* माणिक्य (रूबी) को बेहद मूल्यवान रत्न माना जाता है। इसे चुन्नी और लाल भी कहा जाता है। माणिक्य का रंग लाल होता है। इसे धारण करने से सूर्य की पीड़ा शांत होती है। माणिक्य को अंग्रेज़ी में 'रूबी' कहते हैं।
* जिस तरह सेटेलाईट से बदलते मौसम की जानकारी मौसम वैज्ञानिकों को समय से पहले मिल जाती है ठीक उसी तरह सूर्य के रत्न माणिक्य में यह खूबी है कि यह आने वाली संकट की सूचना पहले दे देता है।
* माणिक्य का लाल रंग की आभा लिये होता है.यह अन्य रंगों जैसे गुलाबी, काला और नीले रंग में भी पाया जाता है.यह अत्यंत कड़ा होता है.पृथ्वी पर पाये जाने वाले खनिजों में सिर्फ हीरा ही इससे कठोर होता है.जो माणिक्य सूर्य की पहली किरण पड़ने पर लाल रंग बिखेरता है वह सर्वोत्तम होता है.उत्तम माणिक्य की पहचान है कि अगर इसे दूध में 100 बार डुबोते हैं तो दूध मे भी माणिक्य की आभा दिखने लगती है.अंधेरे कमरे में रखने पर यह सूर्य के समान प्रकाशमान होता है.इसे पत्थर पर रगड़े तो इसपर घर्षण के निशान आ जाते हैं लेकिन वजन में कमी नहीं आती है.
* माणिक्य को प्रेम का रत्न भी कहा जाता है क्योकि इसे धारण करने से मन में उत्साह और उमंग बढ़ता है.यह मायूसी और उदासीनता को दूर करता है.ज्योतिषीय दृष्टिकोण से यह प्रेत बाधा से मुक्ति प्रदान करने वाला होता है.इस रत्न को धारण करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है.आर्थिक परेशानी की स्थिति में यह धन प्रदायक होता है.माणिक्य धारण करने वाला व्यक्ति समाज में प्रतिष्ठित होता है.मान्यताओ के अनुसार जो व्यक्ति इसे धारण करता है उसके ऊपर संकट आने पर इसका रंग फीका हो जाता है और संकट टल जाने पर पुन: इसकी आभा लौट आती है.माणिक्य के विषय में यह भी मान्यता है कि यह जहर के प्रभाव को कम करता है एवं जहरीली चीज़ पास होने पर इसक रंग फीका पड़ जाता है.
* ज्योतिषशास्त्री बताते हैं कि, माणिक्य के विषय में मान्यता है कि जो व्यक्ति इसे धारण करता है वह अगर गंभीर रूप बीमार होने वाला होता है तो इसका रंग फीका हो जाता है।
* अगर व्यक्ति की मृत्यु होने वाली होती है तो करीब तीन महीने पहले से माणिक्य का रंग सफेद होने लग जाता है।
* माणिक्य के विषय में यह भी मान्यता है कि पति-पत्नी दोनों अगर इसे धारण करते हैं तो पत्नी के बेवफाई करने पर पति द्वारा धारण किये गये माणिक्य का रंग फीका पड़ जाता है।
* ठीक इसी तरह पति बेवफाई करे तो पत्नी द्वारा धारण किये गये माणिक्य का रंग फीका पड़ जाता है। माणिक्य में रक्त संबंधी रोगों को दूर करने की क्षमता है। तपेदिक से पीड़ित व्यक्ति अगर इसे धारण करे तो चिकित्सा का लाभ तेजी से प्राप्त होता है।
* कई लोग मानते हैं कि माणिक्य विष के प्रभाव को भी कम कर देता है।
* ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जिनकी राशि अथवा लग्न सिंह, मेष, वृश्चिक, कर्क एवं धनु है उनके माणिक्य रत्न धारण करना बहुत ही शुभ होता है।
* सिंह राशि के जातकों के लिए माणिक्य रत्न धारण करना अत्यंत लाभकारी माना गया है। जो जातक, सूर्य की पीड़ा से ग्रस्त हो उन्हें माणिक्य धारण करने की सलाह दी जाती है।
* माणिक्य नेत्र रोग तथा हृदय संबंधित रोगों में विशेष लाभकारी माना जाता है। साथ ही सरदर्द आदि समस्याओं में भी इसका प्रयोग लाभकारी होता है।
* इसे धारण करने से दूषित विचारों को नियंत्रित करने में सफलता मिलती है। धार्मिक आस्था एवं पद-प्रतिष्ठा का लाभ मिलता है।
असली माणिक्य की पहचान :-
=================
* अलग-अलग प्राप्ति स्थान के अनुसार माणिक्य लाल, गुलाबी, रक्तवर्णी, फिका गुलाबी इत्यादि रंगों में पाया जाता है।
* दूध में असली माणिक्य रखने पर दूध का रंग गुलाबी दिखाई देता है। कांच के बरतन में इसे रखने से बरतन के चारों ओर हल्की किरण निकलती दिखाई देती है।
कैसे धारण करें :-
=========
* ज्योतिषशास्त्र के अनुसार बिना अभिमंत्रित किये माणिक्य धारण करने से इसका पूरा लाभ नहीं मिलता है। इसलिए इसे धारण करने से पहले सूर्य देव की पूजा करें साथ ही "ओम् ह्रां ह्रीं, ह्रौं सः सूर्याय नमः" मंत्र का जप करें। इसके बाद रत्न धारण करें।
* कृतिका, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा अथवा रविपुष्य नक्षत्र में रविवार का दिन इस रत्न को धारण करना उत्तम होता है।
उपचार स्वास्थ और #प्रयोग -http://upchaaraurpryog120.blogspot.in/
* जिस तरह सेटेलाईट से बदलते मौसम की जानकारी मौसम वैज्ञानिकों को समय से पहले मिल जाती है ठीक उसी तरह सूर्य के रत्न माणिक्य में यह खूबी है कि यह आने वाली संकट की सूचना पहले दे देता है।
* माणिक्य का लाल रंग की आभा लिये होता है.यह अन्य रंगों जैसे गुलाबी, काला और नीले रंग में भी पाया जाता है.यह अत्यंत कड़ा होता है.पृथ्वी पर पाये जाने वाले खनिजों में सिर्फ हीरा ही इससे कठोर होता है.जो माणिक्य सूर्य की पहली किरण पड़ने पर लाल रंग बिखेरता है वह सर्वोत्तम होता है.उत्तम माणिक्य की पहचान है कि अगर इसे दूध में 100 बार डुबोते हैं तो दूध मे भी माणिक्य की आभा दिखने लगती है.अंधेरे कमरे में रखने पर यह सूर्य के समान प्रकाशमान होता है.इसे पत्थर पर रगड़े तो इसपर घर्षण के निशान आ जाते हैं लेकिन वजन में कमी नहीं आती है.
