Monday, August 31, 2015

आँख-कान-नाक के रोगों उपचार -

नज़र की कमज़ोरी के लिए पचास ग्राम काला सुरमा, प्याज़ के पाँच सौ ग्राम रस में खरल करके, छानकर शीशी में भर लें। इस सुरमे की एक-एक सलाई, सुबह-शाम आँख में लगाएं। यह नज़र की कमज़ोरी के अलावा धुंध, जाला, रोहे आदि में भी कारगर है।


आँखों की गुहेरी, रतौंधी व मोतियाबिंद के लिए :-
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आँख की फुंसी (गुहेरी) के उपचार के लिए आम के पेड़ से पत्ता तोड़ने पर जो रस निकलता है, सावधानी पूर्वक उसे गुहेरी पर लगा लें। दो-तीन दिन उस गुहेरी वाली जगह पर कालापन रहेगा, पर बाद में ठीक हो जाएगा।


रतौंधी (रात में न दिखाई पड़ना) में नीम की दस ताजा पत्तियां, बीस ग्राम गुड़ मिलाकर सुबह खाली पेट और रात में सोते समय खाएं। पन्द्रह दिन सेवन करने से लाभ मिलता है।


काली मिर्च को दही में पीसकर आँखों में लगाएं। रतौंधी में उपयोगी है।


मोतियाबिंद होने पर सफेद फिटकरी लगभग पैंतीस ग्राम, नीला थोथा आधा ग्राम और छोटी इलायची लगभग साढ़े पांच ग्राम-तीनों को खूब बारीक पीसकर कपड़छन कर लें और फिर एक 750 मिली. वाली बोतल में डालकर, बोतल को गंगा जल से भरकर ढक्कन लगाकर रख दें। दस दिन तक बोतल को दिन में तीन-चार बार हिलाते रहें। ग्यारहें दिन से दवा का इस्तेमाल शुरु करें। रोज़ाना सोते समय 2-3 बूंद दवा आंख में डालें। उपयोगी नुस्खा है।


आँख आने पर अमरुद के पत्तों का रस दोनों आँखों में डालें व बर्फ से आँखों की सिंकाई करें।


आँखों की रोशनी कम होना...पाव भर दूध में थोड़ा शुद्ध घी मिलाकर अछवा गाय के ताज़े घी में मिश्री मिलाकर सेवन करने से आँखों की रोशनी बढ़ती है। काली मिर्च एक ग्राम, हल्दी तीन ग्राम और हरड़ दो ग्राम, गुलाबजल में मिलाकर आंखों पर लगाएं। जायफल को पानी में घिसकर आँखों की पलकों के ऊपर कुछ देर तक, दिन में एक बार लगाने से फायदा होता है।


असगंध का चूर्ण और मुलैठी का चूर्ण बराबर-बराबर (चार-चार ग्राम) और आंवले का रस आठ ग्राम तीनों को मिलाकर रोजाना एक बार सेवन करने से 6-7 माह मे आँखों की रोशनी बढ़ जाती है। रोज़ सवेरे आँखों में शुद्ध शहद को काजल की तरह लगाने से फायदा होता है।


गुहेरी होने पर छुआरे की गुठली को घिसकर फुंसी पर लगाएं।


इमली के बीज की गिरी को साफ पत्थर पर घिसकर गुहेरी पर लगाने से लाभ मिलता है। यह नुस्खा तभी आजमाएं जब फुंसी बाहर की तरफ हो ।


दो लौंग पानी में घिसकर गुहेरी पर लगाएं।


पचास ग्राम काला सुरमा, प्याज़ के पचास ग्राम रस में खरल करके, छानकर शीशी में भर लें। इस सुरमे की एक-एक सलाई, सुबह-शाम आँख में लगाएं। यह नज़र की कमज़ोरी के अलावा धुंध, जाला, रोहे आदि में भी कारगर है।


आँखें दुखना:-
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गरम पानी में जस्ते का फूला डालकर सेंकने से दर्द बंद होता है।


गेंदे के पत्ते पीसकर उसकी टिकिया बनाकर आँखों पर बांधें।


रुई के फाहों पर दूध की मलाई रखकर बांधें।


हल्दी के पानी में कपड़ा भिगोकर आँखों पर रखें।


गुलाबजल में थोड़ा फिटकरी का फूला डालकर उसे कई बार आँखें में बूंद-बूंद टपकाएं।


हल्दी, आँमा हल्की, रसौत, फिटकरी लोध्र इन्द्र जौ, अफीम, ग्वारपाठे का गूदा-इन्हें पीसकर पलकों पर व आँखों के पास-पास लेप करें।


हरड़-बहेड़ा आंवला और पोस्ते को डोडे में घोलकर छान लें और गर्म पानी में उबाली गई शीशी में रखें। दुखती हुई आंखों में दिन में चार बार दो दो बूंद दवा डालने से लाभ होता है।


अनार के पत्ते या कीकर के मुलायम पत्ते पानी में पीसकर टिकिया बनाकर रात को आंख पर रखकर बांधें। इससे आंखों की दुखन व जलन में लाभ मिलता है।


पचास ग्राम गुलाब जल में एक मध्यम आकार की हल्दी की गांठ कूटकर डालें। दूसरे दिन छानकर शीशी में रख लें। आँख में लाली बहुत हो, कड़कड़ाहट महसूस हो तो दो-दो बंदू, दिन में तीन-चार बार डालें। आंख के रोगी को भुने चने नहीं खाने चाहिए।


इमली के फूलों की पुल्टिश आँखों पर बांधने से आँखों की सूजन दूर होती है।


सुपारी (पान वाली) को पानी में सिल पर घिसकर लगाने से आँखों की सूजन दूर होती है। इसका लेप आँखों के ऊपर करना चाहिए।


अडूसा के ताज़े फूलों को गरम करके आँखों पर बांधने से आँखों की सूजन दूर होती है।


बिना किसी कष्ट के आँखों से पानी बहता रहता है। फिटकरी दो रत्ती, एक तोला गुलाब के अर्क में घोलकर आँखों में टपकाएं और इसी में रुई का फाहा भिगोकर आंख पर रखें।


पीली हरड़ का छिलका, बहेड़े का छिलका, आवंला गुठली निकला हुआ-ये तीनों वस्तुएं पांच-पांच तोला लेकर कूट-छानकर, दुगुने शहद में मिलाएं और बराबर मात्रा का घी मिलाकर प्रतिदिन एक तोला खाएं। आंखों से पानी आना रुक जाता है।


रोहे.....इन्हें कुकरे भी कहते हैं। इस रोग में आंख की पलक के अंदर बारीक-बारीक दाने निकल आते हैं जो चुभते हैं। इनकी वजह से आंखें लाल रहती हैं और आंखों से पानी बहता रहता है। आंखों में खुजली बनी रहती है। रोहों के इलाज़ के लिए रसौत दस ग्राम, फिटकरी तीन ग्राम, हल्दी तीन ग्राम और गुलाब-जल अर्क दस ग्राम-इन सभी वस्तुओं को रात में सोते समय किसी कांच के बर्तन में भिगो दें। प्रातःकाल इन्हें खूब मसलकर मोटे कपड़े से छान लीजिए। दिन में पांच-छः बार ड्रापर से दो-दो बूंद दोनों आंखों में डालने से रोहे और ढलके ठीक हो जाते हैं।


माजू को बारीक खरल करके रखें और पलकों को उलटकर चुटकी से इसे रोहों पर छिड़कें अथवा सलाई से रोहों पर लगाएं।


सुहागा व फिटकरी छः-छः माशा, शोरा कलमी तीन माशा को बारीक पीसकर रोगों पर छिड़कें। थोड़ी देर बाद ठंडे पानी से धोएं।


कान के रोग या कान का बहना:-
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फूले हुए सुहागे को पॉउडर करके, कपड़े में छानकर रख लें। इस पॉउडर को दिन में एक बार रोज़ाना, चार दिन तक छिड़कें।


बच्चों का कान बहता हो तो एक-दो बूंद चूने का पानी ड्रापर से डालें।


कान का दर्द के लिए आम के पत्तों का रस गुनगुना करके कान में डालने से फायदा होता है।


गाय के शुद्ध देसी घी में अजवायन डालकर अच्छी तरह पका लें। छानकर, गुनगुना एक दो बूंद कान में टपकाएं।


बच्चों में कान दर्द महसूस हो तो मां के दूध में समान मात्रा में कद्दू का रस मिलाकर दो बूंद कान में टपकाएं।


गेंदे के पत्तों का ताजा रस की कुछ बूंदें कान में डालने पर तुरंत राहत महसूस होती है।


अदरक के रस में शहद तथा नमक (थोड़ा-सा) डालकर अच्छी तरह मिला लें। उसे गुनगुना करके कानों में टपकाएं।


चुकंदर के पत्तों का रस गुनगुना करके दो-दो बूंद दोनों कानों में, तीन-तीन घंटे के अंतर से डालने से कान का दर्द दूर होता है।


तुलसी के पत्तों का रस या गेंदे के फूलों का रस कान में टपकाने से (दो बूंद) दर्द ठीक होता है।


पीली सरसों के तेल में लहसुन गरम करके गुनगुने तेल की दो-दो बूंद कान में डालने से कान का दर्द ठीक होता है।


बहरेपन के लिए लगभग छियालीस ग्राम कड़वे बादाम के तेल में लहसुन की बारह मध्यम आकार वाली कलियां डालकर तब तक पकाएं, जब तक कलियां जल न जाएं। इसके बाद लहसुन की कलियां निकालकर फेंक दें और तेल को छानकर रख लें। इस तेल को गुनगुना करके दो बूंद की मात्रा में रोज़ाना कान में डालें। इससे बहरेपन में लाभ होता है।


कान के दर्द में पुदीना का रस डालने से लाभ मिलता है।


केले के पत्तों के रस में समुद्रफेन मिलाकर डालने से आराम मिलता है।


कान का बहना - प्याज़ का रस थोड़ा-सा गर्म करके एक या दो बूंद कान में डालें। इससे कान का बहना, बहरापन व दर्द आदि रोग दूर होते हैं।


सरसों का तेल दस तोला लेकर उसमें रतनजोत एक तोला डालकर पकाएं। जब जलने लगे, तो इस तेल को साफ शीशी में भरकर रख लें। कान बहे या दर्द करे, सभी परिस्थितियों में यह प्रयोग लाभ पहुंचाता है।


फिटकरी 20 माशा, हल्दी एक माशा पीसकर रख लें। आवश्यकता पड़ने पर कान को रुई से साफ करके दो रत्ती दवा डालें। लाभ मिलता है।


कान का बहरापन यदि कोई व्यक्ति या महिला जन्मजात बहरा हो तो वह मात्र दवाओं से ठीक नहीं होता। किन्तु ऊंचा सुनने वालों के लिए ये नुस्खे लाभदायक हो सकेत हैं -


प्याज़ का रस, हलका गरम डालने से लाभ मिलता है। कड़वे बादाम का तेल कान में टपकाने से बहरापन ठीक हो जाता है।


नाक की बीमारियां-नज़ला (पुराना जुकाम) के लिए :-
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भुने चने का छिलका उतरा हुआ आटा 20 ग्राम मलाई और रबड़ी 20 ग्राम थोड़े शहद में मिलाकर, 4 बूंद अमृतधारा असली मिलाकर कुछ दिन रात में खाने से पुराने-से-पुराने नज़ले में लाभ पहुंचाता है।


नाक से दुर्गंध के लिए कद्दू का रस नाक में टपकाने से लाभ मिलता है। कद्दू का रस सुबह-शाम, पीस-छानकर नाक में टपकाएं। हाजमा ठीक रखें।


नाक से खून आने को नकसीर कहते हैं। माजूफल को बारीक पीसकर नाक में सुंघाने से नकसीर बंद हो जाती है।


सूखा आंवला 25 ग्राम पानी में भिगोकर रख दें। सुबह छानकर पानी पीएं तथा आंवलें को पीसकर तालू और माथे पर लेप करें।


