Wednesday, August 12, 2015

दक्षिणावर्ती शंख की स्थपाना केसे करे - How to set Dkshinavarti shell

दक्षिणावर्ती शंख का हिंदु पूजा पद्धती में महत्वपूर्ण स्थान है दक्षिणावर्ती शंख(Dkshinavarti shell ) देवी लक्ष्मी के स्वरुप को दर्शाता है. दक्षिणावर्ती शंख ऎश्वर्य एवं समृद्धि का प्रतीक है. इस शंख का पूजन एवं ध्यान व्यक्ति को धन संपदा से संपन्न बनाता है-व्यवसाय में सफलता दिलाता है, इस शंख में जल भर कर सूर्य को जल चढाने से नेत्र संबंधि रोगों से मुक्ति प्राप्त होती है तथा रात्रि में इस शंख में जल भर कर सुबह इसके जल को संपूर्ण घर में छिड़कने से सुख शंति बनी रहती है तथा कोई भी बाधा परेशान नहीं करती-






शंख बहुत प्रकार के होते हैं ,परंतु प्रचलन में मुख्य रूप से दो प्रकार के शंख हैं इसमें प्रथम वामवर्ती शंख , दूसरा दक्षिणावर्ती शंख महत्वपूर्ण होते हैं. वामवर्ती शंख बांयी ओर को खुला होता है तथा दक्षिणावर्ती शंख दायीं ओर खुला होता है. तंत्र शास्त्र में वामवर्ती शंख की अपेक्षा दक्षिणावर्ती शंख को विशेष महत्त्व दिया जाता है. दक्षिणावर्ती शंख मुख बंद होता है इसलिए यह शंख बजाया नहीं जाता केवल पूजा कार्य में ही इसका उपयोग होता है इस शंख के कई लाभ देखे जा सकते हैं-

दक्षिणावर्ती शंख को शुभ फलदायी है यह बहुत पवित्र, विष्णु-प्रिय और लक्ष्मी सहोदर माना जाता है, मान्यता अनुसार यदि घर में दक्षिणावर्ती शंख रहता है तो श्री-समृद्धि सदैव बनी रहती है. इस शंख को घर पर रखने से दुस्वप्नों से मुक्ति मिलती है. इस शंख को व्यापार स्थल पर रखने से व्यापार में वृद्धि होती है. पारिवारिक वातावरण शांत बनता है-

दक्षिणावर्ती शंख को स्थापित करने से पूर्व इसका शुद्धिकरण करना चाहिए, बुधवार एवं बृहस्पतिवार के दिन किसी शुभ- मुहूत्त में इसे पंचामृत, दूध, गंगाजल से स्नान कराकर धूप-दीप से पूजा करके चांदी के आसन पर लाल कपडे़ के ऊपर प्रतिष्ठित करना चाहिए. इस शंख का खुला भाग आकाश की ओर तथा मुख वाला भाग अपनी और रखना चाहिए. अक्षत एवं रोली द्वारा इस शंख को भरना चाहिए. शंख पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर इसे चंदन, पुष्प, धूप दीप से पंचोपचार करके स्थापित करना चाहिए-

स्थापना पश्चात दक्षिणावर्ती शंख का नियमित पूजन एवं दर्शन करना चाहिए. शीघ्र फल प्राप्ति के लिए स्फटिक या कमलगट्टे की माला द्वारा मंत्र का जाप करना चाहिए. यह शंख  दरिद्रता से मुक्ति, यश और कीर्ति वृद्धि, संतान प्राप्ति तथा शत्रु भय से मुक्ति प्रदान करता है-

  “ऊँ ह्रीं श्रीं नम: श्रीधरकरस्थाय पयोनिधिजातायं
लक्ष्मीसहोदराय फलप्रदाय फलप्रदाय श्री दक्षिणावर्त्त शंखाय श्रीं ह्रीं नम:।”



उद्योग-व्यवसाय स्थल हेतु :-



अनेक चमत्कारी गुणों के कारण दक्षिणावर्ती शंख का अपना विशेष महत्व है। यह दुर्लभ तथा सर्वाधिक मूल्यवान होता है। असली दक्षिणावर्ती शंख को प्राण प्रतिष्ठित कर के उद्योग-व्यवसाय स्थल, कार्यालय, दुकान अथवा घर में स्थापित कर उसकी पूजा करने से दुख-दारिद्र्य से मुक्ति मिलती है और घर में स्थिर लक्ष्मी का वास होता है। इस शंख की स्थापना करते समय निम्नलिखित श्लोक करना चाहिए-


दक्षिणावर्तेशंखाय यस्य सद्मनितिष्ठति।
मंगलानि प्रकुर्वंते तस्य लक्ष्मीः स्वयं स्थिरा।
चंदनागुरुकर्पूरैः पूजयेद यो गृहेडन्वहम्।
स सौभाग्य कृष्णसमो धनदोपमः।।


तांत्रिक प्रयोगों में भी दक्षिणावर्ती शंख का उपयोग किया जाता है, तंत्र शास्त्र के अनुसार दक्षिणावर्ती शंख में विधि पूर्वक जल रखने से कई प्रकार की बाधाएं शांत हो जाती है. सकारात्मक उर्जा का प्रवाह बनता है और नकारात्मक उर्जा दूर हो जाती है. इसमें शुद्ध जल भरकर, व्यक्ति, वस्तु अथवा स्थान पर छिड़कने से  तंत्र-मंत्र इत्यादि का प्रभाव समाप्त हो जाता है. भाग्य में वृद्धि होती है किसी भी प्रकार के टोने-टोटके इस शंख उपयोग द्वारा निष्फल हो जाते हैं, दक्षिणावर्ती शंख को लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है इसलिए यह जहां भी स्थापित होता है वहां धन संबंधी समस्याएं भी समाप्त होती हैं-

उपचार और प्रयोग -

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