जी हाँ ये हैं इसे खाने के तरीके- इमली का खट्टा-मीठा स्वाद किसी के भी मुंह में देखते ही पानी ला देता है। इसीलिए इमली का उपयोग खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए भी किया जाता है। मगर बहुत कम लोग जानते हैं कि इमली सिर्फ टेस्टी ही नहीं है यह स्वाद के साथ सेहत से भी भरी है। जी हां सुनने में भले ही अजीब लगे, लेकिन यह सच है इमली कई तरह के औषधीय गुणों से भरपूर है।
आइये फिर आप आज जान ही ले इस इमली से जुड़े कुछ ऐसे ही लाजवाब नुस्खों के बारे में-
इमली के बीज दूध में इतना उबाल लें कि उसका छिलका आसानी से उतर जाए। फिर उसका छिलका उतारकर सफेद गिरी को बारीक पीस ले और घी में भून लें, इसके बाद सामान मात्रा में मिश्री मिलाकर रख लें।रोजाना थोड़ी मात्रा में इसका सेवन करें नपुसंकता की समस्या दूर हो जाएगी।
अजवायन और इमली के बीज व गुड़ की समान मात्रा लेकर घी में अच्छी तरह भून लें।इसकी कुछ मात्रा रोजाना लेने से पुरुषों की नपुसंकता दूर होती है।
पके हुए इमली के फलों के रस की करीब 15 ग्राम मात्रा बुखार से पीडि़त रोगी को दिया जाए तो बुखार उतर जाता है। इस रस में इलायची और कुछ मात्रा में खजूर भी मिला दिया जाए तो ज्यादा असरकारक होता है।
सीने में जलन होने पर पकी इमली के रस में मिश्री मिलाकर पीएं सीने की जलन कम हो जाती है।
इमली की पत्तियों और फूल को एकत्र कर पानी के साथ उबालकर काढा तैयार जाए और इसे #पीलिया रोगी को दिया जाए तो उसे राहत मिलती है। माना जाता है कि इस काढे का सेवन एक सप्ताह तक प्रतिदिन दो बार करने से पीलिया में काफी फायदा करता है।
चोट लगने या मोंच आने पर इमली के पत्तों को पानी में उबालकर, उस पानी से सिकाई करने पर बहुत जल्दी राहत मिलती है।
लगभग 500 ग्राम इमली 6 दिन के लिए पानी में भिगो दें। उसके बाद इमली के छिलके उतारकर छाया में सुखाकर पीस लें। उसके बाद 500 ग्राम के लगभग मिश्री मिलाकर एक चौथाई चाय की चम्मच चूर्ण (मिश्री और इमली मिला हुआ) दूध के साथ प्रतिदिन दो बार लगभग 50 दिनों तक लेने नपुंसकता(Impotence) में लाभ होगा।
पके हुए इमली के फलों को पानी के साथ मसलकर रस तैयार किया जाता है और हल्की सी मात्रा में काला नमक डालकर सेवन किया जाए तो भूख लगने लगती है। प्रतिदिन दो बार ऐसा करने से भूख ना लगने की शिकायत दूर हो जाती है।
उल्टी होने पर पकी इमली को पाने में भिगोए और इस इमली के रस को पिलाने से उल्टी(Vomiting)आनी बंद हो जाती है।
इमली की पत्तियों को पानी के साथ कुचलकर लेप तैयार किया जाए और जोड़ दर्द वाले हिस्सों या सूजन(swelling) पर लगाया जाए तो सूजन में तेजी से आराम मिलता है।
एक किलो इमली के बीजों को तीन-चार दिनों तक पानी में भीगे पड़े रहने दें। इसके पश्चात उन बीजों को पानी से निकालकर और छिलके उतारकर ठीक तरह से पीस लें। इसमें इससे दो गुना पुराने गुड़ को मिलाकर इसे आटे की तरह गूंथ लें। फिर इसकी बेर के बराबर गोलियां बना लें। सेक्स क्रिया करने के दो घंटे पहले इसे दूध के साथ इस्तेमाल करें। इस तरह का उपाय सेक्स करने की ताकत को और अधिक मजबूत बनाता है।
