Thursday, July 30, 2015

गर्भावस्था में क्या खाए .?

माँ बनने की सुखद अनुभूति सिर्फ एक माँ ही जान सकती है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है किअपने गर्भ में पलते शिशु के लिए जरुरी सभी पोषक तत्व मिल सकेंगे। इसलिए ये यह जरुरी है की आप अच्छा खाएं।

आपको गर्भावस्था के दौरान कुछ और अधिक कैलोरी की भी ज़रूरत होगी। गर्भावस्था में सही आहार का मतलब है आप क्या खा रही हैं, न की कितना खा रही हैं। जंक फूड का सेवन सीमित मात्रा में करें, क्योंकि इसमें केवल कैलोरी ज्यादा होती है और पोषक तत्व कम या न के बराबर होते हैं।

आपका आहार शुरुआत से ही ठीक नहीं है, तो यह और भी महत्वपूर्ण है की आप अब स्वस्थ आहार खाएं। आपको अब और अधिक विटामिन और खनिज, विशेष रूप से फॉलिक एसिड और आयरन की जरूरत है।

आपको मलाईरहित (स्किम्ड) दूध, दही, छाछ, पनीर लेना चाहिए क्युकि इन खाद्य पदार्थों में कैल्शियम, प्रोटीन और विटामिन बी -12 की उच्च मात्रा होती है। अगर आपको लैक्टोज असहिष्णुता है, या फिर दूध और दूध से बने उत्पाद नहीं पचते, तो अपने खाने के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें।

अगर आप मांस नहीं खाती हैं, तो ये सब प्रोटीनके अच्छे स्रोत हैं। शाकाहारीयों को प्रोटीन के लिए प्रतिदिन 45 ग्राम मेवे और 2/3 कप फलियों की आवश्यकता होती है। एक अंडा, 14 ग्राम मेवे या ¼ कप फलियां लगभग 28 ग्राम मांस, मुर्गी या मछली के बराबर मानी जाती हैं।

खूब सारे पेय पदार्थों का सेवन करें, खासकर पानी और ताजा फलों के रस का। सुनिश्चित करें कि आप साफ उबला हुआ या फ़िल्टर किया पानी ही पियें । घर से बाहर जाते समय अपना पानी साथ लेकर जाएं या फिर प्रतिष्ठित ब्रांड का बोतल बंद पानी ही पीएं। अधिकांश रोग जलजनित विषाणुओं की वजह से ही होते हैं। डिब्बाबंद जूस का सेवन कम ही करें, क्योंकि इनमें बहुत अधिक चीनी होती है ।

घी, मक्खन. नारियल के दूध और तेल में संतृप्त वसा (सैचुरेटेड फैट) की उच्च मात्रा होती है, जो की अधिक गुणकारी नहीं होती। वनस्पति घी में ट्रांस फैट (वसा) अधिक होती है, अत: वे संतृप्त वसा की तरह ही शरीर के लिए अच्छी नहीं हैं। वनस्पति तेल (वेजिटेबल तेल)वसा का एक बेहतर स्त्रोत है, क्योंकि इसमें असंतृप्त वसा अधिक होती है।

अपने गर्भस्थ शिशु के विकास के लिए आपको अपने आहार में पर्याप्त मात्रा में आयोडीन शामिल करने की आवश्यकता है।

आपको कितना भोजन करने की जरुरत है, इस बात का सर्वोत्तम संकेत आपकी अपनी भूख है। हो सकता है आप पाएं कि भोजन की मात्रा आपकी गर्भावस्था के दौरान बदलती रहती है।

ये हो सकता है पहले कुछ हफ्तों में आपको समुचित भोजन करने की इच्छा न हो, विशेष तौर पर यदि आपको मिचली या या उल्टी हो रही है। ऐसा हो, तो कोशिश करें की दिन भर में छोटी मात्रा में, लेकिन कई बार कुछ भोजन करती रहें। अपनी गर्भावस्था के मध्य हिस्से में आपको पहले की तरह ही भूख लग सकती है। भूख में कुछ बढ़ोतरी भी हो सकती है और हो सकता है आप सामान्य से अधिक खाना चाहें। गर्भावस्था के अंत में आपकी भूख संभवत: बढ़ जाएगी। यदि आपको अम्लता, जलन या खाने के बाद पेट भारी सा महसूस होता है, तो आपके लिए थोड़े-थोड़े अंतराल पर छोटा-छोटा भोजन करना सही रहेगा। जब भूख लगे तब खाएं। ज्यादा कैलोरी युक्त कम पोषण वाले व्यंजनों की बजाय स्वस्थ भोजन चुनें।

कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ हैं, जिनसे गर्भावस्था के दौरान आपको दूर रहना चाहिए। ये आपके शिशु के लिए असुरक्षित साबित हो सकते हैं। जैसेः-

अपाश्च्युरिकृत दूध (भैंस या गाय का दूध) और इससे बने डेयरी उत्पादों का सेवन गर्भावस्था में सुरक्षित नहीं है।

इनमें ऐसे विषाणुओं के होने की संभावना रहती है, जिनसे पेट के संक्रमण और तबियत खराब होने का खतरा रहता है।