10 ग्राम मुल्तानी मिट्टी कूट लें और एक प्याला पानी में भिगो दें। सुबह ऊपर का पानी पीने को दें तथा नीचे बैठी मिट्टी का माथे पर लेप करें।


यदि गर्मी के कारण नाक से खून आए तो चार आंवलें उबालकर शुद्ध घी में भूनने के बाद सिर पर लेप करने से लाभ मिलता है।


मेंहदी की ताजी पत्तियां पानी में पीसकर तलवों में लगाने से नकसीर बंद हो जाती है।


छोटी कटेरी के ताज़े पत्तों को कुचलकर उनका रस निकाल लें। इस रस को दो-दो बूंद नाक में टपकाने से लाभ होता है।


हरी दूब का ताज़ा रस या प्याज़ का रस निकालकर सूंघें।


अनार के फूल और हरी दूब समान मात्रा में पीस लें और दिन में दो बार दो-दो चम्मच लें।


जुकाम होना:-
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पांच ग्राम अदरक के रस में पांच ग्राम तुलसी का रस मिलाकर दस ग्राम शहद से लें। एक गिलास गर्म दूध में पांच काली मिर्च पकाएं और सुबह-शाम सेवन करें।


सुहागे को तवे पर फुलाकर महीने पीस लें। आधा ग्राम की मात्रा में दिन में तीन बार गरम पानी के साथ लें। तीन दिनों में फायदा हो जाएगा।


अडूसा के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से सर्दी-जुकाम मिटता है। अमरूद के पत्ते चाय की तरह उबाल लें और पानी पीएं। बार-बार नकसीर फूटे तो आंवले का रस बीस-बीस ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करें।


मुंह में छाले होने पर दो चम्मच हल्दी चूर्ण दो गिलास पानी में खूब उबालें। इसके बाद ठंडा करके उस पानी से गरारे करें। मुंह के छालों में उपयोगी है।


चमेली के पत्ते चबाने से मुंह के छाले ठीक होते हैं। मुंह के छाले होने पर मुलेठी चूसें।


मुंह के छालों में पेट साफ रखना भी जरूरी है। इसके लिए रात को सोते समय एक कप मीठे गर्म दूध में आधा चम्मच देसी घी डालकर पीएं।


कत्थे के साथ अमरूद की पत्तियां चबाने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।


एक ग्राम कत्थे को एक छोटी चम्मच शहद में मिलाकर रख लें। छालों पर उंगली से दिन में तीन बार लगाएं। साथ ही आधा चम्मच गुलकंद दिन में दो बार, दूध में मिलाकर पीएं।


उपचार और प्रयोग -http://www.upcharaurprayog.com

Sunday, August 30, 2015

आप भयानक सपने देखते है - If you see Nightmares

अमूमन लोगो को नींद में कई बार भयानक चीजें दिखाईं देतीं हैं। जिनको देखकर उठ खड़े होते हैं। उनकी प्रतिक्रिया कुछ ऐसी होती है- जैसे उन्होंने कोई परेशनान बच्चा, भटकती आत्मा, कंकाल, अस्त्र-शस्त्र, जंगली जानवर आदि देख लिया हो। ऐसे सपनों के निदान के लिए कुछ अचूक और प्रभावशाली उपाय हैं। जिन्हें आजमाकर आप इस तरह के डरावने और भयानक सपनों से दूर रह सकते हैं-





यदि रात्रि में भयानक सपने आते हों या किसी भी प्रकार डर लगता हो, तो सिरहाने में पीपल की जड़ व उसकी टहनी का छोटा सा टुकड़ा ओम नमो भगवते वासुदेवाय जप करते हुए रखकर सोएं। बुरे सपनों का आना बंद हो जाएगा और डर भी दूर हो जाएगा। ध्यान रखें, जड़ व टहनी सूर्यास्त से पूर्व लानी है। सिरहाने रखने के पहले उसे गंगा जल से शुद्ध करके धूप दीप अवश्य दिखाएं। यह उपाय शुक्ल पक्ष के सोमवार या पूर्णिमा से शुरू करें। श्रद्धा व निष्ठा का होना जरूरी है।

सपने में आत्मा, कंकाल, अस्थियां के दिखने पर, सर्वप्रथम हम जिस घर में रहते हैं वहां दुर्गा पाठ का आयोजन रखें और ब्रह्मणों द्वारा कम से कम 51 या 101 पाठ जरूर करें। मुमकिन है इससे इस तरह के सपने आना दूर हो जाएंगे।

यदि संभव हो सकते प्रतिदिन सुंदरकांड या हनुमान चलीसा का पाठ करें या फिर हनुमानजी के मंदिर में जाकर प्रतिदिन सिंदूर तिलक करें या बटुक भैरव या हनुमान जी को चोला चढ़ाएं।

सोते वक्त तकिए के नीचे या शयन कक्ष में सोते वक्त दाहिने हाथ की ओर पानी से भरा तांबे का छोटा पात्र रखें।

उत्तर और दक्षिण दिशा की तरफ सिर रख के नहीं सोना चाहिए उससे भी सपने आते है .और सुबह सर भारी रहता है इसका एक वैज्ञानिक कारण भी है इस दिशा में मेगनेटिक फील्ड बनाता है जिससे हमारे शरीर का आयरन सिर और पैर की तरफ इकट्टा हो जाता है .

रसोई में आग्नेय कोण की ओर तेल का दीपक रखें। इस दीपक में सिंदूर डाल दें। दीपक की लौ समाप्त होने पार सिंदूर का हल्का तिलक लगाएं।

हनुमान चालीसा का एक पाठ करके सोये तो भी आपको भयानक सपने नहीं दिखेगे .

सपने में नदी, झरना, पानी दिखाई दे तो यह पितृ दोष होता है। क्योंकि अमूमन पितरों के स्थान नदियों व तालाबों के समीप ही बने होते हैं। इस दोष निवारण के लिए अमावस्या के दिन सफेद चावल, शक्कर व घी का मिश्रण पीपलल का पेड़ पर सूर्यास्त के बाद चढ़ाएं। ध्यान रखें कि चावल चढ़ाकर लौटते समय पीछे मुढ़कर न देखें और घर में प्रवेश करने से पूर्व हाथ-मुंह धोकर ही प्रवेश करें।

