अधिकतर लोग हेल्थ पॉलिसी का चुनाव इंश्योरेंस एडवाइजर की सलाह पर करते हैं और ऐसे में वे सही जानकारी से महरूम रह जाते हैं।
विशाल जनसंख्या वाले इस देश में ज्यादातर लोगों के पास हेल्थ कवर नहीं है। जिनके पास है भी, उनको इसकी सही समझ नहीं होती कि उनके लिए कौन सा हेल्थ कवर ठीक है।
कस्टमर हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने में कहां गलती करते हैं :-
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जी हाँ मैं कस्टमर की गलती के विषय में नहीं बल्कि उनके अपेक्षाओं के बारे में बताना चाहूंगा। ये तीन महत्वपूर्ण बिंदु पर प्रकाश डाल रहा हूं। ज्यादातर उपभोक्ताओं को यह गलतफहमी रहती है कि हेल्थ इंश्योरेंस, हॉस्पिटल में होने वाले खर्च के बराबर होता है। यदि कंपनी की ओर से ग्रुप इंश्योरेंस कराई जाती है तो भी वह समझते हैं कि हेल्थकेयर के लिए सोचने की जरूरत नहीं है। इस तरह की गलती अममून बहुतायत उपभोक्ताओं के साथ देखने को मिलती है।
हेल्थ केयर का कास्ट कुछ सालों के अंदर कई गुणा बढ़ गया है। हालांकि हेेल्थ इंश्योरेंस बहुत जरूरी है। इसी को देखते हुए हम अपनी कंपनी 'बिगडिसिजन' के माध्यम से लोगों को जानकारी देते हैं कि उनके लिए कौन सा हेल्थ इंश्यारेंस जरूरी है।
यदि आप दूसरी मुख्य बात पर नजर डालें तो लोगों को सही पालिसी की समझ नहीं होती। कई ऐसी पालिसी होती है जो बीमारी को देखते हुए भुगतान करती है। कस्टमर को पालिसी लेने से पहले उससे जुड़ी जानकारियां जुटानी चाहिए या एडवाइजर से जानकारी लेनी चाहिए।
बीमा कंपनियां पैसे बनाने के लिए मार्केट में काम कर रही है। वे अपने लाभ को अधिक करने के लिए प्रीमियम अधिक लेना चाहते हैं। प्रीमियम की गणनना कस्टमर द्वारा दी गई जानकारी पर आधारित होती है। कंपनियां प्रीमियम की गणनना परिवार के इतिहास, तम्बाकू सेवन आदि को देखते हुए तय करती हैं। सही जानकारी देकर आप कम प्रीमियम भुगतान करके भी हेल्थ इंश्योरेंस ले सकते हैं।
पालिसी लेने पहला फैसला महत्वपूर्ण है:-
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यह हर किसी के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है कि वह बीमार होने का इंतजार किए बिना, अपनी जरूरत को देखते हुए हेल्थ पालिसी लेनी चाहिए। जब आप युवा होते हैं तो आपका प्रीमियम कम होता है। उम्र बढऩे के साथ प्रीमियम बढ़ता जाता है। इसलिए प्रीमियम का चुनाव करने के लिए शुरुआती फै सला काफी महत्वपूर्ण होता है। अन्यथा पालिसी पर क्लेम का लाभ कम ही मिलता है और आश्चर्य अधिक होता है। आप किसी भी इंश्योंरेस कंपीनी के पास ऐसे इंश्योरेंस लिजिए जिसका प्रीमियम कम हो और सम इंश्योरर्ड ज्यादा हो। इसके साथ ही कोशिश करनी चाहिए कि आपको उसी इंश्योरेंस कंपनी से ज्यादा लाभ मिल सके, जैसे कि अधिक विस्तृत कवर बीमारियों पर और ज्यादा नो-क्लेम बोनस।
आपकी बीमारी में जो खर्च हुआ उसके मुकाबले इंश्योरेंस कंपनी पैसा कम देती है। जानते है ऐसा क्यों होता है :-
ऐसा उस केस में होता है, जब बिल अमाउंट बीमा पालिसी में दिए हुए एश्योर्ड रकम से अधिक हो जाता है। ऐसी हालत में पालिसी-धारक को ही पैसा देना होता है। दूसरी स्थिति तब आती है जब खर्च की गई रकम बहुत ही कम होती है और उसे क्लेम नहीं किया जा सकता। इसके अलावा भी कई अन्य कारण हो सकते हैं, जो बेईमानी की ओर इशारा करते हैं।
इलाज का खर्च बहुत ही बढ़ गया है। एक आदमी इस बढ़ी हुई महंगाई में हेल्थ इंश्योरेंस कैसे ले.?
