Wednesday, April 8, 2015

पथरी घरेलू उपचार -Stones Home Remedies

अम्लता (Acidity ) बढ़ जाने पर लवण (Salt ) जमा होता है और ये फिर जमकर पथरी (Calculus) बन जाते है कई दिनों तक मूत्र (Urine ) में जलन होती है जब ध्यान नहीं दिया जाता तो यही स्थिति भयावह हो जाती है -







तेज गर्मी में काम करने से व घूमने से उष्ण प्रकृति के पदार्थों के अति सेवन से मूत्राशय पर गर्मी का प्रभाव हो जाता है, जिससे पेशाब में जलन होती है।


कभी-कभी जोर लगाने पर पेशाब होती है, पेशाब में भारी जलन होती है, ज्यादा जोर लगाने पर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पेशाब होती है। इस व्याधि को आयुर्वेद में मूत्र कृच्छ कहा जाता है। लेकिन इसका उपचार है-

घरेलू उपचार (Home remedies ):-


बाजार में मिलने वाला कलमी शोरा (Nitre ) बड़ी इलाइची (Black cardamom ) के दाने इन दोनों को समान मात्रा में चूर्ण करके एक शीशी में भर कर रख ले -मलाई रहित ठंडा दूध व पानी 150 -150 मिलीलीटर दोनों को ले के इस 300 एम एल पानी को बनाया हुआ एक चम्मच चूर्ण फांक कर यही आपस में मिलाया दूध पिए इस प्रकार की तीन खुराक लेनी है सुबह-दोपहर-शाम । दो दिन ये प्रयोग करे आपके पेशाब में पैदा हुई जलन समाप्त हो जाती है ये मुँह के छाले व पित्त सुधरता है। शीतकाल में दूध में कुनकुना पानी मिलाएँ-


मूत्र रोग संबंधी सभी शिकायतों यथा प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने से पेशाब का रुक-रुक कर आना-पेशाब का अपने आप निकलना (युरीनरी इनकाण्टीनेन्स)-नपुंसकता, मूत्राशय की पुरानी सूजन आदि में गोखरू 10 ग्राम, जल 150 ग्राम, दूध 250 ग्राम को पकाकर आधा रह जाने पर छानकर नित्य पिलाने से मूत्र मार्ग की सारी विकृतियाँ दूर होती हैं ।


सिर्फ 6 ग्राम पपीते को जड़ को पीसकर 50 ग्राम पानी मिलकर 21 दिन तक प्रातः और सायं पीने से पथरी गल जाती है।


सात दिन तक गौदुग्ध के साथ गोक्षुर पंचांग (Caltrap Almanac ) का सेवन कराने में पथरी टूट-टूट कर शरीर से बाहर चली जाती है । मूत्र के साथ यदि रक्त स्राव भी हो तो गोक्षुर चूर्ण को दूध में उबाल कर मिश्री के साथ पिलाते हैं ।


खाली गोमूत्र के सेवन से भी पथरी टूट कर निकल जाती है-मात्रा 20 मिलीलीटर प्रतिदिन है साथ ही यवक्षार ( जौ की भस्म ) का सेवन करें -मूली और उसकी हरी पत्तियों के साथ सब्जी का सुबह सेवन करें-


मेहंदी की छाल को उबाल कर पीने से पथरी घुल जाती है-


15 दाने बडी इलायची के एक चम्मच, खरबूजे के बीज की गिरी और दो चम्मच मिश्री, एक कप पानी में मिलाकर सुबह-शाम दो बार पीने से पथरी निकल जाती है।


जितना हो सके पका हुआ जामुन खाए ये पथरी से निजात दिलाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पथरी होने पर पका हुआ जामुन खाना चाहिए।


पथरी की शिकायत है तो प्याज आपके लिए बहुत उपयोगी है। प्याज के रस को sugar में मिलाकर शरबत बनाकर पीने से (stone) की से निजात मिलता है। प्याज का रस सुबह खाली पेट पीने से पथरी अपने-आप कटकर प्यास के रास्ते से बाहर निकल जाती है।इसका सेवन एक दिन में एक बार ही करें।  और प्याज़ के स्वास्थ्य लाभ की पोस्ट नीचे की लिंक पे देखे-



प्याज़ के स्वास्थ्य लाभ - Health Benefits of Onion



सहजन की सब्जी खाने से गुर्दे की पथरी टूटकर बाहर निकल जाती है। आम के पत्ते छांव में सुखाकर बहुत बारीक पीस लें और आठ ग्राम रोज पानी के साथ लीजिए, फायदा होगा ।


बेल पत्थर (Bell Stone ) को पर जरा सा पानी मिलाकर घिस लें, इसमें एक साबुत काली मिर्च डालकर सुबह काली मिर्च खाएं। दूसरे दिन काली मिर्च दो कर दें और तीसरे दिन तीन ऐसे सात काली मिर्च तक पहुंचे।आठवें दिन से काली मिर्च की संख्या घटानी शुरू कर दें और फिर एक तक आ जाएं। दो सप्ताह के इस प्रयोग से पथरी समाप्त हो जाती है। याद रखें एक बेल पत्थर दो से तीन दिन तक चलेगा।


पित्त की थेली (Gall bladder ) से पथरी निकालने के लिए पहले पांच दिन रोज चार गिलास एप्पल जूस (Apple Juice ) ले और साथ ही चार या पांच सेव खाए फिर छटे दिन डिनर न ले बल्कि इस छटे दिन शाम छ:बजे एक चम्मच सेंधा नमक (Magnesium sulfate ) एक गिलास गर्म पानी से ले फिर दुबारा दो घंटे आठ बजे एक चम्मच सेंधा नमक एक गिलास गर्म पानी से ले फिर रात को दस बजे आधा कप जेतून का तेल (Olive oil )या तिल का तेल (Sesame oil ) आधा कप नीबू ( Lemon juice ) के रस में मिलके पी ले सुबह आपको स्टूल में आपको हरे रंग के पत्थेर दिखेगे-