सपनो के फल के बारे में जाने :-



अखरोट देखना – भरपुर भोजन मिले तथा धन वृद्धि हो
अनाज देखना -चिंता मिले
अनार खाना (मीठा ) – धन मिले
अजनबी मिलना – अनिष्ट की पूर्व सूचना
अजवैन खाना – स्वस्थ्य लाभ
अध्यापक देखना – सफलता मिले
अँधेरा देखना – विपत्ति आये
अँधा देखना – कार्य में रूकावट आये
अप्सरा देखना – धन और मान सम्मान की प्राप्ति
अर्थी देखना – धन लाभ हो
अमरुद खाना – धन मिले
अनानास खाना – पहले परेशानी फिर राहत मिले
अदरक खाना – मान सम्मान बढे
अनार के पत्ते खाना – शादी शीघ्र हो
अमलतास के फूल – पीलिया या कोढ़ का रोग होना
अरहर देखना – शुभ
अरहर खाना – पेट में दर्द
अरबी देखना – सर दर्द या पेट दर्द
अलमारी बंद देखना – धन प्राप्ति हो
अलमारी खुली देखना – धन हानि हो
अंगूर खाना – स्वस्थ्य लाभ
अंग रक्षक देखना – चोट लगने का खतरा
अपने को आकाश में उड़ते देखना – सफलता प्राप्त हो
अपने पर दूसरौ का हमला देखना – लम्बी उम्र
अंग कटे देखना – स्वास्थ्य लाभ
अंग दान करना – उज्जवल भविष्य , पुरस्कार
अंगुली काटना – परिवार में कलेश
अंगूठा चूसना – पारवारिक सम्पति में विवाद
अन्तेस्ति देखना – परिवार में मांगलिक कार्य
अस्थि देखना – संकट टलना
अंजन देखना – नेत्र रोग
अपने आप को अकेला देखना – लम्बी यात्रा
अख़बार पढ़ना, खरीदना – वाद विवाद
अचार खाना , बनाना – सिर दर्द, पेट दर्द
अट्हास करना – दुखद समाचार मिले
अध्यक्ष बनना – मान हानि
अध्यन करना -असफलता मिले
अपहरण देखना – लम्बी उम्र
अभिमान करना – अपमानित होना
अध्र्चन्द्र देखना – औरत से सहयोग मिले
अमावस्या होना – दुःख संकट से छुटकारा
अगरबत्ती देखना – धार्मिक अनुष्ठान हो
अगरबत्ती जलती देखना – दुर्घटना हो
अगरबत्ती अर्पित करना – शुभ
अपठनीय अक्षर पढना – दुखद समाचार मिले
अंगीठी जलती देखना – अशुभ
अंगीठी बुझी देखना – शुभ
अजीब वस्तु देखना – प्रियजन के आने की सूचना
अजगर देखना – शुभ
अस्त्र देखना – संकट से रक्षा
अंगारों पर चलना – शारीरिक कष्ट
अंक देखना सम – अशुभ
अंक देखना विषम – शुभ
अस्त्र से स्वयं को कटा देखना – शीघ्र कष्ट मिले
अपने दांत गिरते देखना – बंधू बांधव को कष्ट हो
आंसू देखना – परिवार में मंगल कार्य हो
आवाज सुनना – अछा समय आने वाला है
आंधी देखना – संकट से छुटकारा
आइना देखना – इच्छा पूरण हो , अछा दोस्त मिले
आइना में अपना मुहं देखना – नौकरी में परेशानी , पत्नी में परेशानी
आसमान देखना – ऊचा पद प्राप्त हो
आसमान में स्वयं को देखना – अच्छी यात्रा का संकेत
आसमान में स्वयं को गिरते देखना – व्यापार में हानि
आग देखना – गलत तरीके से धन की प्राप्ति हो
आग जला कर भोजन बनाना – धन लाभ , नौकरी में तरक्की
आग से कपडा जलना – अनेक दुख मिले , आँखों का रोग
आजाद होते देखना – अनेक चिन्ताओ से मुक्ति
आलू देखना – भरपूर भोजन मिले
आंवला देखना – मनोकामना पूर्ण न होना
आंवला खाते देखना – मनोकामना पूर्ण होना
आरू देखना – प्रसनता की प्राप्ति
आक देखना – शारारिक कष्ट
आम खाते देखना – धन और संतान का सुख
आलिंगन देखना पुरुष का औरत से – काम सुख की प्राप्ति
आलिंगन देखना औरत का पुरुष से – पति से बेवफाई की सूचना
आलिंगन देखना पुरुष का पुरुष से- शत्रुता बढ़ना
आलिंगन देखना औरत का औरत से – धन प्राप्ति का संकेत
आत्महत्या करना या देखना – लम्बी आयु
आवारागर्दी करना – धन लाभ हो नौकरी मिले
आँचल देखना – प्रतियोगिता में विजय
आँचल से आंसू पोछना – अछा समय आने वाला है
आँचल में मुँह छिपाना – मान समान की प्राप्ति
आरा चलता हुआ देखना – संकट शीघ्र समाप्त होगे
आरा रूका हुआ देखना- नए संकट आने का संकेत
आवेदन करना या लिखना – लम्बी यात्रा हो
आश्रम देखना – व्यापार में घाटा
आट्टा देखना – कार्य पूरा हो
आइसक्रीम खाना – सुख शांति मिल
इमली खाते देखना – औरत के लिए शुभ ,पुरुष के लिए अशुभ
इडली साम्भर खाते देखना – सभी से सहयोग मिले
इष्ट देव की मूर्ति चोरी होना – मृत्युतुल्य कष्ट आये
इश्तहार पढना – धोखा मिले, चोरी हो
इत्र लगाना – अछे फल की प्राप्ति, मान सम्मान बढेगा
इमारत देखना – मान सम्मान बढे, धन लाभ हो
ईंट देखना – कष्ट मिलेगा
इंजन चलता देखना – यात्रा हो , शत्रु से सावधान
इन्द्रधनुष देखना – संकट बढे , धन हानि हो
इक्का देखना हुकम का – दुःख व् निराशा मिले
इक्का देखना ईंट का -कष्टकारक स्तिथि
इक्का देखना पान का -पारवारिक क्लेश
इक्का देखना चिड़ी का – गृह क्लेश ,अतिथि आने की सूचना
उजाड़ देखना – दूर स्थान की यात्रा हो
उस्तरा प्रयोग करना – यात्रा में धन लाभ हो
उपवन देखना – बीमारी की पूर्व सूचना
उदघाटन देखना – अशुभ संकेत
उदास देखना – शुभ समाचार मिले
उधार लेना या देना – धन लाभ का संकेत
स्वयं को उड़ते देखना – गंभीर दुर्घटना की पूर्व सूचना
उछलते देखना -दुखद समाचार मिलने का संकेत
उल्लू देखना -दुखों का संकेत
उबासी लेना – दुःख मिले
उल्टे कपडे पहनना – अपमान हो
उजाला देखना – भविष्य में सफलता का संकेत
उजले कपडे देखना -इज्जत बढे , विवाह हो
उठना और गिरना – संघर्ष बढेगा
उलझे बाल या धागे देखना – परेशानिया बढेगी
उस्तरा देखना – धन हानि , चोरी का भय
ऊंघना – धन हानि , चोरी का भय
ऊंचाई पर अपने को देखना – अपमानित होना
ऊन देखना – धन लाभ हो
ऊंचे पहाड़ देखना – काफी मेहनत के बाद कार्य सिद्ध होना
ऊंचे वृक्ष देखना – मनोकामना पूरी होने में समय लगना
औषधी देखना – गलत संगति देखना
ऐनक लगते देखना – विद्या मिले, ख़ुशी इज्जत मिले
कब्र खोदना – धन पाए , मकान बनाये
कत्ल करना स्वयं का – अच्छा सपना है , बुरे काम से बचे
कद अपना छोटा देखना – अपमान सहना , परेशानी उठाना
कद अपना बड़ा देखना – भारी संकट आना
कसम खाते देखना – संतान का दुःख भोगना
कलम देखना – विद्या धन की प्राप्ति
कर्जा देना – खुशहाली आये
कर्जा लेना – व्यापार में हानि
कला कृतिया देखना – मान समान बढे
कपूर देखना – व्यापार में लाभ
कबाडी देखना – अच्छे दिनों की शुरूआत
कबूतर देखना – प्रेमिका से मिलना
कबूतरों का झुंड – शुभ समाचार मिले
कमल का फूल – ज्ञान की प्राप्ति
कपास देखना – सुख समृधि हो
कंगन देखना – अपमान हो
कदू देखना – पेट दर्द
कन्या देखना – धन वृद्धि हो
कफन देखना – लम्बी उम्र
कली देखना – स्वास्थ्य खराब हो
कछुआ देखना – शुभ समाचार मिले
कलश देखना – सफलता
कम्बल देखना – बीमारी आये
कपडा धोना – पहले रूकावट , फिर लाभ
कटा सिर देखना – शर्मिंदगी उठानी पड़ेगी
कब्रिस्तान देखना – निराशा हो
कंघी देखना – चोट लगना , दांत या कान में दर्द
कसरत – बीमारी आने की सूचना
काली आँखे देखना – व्यापार में लाभ
काला रंग देखना – शुभ फल
काजू खाना – नया व्यापार शुरू हो
कान देखना – शुभ समाचार
कान साफ करना – अच्छी बातो का ज्ञान
काउंटर देखना – लेने देने में लाभ हो
कारखाना देखना – दुर्घटना में फसने की सूचना
काली बिल्ली देखना – लाभ हो
कुंडल पहने देखना – संकट हो
कुबडा देखना – कार्य में विघ्न
कुमकुम देखना – कार्य में सफलता
कुल्हाडी देखना – परिश्रम अधिक, लाभ कम
कुत्ता भोंकना – लोगो द्वारा मजाक उड़ना
कुत्ता झपटे – शत्रु की हार
कुर्सी खाली देखना – नौकरी मिले
कूड़े का ढेर देखना – कठिनाई के बाद धन मिले
किला देखना – ख़ुशी प्राप्त हो
कील देखना / ठोकना – परिवार में बटवारा हो
केश संवारना – तीर्थ यात्रा
केला खाना / देखना – ख़ुशी हो
केक देखना – अच्छी वस्तु मिले
कैमरा देखना – अपने भेद छिपा कर रखे
कोढ़ी देखना – धन का लाभ
कोहरा – संकट समाप्त हो
कोठी देखना – दुःख मिले
कोयल देखना / सुनना – शुभ समाचार
कोया देखना – शुभ संकेत
किसी ऊंचे स्थान से कूदना – असफलता
नर कंकाल देखना – उम्र बढने का संकेत
जप करना – विजय
कद लम्बा देखना – मृत्युतुल्य कष्ट हो
कद घटना – अपमान हो
कटोरा देखना – बनते काम बिगढ़ना
कनस्तर खाली देखना – शुभ
कनस्तर भरा देखना – अशुभ
कमंडल देखना – परिवार के किसी सदस्य से वियोग
करवा चौथ – औरत देखे तो आजीवन सधवा, पुरुष देखे तो धन धान्य संपूर
कागज कोरा – शुभ
कागज लिखा देखना – अशुभ
सफेद कुरता देखना – शुभ
अन्य रंग का कुरता देखना – अशुभ
कुर्सी पर स्वयं को बैठे देखना – नया पद, पदोनती
कुर्सी पर अन्य को बैठे देखना – अपमान
कब्र खोदना – मकान का निर्माण करना
कपूर देखना – व्यापार नौकरी में लाभ
कबूतर देखना – प्रेमिका से मिलन
कपडा बेचते देखना – व्यापार में लाभ
कपडे पर खून के दाग – व्यर्थ बदनामी
कछुआ देखना – धन आशा से अधिक मिलना
कमल ककडी देखना – सात्विक भोजन में आनंद, ख़ुशी मिले
कपास देखना – सुख, समृधि घर आये
करी खाना – विधवा से विवाह, विधुर से विवाह
कृपाण – धरम कार्य पूर्ण होने की सूचना
कान देखना – शुभ समाचार
कान कट जाना – अपनों से वियोग
काला कुत्ता देखना – कार्य मे सफलता
काउंटर देखना – लेन देन में लाभ
काली बिल्ली देखना – शुभ समाचार
पीली बिल्ली देखना – अशुभ समाचार
काना व्यक्ति देखना – अनकूल समय नहीं
कीडा देखना – शक्ति का प्रतीक
कुम्हार देखना – शुभ समाचार
केतली देखना – दांपत्य जीवन में शांति हो
केला देखना या खाना – शुभ समाचार
कैंची – अकारण किसी से वाद- विवाद होना
कोठी देखना – दुःख मिले
कोयला देखना – प्रेम के जाल में फँस कर दुःख पाए
कुरान- सुख शांति की भावना बढे
खरोंच लगना -शरीर स्वस्थ हो
खटमल देखना – जीवन में संघर्ष
खटमल मारना – कठिनाई से छुटकारा
खरबूजा देखना -सफलता मिले
ख़त पढ़ना – शुभ समाचार
खरगोश देखना – औरत से बेवफाई
खलिहान देखना – सम्मान बडे
खटाई खाना – धन हानि हो
खाली खाट देखना -बीमार पड़ने की सूचना
खाली बर्तन देखना – काम में हानि
खिलखिलाना – दुखद समाचार मिलने का संकेत
खिल्ली उडाना -लोगो से निराशा मिले
खिलौना देखना – आँखों को सुख मिले
खुजली होना – रोग से छुटकारा पाने का संकेत
ख़ुशी देखना – परेशानी बढे
खुशबू लगाना – सम्मान बढे
खून खराबा -सौभाग्य वृद्धि
खून देखना – धन मिले
खून की वर्षा देखना – देश में अकाल पड़े
खून में लोटना – धन-सम्पति प्राप्त होने का संकेत
