Tuesday, July 28, 2015

काले मस्से चेहरे से हटाये .?

शरीर पर मस्‍से बहुत अजीब लगते हैं। काले मस्‍से तो चेहरे की खूबसूरती को बिगाड़ देते हैं। त्‍वचा पर पेपीलोमा वायरस के कारण छोटे, खुरदुरे कठोर पिंड बन जाते हैं जिसे मस्‍सा कहते हैं। मस्‍से काले और भूरे रंग के होते हैं। मस्‍से 8 से 12 प्रकार के होते हैं। मस्‍से अक्‍सर अपने-आप समाप्‍त हो जाते हैं, लेकिन कुछ मस्‍से इलाज के बाद जाते हैं-





मस्‍से को काटने और फोड़ने के कारण मस्‍से का वायरस शरीर के अन्‍य हिस्‍सों में भी चला जाता है जिसके कारण मस्‍से हो जाते हैं। कभी कभी मस्‍से का वायरस एक आदमी से दूसरे आदमी की त्‍वचा पर आकर मस्‍सा बना देते हैं।

कई बार मस्‍से आपके लिए परेशानी और शर्मिंदगी का कारण बन सकते हैं। अगर आप इनसे राहत पाना चाहते हैं, तो कुछ घरेलू उपाय आजमा सकते हैं। ये उपाय आपको त्‍वचा के इन बिन बुलाये मेहमानों से राहत दिलाने में मदद करेंगे।

लहसुन की कली को छील लीजिए, उसके बाद उसे काटकर मस्‍सों पर र‍गडि़ए, कुछ दिन बाद मस्‍से सूखकर झड़ जाएंगे।

बेकिंग सोडा और अरंडी के तेल को रात में मस्सों लगाकर सो जाइए, ऐसा करने से मस्‍से धीरे-धीरे मस्‍से समाप्‍त हो जाते हैं।

इनमें से सलिसिलिक अम्ल (salicylic acid) का मस्से पर प्रयोग सबसे कारगर पाया गया है।

मस्‍से को समाप्‍त करने के लिए प्‍याज भी फायदेमंद है। एक प्याज को लेकर उसके रस को दिन में एक बार नियमित रूप से लगाने से मस्‍से समाप्‍त होते हैं।

खट्टे सेब लेकर उनका जूस निकाल लीजिए और उसको दिन में कम से कम तीन बार मस्से की जगह पर लगाइए। इस जूस को नियमित रूप से लगाने पर आप पाएंगे कि मस्से धीरे-धीरे झड़ रहे हैं और तीसरे सप्ताह तक लगभग समाप्‍त हो जाएंगे।

मस्से को समाप्‍त करने के लिए एक अगरबत्ती जला लें और अगरबत्ती के जले हुए गुल को मस्से का स्पर्श कर तुरन्त हटा लें। ऐसा 8-10 बार करें, ऐसा करने से #मस्सा सूखकर झड़ जाएगा। अगर ज्‍यादा मस्से हों तो बारी-बारी से सभी मस्सों को इसी तरीके से जलाकर झड़ा दें। ध्यान रहे, अगरबत्ती का स्पर्श सिर्फ मस्से पर ही होना चाहिए।

मस्‍से वाले हिस्‍से को पाइनेपल के जूस में रखिए, इससे मस्‍से नष्‍ट करने वाले एंजाइम होते हैं।

अगर आपके घर पर एलोवेरा है, तो उसका एक छोटा का टुकड़ा काटिये और ताजा जैल मस्‍से पर लगायें। इससे मस्‍सा जल्‍दी ठीक हो जाता है।

रात को सोने से पहले और सुबह उठने के बाद मस्‍सों पर शहद लगाइए, इससे मस्‍से खत्‍म हो जाते हैं।

आलू का प्रयोग करने से भी मस्‍से समाप्‍त होते हैं। आलू को छीलकर काट लीजिए, उसके कटे हुए हिस्‍से को मस्‍सों पर रगडि़ए, ऐसा करने से कुछ दिनों में मस्‍से समाप्‍त हो जाते हैं।

बरगद के पेड़ के पत्तों का रस मस्सों के उपचार के लिए बहुत ही असरदार होता है। इस प्रयोग से त्वचा सौम्य हो जाती है और मस्से अपने आप गिर जाते हैं।

केले के छिलके को अंदर की तरफ से मस्से पर रखकर उसे एक पट्टी से बांध लें। और ऐसा दिन में दो बार करें और लगातार करते रहें जब तक कि मस्से ख़तम नहीं हो जाते।

अरंडी का तेल नियमित रूप से मस्सों पर लगायें। इससे मस्से नरम पड़ जायेंगे और धीरे धीरे गायब हो जायेंगे। अरंडी के तेल के बदले कपूर के तेल का भी प्रयोग कर सकते हैं।

पान में खाने का चूना मिलाकर घिसें। अम्लाकी को मस्सों पर तब तक मलते रहें जब तक मस्से उस रस को सोख न लें। या अम्लाकी के रस को मस्से पर मल कर पट्टी से बांध लें।

