इसकी पहचान कमर में दर्द रहना शुरवाती दौर में श्वेत पानी आना बाद में दही जेसा गाढ़ा बदबूदार पीव जेसा और कभी कभी योनी मार्ग से हरा पीला मिश्रित स्राव जलन के साथ कमजोरी का महसूस होना आदि लक्षण दिखते है ...!
करे ये निम्नलिखित उपचार :-
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घृतकुमारी(aloe-barbadenis) को गुड या मिस्री के साथ खाली पेट ले ये रोज एक चम्मच लेना है पांच या दस दिनों तक ...अगर पुराना है तो इसे जारी रखे एक दो माह तक (बीच में एक हफ्ते अंतराल करके भी दुबारा ले सकते है )
अशोक के पेड की छाल 60 ग्राम को एक लीटर पानी में इतना उबाल ले कि पानी सिर्फ 250 मिलीलीटर ही रह जाए आप इसे दो चम्मच प्रतिदिन ले एक या दो माह तक .
सेमल (Bomabax-malabaricum- Silk cotton) की छाल- 200 ग्राम, पलाश (Butena fondosa – palas) का छाल- 200 ग्राम, शतावरी (Asparagus recemosus) की जड़ ( मूलकंद) -200 ग्राम, सभी को बराबर मात्र में लेकर कूट- पिसकर छान कर चूर्ण को कांच की शीशी में भरकर रख लें।इस चूर्ण को 1-2 चम्मच ठण्डे पानी या चावल के पानी, या मांड (ठण्डा) के साथ 15-20 दिन तक सुबह –शाम लें|
शतावर (Asparagus Racemosus) की ताज़ी कंदमूल या सूखी जड़ो का चूर्ण 5-10 ग्राम स्वादानुसार जीरे के चूर्ण के साथ 1 कप ढूध में सुबह खाली पेट में पिलाने से कमजोरी औ तनाव से होने वाली श्वेत वाली प्रदर 2-3 सप्ताह में ठीक हो जाती है |
ब्राम्ही, बेंग साग (Centella asiatica) का चूर्ण दो छोटी चम्मच या उसका स्वरस 1-2 चाये की चम्मच दिन में दो बार मिसरी के साथ 15 -20 दिन तक दें।
अरहर(Canjanus cajan) के पत्तों का स्वरस ( बिना पानी मिलाये ) एक चम्मच दिन में दो बार 12-15 दिन तक दें।अथवा अरहर का जूस, सेंधा नमक में मिलकर दिन में एक बार 30 दिनों तक दें|
नोट:- धृतकुमारी के गुच्छे का प्रयोग करने से पूर्व इसके काँटों को साफ कर लें, ये ज़हरीला है |
तेल, खटाई, मसाला, टमाटर, गर्मी पैदा करने वाला भोजन व कब्ज जनित खाध पदार्थों का सेवन न करें|
उपचार और प्रयोग -http://www.upcharaurprayog.com
करे ये निम्नलिखित उपचार :-
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घृतकुमारी(aloe-barbadenis) को गुड या मिस्री के साथ खाली पेट ले ये रोज एक चम्मच लेना है पांच या दस दिनों तक ...अगर पुराना है तो इसे जारी रखे एक दो माह तक (बीच में एक हफ्ते अंतराल करके भी दुबारा ले सकते है )
अशोक के पेड की छाल 60 ग्राम को एक लीटर पानी में इतना उबाल ले कि पानी सिर्फ 250 मिलीलीटर ही रह जाए आप इसे दो चम्मच प्रतिदिन ले एक या दो माह तक .
सेमल (Bomabax-malabaricum- Silk cotton) की छाल- 200 ग्राम, पलाश (Butena fondosa – palas) का छाल- 200 ग्राम, शतावरी (Asparagus recemosus) की जड़ ( मूलकंद) -200 ग्राम, सभी को बराबर मात्र में लेकर कूट- पिसकर छान कर चूर्ण को कांच की शीशी में भरकर रख लें।इस चूर्ण को 1-2 चम्मच ठण्डे पानी या चावल के पानी, या मांड (ठण्डा) के साथ 15-20 दिन तक सुबह –शाम लें|
शतावर (Asparagus Racemosus) की ताज़ी कंदमूल या सूखी जड़ो का चूर्ण 5-10 ग्राम स्वादानुसार जीरे के चूर्ण के साथ 1 कप ढूध में सुबह खाली पेट में पिलाने से कमजोरी औ तनाव से होने वाली श्वेत वाली प्रदर 2-3 सप्ताह में ठीक हो जाती है |
ब्राम्ही, बेंग साग (Centella asiatica) का चूर्ण दो छोटी चम्मच या उसका स्वरस 1-2 चाये की चम्मच दिन में दो बार मिसरी के साथ 15 -20 दिन तक दें।
अरहर(Canjanus cajan) के पत्तों का स्वरस ( बिना पानी मिलाये ) एक चम्मच दिन में दो बार 12-15 दिन तक दें।अथवा अरहर का जूस, सेंधा नमक में मिलकर दिन में एक बार 30 दिनों तक दें|
नोट:- धृतकुमारी के गुच्छे का प्रयोग करने से पूर्व इसके काँटों को साफ कर लें, ये ज़हरीला है |
तेल, खटाई, मसाला, टमाटर, गर्मी पैदा करने वाला भोजन व कब्ज जनित खाध पदार्थों का सेवन न करें|
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