खेल कूद में भाग लेना – भाग्यौनात्ति होना
खेत देखना -यात्रा हो , विद्या व् धन की वृद्धि
खेत काटते देखना – पत्नी से मन मुटाव होना
खोपडी देखना – बौधिक कार्यो में सफलता
गधा देखना -प्यार मिले
गधा लदा हुआ देखना – व्यापार में लाभ हो
गधे की चीख सुनना – दुख हो
गधे की सवारी करना – शुभ समाचार मिले
गाय देखना – धन लाभ हो
गाय या बैल पीले रंग की देखना – महामारी आने के लक्षण
गरम पानी देखना – बुखार या अन्य बीमारी आये
गंजा सिर देखना – परीक्षा में पास हो, सम्मान बड़े
गली देखना – सुनसान गली देखने से लाभ , भीड़ वाली गली देखने से मृत्यु का समाचार
गवाही देना -अपराध में फंसना
गमला देखना – खाली देखने पर झंझट , फूल खिले देखने पर शुभ
गलीचा देखना या उस पर बैठना – शोक में शामिल होना
ग्वाला /ग्वालिन देखना – शुभ फल
गाजर देखना – फसल अच्छी हो
गाड़ी देखना – यात्रा सार्थक हो
गलिया देते देखना – बदनामी हो
गायत्री पाठ करना – दुर्लभ स्वप्न मान सम्मान बड़े
गिलास देखना – घरेलू खर्चो में कमी होगी
गिनती करना – काम में हानि
गिरगिट देखना – झगडे में फसने का संकेत
गिलहरी देखना – बहुत शुभ
गीदढ़ देखना – शत्रु से भय मिले
गीली वस्तु देखना – लम्बी बीमारी आने के संकेत
गीता देखना – दुर्लभ समय
गुलाब देखना – सम्मान में वृद्धि
गुढ खाना – सफलता मिले
गुडिया देखना – जल्दी विवाह का संकेत
गुठली खाना या फेंकना – काफी धन आने की सूचना
गेंहू देखना – काफी मेहनत कर के कमाई होना
गेंद देखना – परेशानी होना
गेंदे का फूल देखना – मानसिक अशांति
गेरुआ वस्त्र देखना – समय शुभ है
गीता – कष्ट दूर हो
ग्रन्थ साहिब – धार्मिक कार्यो में रूचि हो
घडी देखना – यात्रा पर जाना
घडी गुम हो जाना – यात्रा का कार्यकर्म स्थगित होना
घर देखना (सजा हुआ ) – संपत्ति में हानि
घर देखना (खंडहर ) – संपत्ति में लाभ
घर में किसी और का प्रवेश देखना – शत्रु पर विजय
घर में आग देखना – सरकार से लाभ हो
घर सोने का देखना – घर में आग लगने का संकेत
घर लोहे का देखना – मान सम्मान बढेगा
घडा भरा देखना – धन लाभ हो
घंटे की आवाज़ सुनना – चोरी होने का संकेत
घंटाघर देखना – अशुभ समाचार
घाट देखना – तीर्थ यात्रा पर जाने का संकेत
घायल देखना – संकट से छुटकारा
घास देखना – लाभ होगा
घी देखना – धन दौलत बढे
घुटने टेकना – वाद विवाद में सफलता मिले
घुंघरू की आवाज सुनना – मान सम्मान बढेगा
घूंघट देखना – नया व्यापार शुरू हो
घोड़ा सजा हुआ देखना – कार्य में हानि
घोड़ा काला देखना -मान सम्मान बढेगा
घोड़ा या हाथी पर चड़ना – उन्नत्ति हो
चलता पहिया देखना – कारोबार में उन्नत्ति हो
चप्पल पहनना – यात्रा पर जाना
चक्की देखना – मान सम्मान बढेगा
चमडा देखना – दुःख हो
चबूतरा देखना -मान सम्मान बढेगा
चट्टान देखना (काली ) – शुभ
चट्टान देखना (सफेद ) – अशुभ
चपत मारना – धन हानि हो
चपत खाना – शुभ फल की प्राप्ति
चरबी देखना – आग लगने का संकेत
चलना जमीन पर -नया रोजगार मिले
चलना पानी पर – कारोबार में हानि
चलना आसमान पर – बीमारी आने का संकेत
चन्द्र ग्रहण देखना – सभी कार्य बिगडे
चमगादर उड़ता देखना – लम्बी यात्रा हो
चमगादर लटका देखना – अशुभ संकेत
चम्मच देखना – नजदीकी व्यक्ति धोखा दे
चप्पल देखना – यात्रा पर जाना
चटनी खाना – दुखो में वृद्धि
चरखा चलाना – मशीनरी खराब हो
चश्मा खोना – चोरी के संकेत
चांदी के बर्तन में दूध पीना – संम्पत्ति में वृद्धि हो
चारपाई देखना – हानि हो
चादर शरीर पर लपेटना -गृह क्लेश बढे
चादर मैली देखना – धन लाभ हो
चादर समेट कर रखना – चोरी होने का संकेत
चंचल आँखे देखना – बीमारी आने की सूचना
चांदी का सामान देखना – गृह क्लेश बढे
चोकलेट खाना -अच्छा समय आने वाला है
चाय देखना – धन वृद्धि हो
चावल देखना – कठिनाई से धन मिले
चाकू देखना – अंत में विजय
चित्र देखना – पुराने मित्र से मिलन हो
चिडिया देखना – मेहमान आने का संकेत
चींटी देखना – धन लाभ हो
चींटिया बहुत अधिक देखना – परेशानी आये
चील देखना – बदनामी हो
चींटी मारना – तुंरत सफलता मिले
चुम्बन लेना – आर्थिक समृधि हो
चुम्बन देना – मित्रता बढे
चुटकी काटना – परिवार में कलेश
चुंगी देना – चलते काम में रूकावट
चुंगी लेना – आर्थिक लाभ
चुडैल देखना -धन हानि हो
चूहा देखना -औरत से धोखा
चूहा फंसा देखना – शरीर को कष्ट
चूहा चूहे दानी से निकलते देखना – कष्ट से मुक्ति
चूहा मरा देखना – धन लाभ
चूहा मारना – धन हानि
चूडिया तोड़ना – पति दीर्घायु हो (औरत के लिए )
चूल्हा देखना – उत्तम भोजन प्राप्त हो
चूरन खाना – बीमारी में लाभ
चेचक निकलना – धन की प्राप्ति
चोर पकड़ना – धन आने की सूचना
चोटी पर स्वयं को देखना – हानि हो
चोराहा देखना – यात्रा में सफलता
चौकीदार देखना – अचानक धन आये
चौथ का चाँद देखना – बहुत अशुभ
छत देखना -मकान बने
छड़ी देखना – संतान से लाभ हो
छतरी लगाकर चलना – मुसीबतों से छुटकारा मिलना
छत्र देखना – राज दरबार में सम्मान मिले
छलनी देखना – व्यापार में हानि
छल्ला पहनना – शिक्षा में वृद्धि
छलांग लगाना – असफलता हाथ लगे
छम छम की आवाज़ आये – मेहमान आये
छाज देखना – सम्मान बढे
छाछ पीना -धन लाभ हो
छापाखाना देखना – धन लाभ
छात्रो का समूह देखना – शिक्षा में लाभ
छिपकली देखना – दुश्मन से कष्ट
छींक आना – अशुभ लक्षण
छुआरा खाना – धन लाभ हो
छुरा देखना – दुश्मन से भय हो
छोटे बच्चे देखना – इच्छा पूरण हो
जमघट देखना – कार्य की प्रशंषा मिलेगी
जयकार सुनना- संकट में पड़ना
जलना – मान सम्मान की प्राप्ति
ज्योतिष देखना – संतान को कष्ट
जटाधारी साधु देखना – शुभ लक्षण
जहाज देखना – दुर्घटना में फंसने का सूचक
खाली जंजीर देखना – इल्जाम लगेगा
स्वयं को जंजीर में जकडे देखना – समस्याओ से छुटकारा
जल देखना – संकट आएगा
जड़े देखना -शुभ स्वप्न
ज्वालामुखी देखना – स्थान परिवर्तन की पूर्व सूचना
जमीन खोदना – कठिनाई से लाभ हो
जंगल देखना – कष्ट दूर हो
जलेबी खाना – सुख सुविधाय बढे
जलता घर देखना -बीमारी परेशानी बढे
जलता मुर्दा देखना – शुभ समाचार
जादू देखना या करना -धन हानि
जाल देखना (मकडी का ) – शुभ लक्षण
जाल देखना ( मचली का ) -संकट का संकेत
जामुन खाना या देखना – यात्रा पर जाना पड़े
जलूस देखना -नौकरी में उनत्ति हो
जूए देखना या मारना – मानसिक चिंता
जूते से पीटना – मान सम्मान बढे
जूते से स्वयं पीटना – मान सम्मान मिलेगा
जेब खाली देखना -अशुभ है
जेब भरी देखना -खर्च अधिक होने का सूचक
जेल देखना – जग हँसी हो
जेल से छूटना – कार्य में सफलता
जोकर देखना – समय बर्बाद हो
झगडा देखना -शुभ समाचार
झरना देखना (ठंडे पानी का ) – शुभ है
झरना देखना (गर्म पानी का ) – बीमारी आये
झंडा देखना सफेद या मंदिर का -शुभ समाचार
झंडा देखना हरा – यात्रा में कष्ट
झंडा देखना पीला – बीमारी आये
झाडू लगाना – घर में चोरी हो
झुनझुना देखना – परिवार में ख़ुशी हो
टंकी खाली देखना – शुभ लक्षण
टंकी भरी देखना – अशुभ घटना का संकेत
टाई सफेद देखना – अशुभ
टाई रंगीन देखना – शुभ
टेलेफोन करना – मित्रो की संख्या में वृद्धि
टोकरी खाली देखना – शुभ लक्षण
टोकरी भरी देखना – अशुभ घटना का संकेत
टोपी उतारना – मान सम्मान बढे
टोपी सिर पर रखना – अपमान हो
डंडा देखना – दुश्मन से सावधान रहे
डफली बजाना – घर में उत्सव की सूचना
डाक खाना देखना – बुरा समाचार मिले
डाकिया देखना – शुभ सूचना मिले
डॉक्टर देखना – निराशा मिले
डाकू देखना – धन वृद्धि हो
तरबूज देखना – धन लाभ
तराजू देखना – कार्य निष्पक्ष पूर्ण हो
तबला बजाना – जीवन सुखपूर्वक गुजरे
तकिया देखना – मान सम्मान बढे
तलवार देखना – शत्रु पर विजय
तपस्वी देखना -मन शांत हो
तला पकवान खाना – शुभ समाचार मिले
तलाक देना – धन वृद्धि हो
तमाचा मारना -शत्रु पर विजय
तराजू में तुलना – भयंकर बीमारी हो
तवा खाली देखना – अशुभ लक्षण
तवे पर रोटी सेकना – संपत्ति बढे
तहखाना देखना या उसमे प्रवेश करना – तीर्थ यात्रा पर जाने का संकेत
ताम्बा देखना – सरकार से लाभ मिले
तालाब में तैरना – स्वस्थ्य लाभ
ताला देखना -चलते काम में रूकावट
ताली देखना – बिगडे काम बनेगे
तांगा देखना – सुख मिले, सवारी का लाभ हो
ताबीज बांधना – काम में हानि हो
ताबीज़ देखना – शुभ समय का आगमन
ताश देखना – मित्र अथवा पडोसी से लडाई हो
तारा देखना – अशुभ
तितली देखना – विवाह हो या प्रेमिका मिले
तितली उड़ कर दूर जाना – दांपत्य जीवन में क्लेश हो
तिल देखना – कारोबार में लाभ
तिराहा देखना – लडाई झगडा हो
त्रिशूल देखना – अच्छा मार्ग दर्शन मिले
त्रिमूर्ति देखना – सरकारी नौकरी मिले
तितली पकड़ना – नई संतान हो
तिजोरी बंद करना – धन वृद्धि हो
तिजोरी टूटती देखना – कारोबार में बढोतरी
तिलक करना – व्यापार बढे
तूफान देखना या उसमे फँसना – संकट से छुटकारा मिले
तेल या तेली देखना – समस्या बढे
तोलना – महंगाई बढे
तोप देखना -शत्रु पर विजय
तोता देखना – ख़ुशी मिले
तोंद बढ़ी देखना – पेट में परेशानी हो
तोलिया देखना – स्वस्थ्य लाभ हो
थप्पर खाना – कार्य में सफलता
थप्पर मारना – झगडे में फँसना
थक जाना – कार्य में सफलता मिले
थर थर कंपना -मान सम्मान बढे
थाली भरी देखना – अशुभ
थाली खाली देखना – सफलता मिले
थूकना – मान सम्मान बढे
थैली भरी देखना – जमीन जायदाद में वृद्धि
थैली खाली देखना – जमीन जायदाद में झगडा हो
दरवाजा बंद देखना – चिंता बढे
दही देखना -धन लाभ हो
दलिया खाना या देखना – स्वस्थ्य कुछ समय के लिए ख़राब हो
दरार देखना – घर में फूट
दलदल देखना – काम में आलस्य हो
दरवाजा खोलना – नया कार्य शुरू हो
दरवाजा गिरना – अशुभ संकेत
दक्षिणा लेना या देना – व्यापार में घाटा
दमकल चलाना – धन वृद्धि हो
दर्पण देखना – मानसिक अशांति
दस्ताना पहनना – शुभ समाचार
दहेज़ लेना या देना – चोरी की सम्भावना
दरजी को काम करते देखना – कोर्ट से छुटकारा
दवा खाना या खिलाना – अच्छा मित्र मिले
दवा गिरना – बीमारी दूर हो
दांत टूटना – शुभ
दांत में दर्द देखना -नया कार्य शुरू हो
दाडी देखना – मानसिक परेशानी हो