थूहर का दूध या कार्बोलिक एसिड सावधानीपूर्वक लगाने से मस्से निकल जाते हैं।

आश्चर्य जनक लाभ के लिए आप उसपर कच्चा लहसून भी लगा सकते हैं। दोनों को मस्सों पर लगाकर उसपर पट्टी बांधकर एक सप्ताह तक रहने दें। एक सप्ताह बाद पट्टी खोलने पर आप पाएंगे की मस्से गायब हो गए हैं।

मस्सों का होम्योपैथिक उपचार:-


थूजा:-


ये एक प्रधान एंटीसाइकोटिक दवाहै। इस औषधि का प्रयोग किसी भी प्रकार के मस्सों में किया जा सकता है। मस्सों के यह सबसे अच्छी औषधि है। मस्सों के झुण्ड निकलने, सिर के पीछे मस्से जैसे दाने होने, ठोड़ी पर मस्से होने, लटकने वाले मस्से होने, खूनी मस्से जिससे कभी-कभी खून निकलता रहता है। इन सभी प्रकार के मस्सों को ठीक करने के लिए थूजा औषधि की 30 और 200  शक्ति का सेवन करना लाभदायक होता है। इन मस्सों में थूजा औषधि के सेवन के साथ-साथ थूजा Q (मूल अर्क ) को रूई पर लगाकर मस्सों पर लगाना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान स्त्री को पहले कुछ दिनों तक सल्फर औषधि की 30 शक्ति का सेवन कराने और फिर कुछ दिनों तक थूजा औषधि की 30 शक्ति का सेवन कराने और अंत में मर्क सौल औषधि की 30 शक्ति सेवन कराने से बच्चे को मस्से नहीं होते। यदि त्वचा पर मस्से गोभी की तरह दिखाई दे तो इस औषधि का प्रयोग करना लाभकारी होता है। योनि के ऊपर -उसमे  दर्द होता है की हाथ लगाया  जाता  स्वर यंत्र के अर्बुद में थूजा काफी लाभप्रद है।

नाइट्रिक ऐसिड का प्रयोग :-


फूलगोभी की तरह बड़े खुरदरे मस्से, टेढ़े-मेढ़े मस्से एवं ऐसे मस्से जिसे धोने से बदबूदार खून निकलने लगता हो। छूने  पर भी खून निकलने लगता है।इस तरह के मस्सों में नाइट्रिक ऐसिड औषधि की 12 शक्ति का प्रयोग किया जाता है। इस औषधि का प्रयोग लटकने एवं होंठों पर मस्से की तरह दाने होने पर भी किया जाता है।

नैट्रम म्यूर :-


पुराने मस्से, ऐसे मस्से जिसमें दर्द हो और मस्से को हल्का सा छू देने पर असहनीय दर्द हो। मस्से कभी-कभी जख्म में बदल जाता है।हाथ और अंगूठे में अनगिनित मस्से, ऐसे लक्षणों वाले मस्सों का उपचार नैट्रम-म्यूर औषधि की 30 शक्ति से फयदेमन्द होता है। यह रक्तहीन,कमजोर और हरित पाण्डु रोग ग्रस्त स्त्रियों की बीमारी में खास रूप से फायदा करती है।

ऐन्टिम टार्ट :-


पुरुषों के जननेन्द्रिय की सुपारी के पीछे मस्से हो गए हों तो ऐन्टिम टार्ट औषधि की 12 शक्ति का प्रयोग किया जाता है।

कॉस्टिकम :-


कास्टिकम एक प्रधान सॉरा-बिष-नाशक और फास्फोरस की विरोधिनी दवा है। अगर शरीर पर छोटे-छोटे बहुत से ठोस मस्से हो गए हों जिसके जड़ मुलायम एवं ऊपर के मुंह कठोर और नोकदार  हो तो ऐसे मस्सों को ठीक करने के लिए कॉस्टिकम औषधि की 30 शक्ति का प्रयोग करना लाभकारी होता है। नाखूनों के किनारे, बाहों, हाथों, पलकों एवं चेहरे पर होने वाले मस्सों में भी इस औषधि का उपयोग किया जाता है।

कैलि म्यूर :-


हाथों पर मस्से होने पर कैलि म्यूर औषधि का सेवन करने के साथ इस औषधि की 3x मात्रा को एक चम्मच पानी में मिलाकर लोशन बनाकर मस्सों पर लगाना भी चाहिए।

सीपिया :-


जननेन्द्रिय की आगे की त्वचा के अगले भाग या शरीर पर बड़े-बड़े कठोर एवं काले मस्से होने पर सीपिया औषधि की 30 शक्ति का प्रयोग करना हितकारी होता है। सीपिया के बाद सल्फर की जरूरत पड़ती है।

नैट्रम-म्यूर :-


हथेलियों पर मस्से होने पर नैट्रम-म्यूर औषधि की 3x से 200  शक्ति का सेवन करना लाभकारी होता है।

उपचार और प्रयोग -

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