अगर गणेश मूर्ति का कोई अवयव खंडित हो जाए तो उस घरवाले घबरा उठते हैं। लेकिन चिंता नहीं करें। विसर्जन की अक्षत डालने के बाद उस मूर्ति में निहित देवत्व चला जाता है। यदि अब उस मूर्ति का कोई अवयव टूट जाए तो उसका विचार न करें-
यदि प्राण-प्रतिष्ठा से पहले कोई अवयव खंडित हो जाए तो दूसरी मूर्ति लाकर उसकी पूजा करें। यदि विसर्जन की अक्षत डालने के बाद अवयव खंडित हो तो उस मूर्ति का हमेशा की तरह अक्षत डालकर विसर्जन करें।
आजकल प्लास्टर आफ पेरिस, शाडू और अन्य पदार्थो से बडे-बडे आकार की गणेश मूर्तियां बनाकर रंगी जा रही हैं। ये रंग मानव के लिए हानिकारक हो सकते हैं। मूर्तियों का विसर्जन बावडी या तालाब में करने से उसका पानी दूषित हो जाता है। इसलिए गणेश मूर्ति का विसर्जन बहते पानी में ही करना चाहिए। यदि यह संभव न हो तो घर के बगीचे या खेत में विसर्जन किया जाए।
भले ही आपकी किसी भी मूर्ति में आपकी गहरी आस्था हो, लेकिन मूर्ति खंडित हो गयी हो या उसकी चमक फीकी पड़ गयी हो तो उसे घर में नहीं रखें। ऐसी मूर्तियों को बिसर्जित कर देना चाहिए।
वास्तुशास्त्र के अनुसार खंडित और आभाहीन मूर्तियों के दर्शन से हानि होती है।
पूजा स्थल पर भगवान की ऐसी मूर्ति रखें जिनका मुख सौम्य और हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में हो। रौद्र और उदास मूर्ति घर में रखने से नकारात्मक उर्जा का संचार होता है।
उपचार और प्रयोग -
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