दादा या दादी देखना जो मृत हो – मान सम्मान बढे
दान लेना – धन वृद्धि हो
दान देना – धन हानि हो
दाह क्रिया देखना – सोचा हुआ कार्य बनने के संकेत
दातुन करना -कष्ट मिटे
दाना डालना पक्षियो को – व्यापार में लाभ हो
दाग देखना – चोरी हो
दामाद देखना -पुत्री को कष्ट हो
दाल कपड़ो पर गिरना -शुभ लक्षण
दाल पीना – कार्य में रूकावट
दाढ़ी सफेद देखना – काम में रूकावट
दाढ़ी काली देखना – धन वृद्धि हो
दियासिलाई जलाना – दुश्मनी बढे
दीपक बुझा देना – नया कार्य शुरू हो
दीपक जलाना – अशुभ समाचार मिले
दीवाली देखना – व्यापार में घाटा हो
दीपक देखना – मान सम्मान बढे
दुल्हन देखना – सुख मिले
दुकान करना – मान सम्मान बढे
दुकान बेचना – मानहानि हो
दुकान खरीदना – धन का लाभ होना
दुकान बंद होना – कष्टों में वृद्धि हो
दुपट्टा देखना – स्वस्थ्य में सुधार हों
दूल्हा /दुल्हन बनना – मानहानि हों
दूल्हा /दुल्हन बारात सहित देखना -बीमारी आये
दूरबीन देखना – मान सम्मान में हानि हों
दूध देखना – आर्थिक लाभ मिले
दुकान पर बैठना – प्रतिष्ट बढे,धन लाभ हों
देवता से मंत्र प्राप्त होना – नए कार्य में सफलता
देवी देवता देखना – सुख संपत्ति की वृद्धि होना
दोना देखना – धन संपत्ति प्राप्त होना
दोमुहा सांप देखना – दुर्घटना हों, मित्र द्वारा विश्वासघात मिले
दौड़ना – कार्य में असफलता हों
देवी देवता देखना – कृष्ण – प्रेम संबंधो में वृद्धि
देवी देवता देखना – राम – सफलता मिले
देवी देवता देखना – शिव – मानसिक शांति बढे
देवी देवता देखना – विष्णु – सफलता मिले
देवी देवता देखना – ब्रह्मा – अच्छा समय आने वाला है
देवी देवता देखना – हनुमान -शत्रु का नाश हो
देवी देवता देखना – दुर्गा – रोग दूर हो
देवी देवता देखना – सीता – पहले कष्ट मिले फिर समृधि हो
देवी देवता देखना – राधा – शारीरिक सुख मिले
देवी देवता देखना – लक्ष्मी – धन धन्य की प्राप्ति हो
देवी देवता देखना – सरस्वती -भविष्य सुखद हो
देवी देवता देखना – पार्वती – सफलता मिले
देवी देवता देखना – नारद -दूर से शुभ समाचार मिले
धमाका सुनना – कष्ट बढे
धतूरा खाना – संकट से बचना
धनिया हरा देखना – यात्रा पर जाना पढ़े
धनुष देखना – सभी कर्मो में सफलता मिले
धब्बे देखना – शुभ संकेत
धरोहर लाना या देखना – व्यापार में हानि हों
धार्मिक आयोजना देखना – शुभ संकेत
धागा देखना – कार्य में वृद्धि हों
धुरी देखना – मान सम्मान में वृद्धि हों
धुआ देखना – कष्ट बढे , परेशानी में फंसना पढ़े
धुंध देखना – शुभ समाचार मिले
धुन सुनना – परेशानी बढे
धूमधाम देखना – परेशानी बढे
धूल देखना – यात्रा हों
धोबी देखना – काम में सफलता मिले
धोती देखना – यात्रा पर जाना पड़े
नल खुला देखना – काम शीघ्र होगा
नल बंद देखना – काम कठिनाई से होगा
नरक देखना- कठिनाइयाँ बढे
नगीना देखना – सरकार से लाभ हों , शुभ समाचार मिले
नगाडा देखना – धन लाभ , प्रसिधी मिले
नमाज़ पढ़ते देखना – कष्ट दूर हों , शान्ति मिलेगी
नमक खाना – झगडे में फँसना
नमक देखना – बीमारी दूर हों , व्यापार में लाभ हों
नमकदानी देखना – गृहस्थी का सुख मिले
नशे में स्वयं को देखना – धन वृद्धि हों परन्तु परिशानिया बढे
नरगिस का फूल देखना – पारिवारिक सुख मिले
नदी नाले में गिरते देखना – अनेक संकट आने का संकेत
नक्कता मनुष्य देखना – धन तथा मान सम्मान बढे
नक़ल करना – काम में असफलता मिले
नक़ल करते देखना – यात्रा में रुकावट , काम बिगडे
नक्शा बनाना – नई योजनाये शुरू हों
नकसीर बहना – दिमागी परेशानिया आये
नकाब लगाना – गंभीर बीमारी आये
नट देखना – पारिवारिक सुख शाति मिले
नसवार सूंघना – मानसिक परिशानिया बढे
नदी देखना – भविष्य सुखद हों
नदी में स्नान करना – काम में सफलता मिले
नदी में गिरना – संकट के बाद सुख मिले
नहर खोदना – कार्य सम्बन्धी योजनाये मिले
नंगा होना – विलासिता बढे
नदी , वृक्ष, या पर्वत देखना – दुःख दूर हो , धन मिले
नाटक देखना – भविष्य अनिश्चित हो
नाखून टूटना – सफलता देरी से मिले
नाक बहुत बड़ी देखना – मान सम्मान बढे , प्रमोशन हो
नाखून देखना – काम में परेशानी हो
नाक से खून बहना – धन में वृद्धि हो
नाटक देखना – गृहस्थी का सुख मिले
नाटक में भाग लेना – धोखा मिले
नारियल देखना – धन लाभ हो , अच्छा भोजन मिले
नाक पर चोट लगना -मान सम्मान में हानि हो
नासूर देखना – बीमारी से छुटकारा मिले
नापतोल करना – व्यापार में हानि हो
नाग के बिल में जाते देखना – धन संग्रह हो
नाग के बिल से बाहर निकलते देखना – धन हानि हो
नाग का डंग मारना – मान सम्मान बढे
नाग का घर में देखना – देखे गए स्थान की पवित्रता का संकेत
नाग उठाये देखना – - संपत्ति प्राप्त का संकेत
नाना नानी देखना – पारिवारिक सुख बढे
नाडा बंधना या टूटना – पारिवारिक कलेश बढे
नाला देखना – गहरा संकट आये
नाव देख्ना – गृहस्थी का सुख मिले
नाव में बैठना – अनेक संकट आये
नाई से हजामत बनवाना – धोखा मिले
नारियल देख्ना – शुभ संकेत , धार्मिक आयोजना हो
नाला देख्ना – कार्य में सफलता मिले
नारद देख्ना – धन लाभ परन्तु लड़ाई झगडा हो
नाभि देख्ना – प्रगति तथा धन लाभ हो
निरादर देख्ना – मान सम्मान बढे
निशाना लगाना – पुरानी इच्छा पूर्ण हो
नितम्ब देख्ना – गृहस्थी का सुख मिले
नीम का व्रक्ष देख्ना -बिमारी दूर होना
नीलम देख्ना -शुभ समाचार मिले , दुश्मन परस्त हो
नींद में सोना या नींद से उठाना – धन लाभ हो
नीलकंठ देख्ना – मान सम्मान बढे , विवाह हो
नींबू काटना या निचोड़ना – धार्मिक कार्य हो
नुकीली चीज़ से चोट लगना – वाद विवाद में फसना
नुकीला जूता देखना – मान सम्मान बढे
नेवला देखना – संकट समाप्त हो , स्वर्णाभूषण मिले
परी देखना – सफलता मिले , स्वस्थ्य लाभ हो , मान सम्मान में वृद्धि हो , धन बढे
पहाड़ देख्ना – शत्रु पर विजय हो
पम्प से पानी निकालना – व्यवसाय में रुकावट आये
प्रसाद बाँटना – रोग कम हो , समृध्धि बढे
पहाड़ पर चढ़ना – मान सम्मान तथा धन बढे
पहाड़ से उतरना -व्यापार में मंदा हो
परदेशी देखना – मनोकामना पूरण हो
पटका बांधना – मान सम्मान तथा धन बढे
पटाखा देखना – ख़ुशी मिले
पलंग देखना – अपमानित होना पड़े
पनघट सूना देखना – कही से निमंत्रण आये
पनघट पर भीड़ देखना – परिवार में उत्सव हो
परिवार देखना – शुभ फल मिले
पनीर खाना – धन वृद्धि हो
पपीता खाना – पेट खराब हो
पहरेदार देखना – चोरी की सम्भावना
पंजीरी खाना – बीमारी आने की सूचना
परछाई देखना अशुभ समाचार
पगड़ी देखना – धन हानि हो
पर्दा सफेद देखना – मान – सम्मान में हानि
पर्दा काला देखना – धन वृद्धि हो
पर्स देखना – गुप्त कार्य पूरा हो
पहिया देखना – प्रगति तेज हो
पंडाल देखना – किसी बड़े उत्सव में शामिल होना
पत्तल देखना या उसमें खाना -शुभ लक्षण
पत्थर देखना या मारना – सरकार से लाभ हो
पत्र लिखना – परेशानी हो
प्याज खाना या खिलाना – दुर्भाग्य पूर्ण घटना घटे
प्रशंसा सुनना – अशुभ संकेत
प्रसाद बाँटना – शुभ फल मिले
प्याऊ बनवाना – धन वृद्धि हो
परीक्षा में बैठना – कार्य में असफलता
पतंग उडाना – लम्बी यात्रा हो
पढ़ना या पढाना – काम में सफलता
पकवान खाना या बनाना – दुखो में वृद्धि हो
पहिया देखना – यात्रा सफल हो
पानी देखना – सुख समृधि बढे
पानी पीते देखना – धन वृद्धि हो
पोलिश करना -नौकरी में तरक्की हो
पान का वृक्ष देखना – संतान की समृधि हो
पागल देखना – शुभ कार्य में वृद्धि हो
पानदान देखना – मित्रता में वृद्धि हो
पाउडर लगाना – मान सम्मान बढे
पार्वती माता देखना – सुख समृधि बढे
पायल बजते देखना – स्त्री से वियोग हो
पारितोषिक मिलना – अपमानित होना पढ़े
पालकी पर बैठना – स्वस्थ्य खराब हो
पालना देखना – पारिवारिक सुख मिले
पालना झुलाना – संतान के लिए कष्ट बढे
पार्सल लेना – अचानक लाभ मिले
पाताल देखना – मान सम्मान बढे , प्रशंसा मिले
पाद मरना या अनुभव करना – व्यापार में लाभ हो व्यवसायिक यात्रा
पार करना (तैरकर) – मान सम्मान बढे
पिटारा देखना – धन लाभ हो
पिजरा देखना – स्वस्थ्य खराब हो
पिजरा खाली देखना – धन वृद्धि हो
पिजरे में पक्षी देखना – गृह कलेश हो
पीपल देखना – शुभ सन्देश मिले
पीला रंग देखना स्वास्थ्य खराब हो
पीठ देखना – मित्र से लाभ हो
पीतल के बर्तन देखना – धन लाभ हो , व्यापार बढे
पीली सरसों देखना – सब प्रकार से शुभ हो
पुस्तकालय देखना – समृधि बढे
पुस्तक खोना – मानहानि हो
पुस्तक मिलना – मान सम्मान में वृद्धि हो
पुजारी बनना – जीवन में उन्नति हो
पुडिया बंधना – शारीरिक कष्ट बढे
पुरस्कार मिलना – हानि हो
पुल पार करना – धन लाभ हो
पुल टूटते देखना – संकट से छुटकारा हो
पूजा पाठ करना – सुख शान्ति तथा समृद्धि की सूचना
पूर्वज देखना – शुभ स्वप्ना , समृद्धि बढे
पूजा या प्रार्थना करना – मानसिक शान्ति मिले
प्रेम प्रस्ताव रखना – विवाह में विलंभ हो
पेड़ पौधे देखना – कार्य में लाभ हो
पेटी खोलना – चोरी की संभावना
पेशाब करना – संकट दूर हो , धनप्राप्ति हो
पेढा खाना – मुह में रोग हो
पैर कटे देखना – शत्रु पर विजय हो
पैर खुजलाना – यात्रा शीघ्र हो
पैबंद लगाना – कष्ट के पूर्व सूचना
पैसा मिलना – मुफ्त का धन मिले
पेन पेंसिल देखना – परीक्षा में उत्तीरण हो
पोचा लगाना – स्थान परिवर्तन हो
पोशाक पहनना – बीमारी आने का संकेत
फलाहार करना – सुख समृद्धि बढे
फटे कपडे देखना – धनहानि हो , चिंताए बढे
फ़कीर देखना – काम में सफलता मिले
फ़रिश्ता देखना – मनोकामना पूर्ण हो
फंदा लगाना या देखना – मुसीबतों से छुटकारा मिले
फफोला टूटना – मुसीबतें समाप्त हो
फवारा देखना – सभी मुसीबते दूर हो ,प्रसन्नता बढे
फाखता देखना – पत्नी की ओर से कष्ट मिले , मानसिक ग्लानी हो
फाटक देखना – मुकदमा समाप्त हो
फाटक पार करना -सफलता मिले
फिटकरी देखना – धन लाभ हो
फांसी लगाना – जीवन में दिशा परिवर्तन हो
फिरोजा रत्न देखना – शत्रुओं पर विजय हो
फूलवारी देखना – मनपसंद विवाह होना , ख़ुशी मिले
फुल्का खाते देखना – आर्थिक समृद्धि हो , परन्तु शोक समाचार मिले