यही एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें इंसान गलती नहीं कर सकता है तो वह हेल्थ केयर है। आपको पता होना चाहिए की कुछ सालों के अंदर ही हेल्थ कास्ट किस तेजी से बढ़ गया है। हेल्थ इंश्योरेंस आपको इसमें मदद करता है।
वर्तमान में हेल्थ इंश्योरेंस का दायरा काफी बढ़ गया है जो कि 5-10 साल पहले नहीं हुआ करता था। मान ले कि एक फैमिली मेंबर का हास्पिटल का बिल 10 लाख आया और इंश्योरेंस कावर मात्र तीन लाख रुपए का था। हेल्थ इंश्योरेंस वास्तव में एक धन संरक्षण उपकरण है। यदि बीमा की रकम कम है तो यह आपके परिवार को कई साल पीछे कर देता है।
कम खर्च में पूरे परिवार का बीमा कैसे लिया जाए:-
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हेल्थ इंश्योरेंस में दो प्रकार से बीमा किया जाता है। पहला व्यक्तिगत बीमा, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति का बीमा होता है और दूसरा पूरे परिवार का बीमा, जिसमें परिवार के सदस्यों की कोई सीमा नहीं होती। यदि आप व्यक्तिगत बीमा कराते हैं और आपके परिवार में 4 लोग हैं और सभी की पालिसी 3 लाख रुपए है तो 12 लाख रुपए की पालिसी आपके पूरे परिवार की हुई। इस बीमा में व्यक्तिगत बीमा कवर 3 लाख रुपया हुआ, जबकि दूसरे केश में सदस्यों की कोई संख्या नहीं है। दूसरे हालात में प्रीमियम परिवार के सबसे बड़े सदस्य को देखते हुए तय किया जाता है। ज्यादातर मामलों में फैमिली फ्लोटर अच्छा होता है न्यूक्लियर फैमिली के मुकाबले, जब परिवार के सबसे बड़े सदस्य की आयु 30 से 40 साल हो। बड़े परिवार व्यक्तिगत पालिसी के मुकाबले फ्लोटर पालिसी अच्छी मानी जाती है।
बीमा पालिसी मुख्य रुप से निवेश के लिए इस्तेमाल होती है। इस स्थिति को कैसे सही किया जाए?
हमारे देश के अंदर ज्यादातर लोगों के पास बीमा पालिसी नहीं है और जिनके पास है भी उनका सम एश्योर्ड बहुत ही कम है। जिससे उनके परिवार का गुजर-बसर नहीं चल सकता है। बीमा की रकम कम होने से वे न तो अपने घर का लोन दे सकते हैं न ही कुछ और कर सकते है। इंश्योरेंस सेक्टर में काम कर रही कंपनियों को चाहिए कि वे लोगों को जागरुक करें और सम एश्योर्ड अमाउंट को बढ़ाएं। निवेश के जरिए बचत करना अच्छी बात है, पर इससे आपके परिवार की जरूरत भी पूरी होनी चाहिए।
यदि उपभोक्ता के पास हेल्थ कवर है तो अस्पतालों में ज्यादा चार्ज किया जाता है और उपभोक्ता को अगले साल अधिक प्रीमियम का भुगतान करना होता है।
आपसी ताल-मेल से बीमा कंपनियों और हास्पिटल्स को साथ बैठकर इस मामले को सुलझाना चाहिए और उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा को सुनिश्चित करना चाहिए। उपभोक्ताओं से बिल्कुल सही प्रीमियम लेना चाहिए। किसी की बीमारी से फायदा उठाना बहुत ही बुरी बात है। किसी व्यक्ति से सिर्फ इसलिए ज्यादा चार्ज लेना क्योंकि उसके पास हेल्थ कवर है, बहुत घटिया परंपरा है, इस अवश्य रोक लगनी चाहिए।
अंत में ये कहना है कि उपभोक्ता को अपनी जरूरत को देखते हुए सही पालिसी लेनी चाहिए। इसके लिए आप थोड़ा समय लें और सही तरह से समझने के बाद ही पालिसी का चुनाव करें। इसमें नई कार या फोन खरीदने जैसा रोमांच नहीं हो सकता है, पर इसका महत्व व इसकी कीमत बहुत बड़ी है।
आपका चुनाव और सही निर्णय आपके जीवन के लिए सही फलीभूत होगा अत:सोचे समझे और फिर पालिसी ले -