* माणिक्य को प्रेम का रत्न भी कहा जाता है क्योकि इसे धारण करने से मन में उत्साह और उमंग बढ़ता है.यह मायूसी और उदासीनता को दूर करता है.ज्योतिषीय दृष्टिकोण से यह प्रेत बाधा से मुक्ति प्रदान करने वाला होता है.इस रत्न को धारण करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है.आर्थिक परेशानी की स्थिति में यह धन प्रदायक होता है.माणिक्य धारण करने वाला व्यक्ति समाज में प्रतिष्ठित होता है.मान्यताओ के अनुसार जो व्यक्ति इसे धारण करता है उसके ऊपर संकट आने पर इसका रंग फीका हो जाता है और संकट टल जाने पर पुन: इसकी आभा लौट आती है.माणिक्य के विषय में यह भी मान्यता है कि यह जहर के प्रभाव को कम करता है एवं जहरीली चीज़ पास होने पर इसक रंग फीका पड़ जाता है.
* ज्योतिषशास्त्री बताते हैं कि, माणिक्य के विषय में मान्यता है कि जो व्यक्ति इसे धारण करता है वह अगर गंभीर रूप बीमार होने वाला होता है तो इसका रंग फीका हो जाता है।
* अगर व्यक्ति की मृत्यु होने वाली होती है तो करीब तीन महीने पहले से माणिक्य का रंग सफेद होने लग जाता है।
* माणिक्य के विषय में यह भी मान्यता है कि पति-पत्नी दोनों अगर इसे धारण करते हैं तो पत्नी के बेवफाई करने पर पति द्वारा धारण किये गये माणिक्य का रंग फीका पड़ जाता है।
* ठीक इसी तरह पति बेवफाई करे तो पत्नी द्वारा धारण किये गये माणिक्य का रंग फीका पड़ जाता है। माणिक्य में रक्त संबंधी रोगों को दूर करने की क्षमता है। तपेदिक से पीड़ित व्यक्ति अगर इसे धारण करे तो चिकित्सा का लाभ तेजी से प्राप्त होता है।
* कई लोग मानते हैं कि माणिक्य विष के प्रभाव को भी कम कर देता है।
* ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जिनकी राशि अथवा लग्न सिंह, मेष, वृश्चिक, कर्क एवं धनु है उनके माणिक्य रत्न धारण करना बहुत ही शुभ होता है।
* सिंह राशि के जातकों के लिए माणिक्य रत्न धारण करना अत्यंत लाभकारी माना गया है। जो जातक, सूर्य की पीड़ा से ग्रस्त हो उन्हें माणिक्य धारण करने की सलाह दी जाती है।
* माणिक्य नेत्र रोग तथा हृदय संबंधित रोगों में विशेष लाभकारी माना जाता है। साथ ही सरदर्द आदि समस्याओं में भी इसका प्रयोग लाभकारी होता है।
* इसे धारण करने से दूषित विचारों को नियंत्रित करने में सफलता मिलती है। धार्मिक आस्था एवं पद-प्रतिष्ठा का लाभ मिलता है।
असली माणिक्य की पहचान :-
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* अलग-अलग प्राप्ति स्थान के अनुसार माणिक्य लाल, गुलाबी, रक्तवर्णी, फिका गुलाबी इत्यादि रंगों में पाया जाता है।
* दूध में असली माणिक्य रखने पर दूध का रंग गुलाबी दिखाई देता है। कांच के बरतन में इसे रखने से बरतन के चारों ओर हल्की किरण निकलती दिखाई देती है।
कैसे धारण करें :-
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* ज्योतिषशास्त्र के अनुसार बिना अभिमंत्रित किये माणिक्य धारण करने से इसका पूरा लाभ नहीं मिलता है। इसलिए इसे धारण करने से पहले सूर्य देव की पूजा करें साथ ही "ओम् ह्रां ह्रीं, ह्रौं सः सूर्याय नमः" मंत्र का जप करें। इसके बाद रत्न धारण करें।
* कृतिका, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा अथवा रविपुष्य नक्षत्र में रविवार का दिन इस रत्न को धारण करना उत्तम होता है।
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