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Saturday, August 29, 2015

कैंसर से लेकर अनेक रोगों इलाज -

आजकल की व्यस्त जीवन शेली में मनुष्य पे समय का अभाव है ,अनियमित खान -पान के चलते रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक छमता दिनों -दिन घट रही है मगर हम यदि जरा भी अपने अनमोल शरीर के लिए ध्यान दे और नियमित जीवन चर्या से सिर्फ पन्द्रह मिनट का समय निकाल कर इस प्रयोग को कर ले तो आपको कई बीमारियों से निजात मिल जायेगी और जो स्वस्थ लोग है उनको भी डॉक्टर का मुंह नहीं देखना पड़ेगा ,क्युकि जीवन का सुख निरोगी काया में है . सुखी व्यक्ति जिसका पुत्र आज्ञाकारी है जिसकी पत्नी सदाचरानी है .


तो अगर आप अपने जीवन को निरोग बनाना चाहते है तो हमारी पोस्ट को ध्यान पूर्वक पढ़े और शरीर आपका है तो आज से ही नीचे लिखे प्रयोग को काम में लाये :-

कैंसर में गेहूँ के ज्वारे का उपयोग :-
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गेहूँ के दाने बोने पर जो एक ही पत्ता उगकर ऊपर आता है उसे ज्वारा कहा जाता है। नवरात्रि आदि उत्सवों में यह घर-घर में छोटे-छोटे मिट्टी के पात्रों में मिट्टी डालकर बोया जाता है। ये गेहूँ के ज्वारे का रस, प्रकृति के गर्भ में छिपी औषधियों के अक्षय भंडार में से मानव को प्राप्त एक अनुपम भेंट है। शरीर के आरोग्यार्थ यह रस इतना अधिक उपयोगी सिद्ध हुआ है कि विदेशी जीववैज्ञानिकों ने इसे 'हरा लहू' (Green Blood) कहकर सम्मानित किया है। डॉ. एन. विगमोर नामक एक विदेशी महिला ने गेहूँ के कोमल ज्वारों के रस से अनेक असाध्य रोगों को मिटाने के सफल प्रयोग किये हैं। उपरोक्त ज्वारों के रस द्वारा उपचार से 350 से अधिक रोग मिटाने के आश्चर्यजनक परिणाम देखने में आये हैं। जीव-वनस्पति शास्त्र में यह प्रयोग बहुत मूल्यवान है।

गेहूँ के ज्वारों के रस में रोगों के उन्मूलन की एक विचित्र शक्ति विद्यमान है। शरीर के लिए यह एक शक्तिशाली टॉनिक है। इसमें प्राकृतिक रूप से कार्बोहाईड्रेट आदि सभी विटामिन, क्षार एवं श्रेष्ठ प्रोटीन उपस्थित हैं। इसके सेवन से असंख्य लोगों को विभिन्न प्रकार के रोगों से मुक्ति मिली है।

उदाहरणार्थः-
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"मूत्राशय की पथरी, हृदयरोग, डायबिटीज, पायरिया एवं दाँत के अन्य रोग, पीलिया, लकवा, दमा, पेट दुखना, पाचन क्रिया की दुर्बलता, अपच, गैस, विटामिन ए, बी आदि के अभावोत्पन्न रोग, जोड़ों में सूजन, गठिया, संधिशोथ, त्वचासंवेदनशीलता (स्किन एलर्जी) सम्बन्धी बारह वर्ष पुराने रोग, आँखों का दौर्बल्य, केशों का श्वेत होकर झड़ जाना, चोट लगे घाव तथा जली त्वचा सम्बन्धी सभी रोग।"

हजारों रोगियों एवं निरोगियों ने भी अपनी दैनिक खुराकों में बिना किसी प्रकार के हेर-फेर किये गेहूँ के ज्वारों के रस से बहुत थोड़े समय में चमत्कारिक लाभ प्राप्त किये हैं। ये अपना अनुभव बताते हैं कि ज्वारों के रस से आँख, दाँत और केशों को बहुत लाभ पहुँचता है। कब्जी मिट जाती है, अत्यधिक कार्यशक्ति आती है और थकान नहीं होती।

गेहूँ के ज्वारे उगाने की विधि:-
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आप मिट्टी के नये खप्पर, कुंडे या सकोरे लें। उनमें खाद मिली मिट्टी लें। रासायनिक खाद का उपयोग बिलकुल न करें। पहले दिन एक कुंडे की सारी मिट्टी ढँक जाये इतने गेहूँ बोयें। पानी डालकर कुंडों को छाया में रखें। सूर्य की धूप कुंडों को अधिक या सीधी न लग पाये इसका ध्यान रखें।

इसी प्रकार दूसरे दिन दूसरा कुंडा या मिट्टी का खप्पर बोयें और प्रतिदिन एक बढ़ाते हुए नौवें दिन नौवां कुंडा बोयें। सभी कुंडों को प्रतिदिन पानी दें। नौवें दिन पहले कुंडे में उगे गेहूँ काटकर उपयोग में लें। खाली हो चुके कुंडे में फिर से गेहूँ उगा दें। इसी प्रकार दूसरे दिन दूसरा, तीसरे दिन तीसरा करते चक्र चलाते जायें। इस प्रक्रिया में भूलकर भी प्लास्टिक के बर्तनों का उपयोग कदापि न करें।

प्रत्येक कुटुम्ब अपने लिए सदैव के उपयोगार्थ 10, 20, 30 अथवा इससे भी अधिक कुंडे रख सकता है। प्रतिदिन व्यक्ति के उपयोग अनुसार एक, दो या अधिक कुंडे में गेहूँ बोते रहें। मध्याह्न के सूर्य की सख्त धूप न लगे परन्तु प्रातः अथवा सायंकाल का मंद ताप लगे ऐसे स्थान में कुंडों को रखें।

सामान्यतया आठ-दस दिन नें गेहूँ के ज्वारे पाँच से सात इंच तक ऊँचे हो जायेंगे। ऐसे ज्वारों में अधिक से अधिक गुण होते हैं। ज्यो-ज्यों ज्वारे सात इंच से अधिक बड़े होते जायेंगे त्यों-त्यों उनके गुण कम होते जायेंगे। अतः उनका पूरा-पूरा लाभ लेने के लिए सात इंच तक बड़े होते ही उनका उपयोग कर लेना चाहिए।

ज्वारों की मिट्टी के धरातल से कैंची द्वारा काट लें अथवा उन्हें समूल खींचकर उपयोग में ले सकते हैं। खाली हो चुके कुंडे में फिर से गेहूँ बो दीजिये। इस प्रकार प्रत्येक दिन गेहूँ बोना चालू रखें।


ज्वारों का रस बनाने की विधि:-
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जब समय अनुकूल हो तभी ज्वारे काटें। काटते ही तुरन्त धो डालें। धोते ही उन्हें कूटें। कूटते ही उन्हें कपड़े से छान लें। इसी प्रकार उसी ज्वारे को तीन बार कूट-कूट कर रस निकालने से अधिकाधिक रस प्राप्त होगा। चटनी बनाने अथवा रस निकालने की मशीनों आदि से भी रस निकाला जा सकता है। रस को निकालने के बाद विलम्ब किये बिना तुरन्त ही उसे धीरे-धीरें पियें। किसी सशक्त अनिवार्य कारण के अतिररिक्त एक क्षण भी उसको पड़ा न रहने दें, कारण कि उसका गुण प्रतिक्षण घटने लगता है और तीन घंटे में तो उसमें से पोषक तत्व ही नष्ट हो जाता है। प्रातःकाल खाली पेट यह रस पीने से अधिक लाभ होता है।

दिन में किसी भी समय ज्वारों का रस पिया जा सकता है। परन्तु रस लेने के आधा घंटा पहले और लेने के आधे घंटे बाद तक कुछ भी खाना-पीना न चाहिए। आरंभ में कइयों को यह रस पीने के बाद उबकाई आती है, उलटी हो जाती है अथवा सर्दी हो जाती है। परंतु इससे घबराना न चाहिए। शरीर में कितने ही विष एकत्रित हो चुके हैं यह प्रतिक्रिया इसकी निशानी है। सर्दी, दस्त अथवा उलटी होने से शरीर में एकत्रित हुए वे विष निकल जायेंगे।

ज्वारों का रस निकालते समय मधु, अदरक, नागरबेल के पान (खाने के पान) भी डाले जा सकते हैं। इससे स्वाद और गुण का वर्धन होगा और उबकाई नहीं आयेगी। विशेषतया यह बात ध्यान में रख लें कि ज्वारों के रस में नमक अथवा नींबू का रस तो कदापि न डालें।

रस निकालने की सुविधा न हो तो ज्वारे चबाकर भी खाये जा सकते हैं। इससे दाँत मसूढ़े मजबूत होंगे। मुख से यदि दुर्गन्ध आती हो तो दिन में तीन बार थोड़े-थोड़े ज्वारे चबाने से दूर हो जाती है। दिन में दो या तीन बार ज्वारों का रस लीजिये।

रामबाण इलाज:-
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जीवन और मरण के बीच जूझते रोगियों को प्रतिदिन चार बड़े गिलास भरकर ज्वारों का रस दिया जाता है। जीवन की आशा ही जिन रोगियों ने छोड़ दी उन रोगियों को भी तीन दिन या उससे भी कम समय में चमत्कारिक लाभ होता देखा गया है। ज्वारे के रस से रोगी को जब इतना लाभ होता है, तब नीरोग व्यक्ति ले तो कितना अधिक लाभ होगा?

सस्ता और सर्वोत्तम ज्वारों का रस:-
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ज्वारों का रस दूध, दही और मांस से अनेक गुना अधिक गुणकारी है। दूध और मांस में भी जो नहीं है उससे अधिक इस ज्वारे के रस में है। इसके बावजूद दूध, दही और मांस से बहुत सस्ता है। घर में उगाने पर सदैव सुलभ है। गरीब से गरीब व्यक्ति भी इस रस का उपयोग करके अपना खोया स्वास्थ्य फिर से प्राप्त कर सकता है। गरीबों के लिए यह ईश्वरीय आशीर्वाद है। नवजात शिशु से लेकर घर के छोटे-बड़े, अबालवृद्ध सभी ज्वारे के रस का सेवन कर सकते हैं। नवजात शिशु को प्रतिदिन पाँच बूँद दी जा सकती है।

ज्वारे के रस में लगभग समस्त क्षार और विटामिन उपलब्ध हैं। इसी कारण से शरीर मे जो कुछ भी अभाव हो उसकी पूर्ति ज्वारे के रस द्वारा आश्चर्यजनक रूप से हो जाती है। इसके द्वारा प्रत्येक ऋतु में नियमित रूप से प्राणवायु, खनिज, विटामिन, क्षार और शरीरविज्ञान में बताये गये कोषों को जीवित रखने से लिए आवश्यक सभी तत्त्व प्राप्त किये जा सकते हैं।

डॉक्टर की सहायता के बिना गेहूँ के ज्वारों का प्रयोग आरंभ करो और खोखले हो चुके शरीर को मात्र तीन सप्ताह में ही ताजा, स्फूर्तिशील एवं तरावटदार बना दो।

ज्वारों के रस के सेवन के प्रयोग किये गये हैं। कैंसर जैसे असाध्य रोग मिटे हैं। शरीर ताम्रवर्णी और पुष्ट होते पाये गये हैं।

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घनी आईब्रो के लिए -

हर लडकी की यही चाहती होती है कि वह हिरोइन जैसी ही दिखें और ऎसे में भला सुंदर आई ब्रो को कैसे आकर्षण का केंद्र ने बनाऎ-




आईब्रो के गंजेपन की वजह से युवा वर्ग में रिश्ता न होने की समस्या भी बढ़ रही है।


इसके लिए वो हर जानकारी हासिल कर लेना चाहती है। अगर आपकी भी आई ब्रो हल्की है और आप उसे घना बनाना चाहती हैं तो इन प्राकृतिक चीजों का प्रयोग कीजिये और देखिये कि क्या सच-मुच फायदा हुआ।


रात को सोने से पहले रूई को दूध में भिगो कर अपनी आइ ब्रो पर उसके आस पास की जगहों पर लगाएं। इससे दूध से मिले प्रोटीन और विटामिन से बालों की जडों को पोषण मिलेगा और वह फिर से ग्रो करने लगेंगी।