इमली के औषधीय गुण:-
===============
वीर्य-पुष्टिकर-योग:-
============
इसके लिए इमली के बीज दूध में कुछ देर पकाकर और उसका छिलका उतारकर सफ़ेद गिरी को बारीक पीस ले और घी में भून लें, इसके बाद सामान मात्रा में मिश्री मिलाकर रख लें | इसे प्रातः एवं शाम को ५-५ ग्राम दूध के साथ सेवन करने से वीर्य पुष्ट हो जाता है | बल और स्तम्भन शक्ति बढ़ती है तथा स्व-प्रमेह नष्ट हो जाता है |
नशा समाप्त करने के लिए:-
=================
पकी इमली का गूदा जल में भिगोकर, मथकर, और छानकर उसमें थोड़ा गुड़ मिलाकर पिलाना चाहिए |
भांग का नशा उतारने के लिए शीतल जल में इमली को भिगोकर उसका रस निकालकर रोगी को पिलाने से उसका नशा उतर जाएगा |
इमली के गूदे का पानी पीने से वमन, पीलिया, प्लेग, गर्मी के ज्वर में भी लाभ होता है |
ह्रदय की दाहकता या जलन को शान्त करने के लिये पकी हुई इमली के रस (गूदे मिले जल) में मिश्री मिलाकर पिलानी चाहियें |
पकी हुई इमली के गूदे को हाथ और पैरों के तलओं पर मलने से लू का प्रभाव समाप्त हो जाता है | यदि इस गूदे का गाढ़ा धोल बालों से रहित सर पर लगा दें तो लू के प्रभाव से उत्पन्न बेहोसी दूर हो जाती है |
चोट या मोच :-
========
मोच लगने पर इमली की ताजा पत्तियाँ उबालकर, मोच या टूटे अंग को उसी उबले पानी में सेंके या धीरे – धीरे उस स्थान को उँगलियों से हिलाएं ताकि एक जगह जमा हुआ रक्त फ़ैल जाए |
गले की सूजन मे:-
===========
इमली १० ग्राम को १ किलो जल में अध्औटा कर (आधा जलाकर) छाने और उसमें थोड़ा सा गुलाबजल मिलाकर रोगी को गरारे या कुल्ला करायें तो गले की सूजन में आराम मिलता है |
टी.बी. या क्षय की खांसी हो (जब कफ़ थोड़ा रक्त आता हो) तब इमली के बीजों को तवे पर सेंक, ऊपर से छिलके निकाल कर कपड़े से छानकर चूर्ण रख ले| इसे ३ ग्राम तक घृत या मधु के साथ दिन में ३-४ बार चाटने से शीघ्र ही खांसी का वेग कम होने लगता है | कफ़ सरलता से निकालने लगता है और रक्तश्राव व् पीला कफ़ गिरना भी समाप्त हो जाता है |
ह्रदय में जलन होने पर पकी इमली का रस मिश्री के साथ पिलाने से ह्रदय में जलन कम हो जाती है |
नेत्रों में गुहेरी होने पर इमली के बीजों की गिरी पत्थर पर घिसें और इसे गुहेरी पर लगाने से तत्काल ठण्डक पहुँचती है |
चर्मरोग होने पर लगभग ३० ग्राम इमली (गूदे सहित) को १ गिलाश पानी में मथकर पीयें तो इससे घाव, फोड़े-फुंसी में लाभ होगा |
उल्टी होने पर पकी इमली को पाने में भिगोयें और इस इमली के रस को पिलाने से उल्टी आनी बंद हो जाती है |
खूनी बवासीर में इमली के पत्तों का रस निकालकर रोगी को सेवन कराने से रक्तार्श(Rktarsh) में लाभ होता है |
शीघ्रपतन में लगभग ५०० ग्राम इमली ४ दिन के लिए जल में भिगों दे | उसके बाद इमली के छिलके उतारकर छाया में सुखाकर पीस ले | फिर ५०० ग्राम के लगभग मिश्री मिलाकर एक चौथाई चाय की चम्मच चूर्ण (मिश्री और इमली मिला हुआ) दूध के साथ प्रतिदिन दो बार लगभग ५० दिनों तक लेने से लाभ होगा |