उपचार और प्रयोग-http://www.upcharaurprayog.com
विशाल जनसंख्या वाले इस देश में ज्यादातर लोगों के पास हेल्थ कवर नहीं है। जिनके पास है भी, उनको इसकी सही समझ नहीं होती कि उनके लिए कौन सा हेल्थ कवर ठीक है।
कस्टमर हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने में कहां गलती करते हैं :-
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जी हाँ मैं कस्टमर की गलती के विषय में नहीं बल्कि उनके अपेक्षाओं के बारे में बताना चाहूंगा। ये तीन महत्वपूर्ण बिंदु पर प्रकाश डाल रहा हूं। ज्यादातर उपभोक्ताओं को यह गलतफहमी रहती है कि हेल्थ इंश्योरेंस, हॉस्पिटल में होने वाले खर्च के बराबर होता है। यदि कंपनी की ओर से ग्रुप इंश्योरेंस कराई जाती है तो भी वह समझते हैं कि हेल्थकेयर के लिए सोचने की जरूरत नहीं है। इस तरह की गलती अममून बहुतायत उपभोक्ताओं के साथ देखने को मिलती है।
हेल्थ केयर का कास्ट कुछ सालों के अंदर कई गुणा बढ़ गया है। हालांकि हेेल्थ इंश्योरेंस बहुत जरूरी है। इसी को देखते हुए हम अपनी कंपनी 'बिगडिसिजन' के माध्यम से लोगों को जानकारी देते हैं कि उनके लिए कौन सा हेल्थ इंश्यारेंस जरूरी है।
यदि आप दूसरी मुख्य बात पर नजर डालें तो लोगों को सही पालिसी की समझ नहीं होती। कई ऐसी पालिसी होती है जो बीमारी को देखते हुए भुगतान करती है। कस्टमर को पालिसी लेने से पहले उससे जुड़ी जानकारियां जुटानी चाहिए या एडवाइजर से जानकारी लेनी चाहिए।
बीमा कंपनियां पैसे बनाने के लिए मार्केट में काम कर रही है। वे अपने लाभ को अधिक करने के लिए प्रीमियम अधिक लेना चाहते हैं। प्रीमियम की गणनना कस्टमर द्वारा दी गई जानकारी पर आधारित होती है। कंपनियां प्रीमियम की गणनना परिवार के इतिहास, तम्बाकू सेवन आदि को देखते हुए तय करती हैं। सही जानकारी देकर आप कम प्रीमियम भुगतान करके भी हेल्थ इंश्योरेंस ले सकते हैं।
पालिसी लेने पहला फैसला महत्वपूर्ण है:-
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यह हर किसी के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है कि वह बीमार होने का इंतजार किए बिना, अपनी जरूरत को देखते हुए हेल्थ पालिसी लेनी चाहिए। जब आप युवा होते हैं तो आपका प्रीमियम कम होता है। उम्र बढऩे के साथ प्रीमियम बढ़ता जाता है। इसलिए प्रीमियम का चुनाव करने के लिए शुरुआती फै सला काफी महत्वपूर्ण होता है। अन्यथा पालिसी पर क्लेम का लाभ कम ही मिलता है और आश्चर्य अधिक होता है। आप किसी भी इंश्योंरेस कंपीनी के पास ऐसे इंश्योरेंस लिजिए जिसका प्रीमियम कम हो और सम इंश्योरर्ड ज्यादा हो। इसके साथ ही कोशिश करनी चाहिए कि आपको उसी इंश्योरेंस कंपनी से ज्यादा लाभ मिल सके, जैसे कि अधिक विस्तृत कवर बीमारियों पर और ज्यादा नो-क्लेम बोनस।
आपकी बीमारी में जो खर्च हुआ उसके मुकाबले इंश्योरेंस कंपनी पैसा कम देती है। जानते है ऐसा क्यों होता है :-
ऐसा उस केस में होता है, जब बिल अमाउंट बीमा पालिसी में दिए हुए एश्योर्ड रकम से अधिक हो जाता है। ऐसी हालत में पालिसी-धारक को ही पैसा देना होता है। दूसरी स्थिति तब आती है जब खर्च की गई रकम बहुत ही कम होती है और उसे क्लेम नहीं किया जा सकता। इसके अलावा भी कई अन्य कारण हो सकते हैं, जो बेईमानी की ओर इशारा करते हैं।
इलाज का खर्च बहुत ही बढ़ गया है। एक आदमी इस बढ़ी हुई महंगाई में हेल्थ इंश्योरेंस कैसे ले.?
