कभी - कभी छोटी -मोटी बीमारियाँ होती है जिनका इलाज हमारे किचन में या आस-पास ही होता है लेकिन जानकारी न होने से उसके लाभ से वंचित रह जाते है येसे ही कुछ प्रयोग देखे और जरुरत पे प्रयोग करे -
लौंग के तेल की एक-दो बूँद रुई के फाहे पर टपकाकर जिस दाँत में दर्द हो, वहाँ रखकर दबाएँ, दाँत का दर्द दूर हो जाएगा।
हरी इलायची 10 ग्राम, सौंफ 20 ग्राम, मिश्री 40 ग्राम तीनों को (इलायची छिलके सहित) महीन पीसकर मिला लें। प्रातः एक चम्मच चूर्ण दूध के साथ पीने से नेत्र ज्योति बढ़ती है व हृदय को बल मिलता है।
नारियल के तेल में लौंग के तेल की 8-10 बूँदें टपकाकर यह तेल सर में लगाकर मालिश करने से सिरदर्द ठीक हो जाता है।
लौंग, सौंफ, छोटी इलायची, जरा-सा खोपरा समभाग लेकर कूट-पीस लें। इसे मुँह में रखने से मुख शुद्ध और दाँत मजबूत होते हैं।
लौंग, छोटी हरड़ और सेंधा नमक तीनों 10-10 ग्राम लेकर पीस लें। भोजन करने के बाद यह चूर्ण एक चम्मच, पानी के साथ फाँकने से उदर रोग ठीक होते हैं।
छिलके सहित छोटी इलायची, सौंठ, कालीमिर्च और दालचीनी समभाग लेकर पीस लें और महीन चूर्ण बना लें। चाय बनाते समय खौलते पानी में यह चूर्ण एक चुटकी भर डालकर चाय बनाइए। बड़ी स्वादिष्ट चाय बनेगी।
हरी इलायचीछिलके सहित इलायची को आग में जलाकर राख कर लें। इस राख को शहद में मिलाकर चाटने से उल्टी होना बंद होती है।
लौंग, छोटी हरड़ और सेंधा नमक तीनों 10-10 ग्राम लेकर पीस लें। भोजन करने के बाद यह चूर्ण एक चम्मच, पानी के साथ फाँकने से उदर रोग ठीक होते हैं।
यदि दाँत का दर्द है, तो उसके नीचे प्याज का एक छोटा टुकड़ा दबा लीजिए। आराम मिलेगा।
प्याज के सेवन से आँखों की ज्योति बढ़ती है।
प्याज के रस का नाभि पर लेप करने से पतले दस्त में लाभ होता है।
अपच की शिकायत होने पर प्याज के रस में थोड़ा-सा नमक मिलाकर सेवन करें।
सफेद प्याज के रस में शहद मिलाकर सेवन करना दमा रोग में बहुत लाभदायक है।
प्याज के रस में शहद मिलाकर सेवन करने से शरीर में खून की कमी दूर होती है।
यदि गठिया का दर्द सताए तो प्याज के रस की मालिश करें।प्याज का इस्तेमाल आमतौर पर हमारे घरों में सब्जी के रूप में किया जाता है। प्याज औषधीय गुणों का भंडार है और अनेक रोगों की रामबाण दवा भी।
उच्च रक्तचाप के रोगियों को कच्चे प्याज का सेवन अवश्य करना चाहिए, क्योंकि यह रक्तचाप कम करता है।
उल्टियाँ हो रही हों या जी मिचला रहा हो, तो प्याज के टुकड़े में नमक लगाकर खाने से राहत मिलती है।
जिन्हें मानसिक तनाव बना रहता हो, उन्हें प्याज का सेवन करना चाहिए, क्योंकि प्याज में मौजूद एक विशेष रसायन मानसिक तनाव कम करने में सहायक है।
सीने में जलन होना सीने में जलन होना सामान्य समस्या है। भोजन में अति होना, चाय ज्यादा पीना व अजीर्ण हो जाने की स्थिति में ऐसा होता है। बार-बार सीने में जलन होने लगे तो समझो कि भोजन नली ठीक नहीं है, उसमें आमाशय से तेजाब आ रहा है।दरअसल हमारी खाने की नली और आमाशय के बीच पेशी का एक वॉल्व होता है, जो सामान्य रूप से चीजों को खाने की नली से आमाशय की ओर ही जाने देता है। उससे गुजरकर ही खाई गई वस्तुएँ आमाशय में पहुँचती हैं।यह वाल्व उन्हें फिर वापस खाने की नली में नहीं लौटने देता, लेकिन कई बार कुछ चीजें इस वॉल्व में गड़बड़ी पैदा कर देती हैं, जिससे आमाशय में बना अम्ल खाने की नली में जाने लगता है।जलन रोकने के लिए जरूरी है कि आप तली हुई वसादार चीजें न खाएँ, भोजन सीमित मात्रा में थोड़ा-थोड़ा करें। रात में सोते हुए जलन उठती है तो सिरहाना पलंग के पाए से चार से छह इंच ऊँचा कर दें, ताकि शरीर का ऊपरी भाग ऊपर ऊठा रहे।