बहुमूत्र में इमली का गूदा ५ ग्राम रात को थोड़े जल में भिगो दे, दूसरे दिन प्रातः उसके छिलके निकालकर दूध के साथ पीसकर और छानकर रोगी को पिला दे | इससे स्त्री और पुरुष दोनों को लाभ होता है | मूत्र- धारण की शक्ति क्षीण हो गयी हो या मूत्र अधिक बनता हो या मूत्रविकार के कारण शरीर क्षीण होकर हड्डियाँ निकल आयी हो तो इसके प्रयोग से लाभ होगा |
अण्डकोशों में जल भरने पर लगभग ३० ग्राम इमली की ताजा पत्तियाँ को गौमूत्र में औटाये | एकबार मूत्र जल जाने पर पुनः गौमूत्र डालकर पकायें | इसके बाद गरम – गरम पत्तियों को निकालकर किसी अन्डी या बड़े पत्ते पर रखकर सुहाता- सुहाता अंडकोष पर बाँध कपड़े की पट्टी और ऊपर से लगोंट कास दे | सारा पानी निकल जायेगा और अंडकोष पूर्ववत मुलायम हो जायेगें |
पीलिया या पांडु रोग के लिए इमली के वृक्ष की जली हुई छाल की भष्म १० ग्राम बकरी के दूध के साथ प्रतिदिन सेवन करने से पान्डु रोग ठीक हो जाता है |
आग से जल जाने पर इमली के वृक्ष की जली हुई छाल की भष्म गाय के घी में मिलाकर लगाने से, जलने से पड़े छाले व् घाव ठीक हो जाते है |
पित्तज ज्वर में इमली २० ग्राम १०० ग्राम पाने में रात भर के लिए भिगो दे | उसके निथरे हुए जल को छानकर उसमे थोड़ा बूरा मिला दे | ४-५ ग्राम इसबगोल की फंकी लेकर ऊपर से इस जल को पीने से लाभ होता है |
सर्प , बिच्छू आदि का विष के लिए इमली के बीजों को पत्थर पर थोड़े जल के साथ घिसकर रख ले | दंशित स्थान पर चाकू आदि से छत करके १ या २ बीज चिपका दे | वे चिपककर विष चूसने लगेंगे और जब गिर पड़े तो दूसरा बीज चिपका दें | विष रहने तक बीज बदलते रहे |
उपचार स्वास्थ्य और प्रयोग-
आइये फिर आप आज जान ही ले इस इमली से जुड़े कुछ ऐसे ही लाजवाब नुस्खों के बारे में-
इमली के बीज दूध में इतना उबाल लें कि उसका छिलका आसानी से उतर जाए। फिर उसका छिलका उतारकर सफेद गिरी को बारीक पीस ले और घी में भून लें, इसके बाद सामान मात्रा में मिश्री मिलाकर रख लें।रोजाना थोड़ी मात्रा में इसका सेवन करें नपुसंकता की समस्या दूर हो जाएगी।
अजवायन और इमली के बीज व गुड़ की समान मात्रा लेकर घी में अच्छी तरह भून लें।इसकी कुछ मात्रा रोजाना लेने से पुरुषों की नपुसंकता दूर होती है।
पके हुए इमली के फलों के रस की करीब 15 ग्राम मात्रा बुखार से पीडि़त रोगी को दिया जाए तो बुखार उतर जाता है। इस रस में इलायची और कुछ मात्रा में खजूर भी मिला दिया जाए तो ज्यादा असरकारक होता है।
सीने में जलन होने पर पकी इमली के रस में मिश्री मिलाकर पीएं सीने की जलन कम हो जाती है।
इमली की पत्तियों और फूल को एकत्र कर पानी के साथ उबालकर काढा तैयार जाए और इसे #पीलिया रोगी को दिया जाए तो उसे राहत मिलती है। माना जाता है कि इस काढे का सेवन एक सप्ताह तक प्रतिदिन दो बार करने से पीलिया में काफी फायदा करता है।
चोट लगने या मोंच आने पर इमली के पत्तों को पानी में उबालकर, उस पानी से सिकाई करने पर बहुत जल्दी राहत मिलती है।
