग से पीड़ित रोगी के हाथ-पैर जब ऐंठने लगे तो उसके हाथ तथा पैरों को गर्म पानी में डुबोकर रखना चाहिए फिर उस पर गर्म कपड़ा लपेटना चाहिए।
हैजा रोग को ठीक करने के लिए नीली बोतल के सूर्य तप्त जल की 28 मिलीलीटर की मात्रा में नींबू का रस मिलाकर 5 से 10 मिनट के बाद रोगी को लगातार पिलाते रहना चाहिए। यह पानी रोगी को तब तक पिलाते रहना चाहिए जब तक कि रोगी को उल्टी तथा दस्त होना बंद नहीं हो जाते हैं।
हैजा रोग से बचने के उपाय-
इस रोग से बचने के लिए कभी भी अजीर्ण रोग (बदहजमी) नहीं होने देना चाहिए।
इस रोग से बचने के लिए मैले तथा भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर कभी भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।
व्यक्ति को कभी-भी मलत्याग करने वाली जगह पर नहीं रहना चाहिए।
बासी खाद्य पदार्थों, सड़े-गले खाद्य पदार्थों तथा खुले हुए स्थान पर रखी मिठाइयों का सेवन नहीं करना चाहिए।
ऐसे कुएं तलाबों तथा जलाशयों के जल को कभी भी पीना नहीं चाहिए। जिनके आस-पास गंदगी फैली हो या फिर जिनका पानी गंदा हो।
गर्मी के दिनों में लू चलती है, उससे बचकर रहना चाहिए तथा धूप में बाहर नहीं निकलना चाहिए।
जब भोजन कर रहे हो तो उस समय पानी नहीं पीना चाहिए बल्कि भोजन करने के 2 घण्टे बाद पानी पीना चाहिए।
भोजन हमेशा सादा करना चाहिए तथा आवश्यकता से अधिक नहीं करना चाहिए।
हैजा रोग से बचने के लिए भोजन भूख से अधिक नहीं करना चाहिए।
हैजा रोग से बचने के लिए भोजन में प्याज, पोदीना, नींबू तथा पुरानी पकी इमली का सेवन करना चाहिए।
हैजा रोग से बचने के लिए सभी व्यक्तियों को प्रतिदिन एक या आधा नींबू का रस पानी में मिलाकर पीना चाहिए। इस पानी को पीने से खून साफ हो जाता है और हैजा होने का डर बिल्कुल भी नहीं रहता है।
खाने वाली चीजों को हमेशा ढककर रखना चाहिए ताकि इन चीजों पर मक्खियां न बैठ सके।
रात के समय में अधिक जागना नहीं चाहिए।
अधिक काम करने से बचना चाहिए ताकि शरीर में थकावट न हो सके।
संभोग करने की गलत नीतियों से बचे क्योंकि गलत तरीके से संभोग करने से भी हैजा रोग हो सकता है।

बच्‍चों की बीमारियां, सामान्‍य उपचार।


बच्‍चों की बीमारियां


बच्‍चे बीमार होते हैं, तो हम सबकी परेशानियां बढ़ जाती हैं। बच्‍चों की तकलीफ कोई भी माता पिता नहीं देख सकते। इसलिए जितना संभव हो, हमें अपने बच्‍चों की उचित देखभाल करनी चाहिए। ताकि वह कम से कम बीमार हों। इस पोस्‍ट में मैं बच्‍चों की कुछ ऐसी ही बीमारियों के बारे में जानकारी देने जा रही हूं। इन समस्‍याओं का निदान भी प्रस्‍तुत कर रही हूं। आशा है कि यह जानकारी आप सबके बहुत काम आएगी। पर नीचे दिए गए उपायों के बारे में आप किसी रजिस्‍टर्ड वैध अथवा डॉक्‍टर से सलाह जरूर कर लें।


बच्‍चों में गैस की समस्‍या


१ * यदि बच्‍चे को गैस की समस्‍या हो तो आप जीरा या अजवायन को पीस कर पेट पर लेप करने से बच्‍चे को गैस की समस्‍या से राहत मिलेगी।

२ * हींग को भूनकर उसे पानी में घिस कर नाभि (टुंडी) के चारों ओर लेप करें।

३ * थोड़ी सी हींग का पाउडर को घी में मिलाकर पिलाने से गैस से राहत मिलेगी।

४ * एक चम्‍मच लहसुन के रस में आधा चम्‍मच घी मिलाकर पिलाएं, गैस में फौरन राहत मिलेगी।


यदि दांत निकल रहे हों तो ...


