महिलाए जब घर में सब्जी या दाल बनाती है तो बघार या तडका लगाती है यानी खाने को संस्कारित करना -जिस तरह बिना संस्कार के इंसान जंगली होता है उसी तरह भोजन भी बिना संस्कार के शरीर में उथल पुथल कर देता है और वात- पित्त-कफ का संतुलन बिगाड़ कर बीमार कर देता है. विभिन्न मसालों से तडका लगाने से उनके गुण उस भोजन को संतुलित बना देते है. इसलिए भारतीय भोजन बनाने की पद्धति सबसे वैज्ञानिक और स्वास्थकर है.हमारे यहाँ परम्परा रही है की दोपहर के भोजन में अजवाइन और हिंग का तडका अवश्य लगता है, रात में नहीं.यह एक बहुत बड़ा विज्ञान है जिसे गृहिणियां संजोती आई है-
किसी चाइनीज़ , इटेलियन या अंग्रेजी खाने में तडका या छौंक नहीं लगता -
ज़्यादातर तडके में हम राइ जीरे का तडका लगते है , पर इसमे मेथी दाने की पावडर , सौंफ , कलौंजी भी डाली जा सकती है. पंचफोरन में जीरा , राइ , कलौंजी , मेथी दाना और सौंफ होता है.मेथी दाना से वात का शमन होता है , इसलिए यह रात के भोजन के लिए उत्तम है. हिंग , अजवाइन से पित्त का शमन होता है , इसलिए यह दोपहर के भोजन के लिए उत्तम है-
हम लोग स्वाद के चक्कर में खाना पकाने में वैदिक और आयुर्वेदिक सिद्धांतों की पूरी तरह से अवहेलना कर देते हैं , जिसकी वजह से आज स्वास्थ्य सम्बन्धी कई समस्याएँ आ रही है .अगर कोई ऐसी बिमारी है जो वर्षों से ठीक नहीं हो रही तो खाने में आप ये आजमा कर देखे -
सूप बनाते समय उसमे दूध नहीं डाले .
दही खट्टा हो तो उसमे दूध नहीं डाले .
ओट्स पकाते समय उसमे दूध दही साथ साथ न डाले .
चाय कॉफ़ी में शहद ना डाले .
पूरी , भटूरे , मिठाइयां डालडा घी में ना बना कर शुद्ध घी में बनाए .
नमकीन चावलों में , सब्जी की करी में दूध न डाले .
खट्टे फलों के साथ , फ्रूट सलाद में क्रीम या दूध न डाले .
दही बड़ा विरुद्ध आहार है .
4 बजे के बाद केले , दही , शरबत , आइसक्रीम आदि का सेवन ना करे .
आटा लगाने के लिए दूध का इस्तेमाल ना करे .
गर्मियों में हरी मिर्च और सर्दियों में लाल मिर्च का सेवन करे .
सुबह ठंडी तासीर की और शाम के बाद गर्म तासीर के खाने का सेवन करे .
पकौड़ों के साथ चाय या मिल्क शेक नहीं गरम कढ़ी ले .
फलों को सुबह नाश्ते के पहले खाए . किसी अन्य खाने के साथ मिलाकर ना ले .कच्चा सलाद भी खाने के पहले खा ले .
दही वाले रायते को हिंग जीरे का तडका अवश्य लगाएं .
दाल में एक चम्मच घी अवश्य डाले .
खाली पेट पान का सेवन ना करे .
खाने के साथ पानी नहीं ज़्यादा पानी डाला छाछ या ज्यूस या सूप पियें .
अत्याधिक नमक और खट्टे पदार्थ सेहत के लिए ठीक नहीं .
बघार लगाने में खूब हिंग , जीरा , सौंफ , मेथीदाना , धनिया पावडर , अजवाइन आदि का प्रयोग करें .
जो अन्न द्विदलीय है (दो भागों में टूटा हुआ) के साथ दही का प्रयोग वर्जित है. उससे नुकसान होगा. अगर खाना ही है तो उससे मेथी, और अजवायन से बघार लें.
उपचार और प्रयोग-
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