लगभग 500 ग्राम इमली 6 दिन के लिए पानी में भिगो दें। उसके बाद इमली के छिलके उतारकर छाया में सुखाकर पीस लें। उसके बाद 500 ग्राम के लगभग मिश्री मिलाकर एक चौथाई चाय की चम्मच चूर्ण (मिश्री और इमली मिला हुआ) दूध के साथ प्रतिदिन दो बार लगभग 50 दिनों तक लेने नपुंसकता(Impotence) में लाभ होगा।
पके हुए इमली के फलों को पानी के साथ मसलकर रस तैयार किया जाता है और हल्की सी मात्रा में काला नमक डालकर सेवन किया जाए तो भूख लगने लगती है। प्रतिदिन दो बार ऐसा करने से भूख ना लगने की शिकायत दूर हो जाती है।
उल्टी होने पर पकी इमली को पाने में भिगोए और इस इमली के रस को पिलाने से उल्टी(Vomiting)आनी बंद हो जाती है।
इमली की पत्तियों को पानी के साथ कुचलकर लेप तैयार किया जाए और जोड़ दर्द वाले हिस्सों या सूजन(swelling) पर लगाया जाए तो सूजन में तेजी से आराम मिलता है।
एक किलो इमली के बीजों को तीन-चार दिनों तक पानी में भीगे पड़े रहने दें। इसके पश्चात उन बीजों को पानी से निकालकर और छिलके उतारकर ठीक तरह से पीस लें। इसमें इससे दो गुना पुराने गुड़ को मिलाकर इसे आटे की तरह गूंथ लें। फिर इसकी बेर के बराबर गोलियां बना लें। सेक्स क्रिया करने के दो घंटे पहले इसे दूध के साथ इस्तेमाल करें। इस तरह का उपाय सेक्स करने की ताकत को और अधिक मजबूत बनाता है।
इमली के औषधीय गुण:-
===============
वीर्य-पुष्टिकर-योग:-
============
इसके लिए इमली के बीज दूध में कुछ देर पकाकर और उसका छिलका उतारकर सफ़ेद गिरी को बारीक पीस ले और घी में भून लें, इसके बाद सामान मात्रा में मिश्री मिलाकर रख लें | इसे प्रातः एवं शाम को ५-५ ग्राम दूध के साथ सेवन करने से वीर्य पुष्ट हो जाता है | बल और स्तम्भन शक्ति बढ़ती है तथा स्व-प्रमेह नष्ट हो जाता है |
नशा समाप्त करने के लिए:-
=================
पकी इमली का गूदा जल में भिगोकर, मथकर, और छानकर उसमें थोड़ा गुड़ मिलाकर पिलाना चाहिए |
भांग का नशा उतारने के लिए शीतल जल में इमली को भिगोकर उसका रस निकालकर रोगी को पिलाने से उसका नशा उतर जाएगा |
इमली के गूदे का पानी पीने से वमन, पीलिया, प्लेग, गर्मी के ज्वर में भी लाभ होता है |
ह्रदय की दाहकता या जलन को शान्त करने के लिये पकी हुई इमली के रस (गूदे मिले जल) में मिश्री मिलाकर पिलानी चाहियें |
पकी हुई इमली के गूदे को हाथ और पैरों के तलओं पर मलने से लू का प्रभाव समाप्त हो जाता है | यदि इस गूदे का गाढ़ा धोल बालों से रहित सर पर लगा दें तो लू के प्रभाव से उत्पन्न बेहोसी दूर हो जाती है |
चोट या मोच :-
========
मोच लगने पर इमली की ताजा पत्तियाँ उबालकर, मोच या टूटे अंग को उसी उबले पानी में सेंके या धीरे – धीरे उस स्थान को उँगलियों से हिलाएं ताकि एक जगह जमा हुआ रक्त फ़ैल जाए |
गले की सूजन मे:-
===========
इमली १० ग्राम को १ किलो जल में अध्औटा कर (आधा जलाकर) छाने और उसमें थोड़ा सा गुलाबजल मिलाकर रोगी को गरारे या कुल्ला करायें तो गले की सूजन में आराम मिलता है |