आजकल किडनी में पथरी पीड़ितों की संख्या लगातार बढ़ रही है-आयुर्वेद व घरेलू चिकित्सा में किडनी की पथरी में कुलथी (Horsegram ) को फायदेमंद माना गया है। गुणों की दृष्टि से कुल्थी पथरी एवं शर्करानाशक (Sugar Destroyer ) है। वात एवं कफ का शमन करती है और शरीर में उसका संचय रोकती है। कुल्थी में पथरी का भेदन तथा मूत्रल दोनों गुण होने से यह पथरी बनने की प्रवृत्ति और पुनरावृत्ति रोकती है। इसके अतिरिक्त यह यकृत व पलीहा के दोष में लाभदायक है। मोटापा भी दूर होता है-



बनाए :-


250 ग्राम कुल्थी दाने (Kulthy seeds ) कंकड़-पत्थर निकाल कर साफ कर लें। रात में तीन लिटर पानी में भिगो दें। सवेरे भीगी हुई कुल्थी उसी पानी सहित धीमी आग पर चार घंटे पकाएं। जब एक लिटर पानी रह जाए  तब नीचे उतार लें। फिर तीस ग्राम से पचास ग्राम (पाचन शक्ति के अनुसार) देशी घी का उसमें छोंक लगाएं। छोंक में थोड़ा-सा सेंधा नमक, काली मिर्च, जीरा, हल्दी डाल सकते हैं। पथरी नाशक औषधि तैयार है-


प्रयोग विधि:- 


दिन में कम-से-कम एक बार दोपहर के भोजन के स्थान पर यह सारा सूप पी जाएं। 250 ग्राम पानी अवश्य पिएं। एक-दो सप्ताह में गुर्दे तथा मूत्राशय की पथरी गल कर बिना ऑपरेशन के बाहर आ जाती है कुछ दिन लगातार सेवन करते रहना राहत देता है।

यदि भोजन के बिना कोई व्यक्ति रह न सके तो सूप के साथ एकाध रोटी लेने में कोई हानि नहीं है। गुर्दे में सूजन की स्थिति में जितना पानी पी सकें -पीने से दस दिन में गुर्दे का प्रदाह ठीक होता है। यह कमर-दर्द की भी रामबाण दवा है।

कुल्थी की दाल साधारण दालों की तरह पका कर रोटी के साथ प्रतिदिन खाने से भी पथरी पेशाब के रास्ते टुकड़े-टुकड़े होकर निकल जाती है। यह दाल मज्जा (हड्डियों के अंदर की चिकनाई) बढ़ाने वाली है।


पथरी में क्या खाए (What to eat stones ):-



कुल्थी के अलावा खीरा, तरबूज के बीज, खरबूजे के बीज, चौलाई का साग, मूली, आंवला, अनन्नास, बथुआ, जौ, मूंग की दाल, गोखरु आदि खाएं। कुल्थी के सेवन के साथ दिन में 6 से 8 गिलास सादा पानी पीना, खासकर गुर्दे की बीमारियों में बहुत हितकारी सिद्ध होता है।


पथरी में क्या न खाएं (Do not eat stones ):-



पालक, टमाटर, बैंगन, चावल, उड़द, लेसदार पदार्थ, सूखे मेवे, चॉकलेट, चाय, मद्यपान, मांसाहार आदि। मूत्र को रोकना नहीं चाहिए। लगातार एक घंटे से अधिक एक आसन पर न बैठें।


कुल्थी का पानी भी लाभदायक है :-



कुल्थी का पानी विधिवत लेने से गुर्दे और मूत्रशय की पथरी निकल जाती है और नयी पथरी बनना भी रुक जाता है। किसी साफ सूखे, मुलायम कपड़े से कुल्थी के दानों को साफ कर लें।  किसी पॉलीथिन की थैली में डाल कर किसी टिन में या कांच के मर्तबान में सुरक्षित रख लें।

कुल्थी का पानी बनाने की विधि:- 



किसी कांच के गिलास में 250 ग्राम पानी में 20 ग्राम कुल्थी डाल कर ढक कर रात भर भीगने दें। प्रात: इस पानी को अच्छी तरह मिला कर खाली पेट पी लें। फिर उतना ही नया पानी उसी कुल्थी के गिलास में और डाल दें, जिसे दोपहर में पी लें। दोपहर में कुल्थी का पानी पीने के बाद पुन: उतना ही नया पानी शाम को पीने के लिए डाल दें।

इस प्रकार रात में भिगोई गई कुल्थी का पानी अगले दिन तीन बार सुबह, दोपहर, शाम पीने के बाद उन कुल्थी के दानों को फेंक दें और अगले दिन यही प्रक्रिया अपनाएं। महीने भर इस तरह पानी पीने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी धीरे-धीरे गल कर निकल जाती है।

सहायक उपचार- 


कुल्थी के पानी के साथ हिमालय ड्रग कंपनी की सिस्टोन की दो गोलियां दिन में 2-3 बार प्रतिदिन लेने से शीघ्र लाभ होता है। कुछ समय तक नियमित सेवन करने से पथरी टूट-टूट कर बाहर निकल जाती है। यह मूत्रमार्ग में पथरी, मूत्र में क्रिस्टल आना, मूत्र में जलन आदि में दी जाती है।
(स्वदेशी चिकित्सा सार से साभार)

उपचार और प्रयोग-

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