Wednesday, August 26, 2015

मधुमेह है -एक मधुमालती का पौधा लगाये-

मधुमालती एक बहुत ही सौम्य प्रकृति का पौधा है । लताएं कम भूमि और कम पानी में अधिक हरियाली प्रदान करती है व छाया देती है साथ ही रंग रंगीले फूलों से घर आंगन की शोभा भी बढ़ती है ।





इस कारण इन्हें घरों या कार्यालयों के प्रवेश स्थल, दीवारों के साथ साथ या किनारों पर लगाना बहुत ही उपयोगी रहता है । मधुमालती एक ऐसी लता है जो साल भर हरी रहती है और इस पर लाल, गुलाबी व सफेद रंग के मिश्रित गुच्छों के रूप में फूल आते हैं जिनमें भीनी खुशबू होती है ।


इसकी डालियाँ नर्म होती है जिन्हें आसानी से  काटा छांटा जा सकता है । यह लता बहुत कम देख भाल मांगती है और एक बार जड़ पकड़ लेने के बाद पानी नहीं देने पर भी चलती रहती है ।

ये लता संग हरियाली के साथ  पर्यावरण संरक्षण का काम करेगी, बल्कि घरों की खूबसूरती भी बढ़ाएगी । लताएं वातावरण से कार्बन डाई आॅक्साइड अवशोषित कर हमें आक्सीजन प्रदान करती ही है, इनके पत्ते अपनी सतह पर धूल कण रोक कर हवा में धूल के कणों की मात्रा भी कम करत हैं ।

लताओं के पत्ते पानी को वाष्पोत्सर्जित करते है जिससे हवा का तापमान और सूखापन घटता है । लताएं घनी होती हैं, इस कारण दीवारों पर धूप की मार कम पड़ती है । नतीजा घरों का तापमान सामान्य बना रहता है । मधुमालती भी एक ऐसी ही लता है जो साल भर हरी रहती है और इसके फूलों के गुच्छों से भीनी भीनी खुशबू आती रहती है । मालती या मधुमालती के फूल बहुत सुन्दर होते है ।



जाने  इसके  रोग में उपयोग :-
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मधुमालती फूल के फूल और पत्तियों का रस मधुमेह के लिए बहुत अच्छा है ।

इसके फूलों से आयुर्वेद में वसंत कुसुमाकर रस नाम की दवाई बनाई जाती है । इसकी 2-5 ग्राम की मात्रा लेने से कमजोरी दूर होती है और हारमोन ठीक हो जाते हैं ।

प्रमेह, प्रदर, पेट दर्द, सर्दी जुकाम और मासिक धर्म आदि सभी समस्याओं का यह समाधान है । प्रमेह या प्रदर मे इसके 3-4 ग्राम फूलों का रस मिश्री के साथ लें ।

शुगर की बीमारी में करेला, ,खीरा, टमाटर के साथ मालती के फूल डालकर जूस निकालें और सवेरे खाली पेट लें या केवल इसकी 5-6 पत्तियों का रस ही ले , वह भी काम करेगा ।

मधुमालती की बेल कई घरों में लगी होंगी इसके फूल और पत्तियों का रस मधुमेह के लिए बहुत अच्छा है . इसके फूलों से आयुर्वेद में वसंत कुसुमाकर रस नाम की दवाई बनाई जाती है . इसकी 2-5 ग्राम की मात्रा लेने से कमजोरी दूर होती है और हारमोन ठीक हो जाते है . प्रमेह , प्रदर , पेट दर्द , सर्दी-जुकाम और मासिक धर्म आदि सभी समस्याओं का यह समाधान है 
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प्रमेह या प्रदर में इसके 3-4 ग्राम फूलों का रस मिश्री के साथ लें .

कमजोरी में भी इसकी पत्तियों और फूलों का रस ले सकते हैं .

पेट दर्द में इसके फूल और पत्तियों का रस लेने से पाचक रस बनने लगते हैं . यह बच्चे भी आराम से ले सकते हैं .

सर्दी ज़ुकाम के लिए इसकी एक ग्राम फूल पत्ती और एक ग्राम तुलसी का काढ़ा बनाकर पीयें . यह किसी भी तरह का नुकसान नहीं करता . यह बहुत सौम्य प्रकृति का पौधा है .

पेट दर्द में इसके फूल और पत्तियों का रस लेने से पाचक रस बनने लगते हैं । सर्दी जुकाम के लिए इसकी एक ग्राम फूल पत्ती और एक ग्राम तुलसी का काढ़ा बनाकर पीयें ।

उपचार और प्रयोग -http://www.upcharaurprayog.com

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