
* पेय पदार्थों से लेकर चॉकलेट बार्स तक में तरह तरह के बीज पाए जाते हैं। बीजों से हमें पोषण भी मिलता है। आप जानिए बीजों से होने वाले फायदों के बारे में।
अनार के बीज :-
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* अनार के कई फायदे हैं। अनार हृदय रोगों, तनाव और यौन जीवन के लिए बेहतर माना जाता है। अनार के रसदार बीजों में कैलोरी नहीं होती है।
* अनार के बीज एंटी ऑक्सिडेंट्स से भरपूर होते हैं।
* अनार में शामिल विटामिन सी चर्बी को कम करने में मदद करता है। अगर आप भी वजन कम करना चाहते हैं तो अनार के दाने आपकी इसमें मदद कर सकते हैं।
* अतिसार में अनार के दानों को भूनकर रस निकालकर सेवन करने से लाभ होता है।
* महिलाओं में यदि मासिक धर्म अनियमित हो या अधिक समय तक आता हो तो उन्हें 100 ग्राम अनार के पत्ते लेकर, उनका रस निकालकर इस रस को एक चम्मच ठंडे पानी में मिलाकर सुबह-शाम चालीस दिन तक लेना चाहिए। मासिक धर्म के दिनों में इसका सेवन नहीं करना चाहिए1
* जिन लोगों को शारीरिक गर्मी अधिक रहती हो, दिल की धड़कन अधिक तेज रहती हो, उन्हें मीठे अनार का रस दिन में 2 बार पीना चाहिए।
*खांसी का दौरा पड़ने पर अनार के छिलके को मुंह में रखकर उसे धीरे धीरे चूसना शुरू कर दें। इससे खांसी रुक जाएगी।
* अनार के छिलकों के चूर्ण का सुबह-शाम एक-एक चम्मच सेवन करने से #बवासीर ठीक हो जाता है। सूखे अनार के छिलकों का चूर्ण दिन में 2-3 बार एक-एक चम्मच ताजा पानी के साथ लेने से बार-बार पेशाब आने की समस्या ठीक हो जाती है।
* अनार के छिलकों को पानी में उबालकर, उससे कुल्ला करने से सांस की बदबू समाप्त हो जाती है।
* अनार के फूलों का ताजा रस निकालकर उसकी बूंदें नाक में डालने से नकसीर बंद हो जाती है।
भांग :-
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* आमतौर पर भांग को नशे से जोड़कर देखा जाता है लेकिन इसका बीज सेहत के लिए भी फायदेमंद होता है। यह पूर्ण प्रोटीन पाने के कुछ शाकाहारी स्रोतों में से एक है क्योंकि इसमें सभी 20 अमीनो एसिड पाए जाते हैं। जो कैलोरी को जलाने वाली मांसपेशियों के विकास के लिए अहम हैं।
* कसरत के बाद भांग के कुछ बीजों का जूस या शेक के साथ सेवन किया जा सकता है।
* पत्तियों के स्वरस का अर्क बनाकर कान में 2-3 बूँद डालना सिरदर्द के लिए अच्छी औषधि है।
* मानसिक रोगों में चिकित्सक इसे 125 मिलीग्राम की मात्रा में आधी मात्रा हींग मिलाकर प्रयोग कराते हैं।
* काली मिर्च के साथ भांग का चूर्ण चिकित्सकीय परामर्श में सुबह और शाम रोगी को चटाने मात्र से भूख बढ़ जाती है। चिकित्सक के परामर्श से इसे अन्य औषधियों के साथ निश्चित मात्रा में लेने से श्रेष्ठ वाजीकारक (सेक्सुअल -एक्टिविटी बढ़ाने वाला ) प्रभाव प्राप्त होता है।
* भांग के पत्तों के चूर्ण को घाव पर लगाने से घाव शीघ्र ही भरने लगता है।
* इसके बीजों से तेल प्राप्त कर जोड़ों के दर्द में मालिश करने से भी लाभ मिलता है।
* भांग के चूर्ण से दुगुनी मात्रा में शुंठी का चूर्ण और चार गुणी मात्रा में जीरा मिलाकर देने पर कोलाईटीस या बार -बार मल त्याग करने (आंवयुक्त अतिसार) में लाभ मिलता है।
तुलसी का बीज : -
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* तुलसी के बीज को कैल्शियम पाने के लिए खाया जा सकता है। दो चम्मच तुलसी के बीज एक स्लाइस चेडर चीज के बराबर होते हैं।
* तुलसी के बीजों का सेवन दूध के साथ करने से पुरुषों में बल बढ़ता है और वीर्य की क्षमता में बढ़ोतरी होती है।
* शीघ्र पतन एवं वीर्य की कमी में तुलसी के बीज 5 ग्राम रोजाना रात को गर्म दूध के साथ लेने से समस्या दूर होती है
* नपुंसकता में तुलसी के बीज 5 ग्राम रोजाना रात को गर्म दूध के साथ लेने से नपुंसकता दूर होती है और यौन-शक्ति में बढोतरि होती है।
* यौन दुर्बलता में 15 ग्राम तुलसी के बीज और 30 ग्राम सफेद मुसली लेकर चूर्ण बनाएं, फिर उसमें 60 ग्राम मिश्री पीसकर मिला दें। और शीशी में भरकर रख दें। 5 ग्राम की मात्रा में यह चूर्ण सुबह-शाम गाय के दूध के साथ सेवन करें इससे यौन दुर्बलता दूर होती है।
* मासिक धर्म में अनियमियता होने पर जिस दिन मासिक आए उस दिन से जब तक मासिक रहे उस दिन तक तुलसी के बीज 5-5 ग्राम सुबह और शाम पानी या दूध के साथ लेने से मासिक की समस्या ठीक होती है
* गर्भधारण की समस्यामें जिन महिलाओ को गर्भधारण में समस्या है वो मासिक आने पर ५-५ ग्राम तुलसी बीज सुबह शाम पानी के साथ ले जब तक मासिक रहे , मासिक ख़त्म होने के बाद माजूफल का चूर्ण १० ग्राम सुबह शाम पानी के साथ ले ३ दिन तक.
