Monday, January 5, 2015

क्या खुद को भूखा मारना है ताकि आपकी देह पतली दुबली व छरहरी दिखे....!

*आजकल की युवा पीढ़ी इस भ्रम में रहती है कि अगर 'छरहरी काया' प्राप्त करनी है तो डायटिंग हर हाल में करनी पड़ेगी लेकिन यह भ्रांति है क्योंकि यह जरूरी नहीं कि डायटिंग ही सुडौल शरीर को पाने का एकमात्र 'रामबाण' है।

*नये युग की नई बीमारी-एनोरेक्सिया:-
<<<<<<<<<<<<>>>>>>>>>>>>>>

* ग्लैमर की चकाचौंध से चौंधियाई आज की लड़कियां अपनी सुंदरता को लेकर जरूरत से ज्यादा सचेत है। सुंदर दिखना और उसके लिये प्रयत्न करने में कोई बुराई नहीं है। बुराई गलत तरीके अपनाने में है। कहीं डायटिंग, प्लास्टिक सर्जरी, बाटोक्स अपनाया जा रहा है कहीं जी तोड़ के व्यायाम और अपने को भूखा मारना ताकि देह पतली दुबली व छरहरी दिखे ठीक मिस यूनिवर्स की तरह ....!

* हमारे एक मित्र है उनकी एक लड़की है कुल बारह साल की है लेकिन अभी से व्यूटी क्वीन बनने की तमन्ना दिल में लिये है। अपने फिगर को लेकर बहुत कांशियस है। चाकलेट, आइसक्रीम जैसी ललचानी वाली चीजों की तरफ आंख उठाकर नहीं देखती, स्लिम ट्रिम होने के फेर में उसने खाना पीना त्याग रखा है। मां बेचारी खुशामद कर-कर के हार जाती है। न पापा की डांट काम आती है न मां का फुसलाना।

* वो इसी उम्र से ही देश की टाप माडल बनने की राह देख रही है। खाना न खाने की वजह से कमजोरी के कारण अब उसे चक्कर आने लगे हैं। मम्मी जबर्दस्ती दो चार कौर मुंह में ठूंस दें तो वह फौरन उलट देती है। इस तरह की स्थिति को ही एनोरेक्सिया कहते हैं। यह एक गंभीर रोग है जो आज की लड़कियों में छूत के रोग की तरह फैलता जा रहा है।

* पिछले कुछ बरसों में इस रोग की बढ़ोत्तरी तीन से चार गुना तक हो गयी है। इस बीमारी को लेकर अक्सर आदत मान कर इसका डाक्टरी उपचार नहीं कराया जाता। दरअसल यह बीमारी साइकोसोमेटिक श्रेणी में आती है। बड़े शहरों में आजकल लड़कियां नौकरी के कारण अकेले रहती हैं। घर परिवार से दूर वे अवसाद से घिर जाती हैं। ऊपर से शहरी जीवन की भागदौड़ का तनाव, नौकरी का दबाव सब मिलाकर समस्या और बढ़ जाती है। कई बार लड़कियों का विवाह न होने के कारण उनमें हीम भावना भर जाती है। कई बार साधरण या उससे भी कम रूप रंग को लेकर या अपनी तुलना अपनी बड़ी या छोटी ज्यादा सुंदर प्रतिभाशाली बहन या भाभी से होते रहने पर भी लड़कियां ज्यादा संवेदनशील हो जाती हैं।

* एनोरेक्सिया होने पर वजन घटने लगता है और तेजी से स्वास्थ्य में गिरावट आने लगती है। शरीर में कैल्शियम और फास्फोरस की कमी के कारण मासिक धर्म गड़बड़ा जाता है। कम उम्र में ही आस्टियोपोरोसिस जैसा आस्थयों से संबंधित रोग हो जाता है। बच्चा पैदा करने की क्षमता बाधित हो सकती है। दिल काम करना बंद कर सकता है। अंधापन, पैरेलिटिक अटैक, अर्थ यह है कि स्वास्थ्य बुरी तरह सफर कर सकता है। यह सब होने का कारण है खाने से एलर्जी। खाने से ही तो शरीर सुचारू रूप से चलता है। सारे विटामिन प्रोटीन कैल्शियम खनिज कैलोरी खाने से ही प्राप्त होती है। गाड़ी में ईंधन न हो तो गाड़ी चलेगी कैसे। यही हाल अपने को भूखा मारने से होता है।

* यह रोग जब जड़ पकड़ लेता है व्यक्ति चाहकर भी खा नहीं पाता क्योंकि, भोजन के नाम से ही उसे वितृष्णा होने लगती है। खाने की गंध भूख भड़काने के बजाय उबकाई देने लगती है। मनपसंद खाने में मिलने वाली तृप्ति और खुशी से एनोरेक्सिया से पीड़िताएं महरूम रहती है। यह उनमें चिड़चिड़ाहट पैदा करता है। सोशल सर्कल भी इस कारण से टूट जाता है। पार्टी पिकनिक सब छूट जाते हैं। मन में हर समय चिंता घेरे रहती है कि वजन कहीं बढ़ न जाए।

* फिगर को लेकर सनकी होने से ही एनोरेक्सिया धर दबोचता है। पहले आप खाना छोड़ने का प्रयत्न करती हैं, हर चीज की कैलोरी नापतौल के खाना चाहती हैं। कभी कुछ हाय कैलोरी फूड खाने में आ गया तो उसे लेकर घंटों टैन्स रहती हैं। लैक्सेटिव (जुलाब) लेना आदत बन जाती है। जरूरत से ज्यादा वर्क आउट करती हैं। इन सब बातों का नेट रिजल्ट क्या निकलता है......?

