बदलते लाइफस्टाइल की वजह से लड़कियों व महिलाओं में पॉलिसिस्टिक ओवरी कॉमन हो गया है। इसकी मुख्य वजह मोटापा का बढऩा है। मोटापा बढऩे से अनियमित मासिक धर्म की शिकायत होती है। मासिक धर्म के समय दर्द होना आम बात है। इससे अधिकतर लड़कियों व महिलाओं में चिड़चिड़ापन, ब्लड प्रेशर, हाइपरटेंशन, डायबिटीज और गर्भाशय में बच्चा न ठहरने का डर होता है। बुढ़ापे में गर्भाशय कैंसर का भी डर रहता है।
अनियमित मासिक धर्म से बचना है तो पहले मोटापे को कम करें। जंक फूड और अधिक तैलीय पदार्थ के सेवन से दूर रहें। नियमित रूप से एक्सरसाइज करें। वजन बढऩे से स्त्री रोग संबंधी बीमारियां बढऩे लगती है
किशोर अवस्था पार कर नव-यौवन में प्रवेश करने वाली नव-युवतियों, नव-विवाहिताओं व छोटे शिशुओं की माताओं को भी अनियमित मासिक धर्म की शिकायत रहती है। यह माह में कभी दो- बार या एक-डेढ़ माह में एक बार तक हो सकता है, यानी नियमित नहीं रहता, कभी ज्यादा गरम वस्तु खा ली कि मासिक शुरू हो जाता है यह 28 दिन की अवधि में न हो, बहुत थोड़ी मात्रा में हो, कष्ट के साथ हो तो यह अनियमित मासिक धर्म कहलाता है।
लगभग 12-12 ग्राम हीरा कसीस विलायती, एलुआ, घी में हल्की सी भुनी हुई हींग, शुद्ध हिंगुल, सुहागे की खील और नमक को एक साथ पीस कर पानी के साथ लगभग आधा ग्राम के बराबर की गोलियां बना लें। इन गोलियों को सुबह और शाम गर्म पानी से खाना चाहिए। इन गोलियों को मासिक-धर्म के आने से 3-4 दिन पहले खाना शुरू करके मासिक-धर्म के दौरान भी सेवन करते रहना चाहिए। इसके अलावा रोगी स्त्री की कमर और पेड़ू पर गर्म पानी की बोतल या गर्म ईंट से सिंकाई करनी चाहिए। रोगी स्त्री को गर्म पानी से भरे टब में नाभि तक बैठाना भी लाभकारी रहता है। घी में भुने हुए चने या लोबिया का रस, गर्म पानी, बाजरा, गेंहू, बैंगन, मटर, छुहारा, चाय और किशमिश का सेवन करना भी रोगी स्त्री के लिए लाभकारी है।
अगर किसी स्त्री को मासिक-धर्म के समय स्राव ज्यादा आता हो या उन दिनों में दर्द बहुत ज्यादा होता हो तो उसे मासिक-धर्म शुरू होने के चौथे दिन से लगभग 3 ग्राम मुलहठी का चूर्ण, 2 ग्राम माईं, 1 ग्राम शुद्ध रसौत और 1 ग्राम कत्था को रोजाना सुबह और शाम फांककर उसके ऊपर से चावलों का पानी पी लें। ऐसी समस्याओं के लिए लगभग 120 से 240 मिलीग्राम नाग भस्म को सुबह और शाम मक्खन के साथ लेना बहुत अच्छा रहता है। अगर रोगी स्त्री को इन साधारण योगों से किसी तरह का लाभ नहीं होता तो किसी अच्छे चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।
अगर शरीर में खून की कमी के कारण, मानसिक आघात या कमजोरी के कारण मासिक-धर्म बहुत कम आता हो तो रोगी स्त्री को पौष्टिक भोजन और शरीर को मजबूत करने वाली औषधियों का सेवन करने से लाभ होता है। इस रोग में आंवले का मुरब्बा, लौह-भस्म, अभ्रक भस्म, चांदी की भस्म और फलघृत बहुत लाभकारी होता है।
अगर मासिक-धर्म बिल्कुल न आता हो तो सबसे ऊपर दिए गए नुस्खे में 12 ग्राम केशर और 25 ग्राम इन्द्रायण की जड़ का चूर्ण मिला लें। इन गोलियों को लगभग 40 दिन तक सेवन करने से मासिक-धर्म आना शुरू हो जाता है।
जानकारी- यह गोलियां कब्ज लाने वाली होती है इसलिए इनका सेवन करते समय कब्ज आदि होने पर किसी तरह से डरना नहीं चाहिए।
दोनों वक्त आधा कप पानी में अशोकारिष्ट और दशमूलारिष्ट की 2-2 चम्मच दवा डालकर लगातार दो माह या तीन माह तक पीना चाहिए। मासिक धर्म शुरू होने से 2-3 दिन पहले से सुबह दशमूल का काड़ा बनाकर खाली पेट पीना शुरू कर, मासिक- स्राव शुरू हो तब तक सेवन करना चाहिए।
श्वेत प्रदर और अनियमित मासिक धर्म की चिकित्सा 4-5 माह तक इस प्रकार करें- भोजन के बाद आधा कप पानी में दशमूलारिष्ट, अशोकारिष्ट और टॉनिक एफ-22 तीनों दवा को 2-2 बड़े चम्मच डालकर दोनों वक्त पीना चाहिए।
20 ग्राम गन्ने का सिरका रोज रात को सोने से पहले पीने से खुलकर व साफ माहवारी आती है।
अमलतास का गूदा 4 ग्राम, नीम की छाल तथा सोंठ 3-3 ग्राम लेकर कुचल लें। 250 ग्राम पानी में 10 ग्राम गुड़ सहित तीनों सामग्री डाल दें व पानी चौथाई रहने तक उबालें। मासिक की तारीख शुरू होते ही इस काढ़े को सिर्फ एक बार पिएँ । इससे मासिक खुलकर आएगा तथा पीड़ा यदि हो तो दूर होगी।
आयुर्वेदिक दुकान पर मिलने वाली चन्द्रप्रभा वटी की 5-5 गोलियाँ सुबह-शाम कुमारी आसव के साथ कुछ दिनों तक सेवन करने से शरीर में लोहे की कमी दूर होती है, व मासिक नियमित होता है।
दोनों वक्त शौच के लिए अवश्य जाना चाहिए। तले हुए तेज मिर्च-मसालेदार, उष्ण प्रकृति के और खट्टे पदार्थ तथा खटाई का सेवन नहीं करना चाहिए।
बूढ़ी स्त्रियों का मासिकधर्म बंद होना:-
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अक्सर स्त्रियों का 40 से 50 साल की उम्र में मासिकधर्म धीरे-धीरे अनियमित हो जाता है जैसे कभी तो उनका मासिकधर्म 2-3 महीने तक बिल्कुल नहीं आता और कभी महीने में 2 बार भी आ जाता है। अगर स्त्री के साथ ऐसी स्थिति पैदा हो जाती है तो इससे उसको बहुत ज्यादा मानसिक आघात पहुंचता है क्योंकि वह समझती है कि अब उसका स्त्रीत्व समाप्त हो गया है। इस कारण से उसके अंदर चिड़चिड़ापन सा पैदा हो जाता है, वह बात-बात पर गुस्सा करने लगती है। स्त्री को यह समझना चाहिए कि यह एक स्वाभाविक स्थिति है। इससे उसके आकर्षण में किसी प्रकार की कमी नहीं हो सकती और न ही संभोग सुख में कमी हो सकती है।
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