* इसे फालूदा में इस्तेमाल किया जाता है . इसे भिगाने से यह जेली की तरह फुल जाता है . इसे हम दूध या लस्सी के साथ थोड़ी देशी गुलाब की पंखुड़ियां दाल कर ले तो गर्मी में बहुत ठंडक देता है .इसके अलावा यह पाचन सम्बन्धी गड़बड़ी को भी दूर करता है .यह पित्त घटाता है ये त्रीदोषनाशक , क्षुधावर्धक है.
कद्दू का बीज :-
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* कद्दू के बीज का सेवन ऊर्जा पाने के लिए किया जा सकता है। कद्दू के बीज बहुत गुणकारी होते हैं साथ ही इसमें आयरन की मात्रा अच्छी खासी होती है जो उच्च ऊर्जा को बनाए रखने में मदद करता है।
* अलसी और कद्दू के बीजों की समान मात्रा (करीब 2 ग्राम प्रत्येक) प्रतिदिन एक बार ली जाए तो माना जाता है कि लिवर की कमजोरी और दिल की समस्याओं के निपटारे के लिए कारगर होते हैं।
* शरीर के जिन हिस्सों पर घाव पक चुके हैं या किसी तरह का संक्रमण हो गया हो, उन जगहों पर सूखे बीजों का चूर्ण या ताजा बीजों को कुचलकर उनका रस लगा देने से आराम मिल जाता है।
* जिन बच्चों की पेशाब टेस्ट सैंपल में कैल्शियम ओक्सेलेट के कण पाए गए, उनके खाने में कद्दू के बीजों को मिलाकर देने से इस समस्या को काफी हद तक कम होते देखा गया। कैल्शियम ओक्सेलेट दरअसल किडनी में पथरी का निर्माण करते हैं।
* आप या आपके परिवार का कोई भी सदस्य अनिद्रा की समस्या से ग्रस्त है तो कद्दू के बीज उसके लिए बहुत मददगार साबित हो सकते हैं। इसमें एमिनो एसिड ट्रीप्टोफन की मौजूदगी शरीर में सेरोटोनिन को परिवर्तित कर गहरी नींद में मदद करता है।
* इस चमत्कारिक बीज में सुपाच्य प्रोटीन होता है। जो शरीर में रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है और अग्न्याशय को सक्रिय करता है। इसी कारण मधुमेह रोगियों को कद्दू के बीज खाने की सलाह दी जाती हैं।
* कद्दू के बीज के तेल में ओमेगा-3s बहुत अधिक मात्रा में होता है जो प्रोस्टेटिक अतिवृद्धि यानी बीपीएच के जोखिम को कम करने में मदद करता है।
* जिन लोगों में एनर्जी का लेवल कम होता है, उन लोगों के लिए कद्दू के बीज रामबाण की तरह काम करते हैं। इन बीजों के सेवन शरीर में रक्त और ऊर्जा के स्तर के निर्माण में मदद करता है।
तिल :-
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* स्वस्थ हृदय के लिए तिल का बीज लाभदायक है। तिल में लिनोलेनिक एसिड होता है, यह ओमेगा 6 फैटी एसिड है जो हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने में मदद करता है। इस बीज को भूनकर खाया जा सकता है।
* तिल के पौधे की जड़ और पत्तों के काढ़े से बालों को धोने से बालों पर काला रंग आने लगता है।
* काले तिलों के तेल को शुद्ध करके बालों में लगाने से बाल असमय में सफेद नहीं होते हैं।
* प्रतिदिन सिर में तिल के तेल की मालिश करने से बाल हमेशा मुलायम, काले और घने रहते हैं।
* तिल के फूल और गोक्षुर को बराबर मात्रा में लेकर घी और शहद में पीसकर लेप बना लें। इसे सिर पर लेप करने से गंजापन दूर होता है।
* तिल के तेल की मालिश करने के एक घंटे बाद एक तौलिया गर्म पानी में डुबोकर उसे निचोड़कर सिर पर लपेट लें तथा ठण्डा होने पर दोबारा गर्म पानी में डुबोकर निचोड़कर सिर पर लपेट लें। इस प्रकार 5 -मिनट लपेटे रखें। फिर ठंड़े पानी से सिर को धो लें। ऎसा करने से बालों की रूसी दूर हो जाती है।