गर्भावस्था के समय विषाक्त भोजन आपको बहुत बीमार कर सकता है क्योंकि संक्रमण के प्रति आप अधिक संवेदनशील होती हैं। कहीं बाहर खाना खाते समय भी पनीर से बने व्यंजनों जैसे टिक्का और कच्चे पनीर के सैंडविच आदि के सेवन से बचें, क्योंकि पनीर ताजा है या नहीं, यह बता पाना मुश्किल हो सकता है।

सफेद, फफुंदीदार पपड़ी वाली चीज़ जैसे ब्री और कैमेम्बर्ट या फिर नीली (ब्लू वेन्ड)चीज़। इसके अलावा भेड़ या बकरी आदि के दूध से बनी अपाश्च्युरिकृत मुलामय चीज से भी दूर रहें। इन सभी तरह की चीज़ में लिस्टीरिया जीवाणु होने का खतरा रहता है, जिससे लिस्टिरिओसिस नामक संक्रमण हो सकता है। यह संक्रमण आपके अजन्मे शिशु को नुकसान पहुंचा सकता है।
कच्चा या अधपका मांस , मुर्गी और अंडे। इन सभी में हानिकारक जीवाणु होने की संभावना रहती है, इसलिए सभी किस्म के मांस को तब तक पकाएं, जब तक कि उनसे सभी गुलाबी निशान हट जाएं। अंडे भी सख्त होने तक अच्छी तरह पकाएं।

डिब्बाबंद मछली अक्सर नमक के घोल में संरक्षित करके रखी जाती हैं। अधिक नमक शरीर में पानी के अवधारण की वजह बन सकता है। इसलिए डिब्बाबंद मछली का पानी अच्छी तरह निकाल दें और प्रसंस्कृत मछली का सेवन कभी-कभी ही करें। मादक पेय। गर्भावस्था में अत्याधिक शराब पीने से बच्चों में शारीरिक दोष, सीखने की अक्षमता और भावनात्मक समस्याएं पैदा हो सकती हैं। इसलिए बहुत से विशेषज्ञ , यह सलाह देते हैं की गर्भावस्था के दौरान शराब छोड़ देनी चाहिए।

ध्यान रखें कि सभी महिलाओं में एक समान वजन नहीं बढ़ता। अपनी गर्भावस्था में आपका वजन कितना बढ़ता है, यह कई कारणों पर निर्भर करता है। इसलिए स्वस्थ आहार खाने की ओर ध्यान दें। स्टार्चयुक्त कार्बोहाइड्रेट, फल और सब्जियों, प्रोटीन की उचित मात्रा और दूध और डेयरी उत्पादों का सेवन करें। वसा और शर्करा का कम मात्रा में उपभोग करें।

जब आपका वजन बढ़ता है, तो इसके साथ-साथ यह भी महत्वपूर्ण है कि वजन कितनी मात्रा में बढ़ा है। हो सकता है पहली तिमाही में आपका वजन कुछ ज्यादा नहीं बढ़े। फिर दूसरी तिमाही में इसमें निरंतर वृद्धि होनी चाहिए। तीसरी तिमाही में आपका वजन सबसे अधिक बढ़ता है, क्योंकि गर्भ में आपका शिशु भी सबसे ज्यादा इसी तिमाही में बढ़ता है। यदि आपका वजन 90 किलोग्राम से अधिक या 50 किलोग्राम से कम है, तो आपकी डॉक्टर एक विशेष आहार की सलाह दे सकती है।

हो सकता है की आपको भूख न हो, परन्तु यह संभावना है कि आपका शिशु भूखा हो। इसलिए हर चार घंटे कुछ खाने की कोशिश करनी चाहिए। कभी-कभी सुबह या फिर सारे दिन की मिचली, कुछ खाद्य पदार्थों को नापसंद करना, अम्लता या अपच के कारण खाना खाने में मुश्किल हो सकती है। दिन में तीन बार बड़े भोजन करने की बजाय पांच या छह बार कम मात्रा में भोजन का सेवन करने की कोशिश करें। आपके शिशु को नियमित रूप से आहार की जरूरत है, और आपको अपनी ऊर्जा के स्तर को बनाए रखने की जरूरत है, तो कोशिश करें की सही समय पर खाना ज़रूर खाएं। उच्च फाइबर और पूर्ण अनाज के भोजन खाने से आपका पेट ज्यादा देर तक भरा हुआ रहेगा और ये अधिक पौष्टिक भी होंगे।

आप गर्भवती हैं, इसलिए आपको अपने सभी पंसदीदा खाद्य पदार्थ छोड़ने की आव श्यकता नहीं है। परन्तु प्रसंस्कृत (प्रोसेस्ड) या अत्याधिक तला हुआ भोजन एवं स्नैक्स तथा चीनी से भरे मिष्ठान आपके आहार का मुख्य हिस्सा नहीं होने चाहिए। जहाँ तक स्नैक्स की बात है, आईसक्रीम की बजाय एक केला खाएं अथवा कैलोरियों से भरपूर जलेबी की जगह बादाम या केसर का दूध पीएं। यदि आपको कभी-कभी चॉकलेट या गुलाब जामुन खाने का मन हो, तो संकोच न करें। उसके हर एक निवाले का आनंद भी लें-

उपचार स्वास्थ्य और प्रयोग-

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