टी.बी. या क्षय की खांसी हो (जब कफ़ थोड़ा रक्त आता हो) तब इमली के बीजों को तवे पर सेंक, ऊपर से छिलके निकाल कर कपड़े से छानकर चूर्ण रख ले| इसे ३ ग्राम तक घृत या मधु के साथ दिन में ३-४ बार चाटने से शीघ्र ही खांसी का वेग कम होने लगता है | कफ़ सरलता से निकालने लगता है और रक्तश्राव व् पीला कफ़ गिरना भी समाप्त हो जाता है |
ह्रदय में जलन होने पर पकी इमली का रस मिश्री के साथ पिलाने से ह्रदय में जलन कम हो जाती है |
नेत्रों में गुहेरी होने पर इमली के बीजों की गिरी पत्थर पर घिसें और इसे गुहेरी पर लगाने से तत्काल ठण्डक पहुँचती है |
चर्मरोग होने पर लगभग ३० ग्राम इमली (गूदे सहित) को १ गिलाश पानी में मथकर पीयें तो इससे घाव, फोड़े-फुंसी में लाभ होगा |
उल्टी होने पर पकी इमली को पाने में भिगोयें और इस इमली के रस को पिलाने से उल्टी आनी बंद हो जाती है |
खूनी बवासीर में इमली के पत्तों का रस निकालकर रोगी को सेवन कराने से रक्तार्श(Rktarsh) में लाभ होता है |
शीघ्रपतन में लगभग ५०० ग्राम इमली ४ दिन के लिए जल में भिगों दे | उसके बाद इमली के छिलके उतारकर छाया में सुखाकर पीस ले | फिर ५०० ग्राम के लगभग मिश्री मिलाकर एक चौथाई चाय की चम्मच चूर्ण (मिश्री और इमली मिला हुआ) दूध के साथ प्रतिदिन दो बार लगभग ५० दिनों तक लेने से लाभ होगा |
बहुमूत्र में इमली का गूदा ५ ग्राम रात को थोड़े जल में भिगो दे, दूसरे दिन प्रातः उसके छिलके निकालकर दूध के साथ पीसकर और छानकर रोगी को पिला दे | इससे स्त्री और पुरुष दोनों को लाभ होता है | मूत्र- धारण की शक्ति क्षीण हो गयी हो या मूत्र अधिक बनता हो या मूत्रविकार के कारण शरीर क्षीण होकर हड्डियाँ निकल आयी हो तो इसके प्रयोग से लाभ होगा |
अण्डकोशों में जल भरने पर लगभग ३० ग्राम इमली की ताजा पत्तियाँ को गौमूत्र में औटाये | एकबार मूत्र जल जाने पर पुनः गौमूत्र डालकर पकायें | इसके बाद गरम – गरम पत्तियों को निकालकर किसी अन्डी या बड़े पत्ते पर रखकर सुहाता- सुहाता अंडकोष पर बाँध कपड़े की पट्टी और ऊपर से लगोंट कास दे | सारा पानी निकल जायेगा और अंडकोष पूर्ववत मुलायम हो जायेगें |
पीलिया या पांडु रोग के लिए इमली के वृक्ष की जली हुई छाल की भष्म १० ग्राम बकरी के दूध के साथ प्रतिदिन सेवन करने से पान्डु रोग ठीक हो जाता है |
आग से जल जाने पर इमली के वृक्ष की जली हुई छाल की भष्म गाय के घी में मिलाकर लगाने से, जलने से पड़े छाले व् घाव ठीक हो जाते है |
पित्तज ज्वर में इमली २० ग्राम १०० ग्राम पाने में रात भर के लिए भिगो दे | उसके निथरे हुए जल को छानकर उसमे थोड़ा बूरा मिला दे | ४-५ ग्राम इसबगोल की फंकी लेकर ऊपर से इस जल को पीने से लाभ होता है |
सर्प , बिच्छू आदि का विष के लिए इमली के बीजों को पत्थर पर थोड़े जल के साथ घिसकर रख ले | दंशित स्थान पर चाकू आदि से छत करके १ या २ बीज चिपका दे | वे चिपककर विष चूसने लगेंगे और जब गिर पड़े तो दूसरा बीज चिपका दें | विष रहने तक बीज बदलते रहे |
उपचार स्वास्थ्य और प्रयोग-
No comments:
Post a Comment