अलसी का बीज :-
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* अलसी के बीज में कैंसर रोधी तत्व होते हैं। यह छोटे बीज बहुत ही फायदेमंद होते हैं इनमें लिग्नेन और ओमेगा 3 फैटी एसिड होते हैं जो सूजन दूर करते हैं। साथ ही अलसी शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाती है। यह जोड़ों के दर्द में राहत दिलाती है।
* अलसी इस धरती का सबसे शक्तिशाली पौधा है।
* रोज सुबह-शाम एक-एक चम्मच अलसी का पाउडर पानी के साथ ,सब्जी, दाल या सलाद मंे मिलाकर लेना चाहिए । अलसी के पाउडर को ज्यूस, दूध या दही में मिलाकर भी लिया जा सकता है। इसकी मात्रा 30 से 60 ग्राम प्रतिदिन तक ली जा सकती है। 100-500 ग्राम अलसी को मिक्सर में दरदरा पीस कर किसी एयर टाइट डिब्बे में भर कर रख लें। अलसी को अधिक मात्रा मंे पीस कर न रखें, यह पाउडर के रूप में खराब होने लगती है। सात दिन से ज्यादा पुराना पीसा हुआ पाउडर प्रयोग न करें। इसको एक साथ पीसने से तिलहन होने के कारण खराब हो जाता है।
* समान मात्रा में अलसी पाउडर, शहद, खोपराचूरा, मिल्क पाउडर व सूखे मेवे मिलाकर नील मधु तैयार करें। कमजोरी में व बच्चों के स्वास्थ्यके लिए नील मधु उपयोगी है।
* डायबीटिज के मरीज को आटा गुन्धते वक्त प्रति व्यक्ति 25 ग्राम अलसी काॅफी ग्राईन्डर में ताजा पीसकर आटे में मिलाकर इसका सेवन करना चाहिए। अलसी मिलाकर रोटियाँ बनाकर खाई जा सकती हैं। अलसी एक जीरो-कार फूड है अर्थात् इसमें कार्बोहाइट्रेट अधिक होता है।शक्कर की मात्रा न्यूनतम है।
* साफ बीनी हुई और पोंछी हुई अलसी को धीमी आंच पर तिल की तरह भून लें।मुखवास की तरह इसका सेवन करें। इसमें संेधा नमक भी मिलाया जा सकता है। ज्यादा पुरानी भुनी हुई अलसी प्रयोग में न लें।
गेहूं के अंकुर :-

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* पाचन के लिए अंकुरित गेंहू का इस्तेमाल किया जा सकता है। अंकुरित गेंहूं में विटामिन ई भरपूर मात्रा में होता है। अंकुरित गेहूं के दानों को चबाकर खाने से शरीर की कोशिकाएं शुद्ध होती हैं और इससे नई कोशिकाओं के विकास में भी मदद मिलती है। अंकुरित गेहूं में मौजूद फाइबर की वजह से इसके नियमित सेवन से पाचन क्रिया भी सुचारु रहती है।
* अंकुर उगे हुए गेहूं में विटामिन-ई भरपूर मात्रा में होता है। शरीर की उर्वरक क्षमता बढ़ाने के लिए विटामिन-ई एक आवश्यक पोषक तत्व है।
* इस तरह के गेहूं के सेवन से त्वचा और बाल भी चमकदार बने रहते हैं। किडनी, ग्रंथियों, तंत्रिका तंत्र की मजबूत तथा नई रक्त कोशिकाओं के निर्माण में भी इससे मदद मिलती है। अंकुरित गेहुं में मौजूद तत्व शरीर से अतिरिक्त वसा का भी शोषण कर लेते हैं।
*अंकुरित गेहूं खाने से शरीर का मेटाबॉलिज्म रेट बढ़ता है। यह शरीर में बनने वाले विषैले तत्वों को भी निष्प्रभावी कर, रक्त को शुद्घ करता है। अंकुरित गेहूं के दानों को चबाकर खाने से शरीर की कोशिकाएं शुद्घ होती हैं और इससे नई कोशिकाओं के निर्माण में भी मदद मिलती है। अंकुरित गेहूं में उपस्थित फाइबर के कारण इसके नियमित सेवन से पाचन क्रिया भी सुचारु रहती है।
उपचार स्वास्थ्य और प्रयोग -
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