Sunday, January 11, 2015

ये गोमूत्र अर्क दूध से भी मंहगा है .....!

जी हाँ- आपको यकीन नहीं होगा ....गाय का दूध सौ बीमारियों का निदान करता है तो गोमूत्र कैंसर सहित 108 बीमारियों में लाभकारी माना जाता है। धार्मिक तौर पर भी पूजा-पाठ के लिए बेहद शुद्ध माना जाने वाले गाय के दूध से गोमूत्र की उपयोगिता ज्यादा है। इसकी कीमत दूध से कहीं अधिक हो गई है। इसकी उपयोगिता वो समझ सकते हैं जो बीमारी के निदान के लिए गोमूत्र से बने अर्क का सेवन करते हैं।





आज स्थिति यह कि 120 रुपये लीटर की कीमत पर भी गोमूत्र अर्क नहीं मिल रहा है। गोमूत्र अर्क की बढ़ती मांग के चलते प्रदेश भर की गोशालाओं में इसे बड़े स्तर पर तैयार किए जाने की कवायद हो चुकी है। इसके तहत प्रदेश भर की करीब 150 गोशालाओं में गोमूत्र का अर्क बड़ी मात्रा में तैयार किया जाएगा। गोमूत्र अर्क की खरीदारी में पतंजलि योग समिति ने भी बड़े स्तर पर गोशालाओं से मांग कर ली है।


मांग पूर्ति के लिए हिसार के लाडवा, भिवानी व कुरुक्षेत्र जिले में आयुर्वेद के रूप में प्रयोग हो रहे गोमूत्र अर्क को इलेक्ट्रोनिक संयंत्र से तैयार किया जा रहा है।


आयुर्वेद के अनुसार गोमूत्र, लघु अग्निदीपक, मेघाकारक, पित्ताकारक तथा कफ और बात नाशक है और अपच एवं कब्ज को दूर करता है। इसका उपयोग प्राकृतिक चिकित्सा में पंचकर्म क्रियाएं तथा विरेचनार्थ और निरूहवस्ती एवं विभिन्न प्रकार के लेपों में होता है। आयुर्वेद में में संजीवनी बूटी जैसी कई प्रकार की औषधियां गोमूत्र से बनाई जाती हैं। गौमूत्र के प्रमुख योग गोमूत्र क्षार चूर्ण कफ नाशक तथा नेदोहर अर्क मोटापा नाशक हैं।


गोमूत्र- श्वांस, कास, शोध, कामला, पण्डु, प्लीहोदर, मल अवरोध, कुष्ठ रोग, चर्म विकार, कृमि, वायु विकार मूत्रावरोध, नेत्र रोग तथा खुजली में लाभदायक है। गुल्य, आनाह, विरेचन कर्म, आस्थापन तथा वस्ति व्याधियों में गोमूत्र का प्रयोग उत्तम रहता है। 


गोमूत्र अग्नि को प्रदीप्त करता है, क्षुधा [भूख] को बढ़ाता है, अन्न का पाचन करता है एवं मलबद्धता को दूर करता है।


गोमूत्र से कुष्ठादि चर्म रोग भी दूर हो सकते हैं तथा कान में डालने से कर्णशूल रोग खत्म होता है और पाण्डु रोग को भी गोमूत्र समाप्त करने की क्षमता रखता है। इसके अलावा आयुर्वेदिक औषधियों का शोधन गोमूत्र में किया जाता है और अनेक प्रकार की औषधियों का सेवन गोमूत्र के साथ करने की सलाह दी जाती है। आयुर्वेद में स्वर्ण, लौह, धतूरा तथा कुचला जैसे द्रव्यों को गोमूत्र से शुद्ध करने का विधान है। गोमूत्र के द्वारा शुद्धीकरण होने पर ये द्रव्य दोषरहित होकर अधिक गुणशाली तथा शरीर के अनुकूल हो जाते हैं। रोगों के निवारण के लिए गोमूत्र का सेवन कई तरह की विधियों से किया जाता है जिनमें पान करना, मालिश करना, पट्टी रखना, एनीमा और गर्म सेंक प्रमुख हैं।


किस प्रकार बनता है गोमूत्र अर्क आइये जाने:-
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भट्ठी पर एक बड़ा मटका गोमूत्र से भरकर रख दिया जाता है। भट्ठी के ताप से गर्म होते गोमूत्र को वाष्प के जरिये बाहर निकालने के लिए मटके में एक ओर छोटा सा सुराग निकालकर पाइप के माध्यम से एक बर्तन में छोड़ दिया जाता है। एक-एक बूंद बर्तन में जमा होती रहती है जिसे गौमूत्र अर्क कहा जाता है। सात लीटर गाय के मूत्र में करीब एक लीटर के आसपास अर्क निकलता है। इसे बोतलों में डालकर बेचा जाता है।


प्रदेश भर में भिवानी, सिवानी के गेंडावास, फतेहाबाद के ढांड, सिरसा के अलीका, टोहाना, सोनीपत के भटगांव, अग्रोहा गोशाला, करनाल के उपलाना गांव में तैयार किया जाता है।