१ * छोटी पीपर को बारीक पीसकर ऐसा चूर्णं तैयार करें जो कपड़े से छन जाए। फिर इसे चुटकी भर लेकर शहद में मिलाकर दिन में दो – तीन बार बच्‍चों के मसूढ़ों पर मलें।

२ * अनार के रस में तुलसी का रस मिलाकर बच्‍चे को चटाने से दांत आसानी से निकल आते हैं।

३ * शहद में सुहागा पीसकर निकल रहे दांतों पर मलें। इससे दांत आसानी से निकलते हैं।

४ * कच्‍चा आंवला या कच्‍ची हल्‍दी का रस मसूढ़ों पर मलने से दांत आसानी से निकल आते हैं।

५ * सुहागे की खील १२५ मि.ग्राम की मात्रा में मां के दूध में मिलाकर बच्‍चे को दिन में दो तीन बार चटाएं। साथ ही सुहागे की खील को शहद में मिलाकर मसूढ़ों पर भी मलें।

६ * भुना हुआ सुहागा और मुलैठी २ – २ ग्राम बारीक पीसकर कपड़े से छन जाने योग्‍य चूर्णं बनाएं और बच्‍चे के मसूढ़ों पर आठ दस दिन तक मलें। इससे दांत आसानी से निकल आते हैं।


बच्‍चे को दस्‍त आ रहे हों तो ....


१ * आप बच्‍चे को जायफल घिसकर शहद के साथ सुबह और शाम चटाएं। बच्‍चे को आराम मिलेगा।

२ * सोंठ का चूर्णं १२५ मि.ग्राम की मात्रा में गुड़ में‍ मिलाकर देने से बच्‍चे को दस्‍त से राहत मिलती है।

३ * सौंफ और सोंठ का काढ़ा बनाकर बच्‍चे को एक या दो चम्‍मच पिलाएं। आराम मिलेगा।

४ * जौ का पानी और अंडे की सफेदी को घोलकर बार बार थोड़ा थोड़ा पिलाएं, इससे बहुत लाभ होगा।

५ * यदि बच्‍चे को हरे दस्‍त आ रहे हों तो थोड़ा सा अरंडी का तेल यानि कैस्‍टर ऑयल चटाएं।


यदि बच्‍चे को ठंड से बचाना हो ...


१ * बच्‍चे के सोने वाली जगह के आसपास कपड़े की पोटली में प्‍याज को कुचलकर बांध कर रख दें।

२ * जिस कमरे में बच्‍चा सोता हो, वहां की खिड़कियां बंद न रखें। अंगींठी और हीटर का प्रयोग नहीं करें।

३ * कभी कभी कुनकुने पानी में नीम की पत्तियां उबालकर बच्‍चे को पोंछा लगाएं।

४ * नवजात बच्‍चे को शहद चटाएं। इससे उसे ठंड नहीं लगेगी।

५ * नहलाने से पहले शहद में नीबू का रस निचोड़कर बच्‍चे की छाती पर मलें। यह बच्‍चे के लिए सर्दी से सुरक्षा प्रदान करता है।

६ * रात को सोते समय तुलसी का रस उसकी नाक, कान और माथे पर मलें। बच्‍चे को ठंड का असर नहीं होगा।

७ * नवजात बच्‍चे के शरीर पर हल्‍के हल्‍के हाथों से राई के तेल की मालिश करें और कम कपड़े पहनाकर सुबह की गुलाबी धूप में थोड़ी देर टहलाएं या सुलाएं। इससे बच्‍चे को सर्दी नहीं लगेगी।


बच्‍चे को काली खांसी या कुकुर खांसी हो तो ...


१ * एक छोटा चम्‍मच मां का दूध या बकरी का दूध लेकर उसमें आधा चम्‍मच शहद मिलाकर दिन में चार पांच बार चटाएं। यह काली खांसी का अचूक इलाज माना जाता है।

२ * मुलहठी और अनार का छिलके को जला कर कपड़े से छन जाने योग्‍य चूर्णं बना लें। फिर थोड़ा सा चूर्णं एक ग्राम शहद में मिलाकर चटाएं।

३ * तीन – चार ग्राम शुद्ध किया हुआ नारियल का तेल दिन में तीन बार आधा चम्‍मच पिलाने से भी काली खांसी में बहुत जल्‍दी आराम मिलता है।