नहाने से पहले या फिर रात को सोने से पहले मेथी को पीस लीजिये और उसे अपनी आई ब्रो पर लगा लीजिये। आप इसे पेस्ट में बादम का तेल भी मिला कर लगा सकती हैं, इससे आपकी त्वचा को नमी प्राप्त होगी।


कैस्टर ऑयल(अंडी का तेल ) का तेल को आप हल्के हाथों से इस तेल को अपनी आई ब्रो पर केवल 2-3 मिनट के लिये मसाज कीजिये और छोड दीजिये। इसके बाद चेहरे को हल्के गरम पानी और फेस वॉश से 30 मिनट के बाद धो लीजिये। अगर यह तेल लगाने पर जलन या परेशानी पैदा हो तो इसे ना प्रयोग करें।


ऎलोवेरा की ताजी पत्तियों को छील कर उसके अंदर के गूदे को निकाल कर अपनी आई ब्रो पर लगाएं। ऎसा करने से आई ब्रो की ग्रोथ बढने लगेगी और स्किन भी।

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Thursday, August 27, 2015

गालो का रंग भी बताता है - The color also tells cheeks

किसी भी व्यक्ति के गालो का रंग देख कर आप  उसका स्वभाव समझ सकते है -अब  कहेगे ये क्या बात हुई है -जी हाँ ये सच है -ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शरीर के अंगो की बनावट किसी भी व्यक्ति का हाव-भाव उसकी आदत और उसका स्वभाव की जानकारी प्राप्त की जा सकती है -जिन भी ग्रह-नक्षत्रो का प्रभाव हमारे ऊपर सबसे अधिक होता है -उसी के अनुसार हमारे गुण-अवगुण होते है -






जिस भी व्यक्ति के गालो का रंग सफ़ेद रहता है वे अक्सर ही अस्वस्थ पाए जाते है किसी न किसी रोग से ग्रसित और त्रस्त ही रहते है -इस प्रकार  के लोगो में निराशा रहती है और आलसी भी हो  सकते है -अनिश्चिता की भावना प्रबल होती है -ये लोग हर कार्य अपने ही ढंग से करते रहते है -



जिन लोगो के गालो का रंग लाल है वो व्यक्ति थोड़े गुस्से वाले होते है -इनको छोटी-छोटी बातो में अक्सर क्रोध आ जाता है -लेकिन ये लोग साहसी-उत्तेजित-युद्ध-प्रिय भी होते है -ख़ास बात ये भी है कि ये किसी भी कार्य को बहुत ही अच्छी तरह पूर्ण भी करते है -क्युकि ये लोग संतुलित मानसिकता के होते है -किसी भी परिस्थिति में खुद को अच्छे से एडजस्ट भी कर  लेते है -हर कार्य करने की इनकी अपनी विशेष शेली होती है -इस प्रकार के लोग अपने जीवन में कई उपलब्धियां भी हासिल करते है -



ये तो मात्र एक उदाहरण है -किसी भी व्यक्ति के सम्बन्ध में सटीक बताने के लिए और उसके विषय में गहराई से अध्यन करने की आवश्यकता होती है - जब वह व्यक्ति आपके सामने हो -तो आपका विश्लेक्षण सटीक होगा -यदि आपने अध्यन किया है -

उपचार और प्रयोग-

क्या आप सेमल जानते है-



सेमल को सामन्यतया काटन ट्री भी कहते है सेमल की रुई तकियों में भरी जाती है -इसकी रुई के तकिये से अच्छी नींद आने में मदद मिलती है -इसका पेड़ उष्ण-कटिबंधीय सीधा उर्ध्वाधर तना होता है -इसके लाल पुष्प की पांच पंखुडियां होती है -ये बसंत ऋतू से पहले ही आ जाती है -


इसका फल एक केप्सूल जेसा होता है -ये पकने पर श्वेत रंग के रेशे कुछ कपास की तरह के निकलते है इसके तने पर एक इंच तक मजबूत कांटे भरे रहते है -इसकी लकड़ी इमारत के काम की नहीं होती है -


प्रयोग:-
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चेहरे पर फोड़े फुंसी हों तो इसकी छाल या काँटों को घिसकर लगा लो . 

इसके फूल के डोडों की सब्जी खाने से आंव (colitis) की बीमारी ठीक होती है .  

अगर शरीर में कमजोरी है तो इसके डोडों का पावडर एक-एक चम्मच घी के साथ सवेरे शाम लें और साथ में दूध पीयें . 

अगर माताओं को दूध कम आता हो तो इसकी जड़ की छाल का पावडर लें . 

स्तन में शिथिलता हो तो  इसके काँटो पर बनने वाली गांठों को घिसकर लगायें . 

गर्मी की परेशानी हो , या प्रदर की शिकायत हो तो इसकी छाल को कूटकर शहद के साथ लें . 

जलने पर इसकी छाल को घिसकर लगाया जा सकता है . 

सेमल का गोंद रात को भिगोकर सवेरे मिश्री मिलाकर खाने से शरीर की गर्मी दूर होती है और ताकत आती है . 

अगर खांसी हो तो सेमल की जड़ का पावडर काली मिर्च और सौंठ मिलाकर लें .

सेमल के विशाल वृक्ष के नीचे जब ढेर से रुई से भरे हुए फल गिरते हैं ; तो उन्हें इकट्ठा कर मुलायम सी रुई निकलना बड़ा अच्छा लगता है-

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सोठ यानी सूखा अदरक के प्रयोग-

सोंठ एक उष्ण जमीकंद हैं जो अदरक के रूप में जमीन से खोदकर निकाली जाती है और सुखाकर सोंठ बनती है। मनुष्य में जीने की शक्ति और रोगों से लडऩे की प्रतिरोधक क्षमता पैदा करती हैं। यह औषधी उत्तेजक, पाचक और शांतिकारक हैं। इसके सेवन से पाचन क्रिया शुद्ध होती है। सोंठ उष्ण होने से वायु के कुपित होने पर होने वाले रोगों को नष्ट करती है।



भोजन ठीक तरह से नहीं पचता है,भोजन के ठीक से नहीं पचने के कारण शरीर में कितने ही रोग पैदा हो जाते है,अनियमित खानपान से गैस और कफ दूषित हो जाते हैं।

सोंठ कब्ज एवं कफवात नाशक, आमवात नाशक है।

उदररोग, वातरोग, बावासीर, आफरा, आदि रोगों का नाश करती है।

सोंठ में कफनाशक गुण होने के कारण यह खांसी और कफ रोगों में उपयोगी है।

सोंठ का उपयोग प्राचीनकाल से ही होता आ रहा है। आधा सिरदर्द  में सोंठ को  चंदन की घिसकर लेप करें।

आंखों के रोग- सोंठ नीम के पत्ते या निंबोली पीसकर उसमें थोड़ा सा सेंधा नमक डालकर गोलियां बना लें। गोली को मामूली गर्म कर आंखों पर बांधने से आंखों की पीड़ा कम होती है।

कमरदर्द- कमरदर्द में सोंठ का चूर्ण आधा चम्मच दो कप पानी में उबालकर आधा कप रह जाए। तब छानकर ठंडाकर उसमें दो चम्मच अरण्डी तेल मिला क रोज रात को पीएं।

उदर रोग- चार ग्राम सोंठ का काढ़ा बनाकर पिलाएं एवं साथ में अजवाइन की बनाकर पिलाएं। साथ में अजवाइन की फक्की लगाने से उदर रोग नष्ट होता है।

खांसी- सोंठ चूर्ण के साथ मुलहटी का चूर्ण एक चम्मच गुनगुने पानी में लेने पर छाती में जमा कफ बाहर निकलता है और खांसी में आराम मिलता है।

कब्ज- सोंठ का चूर्ण एक चम्मच गरम पानी को उबालकर पिलाएं।

मंदाग्रि- सोंठ चूर्ण गुड़ में मिलाकर खाने से पाचन क्रिया बढ़ती है। प्रसव के बाद- सोंठ एवं सफेद मूसली का चूर्ण, कतीरा गोंद के साथ खाने पर प्रसव की कमजोरी एवं कमर दर्द में कमी आ जाती है।

उपचार और प्रयोग-

त्वचा को को कैसे निखार सकते हैं कुछ उपाय -

टमाटर के गूदे और दही दोनों को बराबर की मात्रा में ले कर पेस्ट बनाये -अब इस पेस्ट को आप चहरे और गर्दन पर लगाए -जब सूख जाए -इसे पानी से धो ले -कुछ दिन प्रयोग से आपका रंग साफ़ हो जाएगा -इससे कील और मुहांसे में भी फायदा होगा -साधारण है -हर्बल है -बिना साइड इफेक्ट के लाभ देगा -



जिन लोगों को हथेलियों और तलवों में जलन की शिकायत रहती है-पुदीना ठंडक का अच्चा स्रोत है-आराम मिलेगा-इसी तरह इस पेस्ट को चेहरे पर भी लगाया जा सकता है-गर्मियों में ये चेहरे को ताजगी और ठंडक प्रदान करेगा-

आटे का चोकर या फिर सूजी -चेहरे या हाथ पैरो  की स्क्रबिंग के लिए अच्छा विकल्प है इसको दही या मलाई में मिला-कर लगाए -तथा तौलिये से सूखने पे साफ़  करे - तेलीय त्वचा वाले छाछ और रुखी त्वचा वाले मलाई का प्रयोग का प्रयोग करे - तथा घर का बना ये स्क्रब आपकी त्वचा से ब्लेक हेड्स भी निकालने में आपकी मदद भी करेगा -

संतरे में विटामिन सी होता है -इसे खाने से त्वचा आपकी स्वस्थ रहती है -और इसके छिलकों को आप छाया में सुखा ले फिर इसका आप पावडर बना ले और इसे आप मलाई या दही या शहद में मिला के उबटन की तरह चेहरे पर लगाए -इससे आपके चेहरे की मृत कोशिकाए निकलेगी -

मुलायम त्वचा के लिए शहद और निम्बू का रस मिलकर लगाएं-इससे न सिर्फ त्वचा कोमल होगी बल्कि चेहरे पर चमक और रंग भी निखर जायेगा-ध्यान रहे,निम्बू की मात्रा ज्यादा न हो कभी कभी शहद की जगह निम्बू में मलाई की मात्र बड़ा सकते हैं-

खीरे को पीसकर चेहरे व गर्दन पे लगाये -सूखने पे धो ले -आपको चेहरे पे चमक के साथ ठंडक प्रदान करेगा-


अनार का जूस निकालकर बोतल में भरकर रख लें-इसका रस गर्मियों में टोनिंग,क्लीनिंग,त्वचा के रोमछिद्र खोलने में मददगार साबित होगा|इसका प्रयोग स्प्रे के माध्यम से भी कर सकते हैं-


जिनकी त्वचा तेलीय है वो लोग ध्यान रक्खे कि चेहरे पर कुछ भी लगाने के बाद जादा नहीं रगड़े -येसा करने से खरोच पड़ सकते है -

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क्रोध बुद्धि को खा जाता है -

सभी जानते है कि क्रोध करना खराब है -फिर भी क्रोध से बेवजह खुद को एवं अपने साथी को परेशान करते है -अगर आपको कभी गुस्सा आ भी जाए तो नीचे लिखे कुछ साधारण उपायों से अपने गुस्से को काबू में रखने का प्रयास करे -




अगर आपको किसी व्यक्ति का बात करने का तरीका ठीक नहीं लगता है लेकिन उसके हाव-भाव अच्छे लगते है तो आप अपने गुस्से को शांत करने के लिए ध्यान लगाए-

अमूमन देखा जाता है कि जब कोई व्यक्ति गुस्सा होता है तो उसके आस-पास का माहौल भी प्रभावित होता है। ऐसे में अगर आपको गुस्सा आ रहा हो तो एकांत मे चले जाइए और उस समस्या के बारे में एक बार सोचिए क्या आप जिस बात या जिस पर गुस्सा कर रहे हैं। क्या वह जायज है? अगर हां तो उसका निवारण तलाशिए। आपकी एक पहल गुस्से को छूमंतर कर सकती है।


ऐसा गुस्सा किस काम का जिसके कारण गुस्सा समाधान की वजह खुद एक समस्या बन जाए। बेहतर है गुस्से को शांत करने के बोलना बंद कर दें। ऐसे में आपको उसका खुले दिल से स्वागत करना चाहिए और उसके प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए।


खुद में अंतर्निहित हो जाना भी गुस्से से निजात दिला देता है और धीरे-धीरे आपको गुस्से में भी शांत रहने की आदत बन जाती है इसका फायदा भी है आप को डिस्प्रेशन जेसी बिमारी नहीं होती है ब्लड प्रेशर नहीं बढ़ता है हार्ट अटेक की  संभावना कम हो जाती है .