* शायद कुछ भी नहीं ....!

* बल्कि आप सनकी कहलाने लगती हैं और बन भी जाती हैं....!

* समय रहते ही बाज आयें इन चोंचलों से। संतुलित आहार जरूर लें। व्यायाम भी करें लेकिन सब कुछ सीमा में। हमारी दादी नानी बगैर डायटिंग और एक्सरसाइज का मतलब समझे दीर्घायु जियी। हां ये जरूर था कि उनके जैसी जीवन शैली में इन बातों का कोई मतलब न था जितना आज की डेट में संभव है। हम उनकी बातें कुछ तो फालो कर ही सकते हैं, आलस से दूर, नेचर के करीब, आर्गेनिक फूड लेकर, ताजी हवा खाकर।

*दुनिया भर में तेजी से बढ़ता हुआ मोटापा आज एक बहुत बढ़ी समस्या है, मोटापे की वजह से लोगों को दैनिक जीवन मे भी काफी पेरशानियों का सामना करना पड़ता है। एक नए शोध में पाया गया है अगर वजन घटाना हो तो कम वसा युक्त भोजन करने की अपेक्षा कम कार्बोहाइड्रेट वाला भोजन करना अधिक कारगर होगा।

* कम कार्बोहाइड्रेट वाला भोजन न सिर्फ वजन घटाने में कारगर है, बल्कि यह दिल से संबंधित बीमारी को दूर करने में भी उपयोगी है। कम कार्बोहाइड्रेट वाले भोजन की ये खूबियां एक नए अध्ययन से सामने आई है। यह वजन घटाने के लिए कम वसा युक्त भोजन करने की अब तक दी जाने वाली सलाह से थोड़ी अलग है।

* शोधकर्ताओं का कहना है कि जिम के बजाय लोगों को वजन कम करने के लिए तेज-तेज चलना चाहिए।

* आपके शरीर पर अधिक चर्बी नहीं होनी चाहिए। अधिक चर्बी न होने पर आप छरहरी सी नजर आती हैं और सबके आकर्षण का केन्द्र बन जाती है, इसलिए डायटिंग के जरिए छरहरी होने का प्रयत्न न करें।

आकर्षक काया के लिए कुछ बातों को ध्यान में रखें :-
<<<<<<<<<<<<<>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>

* दिन में 10-15 गिलास पानी अवश्य पिएं।

*डायटिंग कतई न करें। संतुलित पौष्टिक भोजन लें जिससे आपके शरीर को सभी आवश्यक तत्वों की प्राप्ति हो सके। डायटिंग से शरीर में विटामिन, कैल्शियम, आयरन की कमी हो जाती है व आप कुपोषण आदि का शिकार भी हो सकती है।

* फास्टफूड का सेवन कम से कम करें क्योंकि यह आपको कैलोरीज के अतिरिक्त कोई पोषक तत्व नहीं देता। अगर कहीं बाहर रेस्तरां में जाना पड़ जाए तो इडली व वेजीटेबल सैंडविच आदि खाएं।

* सुबह का नाश्त शरीर की सबसे बड़ी जरूरत होती है इसलिए उसे अवश्य लें। इससे आपके शरीर को आवश्यक एनर्जी मिलेगी। सुबह के नाश्ते में फल, स्किम्ड मिल्क, दलिया, जूस व अंकुरित अनाज लें।

* अत्यधिक वसा वाली वस्तुओं का सेवन न करें क्योंकि ये शरीर को अधिक कैलोरीज ही देती हैं। पोषण की दृष्टि से फायदेमंद नहीं हैं। अधिक तला हुआ भोजन भी न लें। इसके स्थान पर भुने हुए व ग्रिल किए भोजन का प्रयोग करें।

* अपने आहार में फल, पत्तेदार सब्जियों, अंकुरित अनाज, जूस, सलाद आदि को शामिल कीजिए क्योंकि ये विटामिन व अन्य पोषक तत्वों के अच्छो स्रोत हैं।

* भोजन करने से पूर्व 1 गिलास पानी पी लें। इससे आप आवश्यकता से अधिक नहीं खाएंगी।

* एक ही बार अधिक भोजन लेने की बजाय थोड़े-थोड़े अंतराल के पश्चात् थोड़ा-थोड़ा खाइए।
उपचार स्वास्थ्य और प्रयोग -http://upchaaraurpryog120.blogspot.in

No comments:

Post a Comment