४ * घोड़ी, गधी या ऊंटनी का दूध पिलाने से भी काली खांसी में आराम मिलता है।

५ * केले के सूखे फूल को जलाकर भस्‍म बनाएं। इस भस्‍म को १२५ मिली.ग्राम की मात्रा में शहद में मिलाकर बच्‍चे को दिन में तीन – चार बार चटाएं। इसका इस्‍तेमाल बड़े भी कर सकते हैं। बड़ों को ५०० मिली. ग्राम मात्रा में दें।

६ * लौंग, छोटी पीपर और जायफल इन तीनों को २० – २० ग्राम तथा काली मिर्च ४० ग्राम और मिश्री १०० ग्राम लेकर कपड़े से छन जाने योग्‍य चूर्णं बनाएं। फिर इसे १ ग्राम की मात्रा में लेकर सुबह शाम पिलाने से काली खांसी दूर हो जाती है।

७ * लौंग को आग में भूनकर और बारीक चूर्णं बनाकर शहद के साथ देने से कुकुर खांसी में बहुत लाभ होता है।

८ * अनार के छिलके, काली मिर्च, सेंधा नमक,बहेड़े का छिलका सभी को समान मात्रा में लेकर बारीक कपड़े से छन जाने योग्‍य चूर्णं बनाएं। फिर १ ग्राम चूर्णं पान के रस के साथ बच्‍चे को दिन में ४ – ५ बार चटाएं। इसे तुलसी के रस के साथ भी दिया जा सकता है।

९ * चने की दाल के बराबर पिसी हुई फिटकरी पानी में मिलाकर दिन में दो बार पिलाने से भी कुकर खांसी में लाभ होता है।

१० * जिस कमरे में बच्‍चा सोता हो वहां अंगारों पर नीम, लहसुन, प्‍याज और अनार के छिलकों को डालकर धुआं करने से बच्‍चे को सांस लेने में दिक्‍कत नहीं होगी और काली खांसी में भी आराम मिलेगा।

११ * २५० मिली. ग्राम भुनी हुई फिटकरी बराबर मात्रा में चीनी के साथ दिन में दो बार देने से लाभ होता है।

१२ * अनार के फूल का छिलका सुखाकर उसे पीस कर कपड़े से छन जाने योग्‍य चूर्णं बनाएं। फिर २ ग्राम चूर्णं को पानी में उबालकर छान लें। ठंडा होने पर १ – २ चम्‍मच की मात्रा में दिन में तीन चार बार पिलाएं।

१३ * तुलसी के पत्‍ते और काली मिर्च समान मात्रा में लेकर पीस लें। फिर मूंग के बराबर गोलियां बनाकर १ – १ गोली चार बार दें। कुछ ही दिन में कुकुर खांसी में आराम मिल जाएगा।


बच्‍चे को खांसी जुकाम हो जाए तो...


१ * बच्‍चे को तुलसी का रस दें। इससे सर्दी का प्रकोप नहीं होगा।

२ * बच्‍चे की छाती में कफ जम जाए तो आप थोड़ा सा गाय का घी छाती पर मलें। इससे कफ पिघल कर बाहर आ जाएगा।

३ * आधा इंच अदरक व एक ग्राम तेजपत्‍ते को एक कप पानी में भिगो कर काढ़ा बनाएं। फिर इसमें एक चम्‍मच मिश्री मिलाकर १ – १ चम्‍मच की मात्रा में दिन में तीन बार पिलाएं। इससे दो दिन में ही खांसी जुकाम ठीक हो जाएगा।

४ * आधा चम्‍मच तुलसी के रस में आधा चम्‍मच शहद मिलाकर दिन में तीन बार बच्‍चे को पिलाएं। सर्दी खांसी में बहुत आराम मिलेगा।

५ * थोड़ा सा सरसों का तेल रोजाना उसकी छाती और गुदा मार्ग पर लगाएं। बहुत जल्‍दी आराम मिलेगा।

६ * खांसी होने पर बच्‍चे को वंशलोचन पीसकर शहद के साथ चटाएं। आराम मिलेगा।

७ * बादाम की ५ गिरी, ५ मुनक्‍के और ५ काली मिर्च इन्‍हें मिश्री के साथ पीसकर गोली बना लें। फिर चार – चार घंटे के अंतराल पर एक गोली चूसने को दें। इससे खांसी दूर हो जाएगी।


८ * बड़ी इलायची का पाउडर २ – २ ग्राम दिन में तीन बार पानी के साथ लेने से सभी प्रकार की खांसी में आराम मिलता है।

(समाप्‍त)