जिन को गुस्सा ज्यादा आता हो वो अपने पास एक आईना रखें गुस्सा आते ही आईने में देखें, अपने आप गुस्सा कम होने लगेगा लेकिन खुद ही को गुस्सा आये तो देखना, औरों को दिखाओगे तो मुसीबत में पड़ जाओगे.


आपको एक मूल-मन्त्र बताता हूँ -मान लो किसी के ऊपर आपको गुस्सा या क्रोध आ रहा है तो तुरंत ही आप उस व्यक्ति के अन्दर की अच्छाई के बारे में सोचना शुरू कर दे बस सिर्फ पांच से दस मिनट में ही आपका गुस्सा गायब हो जाएगा और आप शांत महसूस करने लगेगे .


पति-पत्नी में नोक-झोंक चलती रहती है। कुछ पति ऐसे भी होते हैं जो बात-बात पर गुस्सा हो जाते हैं। कभी-कभी यह स्थिति और भी बिगड़ जाती हैं जब पति का स्वभाव गुस्सैल होता है। यदि आपके पति का स्वभाव भी गुस्सैल हैं और भी बात-बात पर गुस्सा हो जाते हैं तो नीचे लिखा उपाय करें-

उपाय:-



जब आपके पति गहरी नींद में सोए हों तब एक नारियल, सात गोमती चक्र और थोड़ा का गुड़ लेकर इन सभी सामग्री को एक पीले कपड़े में बांध लें। अब इस पोटली को अपने पति के ऊपर सात बार ऊबार कर बहते हुए जल में बहा दें। इसके अलावा प्रतिदिन सूर्य को अध्र्य दें और अपनी मनोकामना कहें। कुछ ही समय में आपके पति का गुस्सा छू-मंतर हो जाएगा।

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स्तन का आकार कम करे-

स्त्री के सौंदर्य को बनाये रखना हो या शिशु को जीवन पान कराना, उनके स्तन की विशेष भूमिका होती है।



क्योंकि स्तन यदि ढीले, कमजोर या अधिक बड़े हों, तो उसकी शरीरिक सुंदरता कम होती है। वहीं यदि स्तन आकर्षक, पुष्ट और प्राकृतिक रूप से सुडौल हों तो वह नारी की सौंदर्यता को और अधिक निखार देते हैं।

स्वास्थ्य की दृष्टी से भी बहुत बड़े स्तन ठीक नहीं होते। इस लेख में हम आपको बता रहे हैं कि आप जरूरत से बड़े स्तनों का आकार कैसे कम कर सकती हैं।आप सुंदर कपड़े और शर्ट पहनना चाहती हैं। पर आपके ब्रेस्ट सही आकार में ना होने के कारण आपको ऐसा करने में तकलीफ होती है। कई बार जरूरत से ज्यादा बड़े ब्रेस्ट होने से महिलाओं को कपड़े सही फिट नहीं आते। ऐसे में ब्रेस्ट को लिफ्ट देकर इस समस्या से निजात पाई जा सकती है। 


शर्मिंदगी के कारण ज्यादातर महिलाएं इस बारे में बात नहीं करतीं, जिस कारण कई बार स्तन कैंसर, पीठ दर्द, त्वचा पर चकते और एलर्जी जैसी समस्याओं के होने का खतरा भी बढ़ जाता है।यूं तो आजकल ब्रेस्ट के साइज में किसी तरह का बदलाव करने के लिए ब्रेस्ट सर्जरी भी काफी चलन में हैं। लेकिन ब्रेस्ट वसा ऊतकों से बने होता हैं। इसलिए आप अपने ब्रेस्ट के आकार को कम करने के लिए सर्जरी के बजाय वजन घटाने के कार्यक्रमों या एक्ससाइज का सहारा भी ले सकती हैं। अगर आपके ब्रेस्ट छोटे है, तो आप अपने जीवन शैली में कुछ परिवर्तन करके इनका आकार सही कर सकती हैं।

नारी और स्तन:-
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नारी वक्ष की दो अहम कार्य होते हैं, पहला शिशु का पोषण (दुग्धपान) तथा दूसरा यौनाकर्षण। व्यवहारविदों की मानें तो नारी स्तनों की यौनाकर्षण वाली भूमिका ही ज्यादा महत्वपूर्ण होती है। पूरे नर वानर समुदाय अर्थात प्राइमेट्स में मानव मादाएं ही इतने उभरे अर्द्धगोलाकार मांसल स्तनों वाली होती हैं। इससे यह साफ होता है कि मानव जाति में मादा के स्तनों की भूमिका केवल शिशु पोषण देने वाली ही नहीं है।


बड़े स्तनों के कारण:-
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बड़े स्तन होने के कई कारण हो सकते हैं। मोटापे की वजह से भी ऐसा होता है, या फिर यह समस्या वंशानुगत भी हो सकती है। कभी-कभी शरीर में एस्‍ट्रोजन का लेवल हाई हो जाने के कारण भी ऐसी समस्‍या आ जाती है। लेकिन ब्रेस्‍ट साइज को कम करने के लिये कुछ सिंपल एक्‍सर्साइज, योग किये  जा सकते हैं, या फिर कुछ नुस्खे भी अपनाए जा सकते हैं।

स्तनों का आकार कम करने के तरीके एवं एक्सरसाइज:-
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स्तन बहुत से फैटी टिशू से मिलकर बना होता है, जिनको कम करके आप अपने स्तनों को कम कर सकती हैं। इसके लिए सही कसरत करना बहुत जरूरी होता है। शरीर की वसा को घटा कर आप अपने स्तनों को आराम से कम कर सकती हैं। आपको दौड़ने, साइकलिंग, सीढि़यां चढ़ने और स्‍विमिंग करने जैसी कैलोरी बर्न करने वाली एक्‍सर्साइज करनी चाहिए। इसके लिए आपको नियमित रूप से पुश-अप एक्‍सर्साइज, स्‍विमिंग, जौगिंग तथा चेस्‍ट फ्लाइ जैसे व्यायाम करने होंगे।लेकिन ध्यान रहे जब भी आप व्यायाम करें तो स्पोर्ट्स ब्रा जरूर पहने। क्योंकि हम जैसे-जैसे मूवमेंट करते हैं, स्तन भी वैसे ही मूवमेंट करते हैं, इसलिए बिना सही सपोर्ट के व्यायाम करने से स्तनों में दर्द हो सकता है। साथ ही इसके लिगामेंट को भी नुकसान पहुंच सकता है और त्वचा ढीली पड़ सकती है।

योग की मदद लें:-
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अपने बेस्ट के आकार को कम करने के लिए आप योग का सहारा ले सकती हैं। इसके लिए नियमित रूप से अर्द्ध चक्रासन मुद्रा बेहद मददगार साबित होती है।

अर्द्ध चक्रासन कैसे करें:-
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सीधे खड़े होकर अपने हाथों को एक साथ ऊपर की तरफ फैला दें। 

अपने हथेलियों की मुटठी बांध ले।  

अपनी हथेलियों को एक साथ शामिल करके अपनी कलाई को मजबूत करें।  

अपने शरीर को ऊपर की ओर खींचे, अपने कंधों को सुनिश्चित करके अपने कान को छूए।

गहरी सांस ले, अपने शरीर को कूल्हों के सहारे ऊपरी की ओर पुश करें।

साथ ही अपने घुटनों को मोड़े। यहं आसन एक या दो मिनट के लिए करें।



कार्डियो, एरोबिक्स करें:-
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आपको अपने ब्रेस्ट के आकार को कम करने के लिए अपने शरीर से अतिरिक्त वसा कम करनी होगी। अच्छी तरह के आकार और छोटे ब्रेस्ट के लिए एरोबिक्स करें। बहुत भारी वजन न उठाएं, ये आपके मांसपेशियों के भारीपन को कम नहीं करता, बल्कि मांसपेशियों को टोन करता है। यदि आप जिम नहीं जाना चाहतीं तो घर पर ही आसान से कार्डियो एक्ससाइज कर सकती हैं।


अगर आप सोचते हैं कि छाती से संबंधित व्यायाम सिर्फ पुरुषों के लिए होते हैं, तो आप गलत हैं। पुश-अप्स और बेंच प्रेसेस के जरिए पेक्टरल (छाती से संबंधित) मसल्स के लिए व्यायाम करने से आपके स्तन के उभार और आकार में सुधार आएगा। अगर आप उभार भरे स्तन के लिए फर्मिंग क्रीम और डेकोलेटेग का इस्तेमाल करते हैं, तो इन व्यायामों के जरिए आप नेचुरल लुक हासिल कर सकते हैं।

जॉगिंग करें, ब्रेस्ट के आकार को कम करने के लिए यह एक अच्छा उपाय है। साथ ही घूमना भी एक अच्छा तरीका होगा। 30 मिनट या एक दिन में 20 मिनट जॉगिंग या तेज चलना भी आपके ब्रेस्ट से अतिरिक्त वसा को कम करने में मदद करता है।  साथ ही 25 मिनट तक एरोबिक्स करना भी ब्रेस्ट के आकार को कम करने में मददगार साबित हो सकता है।स्तनों का बढा आकार कम करने के लिए आपको व्यायाम के साछ अपने खान-पान पर भी ध्यान देना होगा। बहुत अधिक फैटी फूड खाने से व भोजन में अनियनिता के कारण भी स्तनों का आकार बढ़ सकता है।



आप व्यायाम करें तो स्पोर्ट्स ब्रा जरूर पहने। हम जैसे-जैसे मूवमेंट करते हैं, हमारा स्तन भी वैसे ही मूवमेंट करता है। इसलिए बिना सही सपोर्ट के व्यायाम करने से स्तन में दर्द हो सकता है। साथ ही इसके लिगामेंट को नुकसान पहुंच सकता है और त्वचा ढीली पड़ सकती है। इन बातों को लेकर उन महिलाओं को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है, जिनके स्तन का आकार बड़ा है। इस बात को सुनिश्चित करें कि आप का स्तन व्यायाम के प्रभाव से पूरी तरह मुक्त हो।

महिलाएं नियमित रूप से संसक्रीन का इस्तेमाल नहीं करती हैं। छाती के संवेदनशील त्वचा पर सन लॉसन नहीं लगाने से न सिर्फ सनबर्न और स्किन कैंसर का खतरा बढ़ता है, बल्कि इससे स्किन पर समय से पहले बुढ़ापा भी दिखने लगता है। झुर्रीदार क्लीवेज से बचने और चिकना व चुस्त डेकोलेटेग के लिए जरूरी है कि जब भी आप धूप में निकलें तो कम से कम एसपीएफ 15 संसक्रीन जरूर लगाएं।

अगर आप अपने स्तन में तुरंत सुधार लाना चाहते हैं तो आप अपने पोस्‍चर को ठीक करें। जब चलते समय आपका कंधा झुका हुआ होगा तो छाती का मसल्स लचीलापन खो देगा। साथ ही समय के साथ-साथ त्वचा भी ढीली पड़ने लगेगी। वहीं बिल्कुल सीधा चलने से आपका स्तन बड़ा और आकर्षक दिखेगा। इस बात पर ध्यान दें कि पूरे दिन आप किस तरह खड़े होते हैं और बैठते हैं।

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