Thursday, July 23, 2015

टॉन्सिल क्या है करे उपचार .?

* गले के प्रवेश द्वार के दोनों तरफ मांस की गांठ सी होती है जिसे हम टॉन्सिल कहते हैं। जब इनमे सूजन आ जाती है इसे हम टॉन्सिल होना कहते हैं। ये सूजन कम या ज्यादा हो सकती है। इसमें गले में बहुत दर्द होता है। इनमें पैदा होने वाली सूजन को टॉन्सिलाइटिस कहा है - इसमें गले में बहुत दर्द होता है तथा खाने का स्वाद भी पता नहीं चलता है -








* चावल , ज्यादा ठन्डे पेय पदार्थों का सेवन , मैदा तथा ज्यादा खट्टी वस्तुओं का अधिक प्रयोग करना टॉन्सिल बढ़ने का मुख्य कारण है | इन सबसे अम्ल (गैस ) बढ़ जाती है जिससे कब्ज़ हो जाती है | सर्दी लगने से , मौसम के अचानक बदल जाने से , जैसे गर्म से अचानक ठंडा हो जाना तथा दूषित वातावरण में रहने से भी कई बार टॉन्सिल बढ़ जाते हैं | इस रोग के होते ही ठण्ड लगने के साथ बुखार भी आ जाता है , गले पर दर्द के मरे हाथ नहीं रखा जाता और थूक निगलने में भी परेशानी होती है |

 टॉन्सिलाइटिस दो प्रकार का होता है-

नए प्रकार का -

* पहले दोनों ओर की तालुमूल ग्रंथि (टॉन्सिल) या एक तरफ की एक टॉन्सिल, पीछे दूसरी तरफ की टॉन्सिल फूलती है। इसका आकार सुपारी के आकार का हो सकता है। उपजिह्वा भी फूलकर लाल रंग की हो जाती है। खाने-पीने की नली भी सूजन से अवरुद्ध हो जाती है‍ जिससे खाने-पीने के समय दर्द होता है। टॉन्सिल का दर्द कान तक फैल सकता है एवं 103-104 डिग्री सेल्सियस तक बुखार चढ़ सकता है।जबड़े में दर्द होता है। गले की गाँठ फूलती है, मुँह फाड़ नहीं सकता है। पहली अवस्था में अगर इलाज से रोग न घटे तो धीरे-धीरे टॉन्सिल पक जाता है और फट भी सकता है।

पुराने प्रकार का-

* जिन व्यक्तियों को बार-बार टॉन्सिल की बीमारी हुआ करती है तो वह क्रोनिक हो जाती है। इस अवस्था में श्वास लेने और छोड़ने में भी कठिनाई होती है तथा टॉन्सिल का आकार सदा के लिए सामान्य से बड़ा दिखता है।

आइये जानते हैं टॉन्सिलाइटिस के कुछ उपचार :—

* गर्म (गुनगुने ) पानी में एक चम्मच नमक डालकर गरारे करने से गले की सूजन में काफी लाभ होता है |

* दालचीनी को पीस कर चूर्ण बना लें | इसमें से चुटकी भर चूर्ण लेकर शहद में मिलाकर प्रितिदिन 3 बार चाटने से टॉन्सिल के रोग में सेवन करने से लाभ होता है | इसी प्रकार तुलसी की मंजरी के चूर्ण का उपयोग भी किया जा सकता है |

* एक गिलास पानी में एक चम्मच अजवायन डालकर उबाल लें | इस पानी को ठंडा करके उससे गरारे और कुल्ल्ला करने से टॉन्सिल में आराम मिलता है |

* दो चुटकी पिसी हुई हल्दी, आधी चुटकी पिसी हुई कालीमिर्च और एक चम्म्च अदरक के रस को मिलाकर आग पर गर्म कर लें और फिर शहद में मिलाकर रात को सोते समय लेने से दो दिन में ही टॉन्सिल की सूजन दूर हो जाती है |

* गले में टॉन्सिल होने पर सिंघाड़े को पानी में उबालकर उसके पानी से कुल्ला करने से आराम होता है |

* भोजन में बिना नमक की उबली हुई सब्ज़ियाँ खाने से टॉन्सिल में जल्दी आराम आ जाता है | मिर्च-मसाले , ज्यादा तेल की सब्ज़ी , खट्टी व ठंडी वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए | गर्म पदार्थों के सेवन के पश्चात ठंडे पदार्थों का सेवन कदापि न करें |

होमियोपेथी इलाज :-
============

साधारण औषधि :-
===========

बेराईटा, बेलाडोना, एसिड बेन्जो, बार्बेरिस, कैन्थर, कैप्सिकम, सिस्टस, फेरमफॉस, गुएकेम, हिपर सल्फर, हाईड्रैस्टीस, इग्नेसिया, कैलीबाईक्रोम, लैकेसिस, मरक्युरियस, लाईकोपोडियम, मर्क प्रोटो ऑयोड, मर्क बिन आमोड, नेट्रम सल्फ, एसिड नाइट्रीकम, फाईटोलैक्का, रसटक्स, सालिसिया, सल्फर एवं एसिड सल्फर कारगर दवाएँ हैं।

क्रोनिक की अवस्था में:-
===============

* 200 पोटेन्सी की उपरोक्त लक्षणानुसार दवा बारंबारता से दोहराव करने पर रोग का कुछ महीनों में शमन होता है एवं आरोग्यता आती है।

जो रोगी जो सर्जरी से बचना चाहते हैं या कम उम्र के बच्चे , डायबिटीज अथवा हृदय रोग से पी‍ड़ित रोगी जिन्हें टॉन्सिल्स हैं, एक बार होम्योपैथिक दवाओं का चमत्कार आजमा कर स्वस्थ हो सकते हैं।

उपचार स्वास्थ्य और प्रयोग-

No comments:

Post a Comment