उपचार स्वास्थ्य और प्रयोग-
लौंग के तेल की एक-दो बूँद रुई के फाहे पर टपकाकर जिस दाँत में दर्द हो, वहाँ रखकर दबाएँ, दाँत का दर्द दूर हो जाएगा।
हरी इलायची 10 ग्राम, सौंफ 20 ग्राम, मिश्री 40 ग्राम तीनों को (इलायची छिलके सहित) महीन पीसकर मिला लें। प्रातः एक चम्मच चूर्ण दूध के साथ पीने से नेत्र ज्योति बढ़ती है व हृदय को बल मिलता है।
नारियल के तेल में लौंग के तेल की 8-10 बूँदें टपकाकर यह तेल सर में लगाकर मालिश करने से सिरदर्द ठीक हो जाता है।
लौंग, सौंफ, छोटी इलायची, जरा-सा खोपरा समभाग लेकर कूट-पीस लें। इसे मुँह में रखने से मुख शुद्ध और दाँत मजबूत होते हैं।
लौंग, छोटी हरड़ और सेंधा नमक तीनों 10-10 ग्राम लेकर पीस लें। भोजन करने के बाद यह चूर्ण एक चम्मच, पानी के साथ फाँकने से उदर रोग ठीक होते हैं।
छिलके सहित छोटी इलायची, सौंठ, कालीमिर्च और दालचीनी समभाग लेकर पीस लें और महीन चूर्ण बना लें। चाय बनाते समय खौलते पानी में यह चूर्ण एक चुटकी भर डालकर चाय बनाइए। बड़ी स्वादिष्ट चाय बनेगी।
हरी इलायचीछिलके सहित इलायची को आग में जलाकर राख कर लें। इस राख को शहद में मिलाकर चाटने से उल्टी होना बंद होती है।
लौंग, छोटी हरड़ और सेंधा नमक तीनों 10-10 ग्राम लेकर पीस लें। भोजन करने के बाद यह चूर्ण एक चम्मच, पानी के साथ फाँकने से उदर रोग ठीक होते हैं।
यदि दाँत का दर्द है, तो उसके नीचे प्याज का एक छोटा टुकड़ा दबा लीजिए। आराम मिलेगा।
प्याज के सेवन से आँखों की ज्योति बढ़ती है।
प्याज के रस का नाभि पर लेप करने से पतले दस्त में लाभ होता है।
अपच की शिकायत होने पर प्याज के रस में थोड़ा-सा नमक मिलाकर सेवन करें।
सफेद प्याज के रस में शहद मिलाकर सेवन करना दमा रोग में बहुत लाभदायक है।
प्याज के रस में शहद मिलाकर सेवन करने से शरीर में खून की कमी दूर होती है।
यदि गठिया का दर्द सताए तो प्याज के रस की मालिश करें।प्याज का इस्तेमाल आमतौर पर हमारे घरों में सब्जी के रूप में किया जाता है। प्याज औषधीय गुणों का भंडार है और अनेक रोगों की रामबाण दवा भी।
उच्च रक्तचाप के रोगियों को कच्चे प्याज का सेवन अवश्य करना चाहिए, क्योंकि यह रक्तचाप कम करता है।
उल्टियाँ हो रही हों या जी मिचला रहा हो, तो प्याज के टुकड़े में नमक लगाकर खाने से राहत मिलती है।
जिन्हें मानसिक तनाव बना रहता हो, उन्हें प्याज का सेवन करना चाहिए, क्योंकि प्याज में मौजूद एक विशेष रसायन मानसिक तनाव कम करने में सहायक है।
सीने में जलन होना सीने में जलन होना सामान्य समस्या है। भोजन में अति होना, चाय ज्यादा पीना व अजीर्ण हो जाने की स्थिति में ऐसा होता है। बार-बार सीने में जलन होने लगे तो समझो कि भोजन नली ठीक नहीं है, उसमें आमाशय से तेजाब आ रहा है।दरअसल हमारी खाने की नली और आमाशय के बीच पेशी का एक वॉल्व होता है, जो सामान्य रूप से चीजों को खाने की नली से आमाशय की ओर ही जाने देता है। उससे गुजरकर ही खाई गई वस्तुएँ आमाशय में पहुँचती हैं।यह वाल्व उन्हें फिर वापस खाने की नली में नहीं लौटने देता, लेकिन कई बार कुछ चीजें इस वॉल्व में गड़बड़ी पैदा कर देती हैं, जिससे आमाशय में बना अम्ल खाने की नली में जाने लगता है।जलन रोकने के लिए जरूरी है कि आप तली हुई वसादार चीजें न खाएँ, भोजन सीमित मात्रा में थोड़ा-थोड़ा करें। रात में सोते हुए जलन उठती है तो सिरहाना पलंग के पाए से चार से छह इंच ऊँचा कर दें, ताकि शरीर का ऊपरी भाग ऊपर ऊठा रहे।
उपचार स्वास्थ्य और प्रयोग-
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