यही एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें इंसान गलती नहीं कर सकता है तो वह हेल्थ केयर है। आपको पता होना चाहिए की कुछ सालों के अंदर ही हेल्थ कास्ट किस तेजी से बढ़ गया है। हेल्थ इंश्योरेंस आपको इसमें मदद करता है।
वर्तमान में हेल्थ इंश्योरेंस का दायरा काफी बढ़ गया है जो कि 5-10 साल पहले नहीं हुआ करता था। मान ले कि एक फैमिली मेंबर का हास्पिटल का बिल 10 लाख आया और इंश्योरेंस कावर मात्र तीन लाख रुपए का था। हेल्थ इंश्योरेंस वास्तव में एक धन संरक्षण उपकरण है। यदि बीमा की रकम कम है तो यह आपके परिवार को कई साल पीछे कर देता है।
कम खर्च में पूरे परिवार का बीमा कैसे लिया जाए:-
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हेल्थ इंश्योरेंस में दो प्रकार से बीमा किया जाता है। पहला व्यक्तिगत बीमा, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति का बीमा होता है और दूसरा पूरे परिवार का बीमा, जिसमें परिवार के सदस्यों की कोई सीमा नहीं होती। यदि आप व्यक्तिगत बीमा कराते हैं और आपके परिवार में 4 लोग हैं और सभी की पालिसी 3 लाख रुपए है तो 12 लाख रुपए की पालिसी आपके पूरे परिवार की हुई। इस बीमा में व्यक्तिगत बीमा कवर 3 लाख रुपया हुआ, जबकि दूसरे केश में सदस्यों की कोई संख्या नहीं है। दूसरे हालात में प्रीमियम परिवार के सबसे बड़े सदस्य को देखते हुए तय किया जाता है। ज्यादातर मामलों में फैमिली फ्लोटर अच्छा होता है न्यूक्लियर फैमिली के मुकाबले, जब परिवार के सबसे बड़े सदस्य की आयु 30 से 40 साल हो। बड़े परिवार व्यक्तिगत पालिसी के मुकाबले फ्लोटर पालिसी अच्छी मानी जाती है।
बीमा पालिसी मुख्य रुप से निवेश के लिए इस्तेमाल होती है। इस स्थिति को कैसे सही किया जाए?
हमारे देश के अंदर ज्यादातर लोगों के पास बीमा पालिसी नहीं है और जिनके पास है भी उनका सम एश्योर्ड बहुत ही कम है। जिससे उनके परिवार का गुजर-बसर नहीं चल सकता है। बीमा की रकम कम होने से वे न तो अपने घर का लोन दे सकते हैं न ही कुछ और कर सकते है। इंश्योरेंस सेक्टर में काम कर रही कंपनियों को चाहिए कि वे लोगों को जागरुक करें और सम एश्योर्ड अमाउंट को बढ़ाएं। निवेश के जरिए बचत करना अच्छी बात है, पर इससे आपके परिवार की जरूरत भी पूरी होनी चाहिए।
यदि उपभोक्ता के पास हेल्थ कवर है तो अस्पतालों में ज्यादा चार्ज किया जाता है और उपभोक्ता को अगले साल अधिक प्रीमियम का भुगतान करना होता है।
आपसी ताल-मेल से बीमा कंपनियों और हास्पिटल्स को साथ बैठकर इस मामले को सुलझाना चाहिए और उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा को सुनिश्चित करना चाहिए। उपभोक्ताओं से बिल्कुल सही प्रीमियम लेना चाहिए। किसी की बीमारी से फायदा उठाना बहुत ही बुरी बात है। किसी व्यक्ति से सिर्फ इसलिए ज्यादा चार्ज लेना क्योंकि उसके पास हेल्थ कवर है, बहुत घटिया परंपरा है, इस अवश्य रोक लगनी चाहिए।
अंत में ये कहना है कि उपभोक्ता को अपनी जरूरत को देखते हुए सही पालिसी लेनी चाहिए। इसके लिए आप थोड़ा समय लें और सही तरह से समझने के बाद ही पालिसी का चुनाव करें। इसमें नई कार या फोन खरीदने जैसा रोमांच नहीं हो सकता है, पर इसका महत्व व इसकी कीमत बहुत बड़ी है।
आपका चुनाव और सही निर्णय आपके जीवन के लिए सही फलीभूत होगा अत:सोचे समझे और फिर पालिसी ले -
उपचार और प्रयोग-http://www.upcharaurprayog.com
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