गोमूत्र के लिए बिल्कुल स्वस्थ बछड़ी को चुना जाता है। इसके लिए केवल देसी नस्ल की गायों का मूत्र लिया जाता है। खूंटे से बंधी गाय की अपेक्षा  खुले में घूम कर भिन्न-भिन्न प्रकार का खाद्य चरने वाली गाय को अर्क के लिए ज्यादा तरजीह दी जाती है।


गोमूत्र से बने अन्य उत्पाद:-
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आयुर्वेद के अलावा गोमूत्र नील, हैंड वाश, शैंपू, नेत्र ज्योति, घनवटी, सफेद फिनाइल, कर्णसुधा सहित कई उत्पाद बनाने में प्रयोग किया जाता है।


बाबा रामदेव ने 150 गोशालाओं से की अर्क की मांग;-
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हरियाणा राज्य गोशाला संघ के कार्यकारी प्रधान शमशेर सिंह आर्य ने कहा कि गोमूत्र अर्क की मांग अत्याधिक बढ़ रही है। इसको देसी भट्ठियों से तैयार अर्क को पूरा नहीं किया जा सकता। देसी फार्मूले से अर्क निकालने के बजाए अब कई गोशालाओं में इलेक्ट्रोनिक संयंत्र प्रयोग किए जा रहे हैं। बाजार में 12 हजार रुपये कीमत का यह उपकरण संघ द्वारा गोशालाओं को 65 सौ रुपये में मुहैया कराया जाता है। आर्य ने बताया कि बाबा रामदेव की पतंजलि योग समिति आगामी समय में 150 गोशालाओं से तैयार अर्क खरीदेगी।


हर रोग की दवा गौमूत्र :-
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अर्क का उपयोग मुख्यत: यकृत के रोग,चर्म के रोग,पेट के रोग,हृदय के रोग,गुप्त रोगों व श्वासं के रोगों में किया जाता है | यह सभी तरह के रोगों में लाभप्रद है |


गौमूत्र ही एक ऐसा द्रव्य है,जिसमें अनेक रोगों से लड़ने की शक्ति समाहित है |


गौमूत्र अर्क-यह लघु,रूक्ष,तीक्ष्ण,रस में कटु लवण,विपाक में कटु और उष्ण वीर्य वाला होता है |


इसमें ताम्बें का अशं होता है,जो शरीर में स्वर्ण तत्व में परिवर्तित हो जाता है | इससे रोगों से लड़ने की क्षमता में खासी बढ़ोतरी होती है | गौमुत्र पीने या उसमें तीन दिन रखने से विष मुक्त हो जाता है |


गौमूत्र एक तरह का रासायनिक संगठक है | 1500 सीसी गौमूत्र में ठोस पदार्थ 60 ग्राम व 1440 ग्राम द्रव भाग होता है |


60 ग्राम ठोस पदार्थ में 35 ग्राम सेन्द्रिय व 25 ग्राम निनिन्द्रिय पदार्थ होते है,गौमूत्र का मुख्य संगठक जल,यूरिया,सोडियम,पोटेशियम,क्लोराइड,अम्ल,क्षार व लवण होते है |


गौमूत्र अर्क में अद्भुत शक्ति समाहित है | इसके सेवन से पेट के रोगों के अलावा शरीर के अन्य गंभीर रोगों से भी निजात मिल सकती है |


कैंसर में फायदेमंद:-
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कैंसर की चिकित्सा में रेडियो एक्टिव एलिमेन्ट प्रयोग में लाए जाते है -


गौमूत्र में विद्यमान सोडियम,पोटेशियम,मैग्नेशियम,फास्फोरस,सल्फर आदि में से कुछ लवण विघटित होकर रेडियो एलिमेन्ट की तरह कार्य करने लगते है और कैंसर की अनियन्त्रित वृद्धि पर तुरन्त नियंत्रण करते है | कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करते है | अर्क आँपरेशन के बाद बची कैंसर कोशिकाओं को भी नष्ट करता है | यानी गौमूत्र में इस लााइलाज बीमारी को दूर करने की शक्ति समाहित है |


सेवन विधी :-
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दर्द में गौमूत्र अर्क की मालिश भी की जाती है |

प्रतिशयाय,सिर दर्द में नस्य के रूप में प्रयोग होता है |

एनिमा में प्रयोग होता है |

गौमूत्र अर्क 5-10 एमएल 100 एमएल पानी में मिलाकर भूखे पेट पीना चाहिए |

गोमूत्र अर्क पीने के आधा घंटे बाद दुध या भोजन लेना चाहिए |


सावधानियाँ:-
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गौमूत्र अर्क देशी नस्ल की गाय के मूत्र से बना हुआ होना चाहिए |

बछडी के गौमूत्र से बना अर्क सर्वश्रेष्ठ होता है |

बछडी रोगी या गर्भवती नहीं हो |


उपचार स्वास्थ्य और प्रयोग -

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